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ठंडी सिकाई हमेशा काम करती है। एक कपड़ा लें और उसमें बर्फ के कुछ टुकड़े डाल दें। इसे प्रभावित हिस्से पर रखें। इस नुस्खे से आपको खुजली से तुरंत आराम मिलेगा और सूजन भी कम होगी। प्रेग्नेंसी में होने वाली खुजली को दूर करने का यह सबसे आसान तरीका है। यह भी
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प्रेग्नेंसी
में बहुत तकलीफ देता है ये लक्षण, कई बार तो बैठने तक में हो जाती है दिक्कत नींबू का रसनींबू के रस में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं जो प्रेग्नेंसी में खुजली पैदा करने वाले माइक्रोब्स को हटाने में मदद करते हैं। थोड़ से पानी में नींबू के रस की कुछ बूंदें डालें और उसे प्रभावित हिस्से पर लगाएं। नींबू के रस के अलावा कैलामाइन लोशन भी खुजली को कम करने में मदद करती है। इस लोशन को प्रभावित स्किन पर लगाएं और कुछ सेकंड तक मालिश करें। पेट पर खुजली होने पर कैलामाइन लोशन सबसे अच्छा उपाय है। यह खुजली को कम करता है और दोबारा स्किन पर जलन होने से रोकता है।यह भी पढ़ें : प्रेगनेंसी में पेट की खुजली दूर करने के घरेलू नुस्खे नारियल तेलपहले स्किन को साफ कर के सुखा लें। इस पर नारियल तेल की कुछ बूंदें डालें और तब तक स्किन की मसाज करें, जब तक कि तेल सूख न जाए। इसे स्किन पर ऐसे ही लगा छोड़ दें। दिन में दो बार इस नुस्खे को आजमाएं। नारियल तेल में स्किन के अंदर की कोशिकाओं तक पहुंचने की क्षमता होती है। ये खुजली और जलन को कम करने में मददगार फैटी एसिड बनाते हैं। इस तेल के एंटीमाइक्रोबियल गुण खुजली और जलन पैदा करने वाले स्किन इंफेक्शन से बचाने का काम करते हैं। यह भी पढ़ें : Pregnancy में आपकी Skin में आते हैं ये बदलाव एलोवेरा जेलकिसी भी तरह की स्किन प्रॉब्लम को एलोवेरा जेल से कंट्रोल किया जा सकता है। थोड़ा-सा एलोवेरा जेल लें और उसे खुजली वाली जगह पर लगाकर मालिश करें। आप दिन में दो बार इस जेल को लगा सकती हैं। एलोवेरा जेल में एंटी-इंफ्लामेट्री गुण होते हैं और ये स्किन को नमी भी देकर उसे नरम और मुलायम बनाते हैं। इस तरह स्किन से खुजली खत्म होती है। एलोवेरा के अलावा ओटमील बाथ भी खुजली को कम करने में असरकारी है। इसके लिए आपको चाहिए एक कप ओट्स और थोड़ा गुनगुना पानी। नहाने के पानी में ओट्स डालकर 10 से 12 मिनट तक छोड़ दें। फिर इस पानी को छान लें और इससे नहाएं। आप हफ्ते में दो से तीन बार ओटमील बाथ ले सकती हैं। स्किन पर खुजली को कम करने के लिए ओटमील बाथ बहुत फायदेमंद रहता है। नोट : प्रेग्नेंसी में किसी भी नुस्खे का इस्तेमाल करने से पहले गायनेकोलॉजिस्ट से सलाह जरूर लें। अगर घरेलू उपायों से भी आराम नहीं मिलता है, तो डॉक्टर से कोई दवा या क्रीम ले सकती हैं। Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें In this article
गर्भावस्था के दौरान मेरी त्वचा में इतनी खुजलाहट क्यों हो रही है?गर्भवती होने पर त्वचा में खुजलाहट महसूस होना सामान्य बात है। यह काफी आम भी है, कुल प्रेग्नेंट महिलाओं में से तकरीबन एक चौथाई को यह परेशानी होती है। इसके लिए कुछ हद तक त्वचा में खिंचाव या हॉर्मोनों में बदलाव को दोष दिया जा सकता है। आप यह पाएंगी कि खुजली आपके पेट और स्तनों पर ज्यादा होती है। खुजलाहट के निम्न कारण भी हो सकते हैं:
एग्जिमा से राहत के लिए डॉक्टर आपको त्वचा पर लगाने की सुरक्षित दवा दे सकती हैं। खाज और थ्रश के लिए आपको उपचार की जरुरत होगी, जिसके बारे में डॉक्टर आपको बताएंगी। अगर आपको हाथों और पैरों समेत पूरे शरीर पर बहुत ज्यादा खुजलाहट हो, तो इस बारे में तुरंत अपनी डॉक्टर को बताएं। यह यकृत (लीवर) से जुड़ी उस समस्या का संकेत हो सकता है, जो कि कई बार गर्भावस्था के अंतिम चरण में होती है। इसे आॅब्सटेट्रिक कोलेस्टेसिस (ओसी) कहा जाता है। इस बारे में नीचे विस्तार से पढ़ें। अधिकांश महिलाओं के लिए खुजलाहट चिंता का कारण नहीं होती है। खुजलाहट से राहत के लिए क्या कर सकती हूं?खुजलाहट से राहत पाने के लिए आप बहुत सी चीजें कर सकती हैं। कुछ ऐसे उपाय भी हैं जो खुजली को ज्यादा बढ़ने से रोकते हैं।
मुझे पेट पर चकत्ते हो गए हैं, जिनमें खुजली हो रही है। यह क्या है?यह पॉलिमॉर्फिक इरप्शन आॅफ प्रेग्नेंसी (पीईपी) नामक चिकित्सकीय स्थिति की वजह से हो सकता है। यह खुजली के साथ-साथ चकत्ते होने का एक आम कारण है। ये आमतौर पर तीसरी तिमाही में गायब हो जाते हैं। पीईपी आपके या आपके शिशु के लिए खतरनाक नहीं है, और शिशु के जन्म के बाद यह ठीक हो जाना चाहिए। हमें निश्चित रूप से यह ज्ञात नहीं है कि पीईपी होने की वजह क्या है। मगर, इसके होने की संभावना तब ज्यादा होती है जब आपके गर्भ में जुड़वां या इससे अधिक शिशु हों। पीईपी अक्सर पेट पर खुजलीदार चकत्ते से शुरु होता है फिर यह जांघो तक पहुंच जाता है, खासकर कि आपके खिंचाव के निशानों (स्ट्रेच मार्क्स) पर। ये चकत्ते छोटे-छोटे उभरे हुए लाल ढेले जैसे दिख सकते हैं और त्वचा का काफी क्षेत्र लाल और सूजा हुआ लग सकता है। पीईपी के लिए विभिन्न उपचार उपलब्ध हैं, इनमें स्टेरॉइड क्रीम, मॉइस्चराइजर और एंटीहिस्टेमीन दवाएं शामिल हैं। उपचार आपके लक्षणों पर निर्भर करता है। बेहतर है कि उपचार के बारे में अपनी डॉक्टर से पूछा जाए। क्या त्वचा में खुजली किसी अधिक गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है?अधिकांश मामलों में त्वचा में खुजली आपके शिशु को प्रभावित नहीं करती है। दुर्लभ मामलों में तीसरी तिमाही में खुजलाहट यकृत की समस्या आॅब्सटेट्रिक कोलेस्टेसिस (ओसी) का संकेत हो सकती है। इस स्थिति का एक अन्य नाम इंट्राहैपेटिक कोलेस्टेसिस आॅफ प्रेग्नेंसी (आईसीपी) भी है। ओसी के वास्तविक कारण अभी स्पष्ट नहीं है। हालांकि, यह अवश्य ज्ञात है कि यह भारतीय और पाकिस्तानी मूल की महिलाओं में अधिक आम है। अगर आपको ओसी है, तो आपको शरीर में काफी ज्यादा हिस्से में तेज खुजलाहट हो सकती है। कुछ लक्षण इसे सामान्य खुजली से अलग बनाते हैं:
अगर आपको बहुत ज्यादा खुजली हो, तो अपनी डॉक्टर को दिखाएं। वह ओसी की पुष्टि के लिए खून की जांच करवाने से पहले खुजली के अन्य संभावित कारणों के बारे में पता करेंगी। अगर आपको ओसी हुआ, तो आपको इतनी खुजलाहट होगी कि आप रात को सो भी न सकें। डॉक्टर आपको इससे राहत के लिए दवाई या क्रीम दे सकती हैं। अगर आपको ओसी हो, तो यह शिशु के जन्म के बाद जल्द ही ठीक हो जाना चाहिए। ओसी के दौरान अच्छी प्रसवपूर्व देखभाल होना जरुरी है, क्योंकि यह स्थिति समय से पहले प्रसव की संभावना को बढ़ा देती है। अगर, आपको समय से पहले प्रसव नहीं होता, तो डॉक्टर आपको प्रसव पीड़ा प्रेरित (इंड्यूस्ड लेबर) करवाने की सलाह दे सकती है, ताकि शिशु का जन्म पहले हो सके। आप और आपके शिशु की सावधानीपूर्वक निगरानी की जाएगी, ताकि डॉक्टर शिशु के जन्म के उचित समय के बारे में सलाह दे सकें। Click here to see the English version of this article! हमारे लेख पढ़ें:
ReferencesAmbros-Rudolph CM. 2011. Dermatoses of pregnancy - clues to diagnosis, fetal risk and therapy. Ann Dermatol 23(3):265-75 BAD. 2010a. Scabies. British Association of Dermatologists. [pdf file] BAD. 2010b. Polymorphic eruption of pregnancy. British Association of Dermatologists. [pdf file] Kenyon AP, Tribe RM, Nelson-Piercy C, et al. 2010. Pruritus in pregnancy: a study of anatomical distribution and prevalence in relation to the development of obstetric cholestasis. Obstet Med 3(1):25-29 Mackillop L, Williamson C. 2010. Liver disease in pregnancy. Postgrad Med J 86(1013):160-4 NHS Choices. 2012a. Itching and obstetric cholestasis in pregnancy. NHS Choices, Health A-Z, Pregnancy and baby. NHS Choices. 2012b. Itching-causes. NHS Choices, Health A-Z. NHS Choices. 2012c. Causes of atopic eczema. NHS Choices, Health A-Z. NHS Choices. 2013. Can thrush harm my baby during pregnancy? NHS Choices, Common health questions: Pregnancy. RCOG. 2011. Obstetric cholestasis. Royal College of Obstetricians and Gynaecologists, Green-top guideline, 43. London: RCOG press. [pdf file] RCOG. 2012. Obstetric cholestasis: information for you. Royal College of Obstetricians and Gynaecologists. [pdf file] SIGN. 2011. Management of atopic eczema in primary care. A national clinical guideline, SIGN publication 125. Edinburgh: Scottish Intercollegiate Guidelines Network. [pdf file] प्रेगनेंसी में पूरे शरीर में खुजली हो तो क्या करना चाहिए?प्रेगनेंसी में पेट पर खिचाव पड़ने पर सबसे ज्यादा खुजली होती है. आप पेट पर कैलामाइन लोशन से मसाज करें. 4- नारियल तेल- अगर आपकी स्किन हाइड्रेट और चिकनी रहेगी तो खुजली भी कम होगी. इसके लिए आप नहाने के बाद स्किन को सुखा लें और फिर खुजली वाली जगह पर नारियल के तेल से तब तक मसाज करें जब तक स्किन से ऑयल सूख न जाए.
प्रेगनेंसी के दौरान पूरे शरीर में खुजली क्यों होती है?गर्भावस्था में शरीर में बदलाव आने और साइज बढ़ने पर स्किन में खिंचाव आने लगता है। इससे पूरे शरीर में टाइटनेस महसूस होती है। प्रेग्नेंसी में हार्मोंस में बदलाव आते हैं जिस पर शरीर की प्रतिक्रिया में पूरी स्किन पर खुजली होने लगती है। हर महिला को प्रेग्नेंसी के किसी न किसी स्टेज पर खुजली की शिकायत होती ही है।
रात में शरीर में खुजली क्यों होती है?रात में खुजली बढ़ जाती है, जिसे आमतौर पर नोक्टर्नल प्रुरिटस के रूप में जाना जाता है। इसके लिए जिम्मेदार प्राकृतिक कारणों में त्वचा के तापमान में वृद्धि, साइटोकिन्स के स्त्राव में वृद्धि और इस बीच कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के स्राव में कमी और रात में पानी की कमी में वृद्धि शामिल है।
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