राजनय पर वास्तव में कितनी जिम्मेदारी होती है? - raajanay par vaastav mein kitanee jimmedaaree hotee hai?

इसे सुनेंरोकेंराष्ट्रों अथवा समूहों के प्रतिनिधियों द्वारा किसी मुद्दे पर चर्चा एवं वार्ता करने की कला व अभ्यास (प्रैक्टिस) राजनय (डिप्लोमैसी) कहलाता है। आज के वैज्ञानिक युग में कोई देश अलग-अलग नहीं रह सकता। ये व्यक्ति अपनी योग्यता, कुशलता और कूटनीति से दूसरे देश को प्रायः मित्र बना लेते हैं।

सांस्कृतिक राजनय से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंसांस्कृतिक राजनय, लोक राजनय (पब्लिक डिलोमेसी) का वह रूप है जिसमें कोई देश अन्य देशों के लोगों के साथ विचारों, सूचना, कला, भाषा तथा संस्कृति के अन्य पक्षों का आदान-प्रदान करता है। यह एक प्रकार की मृदु शक्ति है। सार रूप में कह सकते हैं कि सांस्कृतिक राजनय किसी देश की आत्मा का प्रकटीकरण है।

नये एवं पुराने राजनय से क्या अभिप्राय है?

इसे सुनेंरोकेंपुराने और नए राजनय में अन्तर लक्ष्य की दृष्टि से :- पुराने राजनय ;1500 से 1914 तक) का मुख्य उद्देश्य मित्र बनाना और दूसरे के मित्रों को उनसे तोड़ना था। नये राजनय का लक्ष्य इसके साथ-साथ राज्य की प्रादेशिक, राजनीतिक तथा आर्थिक अखण्डता की रक्षा करना है। आजकल राजनय का मुख्य दायित्य देश के व्यापारिक हितों की उपलब्धि है

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कूटनीतिक इतिहास क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकूटनीति (Diplomacy) एक प्रक्रिया हैं जिसमें नीति या योजना निर्माण कर विरोधी पक्ष से अपनी बात मनवाई जाती हैं। भारत की राजनीति में कूटनीति के गुरु के रूप में चाणक्य को स्वीकार किया जाता हैं। कूटनीति में विरोधी पक्ष से युद्ध ना करके उसको मानसिक रूप से कमजोर करने का प्रयास किया जाता हैं।

राजनय के प्रकार क्या है?

इसे सुनेंरोकेंविदेश नीति का उद्देश्य मित्र राज्यों के साथ सम्बन्धों के अधिक प्रगाढ़ और शत्रु पक्ष को निष्क्रिय बनाना होता है। राजनय वह साधन है जो वार्ता और चतुरता से इस उद्दश्य की प्राप्ति में सहायक होता है। विदेश नीति के उद्देश्यों की प्राप्ति का सर्वोच्च एवं महत्वपूर्ण साधन ही है। वास्तव में विदेश नीति ही राजनय का कौशल है।

राजनय कितने प्रकार के होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंकूटनीति के साधन (The Means of Diplomacy): मॉरगेन्थाऊ के अनुसार- ”एक कुशल राजनय (Diplomacy) का, जो शान्ति संरक्षण के लिए तत्पर है अन्तिम कार्य है कि वह अपने ध्येयों की प्राप्ति के लिए उपयुक्त साधनों को चुने । राजनय को तीन प्रकार के साधन प्राप्त होते हैं, अनुनय, समझौता तथा शक्ति की धमकी ।”

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वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंवैश्वीकरण से आशय विश्व के विभिन्न समाजों और अर्थव्यवस्थाओं के एकीकरण से है। यह उत्पादों, विचारों, दृष्टिकोणों, विभिन्न सांस्कृतिक पहलुओं आदि के आपसी विनिमय के परिणाम से उत्पन्न विचार है। इसके कारण विश्व में विभिन्न लोगों, क्षेत्रों एवं देशों के मध्य अन्तःनिर्भरता में वृद्धि होती है

तेल कूटनीति का अर्थ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंपश्चिमी एशिया में तेल का अपूर्व भण्डार है । अपने तेल के कारण ही यह क्षेत्र महाशक्तियों की प्रतिस्पर्द्धा का केन्द्र बना हुआ है । 1973 के अरब-इजरायल युद्ध के समय पश्चिमी एशिया के तेल उत्पादक देशों ने इजरायल पर दबाव डालने के लिए तेल को कूटनीतिक हथियार के रूप में प्रयुक्त किया ।

अंतरराष्ट्रीय संबंधों में कूटनीति क्या है?

इसे सुनेंरोकेंअंतरराष्ट्रीय संबंधों में कूटनीति का महत्वपूर्ण स्थान है । कूटनीति शांतिपूर्ण साधना के द्वारा विदेश नीति के लक्ष्य को प्राप्त करने का महत्वपूर्ण साधन या उपकरण माना जाता है । इससे राष्ट्रीय हितों में होती है । राजनय द्वारा अंतराष्ट्रीय स्तर पर संधि वार्ता करने का एक कुशतल तरीका माना जाता

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राजनय कितने प्रकार के होते है?

इसे सुनेंरोकेंराजनय को तीन प्रकार के साधन प्राप्त होते हैं, अनुनय, समझौता तथा शक्ति की धमकी ।” अन्तर्राष्ट्रीय राजनय में प्रयोग में आने वाला मुख्य तरीका अनुनय का है और सफल राजनयज्ञ में अनुनय की कला होने की आशा की जाती है । वार्ता करने वाले पक्ष राष्ट्र होते हैं इसलिए अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में अनुनय का क्षेत्र बहुत बड़ा नहीं होता ।

राजदूत कौन होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंराजदूत एक आधिकारिक दूत होता है, विशेष रूप से एक उच्च श्रेणी का राजनयिक जो एक राज्य या राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है और आमतौर पर किसी अन्य संप्रभु (सम्प्रभु) राज्य या एक अंतरराष्ट्रीय संगठन को अपनी सरकार या संप्रभु (सम्प्रभु) के निवासी प्रतिनिधि के रूप में मान्यता प्राप्त होता है या एक विशेष और अक्सर अस्थायी राजनयिक …

राजनयिकों के प्रकार एवं उन्मुक्त क्यों पर प्रकाश डालिए?

इसे सुनेंरोकेंराजनयिक प्रतिनिधि अपने कार्य एवं दायित्वों को सम्पन्न कर सकें, इसलिए उन्हें अनेक विशेषाधिकार तथा उन्मुक्तियां (immunities) प्रदान की जाती हैं। ये विशेषाधिकार रिवाजी एवं अभिसमयात्मक कानूनों पर आधारित होते हैं। राजनयिक प्रतिनिधि राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनका गौरव होता है।

एक राजनयिक, किसी राज्य अथवा संयुक्त राष्ट्र या यूरोपीय संघ जैसे किसी अंतर सरकारी संसथान द्वारा नियुक्त एक व्यक्ति होता है, जिसका काम, एक या एकाधिक राज्यों या अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ कूटनीति का संचालन करना होता है।

राजनयिकों के मुख्य कार्य: भेजने वाले राज्य के हितों और नागरिकों का प्रतिनिधित्व और संरक्षण करना; रणनीतिक समझौतों की दीक्षा और सुविधा प्रमाणित करना; संधियों और सम्मेलनों; सूचना का प्रचार; व्यापार एवं वाणिज्य; प्रौद्योगिकी; और मैत्रीपूर्ण संबंध बनाये रखना होता है। अंतरराष्ट्रीय ख्याति के अनुभवी राजनयिकों का उपयोग अंतरराष्ट्रीय संगठनों (उदाहरण के लिए, संयुक्त राष्ट्र, दुनिया का सबसे बड़ा राजनयिक मंच) के साथ-साथ बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रबंधन और बातचीत कौशल में उनके अनुभव के लिए किया जाता है। राजनयिक, विदेशी सेवाओं और दुनिया के विभिन्न देशों के राजनयिक निकाय के सदस्य होते हैं।

राजनयिक राज्य के किसी भी विदेशी नीति संस्थान का सबसे पुराना रूप हैं, जो सदियों के विदेश मंत्रियों और मंत्रिस्तरीय कार्यालयों द्वारा पूर्ववर्ती हैं। उनके पास आमतौर पर राजनयिक प्रतिरक्षा होती है, और उनकी आधिकारिक यात्रा में वे आमतौर पर एक राजनयिक पासपोर्ट का उपयोग करते हैं

राजनय विश्व के सबसे प्राचीनतम पेशों में से एक है, वर्तमान अंतरराष्ट्रीय विधि का प्रचलन आरंभ होने के बहुत पूर्व से ही रोम, चीन, यूनान और भारत आदि सभ्यताओं में एक राज्य से दूसरे राज्य में दूत भेजने की प्रथा प्रचलित थी। कौटिल्यकृत अर्थशास्त्र और 'नीतिवाक्यामृत' में प्राचीन भारत में प्रचलित दूतव्यवस्था का विवरण मिलता है। इस काल में दूत अधिकांशत: अवसरविशेष पर अथवा कार्यविशेष के लिए ही भेजे जाते थे। यूरोप में रोमन साम्राज्य के पतन के उपरांत छिन्न भिन्न दूतव्यवस्था का पुनरारंभ चौदहवीं शताब्दी में इटली के स्वतंत्र राज्यों एवं पोप द्वारा दूत भेजने से हुआ। स्थायी राजदूत को भेजने की नियमित प्रथा का श्रीगणेश इटली के गणतंत्रों एवं फ्रांस के सम्राट् लुई ग्यारहवें ने किया। सत्रहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक दूतव्यवस्था यूरोप के अधिकांश देशों में प्रचलित हो गई थी।

राजनयिक का काम होता है ऐसी जानकारी एकत्र करना और सूचित करवाना जो निजी देश को प्रभावित कर सकती है, अथवा काम आ सकती हैं, अक्सर वे यह जानकारी अपनी निजी सलाह के साथ भेजते हैं कि गृहदेश की सरकार को कैसे प्रतिक्रिया देनी चाहिए। जब गृहदेश की राजधानी में ऐसे किसी भी सम्बन्ध में यदि कोई नीतिगत प्रतिक्रिया का फैसला किया जाता है, तो राजनयिक इसे लागू करने के लिए प्रमुख जिम्मेदारी लेते हैं। राजनयिकों का काम अपने गृह सरकार के विचारों को उस देश की सर्कार तक प्रभावी रूप से पहुँचाना होता है, जिस देश में उन्हें भेज गया है, तथा प्रभावी रूप से उस देश की सर्कार को काम करने हेतु मनाना होता है जिससे की गृहदेश के हितों की पूर्ति हो सके। इस तरह, राजनयिक एक सतत प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं जिसके माध्यम से दो देशो के बीच की विदेश नीति विकसित होती है।

सामान्य तौर पर, राजनयिकों के लिए स्वायत्तता से कार्य करना कठिन होता है। सूचना की सुरक्षा के मद्देनज़र राजनयिकों को सुरक्षित संचार प्रणालियों का उपयोग करना पड़ता है, क्योंकि मोबाइल, टेलीफोन, ईमेल, इत्यादि को ट्रैक किया जा सकता है और मिशन की गुप्त जानकारी लीक हो सकती है।

सुरक्षित ईमेल ने राजनयिकों और मंत्रालय के बीच संपर्क को बदल दिया है। इससे जानकारी लीक होने की संभावना बहुत कम हो गयी है, और इसकी व्यापक वितरण और अवैयक्तिक शैली के साथ, औपचारिक केबलग्राम की तुलना में अधिक व्यक्तिगत संपर्क सक्षम करता है।

राजनय पर वास्तव में कितने जिम्मेदारी होती है?

राजनय वह साधन है जो वार्ता और चतुरता से इस उद्दश्य की प्राप्ति में सहायक होता है। विदेश नीति के उद्देश्यों की प्राप्ति का सर्वोच्च एवं महत्वपूर्ण साधन ही है। वास्तव में विदेश नीति ही राजनय का कौशल है। किसी भी विदेश नीति का निर्माण इन अधिकारियों का कार्य है, वही दूसरे देशों के संदर्भ में इसका क्रियान्वयन राजदूतों का।

राजनय कितने प्रकार के होते हैं?

राजनय निम्नलिखित प्रकार के होते हैं :.
खुला राजनय.
गुप्त राजनय.
व्यक्तिगत राजनय.
पुराना राजनय.
नया राजनय.
सांस्कृतिक राजनय.
युद्धपोत राजनय.
संयुक्त राजनय.

राजनयिक के कर्तव्य क्या है?

राजनयिकों के मुख्य कार्य: भेजने वाले राज्य के हितों और नागरिकों का प्रतिनिधित्व और संरक्षण करना; रणनीतिक समझौतों की दीक्षा और सुविधा प्रमाणित करना; संधियों और सम्मेलनों; सूचना का प्रचार; व्यापार एवं वाणिज्य; प्रौद्योगिकी; और मैत्रीपूर्ण संबंध बनाये रखना होता है।

राजनयिक संबंधों की स्थापना क्या है?

राजनयिक आचार का इटालियन तरीका इटली को आधुनिक संगठित एवं व्यावसायिक राजनय का जनक माना जाता है। मान्यता है कि प्रथम दूतावास की स्थापना मिलान के ड्यूक फ्रांसेस्को स्फोरजा ने 1455 में जेनेवा में की थी। 1496 में वेनिस सरकार ने दो व्यापारियों का उपराजदूत बनाकर लन्दन भेजा।