Show पवनें उच्च दाब से कम दाब की तरफ प्रभावित होती हैं। भूतल पर धरातलीय विषमताओं के कारण घर्षण पैदा होता है, जो पवनों की गति को प्रभावित करता है। इसके साथ पृथ्वी का घूर्णन भी पवनों के वेग को प्रभावित करता है। पृथ्वी के घूर्णन द्वारा लगने वाले बल को कोरिऑलिस बल कहा जाता है। अतः पृथ्वी के धरातल पर क्षैतिज पवनें तीन संयुक्त प्रभावों का परिणाम हैं
पवनो की दिशा व वेग को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक क्या है व्याख्या कीजिए?उत्तर- पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन पवनों की दिशा को प्रभावित करता है। इसे कोरिऑलिस बल कहा जाता है। इसके प्रभाव से पवनें उत्तरी गोलार्ध में अपनी मूल दिशा से दाहिने तरफ व दक्षिणी गोलार्ध में अपने बाईं तरफ विक्षेपित हो जाती हैं। कोरिऑलिस प्रभाव दाब प्रवणता के समकोण पर कार्य करता है।
वायुदाब और पवन में क्या संबंध है?पवन (Wind): पृथ्वी के धरातल पर वायुदाब में क्षैतिज विषमताओं के कारण हवा उच्च वायुदाब क्षेत्र से निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर बहती है. क्षैतिज रूप से इस गतिशील हवा को पवन कहते हैं. ऊर्ध्वाधर दिशा में गतिशील हवा को वायुधारा ( Air current) कहते हैं.
दाब के आधार पर पवन की दिशा क्या होती है?ध्रुवीय कोष्ठ के अन्तर्गत ध्रुवीय उच्चदाब से उपध्रुवीय निम्न दाब की ओर धरातलीय पवनें चलती हैं। उत्तरी गोलार्ध में इनकी दिशा उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिमी की ओर तथा दक्षिण गोलार्ध में दक्षिणपूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर होती हैं।
पवन कितने प्रकार के होते हैं?पवन के प्रकार (Types of Winds). व्यापारिक पवन (Trade Winds). पश्चिमी या पछुआ पवन (Westerlies). ध्रुवीय पवन (Polar Wind). सामयिक पवन (Seasonal Wind). मानसूनी पवन (Monsoon Wind). |