राजस्थान में मक्का उत्पादक जिले कौन कौन से हैं? - raajasthaan mein makka utpaadak jile kaun kaun se hain?

अर्थव्यवस्था में कृषि प्रधान होने के कारण यहां पर विविध प्रकार की फसलों का उत्पादन होता है। राज्य में फसलें प्रमुख रूप से खरीफ, रबी एवं जायद के रूप में उगाई जाती है।

खरीफ की फसल

खरीफ की फसल उन फसलों को कहते हैं जिन्हें जून-जुलाई में बोया जाता है तथा अक्टूबर के आसपास काटते हैं। स्थानीय भाषा में इसे सियालु की फसल भी कहा जाता है। इन फसलों को बोते समय अधिक तापमान एवं आर्द्रता तथा पकते समय शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती है। खरीफ की फसल में बाजरा, मक्का ,सोयाबीन, चावल ,मटर, सूरजमुखी ,मूंगफली तेल ,जवार ,तिल प्रमुख है।

रबी की फ़सल

रबी की फसल उत्तर भारत में अक्टूबर और नवंबर माह के दौरान बोई जाती है तथा फरवरी और मार्च महीने में इनकी कटाई होती है। इन फसलों की बुआई के समय कम तापमान तथा पकते समय खुश्क और गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है। रबी की फसल में गेहूं, सरसों ,अलसी ,गन्ना, तारामीरा, जीरा ,धनिया, आलू ,मटर, अफीम जो चन्ना प्रमुख है।

जायद की फसल

जायद की फसल मार्च-अप्रैल में बोई जाती है तथा फसल पकने व काटने का समय जून और जुलाई में होता है । इसमें प्रमुख रूप से तरबूज ,खरबूज ,ककड़ी एवं सब्जियां होती है

राजस्थान की प्रमुख उपजों का वितरण एवं उत्पादन

राजस्थान में जलवायु की अत्यधिक विविधता के कारण पैदा होने वाली फसलों में भी विविधता पाई जाती है। पश्चिमी राजस्थान में बाजरा की अधिकता है वहीं पूर्वी मैदानी भाग में गेहूं गेहूं चना मटर की उत्पादकता अधिक है। सिंचाई व्यवस्थाओं के विकास के कारण फसल प्रतिरूपण में पर्याप्त बदलाव हुआ है ।अब खाद्यान्न फसलों के साथ-साथ व्यापक रूप में व्यापारिक फसलें भी उत्पादित की जाने लगी है। विगत वर्षों में तिलहन, दलहन, फल एवं सब्जियों की उत्पादकता का स्तर बढ़ा है।
राजस्थान में उत्पादित होने वाली कृषि उपज को निम्न भागों में विभक्त किया जा सकता है:

  1. खाद्यान्न फसलें
  2. तिलहन एंव दलहन
  3. व्यापारिक फसल

खाद्यान्न कृषि फसल

बाजरा

बाजरा राजस्थान के शुष्क मरुस्थल प्रदेश की प्रमुख खाद्यान्न फसल है। बाजरा उत्पादन में राजस्थान का देश में प्रथम स्थान है। राजस्थान का देश के कुल बाजरा उत्पादन में 45.56 प्रतिशत का योगदान है।
बाजरा खरीफ की फसल है। इस जुलाई-अगस्त में बो कर अक्टूबर-नवंबर तक काट लिया जाता है ।

जलवायु और भूमि – यह रेतीली बालू मृदा में कम वर्षा के साथ भी पैदा हो जाती है। इसके लिए 20 से 35 सेंटीमीटर वर्षा एवं 25℃ से 35℃ के मध्य तापमान उपयुक्त रहता है।

बाजरा उत्पादक प्रमुख जिले – अलवर, बाड़मेर, जालौर, दौसा, करौली, जयपुर, नागौर, जोधपुर, झुंझुनू सीकर, चूरू, सवाई माधोपुर, बीकानेर | इसके अलावा पाली टोंक हनुमानगढ़ अजमेर में भी बाजरा उत्पादन पर्याप्त मात्रा में होता है।

सर्वाधिक उत्पादक जिला – अलवर

बाजरे की उन्नत किस्में – राज 171, आरएचबी 30, आरसीबी 911, बाजरा 2आरसीबी आदि।

मक्का

मक्का खरीफ की प्रमुख फसल है।दक्षिणी राजस्थान में इसे खाद्यान्न के रूप में उपयोग किया जाता है। मक्का की उन्नत किस्म का विकास अखिल भारतीय समन्वित मक्का सुधार परियोजना उदयपुर तथा कृषि अनुसंधान केंद्र बांसवाड़ा में किया जाता है।

जलवायु और भूमि – इसके उत्पादन के लिए 50 से 80 सेंटीमीटर वर्षा एवं 12° से 35° सेंटीग्रेड तापमान उपयुक्त रहता है। मक्का कम उपजाऊ एंव असमतल भूमि में भी उत्पादित हो जाता है।

प्रमुख उत्पादक जिले – चित्तौड़गढ़, उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बूंदी, झालावाड़, बारां, सिरोही, भीलवाड़ा, कोटा व राजसमन्द में प्रमुख रूप से तथा पाली अजमेर टोंक अलवर जिले में गौण रूप से उत्पादित की जाता है।

उन्नत किस्मे – माही कंचन एवं माही धवल

चावल

राजस्थान में चावल का उत्पादन पर्याप्त जल उपलब्धता वाले जिलों में किया जाता है।

जलवायु और भूमि – इसके लिए 100 से 150 सेंटीमीटर तक की वर्षा व उच्च तापमान की आवश्यकता होती है। चावल उत्पादन के लिए उष्ण एंव नम जलवायु तथा काली चिकनी दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है

प्रमुख उत्पादक जिले – बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बूंदी, बारां, कोटा, उदयपुर, हनुमानगढ़, गंगानगर, में होता है ।

सर्वाधिक उत्पादन – हनुमानगढ़
चावल की एक नई किस्म मोही सुगंधरा का उत्पादन राजस्थान में किया जा रहे हैं। यह बासमती चावल के समान ही है।

ज्वार

ज्वार को सोरगम भी कहा जाता है। जायद में ज्वार की फसल को मुख्य रूप से हरे चारे के लिए उगाते हैं, जबकि खरीफ में ज्वार की खेती चारे व अनाज दोनों के लिए की जाती है। इसको सिंचित व असिंचित दोनों अवस्था में उगाया जा सकता है। देश में ज्वार उत्पादन में राजस्थान का पांचवा स्थान है। ज्वार से अल्कोहल व बीयर तैयार की जाती है।

जलवायु और भूमि – ज्वार की वृद्धि के लिए अधिक तापमान की आवश्यकता होती है। 33-34°से. तापमान पर पौधों की वृद्धि अच्छी होती है। ज्वार के लिए दोमट एवं बलुई दोमट भूमि अच्छी मानी जाती है। 30 से 75 से.मी. वर्षा वाले क्षेत्रों में इसे सफलता पूर्वक उगाया जा सकता है।
उन्नत किस्में –

  • बहु कटाई वाली किस्में- मीठी सूडान (एस. एस. जी. – 59-3), एम.पी.चरी, पूसा चरी-23, जवाहर चरी- 69 (जे.सी.-69)।
  • एक कटाई वाली किस्में- लिलडी ज्वार, सी.एस.वी.15, सी.एस.वी. 20, राज चरी-1, राज चरी-2, पूसा चरी-6

प्रमुख उत्पादक जिले – ज्वार उत्पादन में नागौर प्रथम स्थान पर है ।इसके अलावा अजमेर, टोंक ,पाली ,अलवर, भरतपुर, जयपुर में भी प्रमुख रूप से ज्वार का उत्पादन किया जाता है।

गेंहू

गेहूं रबी फसलों में प्रमुख फसल है। यह राज्य के लगभग सभी जिलों में होता है। कुल कृषिगत क्षेत्र के 9.5 प्रतिशत भाग पर इसे उगाया जाता है। भारत में राजस्थान का गेंहू उत्पादन में पांचवा स्थान हैं।

जलवायु और भूमि – यह शीतोष्ण जलवायु व 50 से 60 प्रतिशत की आद्रता और दोमट मिट्टी में उत्पादित होने वाली फसल है।

प्रमुख उत्पादक जिले – राजस्थान में गेहूं सर्वाधिक श्रीगंगानगर जिले में उत्पादित किया जाता है। हनुमानगढ़ अलवर भरतपुर जयपुर बूंदी चित्तौड़गढ़ कोटा नागौर जोधपुर सवाई माधोपुर करौली टोंक बारां भी प्रमुख उत्पादक जिले हैं। इसके अतिरिक्त जालौर उदयपुर बांसवाड़ा भीलवाड़ा अजमेर धौलपुर जिले भी गौण उत्पादक जिले हैं।

उन्नत किस्में -कल्याण सोना ,सोनालिका, मंगला, गंगा ,सुनहरी ,दुर्गापुरा 65 शरबती मैक्सिकन ,कोहिनूर ,चंबल 65, राजस्थान 3077 है।

जौ

जौ एक शुष्क एंव अर्द्धशुष्क क्षेत्र की फसल है ।बोये गए क्षेत्र एवं उत्पादन दोनों की दृष्टि से ही राजस्थान का देश में जौ उत्पादन में दूसरा स्थान है । राजस्थान देश के कुल उत्पादन का 29% उत्पादन करता है। माल्ट बनाने के लिए प्रमुख खाद्यान्न के रूप में जौ का उपयोग किया जाता है।

जलवायु और भूमि – इसके लिए 15℃ तापमान और पकते समय 20° से 22℃ तापमान एंव 50 से 80 सेंटीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है।

प्रमुख उत्पादक जिले – राजस्थान में सर्वाधिक जौ का उत्पादन श्रीगंगानगर जिले में किया जाता है। हनुमानगढ़, गंगानगर, झुंझुनू, सीकर, भरतपुर, अलवर, दौसा, जयपुर, अजमेर, नागौर, भीलवाड़ा प्रमुख उत्पादक जिले हैं।

तिलहन एंव दलहन

दलहन

राजस्थान दालों के उत्पादन में महत्वपूर्ण है। यहाँ खरीफ और रबी की फसलों में दालों का उत्पादन किया जाता है। खरीफ में मूंग उड़द मोठ चंवला अरहर दलहनी फसलों का उत्पादन किया जाता है तो रबी की प्रमुख फसल चना है। प्रमुख दलहनी फसले इस प्रकार है :-चना मूंग लोबिया मोठ उड़द तुर मटर। दलहन उत्पादन में राजस्थान का प्रथम स्थान है। राजस्थान का देश के कुल दलहन उत्पादन में योगदान 19.41 % है।

  • दलहन की खरीफ फसलें – मूंग, उड़द, मोठ, अरहर, चवल(लोबिया) आदि।
  • दलहन की रबी फसलें – मसूर, चना आदि।

चना

चना ठंडी शुष्क जलवायु ,मध्यम वर्षा के साथ पैदा होने वाली फसल है । चना दालो में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इसका उपयोग व्यंजन एवं सामान्य खाद्यान्न के रूप में किया जाता है। चना रबी फसल के रूप में उत्पादित किया जाता है ।चना उत्पादन में राजस्थान का देश में प्रथम स्थान है। राजस्थान का देश के कुल उत्पादन में योगदान 23.44 % है।

प्रमुख उत्पादक जिले – हनुमानगढ़, चूरू, जैसलमेर, गंगानगर, बीकानेर अन्य प्रमुख गौण उत्पादक जिले अलवर, भरतपुर, बूंदी, दौसा, जयपुर, झुंझुनू, करौली, नागौर, सवाई माधोपुर, सीकर एंव टोंक है।

मूंग

मूंग खरीफ की प्रमुख फसल है।शुष्क एंव गर्म जलवायु में पैदा होती है। इसमें 25 से 40 सैंटीमीटर की वार्षिक वर्षा के साथ दोमट मिट्टी की आवशयकता होती है।मूंग उत्पादन में सर्वाधिक उत्पादन वाला जिला नागौर हैं। जयपुर जोधपुर जालौर अजमेर टोंक पाली भी प्रमुख उत्पादक जिले है।

उड़द

उड़द उष्ण कटिबंध आर्द्र गर्म जलवायु की फसल है। जिसके लिए 40 से 60 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा व दोमट चिकनी मिट्टी की आवशयकता होती है। उड़द के प्रमुख उत्पादक जिला बूंदी एवं भीलवाड़ा हैं।

चंवला(लोबिया)

चँवला खरीफ की प्रमुख दलहन फसल है। इसका प्रमुख उत्पादक जिला सीकर हैं ।इसके अलावा झुंझुनू, नागौर, जयपुर, बूंदी, में उत्पादित किया जाता है।

मसूर

मसूर का प्रमुख उत्पादक जिला बूंदी है। इसके अलावा झालावाड़, भरतपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ में भी उत्पादन किया जाता है।

तिलहन

तिलहन उत्पादन में राजस्थान का प्रथम स्थान है। राजस्थान का देश के कुल तिलहन उत्पादन में 20.30% योगदान है। राजस्थान में तिलहन में सरसों, मूंगफली, तिल, अलसी, सोयाबीन का उत्पादन किया जाता है।

  • तिलहन की खरीफ फसलें – मूंगफली, तिल, सोयाबीन, अरंडी आदि।
  • तिलहन की रबी फसलें – राई, सरसों, तारामीरा, अलसी आदि।

सरसों

राज्य की प्रमुख तिलहन फसल है ।यह रबी की फसल है। सरसों उत्पादन में राजस्थान का प्रथम स्थान है। राष्ट्रिय सरसों अनुसन्धान केंद्र सेवर(भरतपुर) में स्थित है।

जलवायु -इसका उत्पादन शीत एंव शुष्क जलवायु में किया जाता है। इसके लिए औसत तापमान 20°से 25°सेंटीग्रेड एंव 75 से 100 सेंटीमीटर वर्षा आवश्यक है।

प्रमुख उत्पादक जिले – भरतपुर, अलवर, बूंदी, बारां, दौसा, सवाई माधोपुर, हनुमानगढ़, गंगानगर, झुंझुनू, जयपुर, सवाई माधोपुर, कोटा, करौली । इसके अतिरिक्त बीकानेर, जैसलमेर, चित्तौड़गढ़, जालौर, जोधपुर, सीकर, में भी उत्पादित होती है।

तिल

तिल खरीफ की प्रमुख फसल है। इसके लिए ऊष्ण आर्द्र जलवायु 25° से 35° तापमान, 75 सेंटीमीटर से 100 सेंटीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है ।

प्रमुख उत्पादक जिले – अलवर, भरतपुर, बीकानेर, हनुमानगढ़, नागौर, पाली, सवाई माधोपुर है इसके अतिरिक्त बाराँ, बूंदी, जयपुर, दौसा, जोधपुर, जालौर, सिरोही, करौली, उदयपुर में भी तिल की कृषि की जाती है।

अलसी

यह रबी की फसल है। अलसी का अधिकतम उत्पादन राजस्थान तक ही सीमित है। इसका उत्पादन हाड़ौती क्षेत्र बारां, कोटा, बूंदी, झालावाड़ में प्रधानता से होता है।

मूंगफली

मूंगफली खरीफ की प्रमुख तिलहनी फसल है।इसके तेल की मांग एंव खपत अत्यधिक होती है।राजस्थान मूंगफली उत्पादन में देश मे दूसरे स्थान पर है।पहले स्थान पर गुजरात है। राजस्थान का देश के कुल उत्पादन में योगदान 16.04% है।

जलवायु – यह उष्ण कटिबन्ध जलवायु की फसल है। 50 से 125 सेमी वर्षा एंव 25°से 30°सेंटीग्रेड तापमान इसके लिए उपयुक्त है।

प्रमुख उत्पादक जिले – बीकानेर, चुरू, जोधपुर, चित्तौड़गढ़, धौलपुर, जयपुर, सीकर, टोंक, सवाई माधोपुर, झालावाड़, नागौर, करौली आदि जिलों में किया जाता है।

अरण्डी

खरीफ व रबी दोनों में इसका उत्पादन होता है। यह फसल अभी राज्य में विकास की प्रारम्भिक अवस्था मे है ।इसके उत्पादक जिले बाड़मेर जालोर जोधपुर नागौर पाली सिरोही है।यह सर्वाधिक जालोर में पैदा होती है।इसके उत्पादन में भारत मे राजस्थान का तीसरा स्थान है ।

सोयाबीन

सोयाबीन तिलहन के साथ दलहनी फसल भी है क्योंकि इसका दाल के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत है।

जलवायु एवं मृदा – इसके लिए 15°से 35°तापमान एंव 75सेमी से 125 सेमी वार्षिक वर्षा के साथ दोमट चिकनी मिट्टी की आवश्यकता रहती है ।

प्रमुख उत्पादक जिले – हाड़ौती क्षेत्र सोयाबीन उत्पादन में राज्य में अग्रणी क्षेत्र है ।सर्वाधिक सोयाबीन का उत्पादन कोटा व बाराँ में होता है झालावाड़,चितौड़गढ़, बूंदी, सवाईमाधोपुर, अजमेर, दौसा आदि प्रमुख उत्पादक जिले है।

तारामीरा

इसका प्रमुख उत्पादक जिला जयपुर है, वहीँ बीकानेर भरतपुर टोंक नागौर भीलवाड़ा भी उत्पादक जिले है।

होहोबा /जोजोबा

राज्य में इसकी खेती के लिए दो कृषि फार्म इजराइली वैज्ञानिकों की सहायता से विकसित किये गए है। एक फतेहपुर(सीकर) में तथा दूसरा ढूंढ(जयपुर) में।

प्रमुख उत्पादक जिले – जोधपुर,गंगानगर, जयपुर तथा चूरू

व्यापारिक फसल

गन्ना

गन्ना उष्ण कटिबंधीय फसल है। गन्ने की फसल को एक बार बोने के बाद 3 से 5 वर्ष तक काटा जा सकता है।गन्ने के प्रमुख उपयोग चीनी, गुड़, खांड बनाने में होता है ।अब गन्ना अपशिष्ट से शराब बनाई जाती है ।गन्ने की अपशिष्ट को ईंधन के रूप में, पशुओं को खिलाने ,कागज बनाने में भी उपयोग किया जाता है। भारत विश्व का ब्राजील के बाद दूसरा सर्वाधिक गन्ना उत्पादक देश है ।

जलवायु एवं मृदा – औसत तापमान 15℃ से 25℃ सेंटीग्रेड होना चाहिए जबकि वर्षा की मात्रा 125 सेंटीमीटर से 165 सेंटीमीटर होनी चाहिए। गन्ना उत्पादन के लिए कम्पित मृदा उपयुक्त रहती है।

प्रमुख किस्मे – को.419, को.449, को.एस.767 है ।

प्रमुख उत्पादक जिले – राज्य में सर्वाधिक गन्ना श्रीगंगानगर में तथा अन्य उत्पादक जिले क्रमशः बूंदी, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, भरतपुर, धौलपुर, राजसमंद, उदयपुर, टोंक, सवाई माधोपुर, अलवर, बारां, भीलवाड़ा, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, जयपुर, करौली है।

कपास

कपास प्रमुख व्यापारिक फसल है। कपास का उपयोग सूती वस्त्र तैयार करने में होता है । इसके अलावा बिनोला से तेल एंव पशुखाद्य तैयार किया जाता है। भारत विश्व में कपास का क्षेत्रफल एवं उत्पादन की दृष्टि से प्रथम स्थान पर है। राजस्थान का देश में छठा स्थान है। राज्य में कपास का अधिकांश उत्पादन नहरी सिंचाई की सुविधा वाले क्षेत्र में होता है।

जलवायु एवं मृदा – इसके लिए पकते समय 30℃ से 35℃ तापमान आवश्यक है। 90 दिन पाला रहित होना चाहिए ।कपास के लिए रेगुर काली मृदा उपयुक्त रहती है।

मुख्य किस्मे – राजस्थान में देशी तथा नरमा किस्म की कपास का उत्पादन किया जाता है।राजस्थान में प्रमुख रूप से बीकानेरी नरमा, आर.एस.टी.-9,अमेरिकन कपास की किस्म आर.एस.875 16 एस.टी.9 संकर4,वीरनार, वराह लक्ष्मी है।

प्रमुख उत्पादक जिले – कपास के प्रमुख उत्पादक जिले गंगानगर, हनुमानगढ़ है ।इसके अतिरिक्त अजमेर, अलवर, बांसवाड़ा, बीकानेर, टोंक, भीलवाड़ा, जोधपुर, नागौर, पाली में भी कपास का सीमित उत्पादन किया जाता है।

तम्बाकू

तम्बाकू उष्णकटिबंधीय व्यापारिक फसल है। इसका उपयोग धूम्रपान में किया जाता है ।

जलवायु – 50से 100 सेंटीमीटर वर्षा में उत्पन्न होता है।

प्रमुख उत्पादक जिले – अलवर, जयपुर, दौसा, झुंझुनू, चूरू, करौली, सवाई माधोपुर, नागौर, सिरोही, सीकर जिले में सीमित मात्रा में पैदा होती है।

राजस्थान में अन्य कृषि उत्पाद

जीराजालौर, पाली, सिरोही, अजमेर, बाड़मेर, नागौरइसबगोलसर्वाधिक जालौर में, सिरोही, बाड़मेरलाल मिर्चजोधपुर, अलवर, सवाई माधोपुर, टोंक, भीलवाड़ा, जयपुरअफीमचित्तौड़गढ़, बारां, प्रतापगढ़, कोटा, बूंदी, झालावाड़मेथीनागौरधनियाकोटा, झालावाड़, बारांसूरजमुखीझालावाड़, गंगानगर, कोटा, जोधपुर, बीकानेरकाली मिर्चबाड़मेर, जोधपुर, नागौरचुकंदरगंगानगरप्रमुख बागवानी फसलअनारहनुमानगढ़, सीकर, जालौरआमचित्तौड़गढ़, जयपुरनींबूभरतपुर, धौलपुर, करौलीअंगूरगंगानगरआंवलाजयपुर, अजमेर, नागौरसीताफलराजसमंद, उदयपुर, चित्तौड़गढ़अमरूदसवाई माधोपुर, कोटा, बूंदीसंतराझालावाड़माल्टा किन्नूगंगानगरशहतूतजयपुर, बांसवाड़ा

स्त्रोत : राजस्थान की आर्थिक समीक्षा 2021-22

राजस्थान की खाद्य एवं व्यावसायिक फसलें/ राजस्थान की खाद्य एवं व्यावसायिक फसलें/ राजस्थान की खाद्य एवं व्यावसायिक फसलें / राजस्थान की खाद्य एवं व्यावसायिक फसलें / राजस्थान की खाद्य एवं व्यावसायिक फसलें

राजस्थान में प्रमुख मक्का उत्पादन जिले कौन कौन से हैं?

सही उत्तर भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और उदयपुर है। मक्का राजस्थान के बांसवाड़ा जिले का प्रमुख अनाज है।

राजस्थान में सर्वाधिक मक्का उत्पादन वाला जिला कौन सा है?

राजस्थान का चित्तौडगढ़ जिला मक्का उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। राजस्थान में मक्के की डब्ल्यू -126 किस्म बोई जाती है जबकि कृषि अनुसंधान केन्द्र बांसवाडा द्वारा मक्का की माही कंचन व माही घवल किस्म तैयार की गई है।

मक्का सबसे ज्यादा कहाँ होता है?

खेती के क्षेत्रः कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश - भारत में मक्का के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।

मक्का का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन सा है?

भारत में मक्का की खेती जिन राज्यों में व्यापक रूप से की जाती है वे हैं - आन्ध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश इत्यादि। इनमे से राजस्थान में मक्का का सर्वाधिक क्षेत्रफल है व कर्नाटक में सर्वाधिक उत्पादन होता है।