रहीम के दोहे में हमें क्या सीख मिलती है? - raheem ke dohe mein hamen kya seekh milatee hai?

रहीम के दोहों से हमें कौन कौन सी सीख मिलती है लिखें?

रहीम के दोहों से हमें सीख मिलती है कि हमें अपने मित्र का सुख-दुख में बराबर साथ देना चाहिए। हमारे मन में परोपकार की भावना होनी चाहिए। जिस प्रकार प्रकृति हमारे लिए सदैव परोपकार करती है, उसी प्रकार हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए। रहीम वृक्ष और सरोवर की ही तरह संचित धन को जन कल्याण में खर्च करने की सीख देते हैं।

रहीम के दोहे पाठ से हमने क्या सीखा?

दोहे का अर्थ – अपने इस दोहे में रहीम जी कहते है कि जिस प्रकार वृक्ष अपने फल खुद नहीं खाते और नदी , तालाब अपना पानी कभी स्वयं नहीं पीते। ठीक उसी प्रकार , सज्जन और अच्छे व्यक्ति अपने द्वारा इकठ्ठे किए गए धन का उपयोग केवल अपने हित के लिए प्रयोग नहीं करते , वो उस धन का दूसरों के भले के लिए भी प्रयोग करते हैं।

क रहीम के दोहों से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?

उत्तर: तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान। कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥

रहीम के दोहे काव्य पाठ के आधार पर धरती से हमें क्या सीख मिलती है?

Solution. रहीम मनुष्य को धरती से सीख देना चाहता है कि जैसे धरती सरदी, गरमी व बरसात सभी ऋतुओं को समान रूप से सहती है, वैसे ही मनुष्य को भी अपने जीवन में सुख-दुख को सहने की क्षमता होनी चाहिए।