जनजातियों की प्रमुख विशेषताएं क्या है? - janajaatiyon kee pramukh visheshataen kya hai?

janjati arth paribhasha visheshtayen;जैसा की आप सब जानते है हमारा भारत विविधताओं वाला देश है, यहाँ अनेक जातियाँ- जनजाति, और अनेक धर्मों और भिन्न भाषा बोलने वाले समूह निवास करते है। आज के इस लेख मे हम जनजाति समाज के बारें मे विस्तार से चर्चा करेंगे। जिसमें जनजाति का अर्थ, परिभाषा और विशेषताएं जानेंगें।

जनजाति का अर्थ (janjati kya hai) 

भारत के विभिन्न क्षेत्रो में ऐसे मानव-समूह निवास करते है जो आज भी सभ्यता तथा संस्कृति से आपरिचित है। जो सभ्य समाजों से दूर जंगल, पहाड़ो अथवा पठारी क्षेत्रों मे निवास करते है। इन्ही समूहों को जनजाति, आदिम समाज, वन्य जाति, आदिवासी आदि नामों से जाना जाता है।
जनजाति समाज की संस्कृति अन्य समाजों से भिन्न होती है। उनके रीति-रिवाज, विश्वास, भाषा और स्थान अलग-अलग होते है। यदि व्यक्तियों का सामाजिक स्तर समान न हो तब भी उनमें स्तरीकरण एवं विलगता दिखाई नही पड़ती।

जनजाति की परिभाषा (janjati ki paribhasha) 

राल्फ लिटंन के अनुसार, " सरलतम रूप मे जनजाति ऐसी टोलियों का एक समूह है। जिसका एक सानिध्य वाले भूखण्ड़ो पर अधिकार हो और जिनमें एकता की भावना, संस्कृति में गहन सामान्यतः निरंतर संपर्क तथा कतिपय सामुदायिक हितों में समानता से उत्पन्न हुई हो।" 

बोआस ने आर्थिक आत्मनिर्भरता को जनजाति की प्रमुख विशेषता मानते हुए लिखा हैं," जनजाति से हमारा तात्पर्य आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर व्यक्तियों के ऐसे समूह से हैं, जो सामान्य भाषा बोलता है तथा बाहरी लोगों से अपनी रक्षा करने के लिए संगठित होता हैं।" 

पिडिंग्टन के अनुसार," व्यक्तियों के उस समूह को हम जनजाति के रूप में परिभाषित करते हैं, जो एक सामान्य भाषा बोलता हैं, एक सामान्य भू-भाग में रहता हैं तथा कुछ समान सांस्कृतिक विशेषताओं को प्रदर्शित करता हैं।

मजूमदार के अनुसार," कोई जनजाति परिवारों का ऐसा समूह है जिसका एक समान नाम है जिसके सदस्य एक निश्चित भूभाग पर निवास करते है तथा विवाह व्यवसाय के संबंध मे कुछ निषेधाज्ञाओं का पालन करते है एवं जिन्होंने एक आदान-प्रदान संबंध तथा पारस्परिक कर्तव्य विषयक एक निश्चित व्यवस्था का विकास कर लिया हो।"
इम्पीरियल गजेटियर के अनुसार, " एक जनजाति समान नाम धारण करने वाले परिवारों का संकलन है, जो समान बोली बोलती है, एक क्षेत्र से संबंधित होते है एवं सामान्यतः ये समूह अंतर्विवाही होते है। "
जे.पी. सिंह के अनुसार," सांस्कृतिक रूप से समरूप समुदाय जिसका समान भू-भाग भाषा तथा एक ही पूर्वज वंश होता है। यह एक अंतर्विवाही समूह है। इसके सदस्यों मे सामान्यतः स्तरण नही होता और सारे सदस्यों का सामाजिक स्तर एक-सा होता है।"
डाॅ. घुरिये के अनुसार,"भारत मे जनजाति पिछड़े हुए हिन्दू है।"
हाॅबेल के शब्दों मे, "जनजाति या प्रजाति विशिष्ट जननिक रचना के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाले शारीरिक लक्षणों का एक विशिष्ट संयोग रखने वाले
गिलिन और गिलिन के अनुसार," स्थानीय आदिम समूहों के किसी भी समूह को, जो एक सामान्य क्षेत्र मे रहता हो, एक सामान्य भाषा बोलता हो और एक सामान्य संस्कृति का अनुशरण करता हो, जनजाति कहते है।"

जनजाति की विशेषताएं (janjati ki visheshta)

जनजाति की निम्न विशेषताएं है-- 

1. प्रत्येक जनजाति के एक नाम

सभी जनजाति समूह के अलग-अलग नाम होता है जिसके द्वार उसे पहचाना जाता है।
2. सामान्य भू-भाग
जनजातियों का संबंध निश्चित भू-भाग से होता है निश्चित भू-भाग में निवास करने से उनमें सामुदायिक भावना का विकास होता है।

4. सामान्य भाषा
जनजाति की अपनी एक सामान्य भाषा होती है जिसका उपयोग वे अपने विचारों के आदान-प्रदान के लिए करती है।

5. सामान्य संस्कृति 

प्रत्येक जनजाति की अपनी एक सामान्य संस्कृति होती है। इस संस्कृति में व्यवहार के कुछ विशेष नियमों, प्रथाओं, परम्पराओं, धार्मिक, विश्वासों और जादुई क्रियाओं का समावेश होता है। जनजाति के स्थानीय अथवा क्षेत्रीय मुखिया और दूसरे प्रभावपूर्ण लोगों का कार्य जनजाति के लोगों को अपनी सांस्कृतिक विशेषताओं से परिचित कराना तथा जनजातीय एकता को सुदृढ़ बनाये रखना होता हैं।

5. शिक्षा का अभाव
जनजाति समूह मे शिक्षा का आभाव बहुत ही अधिक होता है। भारत सरकार ने शिक्षा के आभाव को दूर करने के लिए अनेक दम भी उठाए है।
6. अंतर्विवाह
जनजातियों मे अंतर्विवाह का पिरचनल से एक जनजाति के लोग दुसरी जनजाति मे विवाह नही करते हैं।
7. आत्म-निर्भरता
जनजाति समूह मे आत्म-निर्भरता पाई जाती है भौतिकता के दौर मे जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने मे जनजाति समूह स्वयं सक्षम होते है।
8. विस्तृत आकार
एक जनजाति कई परिवारों का संकलन है इसमे वंश समूह, गोत्र और गोत्र के संयुक्त रूप भ्रातृदल होते है। इस तरह जनजाति संगठन एक विस्तृत आकार ले लेता है।
9. सामान्य निषेध
जनजाति जीवन मे रहन-सहन के तरीकों विश्वास तरीकों एवं संबंध निर्वाह के तरीकों मे कुछ निश्चित निषेधों का पालन किया जाता है। निषेधाज्ञाओं का पालन जनजातीय संस्कृति की महत्वपूर्ण विशेषता हैं।
10. जनजाति परिवारों का समूह है
एक जनजाति मे समान लक्षण वाले परिवारों का समूह होता है। दरअसल कुछ परिवारों से मिलकर एक नातेदारी समूह का निर्माण होता है और इसी तरह नातेदारी समूहों के अंत:संबंधों के आधार पर जनजाति समूह विकसित हो जाता है।

11. स्वतंत्र राजनीतिक संगठन 

जनजाति की एक महत्वपूर्ण विशेषता इसके द्वारा एक स्वतंत्र राजनीतिक इकाई के रूप में काम करना है। प्रत्येक जनजाति में मुखिया और वयोवृद्ध लोगों की पंचायत द्वारा व्यवहार के नियम निर्धारित करके व्यक्तियों के आचरणों पर नियंत्रण रखा जाता है। इन नियमों का प्रभाव सरकार के कानूनों की ही तरह होता हैं। व्यक्ति को मिलने वाले दण्ड अथवा पुरस्कार का निर्धारण भी जनजाति की वृद्धाजन परिषद् के द्वारा होता हैं।

राल्फ पिडिंग्टन ने जनजातीय समाज की प्रकृति को निम्नलिखित पाँच विशेषताओं के आधार पर स्पष्ट किया हैं-- 

1. जनजातीय समाज को एक निरक्षर समाज कहा जाता हैं, क्योंकि इनमें साधारणतया लेखन या लिपि का अभाव होता हैं।

2. जनजातीय समाज का एक सरल समाज हैं। विभिन्न जनजातियों का निर्माण अनेक सामाजिक समूहों, जैसे-- परिवार, गोत्र तथा अर्द्धांश के आधार पर होता हैं जिसके फलस्वरूप सदस्यों के बीच बहुत घनिष्ठ एवं अनौपचारिक संबंध पाये जाते हैं। 

3. एक जनजाति में विभिन्न व्यक्तियों के सामाजिक संबंधों का निर्धारण नातेदारी अथवा क्षेत्र के आधार पर होता हैं। 

4. जनजाति में प्रौद्योगिक विकास का स्तर निम्न होता हैं। 

5. मौलिक रूप से जनजातियों में विशेषीकरण और श्रम-विभाजन का अभाव देखने को मिलता हैं। अधिकांश सामाजिक और आर्थिक क्रियाएं सामूहिकता के आधार पर की जाती हैं।

यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

भारत में जनजातियों की मुख्य विशेषताएं क्या है?

जनजातियों की प्रमुख विशेषताए एक जनजाति एक निश्चित भूभाग में निवास करती है! इनकी प्रायः अपनी भाषा (बोली) होती है ! एक जनजाति के सदस्यों की अपनी संस्कृति रहन-सहन व जीवनशैली होती है एक जनजाति के सदस्य अपनी संस्कृति के नियमों का पालन करते हैं।

जनजाति से आप क्या समझते हैं इसकी विशेषताएं?

जनजाति का अर्थ (janjati kya hai) भारत के विभिन्न क्षेत्रो में ऐसे मानव-समूह निवास करते है जो आज भी सभ्यता तथा संस्कृति से आपरिचित है। जो सभ्य समाजों से दूर जंगल, पहाड़ो अथवा पठारी क्षेत्रों मे निवास करते है। इन्ही समूहों को जनजाति, आदिम समाज, वन्य जाति, आदिवासी आदि नामों से जाना जाता है।

भारत में अनुसूचित जनजातियों की क्या विशेषताएं हैं?

संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार, अनुसूचित जनजातियाँ वे आदिवासी या आदिवासी समुदाय या इन आदिवासियों और आदिवासी समुदायों का भाग या उनके समूह हैं जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा एक सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा इस प्रकार घोषित किया गया है। अनुसूचित जनजातियाँ देश भर में, मुख्यतया वनों और पहाड़ी इलाकों में फैली हुई हैं

भारत में जनजातियों की प्रमुख समस्याएं क्या है?

जनजातीय क्षेत्रों में मलेरिया, क्षय रोग, पीलिया, हैजा तथा अतिसार जैसी बीमारियां व्याप्त रहती हैं। लौह तत्व की कमी, रक्ताल्पता, उच्च शिशु मृत्यु दर एवं जीवन प्रत्याशा का निम्न स्तर आदि समस्याएं कुपोषण से जुड़ी हुई हैं।