बस मन में जो फितूर आया उसी के मुताबिक पेड़-पौधों के किसी भी हिस्से को कुछ भी कह दिया या फिर इन बातों के पीछे कोई आधार भी होती है। कैसे तय किया जाएगा कि यह कांटा है, पत्ती है, तना है या शाखा। इन बातों का ज़िक्र आमतौर पर न तो कक्षाओं में होता है और न ही पढ़ाई जाने वाली किताबों में; परन्तु कौन किसका रूपांतरण है यह ज़रूर बेधड़क बता दिया जाता है। आइए, इस लेख में इसी सब के बारे में कुछ बातचीत करते हैं। Show पेड़-पौधों में रूपान्तरण पहचानने के लिए दो तरीके अपनाए जाते हैं। एक तो सिर्फ बाहरी अवलोकन से, यानी कि ध्यान से देखकर कि कोई खास रचना कैसी है, वह पेड़ के किस हिस्से पर है, उसमें से कुछ और अंग निकले हैं क्या, उसके इर्द-गिर्द और कौन-सी रचनाएं हैं...। और दूसरा तरीका है कि उस रचना के आसपास काट लेकर देखें कि वह अंदर से कैसी दिखती है, कहां से जुड़ी हुई है, पास-पड़ोस में और क्या-क्या है, आदि...। पत्ती, अग्र कलिका, टहनी, मुख्य जड़, जड़ों पर रोएं, डंठल, चपटा हिस्सा, गठान, अग्र कलिका, कक्ष कलिका से निकलता हुआ फूल, फूल, कक्ष कलिका, दो गठानों के बीच का हिस्सा, गठान, कक्ष कलिका, बीज पत्र, तिरछी जड़ें कौन-सा हिस्सा कहां: कौन-सी रचना किस हिस्से का रूपांतर है इसे समझने के लिए ज़रूरी है कि हमें इस बात की जानकारी हो कि पौधे का कौन-सा अंग कहां होता है - चाहे वो ज़मीन के नीचे दबा जड़ वाला हिस्सा हो या फिर ऊपर निकला तने वाला हिस्सा। यह रेखाचित्र एक फूल देने वाले (फूलदार) पौधे का है। पौधे में विभिन्न रचनाओं का एक निश्चित स्थान होता है। जैसे पत्ती जहां तने या टहनी से मिलती है वहां पर एक कलिका होगी ही। और उसी से निकलेगी नई टहनी से मिलती है वहां पर एक कलिका होगी ही। और उसी में से निकलेगी नई टहनी या फिर फूल। इसी तरह की निश्चितता पौधे के अन्य हिस्सों में भी पाई जाती है।कहां किसकी जगह जैसे कि पत्ती जहां भी तने या शाखा से जुड़ी हो वहां पर एक कली जैसी रचना ज़रूर पाई जाती है जिसे कक्ष-कलिका कहते हैं। नई शाखाएं इन्हीं कक्ष-कलिकाओं में से ही निकल सकती हैं। और फूल भी यहीं से निकलते हैं। ऐसे ही टहनियों या शाखाओं के अगले सिरे यानी टोच पर एक कली होती है जिसे अग्र-कलिका कहते हैं और शाखाओं में इसी अग्रकलिका की वजह से वृद्धि होती है। कई बार पत्तियों के नीचे की तरफ दो रचनाएं मिलती हैं जो एक तरह से पत्ती का ही हिस्सा हैं और उन्हें निपत्र या सहपत्र कहा जाता है। शुरूआत के लिए इन पांच-छ: हिस्सों की पहचान बनाना काफी होगा परन्तु एक बात का ख्याल रखिएगा कि सिर्फ इस लेख को अथवा किताब में पढ़ लेने भर से कभी भी पहचान नहीं बनती - आपको अपने आसपास दिखने वाले अनगिनत पौधों में इन्हें ढूंढना होगा, तलाशना होगा, पहचानने की कोशिश करनी पड़ेगी। क्योंकि असलियत में हर पौधे में ये सब अंग न तो उतने स्पष्ट होते हैं जैसे किताबों में दिखाए जाते हैं और न ही पहचानने उतने आसान जैसा कि इस लेख से लग रहा होगा! कहीं कक्ष-कलिका इतनी छोटी होगी कि अच्छी तरह से देखने के लिए शायद हेंडलैंस का इस्तेमाल करना पड़ें, तो कहीं पत्ती छोटी-सी और निपत्र खूब बड़े-बड़े,... आपको भ्रम में डालने के लिए न जाने कितनी भूल-भूलैया रची गई हैं! परन्तु एक बार पौधों में आपकी दोस्ती हो जाए और इन पांच-सात मुख्य रचनाओं को आप जानने लगें तो फिर रूपान्तरण पहचानना भी आसान हो जाता है। आइए, रूपान्तरण की बात कांटों से शुरू करें। कांटों का बाहरी अवलोकन अध्ययन के लिए ज़रूरी बातें पौधों की आंतरिक रचना क्या-क्या समझें काट से:ए. - तने की खड़ी काट,बी.सी.डी. - अलग-अलग से ली गई तने की आड़ी काट। पत्ती को वृद्धि के लिए भोजन-पानी चाहिए, इस कारण भोजन पानी पहुंचाने वाली नलिकाओं के झुंड में से कुछ मुड़कर पत्ती में चली जाती हैं। नलियों के इस तरह मुड़ने से एक खाली-सी जगह बन जाती है। दो तीन जगह से तने की आड़ी और खड़ी काट लेकर इस स्थिति को सिलसिलेवार समझा जा सकता है। भोजन और पानी वहन करने वाली इन नलिकाओं की ज़रूरत तो पौधे के हर हिस्से को होती है इसलिए जब भी तने या शाखा में से कोई नई रचना निकलती है तो चित्र में दिखाई गई नलिकाओं में से कुछ उस नई रचना की तरफ मुड़ जाती हैं और उसमें भोजन - पानी पहुंचाती हैं। आइए, इस बात को समझने के लिए चित्रों का सहारा लेते हैं। चित्र-ए में पौधे के तने में से एक पत्ती निकल रही है। इस तने की अलग-अलग जगह से काट लेकर देखते हैं कि तने के अंदर पत्ती बनने की प्रक्रिया कैसी दिखती है। अगर ‘क ख’ स्थान पर इस तने की आड़ी काट लें तो हमें मुख्यत- ये नलियां एक रिंग-नुमा आकृति में जमी दिखती हैं। (चित्र-बी) पत्ती वाले हिस्से की तरफ मुड़ने की शुरूआत हैं। अगर थोड़ा-सा ऊपर जाकर ‘ग घ’ पर से तने की आड़ी काट लें तो उसमें कुछ नलिकाओं का एक झुंड इस नलिकाओं की रिंग में से अलग होता हुआ साफ दिखता है। (चित्र-सी) इसके कारण पत्ती की तरफ मुड़ रही इन नलिकाओं और तने में जमी हुई नलिकाओं की रिंग के बीच खाली जगह-सी दिखने लगी है। अगर काट थोड़ा-सा और ऊपर जाकर ‘च छ’ पर लें तो फिर हमें केवल वह खाली जगह दिखाई देती है जहां से कुछ नलिकाएं पत्ती में चली गई हैं। (चित्र-डी) इसी तरह जब भी तने या शाखा में से कोई नया अंश फूटता है तो अगर वहां पर हम दो-तीन जगह तने या शाखा की आड़ी काट लें तो हमें मुड़ती हुई नलिकाएं और उनके मुड़ने से पैदा हुई खाली जगह साफ दिखती है। पत्ती के कक्ष में लगी कक्ष-कलिका या शाखा में भी भोजन-पानी के इंतज़ाम के लिए इसी तरह, कुछ नलिकाएं जाती हैं। पत्ती के नीचे अगर सहपत्र हों तो उनकी तरफ भी कुछ नलिकाएं मुड़ती दिखाई देंगी। कैसे मुड़ती हैं नलिकाएं:संवहन नलिकाओं का एक सरल रेखाचित्र - भोजन पानी ले जाने वाली संवहन नलिकाएं आपस में एक दूसरे से जुड़ी रहती हैं। इसलिए पत्ती या फूल या फिर किसी और अंग की ओर मुड़ने वाली नलिकाओं के आगे का हिस्सा इन नलिकाओं के मुड़ने के बाद वहीं खतम हो जाता है, परंतु उनकी जगह लेने के लिए अन्य नलिकाएं आ जाती हैं, जिससे फिर से रिंगनुमा आकृति पहले जैसी हो जाती है।यहां पर हमने नए फूट रहे अंगों की तरफ इन नलिकाओं का मुड़ना और उस वजह से पैदा होने वाले खाली स्थान को समझने के लिए चित्र को थोड़ा-सा सरलीकृत किया है। दरअसल बहुत ही कम पौधों में ये नलिकाएं इस तरह के गोल रिंगनुमा आकार में जमी होती हैं। एक-बीजपत्री और द्वि-बीजपत्री पौधों की संवहन नलिकाओं को तो हमने लेख की शुरूआत में बने चित्र में देखा था। दरअसल तने और शाखाओं में इन नलिकाओं के गुच्छे लगातार आपस में मिलते रहते हैं। इस चित्र से अलग होते रहते हैं। इस चित्र से बात शायद कुछ स्पष्ट हो (चित्र: संवहन नलिकाओं का रेखाचित्र)। रूपांतरण की पहचान
इसीलिए नींबू के कांटे खींचने पर भी आसानी से नहीं टूटते जबकि गुलाब के कांटे थोड़ा-सा ज़ोर देने पर चटक जाते हैं। इस तीन-चार पौधों के अलावा कुछ और कांटे वाले पेड़-पौधों में पहचानने का प्रयास कीजिए कि उनमें कांटे कौन-सी रचना का रूपांतरण हैं। जब उन्हें पहचानना आपके बाएं हाथ का खेल हो जाए तो नागफनी के कांटे ध्यान से देखना एक अच्छा अभ्यास होगा! आपको यह पहचानना होगा कि उसके कौन-से कांटे पत्तियों का रूपान्तरण हैं और कौन-से शाखाओं का? शायद नागफनी पर इनके अलावा भी आपको और बहुत से रूपान्तरण मिल जाएं! तंतु किसका रूपांतरण चित्र को एक बार फिर गौर से देखिए। एक कक्ष-कलिका तो है पर वो तो कहीं और ही उग निकली है। इसका अर्थ यह हुआ कि उस कक्ष-कलिका के बाद की पूरी एक पत्ती है और जिसे हम पत्तियां समझ बैठे थे वे तो उप-पत्तियां हैं। समझ बैठे थे वे तो संयुक्त पत्ती भी कहते हैं। फिर से देखें तो समझ में आता है कि मटर में पत्ती के सिरे पर कुछ उप-पत्तियां तंतुओं में बदल गई हैं। स्माईलेक्स में पहचानना एकदम आसान है क्योंकि तंतु पत्ती के नीचे ठीक उसी जगह से निकलते हैं जहां सहपत्र पाए जाते हैं। अत : उन्हें सहपत्रों का रूपान्तरण कहना अनुचित नहीं होगा और टिडोरी (कुंदरू) में तंतु पत्ती के कक्ष में से निकलते हैं जहां पर आमतौर पर कक्ष कलिका पाई जाती है, इसलिए उन्हें कक्ष-कलिका का रूपान्तरण कहा जाता है। सबसे अच्छा तरीकाइस लेख में हमने यह समझने की कोशिश की कि पौधों में किसी रचना को अन्य अंग का रूपांतरण मानने के क्या आधार होते हैं। इन्हें समझने के लिए एक-दो उदाहरणों की विस्तार में चर्चा लाज़िमी थी। अन्य रूपांतरण पहचानने का तरीका भी यही है। आमतौर पर पेड़-पौधों की बाहरी रचनाएं ध्यान से देखने से ही समझ में आ जाता है। नागफनी की बड़ी-बड़ी चपटी रचनाएं तना हैं। या पत्तियां, पता करने के लिए आपको अग्र-कलिका और कक्ष-कलिका ढूंढनी होंगी। आलू जड़ है या तना, यह जानने के लिए उस पर पाई जाने वाली आंखों-गठानों को गौर से देखना होगा। ऐसे ही यह पहचानने के लिए प्याज़ में जड़ कौन-सी है, तना कहां पर है और पत्तियां किन्हें कहेंगे, प्याज़ को उगाकर देखना पड़ेगा कि ऊपर उगने वाले हरे पत्ते किस हिस्से में जुडे हैं, अग्र-कलिका कहां पर है, फूल कहां से निकल रहे हैं,....। मीनूभाई परबिया - गुजरात में सूरत विश्व-विद्यालय के जीव विज्ञान विभाग में कार्यरत। ज़रूरी नहीं . . . . ज़रूरी नहीं होता कि गठान से सिर्फ एक पत्ती ही निकले - कई पेड़ों में एक ही गठान से ज़्यादा पत्तियां भी निकलती हैं। ऐसी स्थिति में भोजन-पानी की नलिकाएं तने में से कैसे अलग होती होंगी, इस चित्र में दोनों तरह के उदाहरण दिए गए हैं।पहले में नीलगिरी के पेड़ पर तने में से निकलती हुई पत्ती की तरफ मुड़ती हुई नलिकाएं हैं। और दूसरे पौधे में गठान से एक दूसरे से उल्टी तरफ लगी हुई दो-दो पत्तियां निकलती हैं। इसलिए नलिकाओं के भी दो गुच्छे मुख्य रिंग से अलग होते दिखाई देते हैं। पेड़ के तने को हिंदी में क्या कहते हैं?Tane के पर्यायवाची: डंठल, प्रातिपदिका, धड़, ट्रन्क, तने † अव्य॰ [हिं॰ तनै] की ओर । की तरफ । पौधे का वह भाग जो भुमि के ऊपर भ्रूण के प्रांकुर से विकसित होकर पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण के विपरीत प्रकाश की ओर बढ़ता है, तना कहलाता है।
पेड़ के तने को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?The trunk of a tree is the large main stem from which the branches grow.
पेड़ के टुकड़े को क्या कहते हैं?१. पेड़ का कोई स्थूल अंग (डाल, तना आदि) जो कटकर उससे अलग हो गया हो । काष्ठ ।
तने कितने प्रकार के होते हैं?तना Stem. तने की विशेषताएं (Characteristics of stem):. तने के प्रकार: भूमि की स्थिति के अनुसार तना तीन प्रकार के होते हैं। ... . भूमिगत तने का रूपान्तरण (Modifications of underground stem): प्रतिकूल परिस्थितियों में भूमिगत तने भोजन संग्रह करने का कार्य करने लगते हैं, जिसके कारण वे फूलकर मोटे एवं मांसल हो जाते हैं।. |