Solution : रहीम बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । वे योद्धा होने के साथ-साथ संस्कृत, अरबी, फारसी, तुर्की और हिन्दी के विद्वान थे। उनकी लेखनी भक्ति, शृंगार, स्वाभिमान, धर्म, वैराग्य, ज्ञान इत्यादि से सम्बन्धित थी । कवियों के आश्रयदाता रहीम की प्रशंसा केशव, मण्डन, नरहरि गंगा आदि जैसे कवियों ने मुक्तकंठ से किया है । इतना ही नहीं अपने युग के महान् कवि तुलसीदास भी रहीम के अनन्य प्रशंसक थे । उनके जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव एवं संसार के सुख-दुःख दोनों ही पहलुओं से जुड़ा था । इसी कारण से उनके नीतिपरक दोहे इतने मार्मिक बन पड़े । इसका उदाहरण द्रष्टव्य है। <br> क) रहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो गोय । <br> सुनि अठिलैं हैं लोग सब, बाँटि न लैहें कोय । <br> अर्थ-रहीम कवि के अनुसार अपना कष्ट दूसरे को नहीं बताना चाहिए, इसे छुपाकर रखना चाहिए । इसे सुन कर लोग मन-ही-मन इळलाने लगते हैं तथा मन ही मन प्रसन्न हो जाते हैं । अतएव हमें अपने हृदय की व्यथा को छुपाकर रखना चाहिए । <br> (ख) ज्यों रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोई । <br> बरि उजियार करै, बढ़े अंधेरो होई ॥ <br> अर्थ-उक्त दोहा में कवि रहीम की तुलना दीपक से किया है जो जलने पर प्रकाश तो देता है लेकिन जैसे-जैसे वह बढ़ता है अंधेरा भी बढ़ने लगता है । कपूत भी जन्म लेने पर आनन्द रूपी प्रकाश फैलाता है किन्तु जैसे-जैसे वह बड़ा होता है अपने आपसे गलत आचार से घर प्रतिष्ठा को आग लगाता है। Bihar Board Class 6 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 1 Chapter 12 रहीम के दोहे Text Book Questions and Answers and Summary. Bihar Board Class 6 Hindi रहीम के दोहे Text Book Questions and Answersप्रश्न-अभ्यास पाठ से – प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. (क) अच्छे लोगों पर बुरे लोगों की संगति का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। (ख) भले लोग (सज्जन लोग) परोपकार के कार्य पर खर्च करते (ग) हमें बड़े-छोटे सभी का सम्मान करना चाहिए। (घ) दूसरों का भला करने वालों का अपने आप भला हो जाता है ? (ङ) हमें किसी कार्य के लिए अत्यधिक व्याकुल नहीं होना चाहिए। पाठ से आगे – प्रश्न 1. दूसरा अवसर-मुझे सुधुवा जानकर हमारे वर्ग के छात्र अपनी कॉपियाँ हमारे घर पहुँचा देते थे और मैं भी उनकी कॉपियाँ में अलिखित प्रश्न के उत्तर लिखा करते थे। प्रारम्भ में मेरी लिखावट अच्छी नहीं थी। परन्तु अब लिखावट बहुत सुन्दर हो गयी है। क्योंकि मैंने दूसरों के लिए बहुत लिखा । प्रश्न 2.
व्याकरण प्रश्न 1. उत्तर: कुछ करने को – प्रश्न 1. रहीम के दोहे Summary in Hindiअर्थ-लेखन 1. जो रहीम उत्तम-प्रकृति …………….. लपटे रहत भुजंग। अर्थ – रहीम कवी के अनुसार जो व्यक्ति उत्तम स्वभाव का है उसको खराब व्यक्ति की संगति से कुछ भी दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। जैसे – चंदन के पेड़ में साँप लिपटा रहता है लेकिन चन्दन पर उस साँप के विष का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। 2. रहीम निज-मन की …………….. बाँटि न.लैहे कोय॥ अर्थ – रहीम कवि कहते हैं कि अपने मन के दख को मन में समेटे रहो क्योंकि अन्य लोग तुम्हारे दुख को सुनकर केवल तुम्हारा उपहास ही करेंगे। कोई भी तुम्हारे दुख को बाँट नहीं सकता है। 3. रहीमन धागा प्रेम …………….. गाँठ परि जाय॥ अर्थ – रहीम कवि का कहना है कि प्रेम रूपी धागा को आसानी से तोड़ने की कोशिश मत करो। क्योंकि प्रेम टूट जाने पर नहीं जुड़ता यदि जुड़ता भी तो उसमें गाँठ पर जाता है। जैसे टुटे धागा को जोड़ने पर गाँठ पड़ जाता है। 4. तरुवर फल नहिं ………………. सँचहिं सुजान। अर्थ – वृक्ष अपना फल नहीं खाता, सरोवर अपना पानी नहीं पीता है. उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति अपन धन संचय परोपकार के लिए करते हैं। 5. रहीम देखि बड़ेन ………………. कहा करै तरवारि ॥ अर्थ – रहीम कवि कहते हैं बड़े व्यक्ति या महान कार्य को पाकर छोटे को मत त्याग कीजिए । क्योंकि जहाँ सुई काम आने वाला है वहाँ तलवार कुछ नहीं कर सकती है। 6. रहीमन वे नर मर ………………. मुख निकसत नाहिं। अर्थ – रहीम कवि कहते हैं वह व्यक्ति मरा होता है जो किसी से कुछ माँगता है लेकिन उससे भी पहले वह मर जाता है जिसके मुख से याचक के लिए नहीं निकलता है। 7. यो रहीम सुख ………………. मेंहदी का रंग। अर्थ – उपकारी व्यक्ति की संगति भी लाभकारी होती है क्योंकि जो मेंहदी बाँटता है या दूसरे के हाथ में मेंहदी लगाता है उसका भी हाथ मेंहदी के रंग में रंग जाता है। अर्थात् परोपकार करने वाले का स्वयं उपकृत हो जाता है। 8. कारज धीरे ………………. केतक सींचो नीर ॥ अर्थ – मनुष्य को अपने कर्म के प्रति अधौर नहीं होना चाहिए अर्थात धैर्य नहीं खोना चाहिए क्योंकि सब काम समय पर ही होता है। जैसे-पेड़ समय .. पर ही फलता है चाहे हम उसको कितना ही क्यों न सींचें। |