पृथक्करण की कौन कौन सी विधियां हैं नाम लिखकर समझाइए? - prthakkaran kee kaun kaun see vidhiyaan hain naam likhakar samajhaie?

पदार्थों को अलग क्यों करते हैं: ऐसा हम किसी मिश्रण से बेकार चीजों को हटाने के लिए करते हैं। कई बार दो उपयोगी चीजों के मिश्रण में से एक उपयोगी चीज निकालने के लिए भी चीजों को अलग किया जाता है। जैसे चावल से कंकड़ या बेकार दानों को हाथ से बीनकर निकाला जाता है।

ठोसों के मिश्रण

हस्तचयन: पदार्थों को अलग करने का यह सबसे सरल तरीका है। जब मिश्रण की मात्रा कम हो और पदार्थों का आकार इतना ही बड़ा हो कि उन्हें हाथों से आसानी से उठाया जा सके तो हाथों से चुनना ही सबसे सही तरीका होता है। जैसे अगर किसी टोकरी में सेब और केले रखे हों और आपको सेब अलग करने हों तो आप आसानी से हाथों से सेब को अलग कर सकते हैं। आपने अपनी माँ को चावल या दाल में से कंकड़ बीनते हुए जरूर देखा होगा।

थ्रेशिंग: कटी हुई फसल की डंडियों से अनाज को निकालने के लिए थ्रेशिंग (दौनी) का इस्तेमाल किया जाता है। थ्रेशिंग तीन तरीके से की जाती है।

हाथ से थ्रेशिंग: जब कटी हुई फसल का गट्ठर छोटा होता है तो उसे किसी कठोर सतह पर हाथ से पीटा जाता है। इससे अनाज अलग हो जाता है।

मवेशी से थ्रेशिंग: जब फसल की मात्रा अधिक होती है तो थ्रेशिंग के लिए मवेशियों की मदद ली जाती है। बांस के एक खूँटे के चारों ओर फसल की गट्ठरों को फैला दिया जाता है। फिर उस खूँटे से एक कतार में कई बैलों या भैंसों को बांधकर फसल पर चलवाया जाता है। मवेशियों के खुरों से रौंदे जाने के कारण अनाज अलग हो जाता है।

थ्रेशिंग मशीन: आजकल थ्रेशिंग मशीन या थ्रेशर का इस्तेमाल बढ़ गया है। इस मशीन को डीजल इंजन या फिर बिजली से चलाया जाता है। इस मशीन की सहायता से बहुत बड़ी मात्रा की थ्रेशिंग बहुत कम समय में हो जाती है। इससे समय और मेहनत की बचत होती है।

चालन: जब कणों का आकार बहुत छोटा होता है या मात्रा बहुत बड़ी होती है तो चालन का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए सही आकार के छेदों वाली चालनी (चलनी) का इस्तेमाल होता है। चालनी में लोहे या नायलॉन की जाली लगी होती है। आटे से चोकर को अलग करने के लिए चालनी का इस्तेमाल होता है। निर्माण स्थल पर रेत से कंकड़ अलग करने के लिए लोहे की बड़ी-बड़ी चालनी का इस्तेमाल होता है।

निष्पावन (विनोविंग): जब पवन की मदद से हल्के कणों को भारी कणों से अलग किया जाता है तो इसे निष्पावन कहते हैं। अनाज से भूसे को अलग करने के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है। इसके लिये किसान अनाज और भूसे के मिश्रण को किसी सूप में लेकर सिर के ऊपर से धीरे धीरे नीचे गिराता है। पवन के कारण भूसा थोड़ा आगे गिरता है, जबकि अनाज (भारी होने के कारण) पास में गिरता है।

कम्बाइन हार्वेस्टर: आजकल बड़े बड़े खेतों में इस मशीन का इस्तेमाल होने लगा है। यह मशीन कटाई, थ्रेशिंग और निष्पावन सब एक ही साथ कर देती है। अमेरिका जैसे विकसित देशों में तो यही मशीन इस्तेमाल होती है। भारत में भी यह मशीन आपको पंजाब के किसानों के पास मिल जायेगी।

पृथक्करण क्या है— जिस पदार्थों का हम उपयोग करते हैं , उनमें कई सारे पदार्थ मिश्रित होते हैं । मिश्रण में दो या दो अधिक पदार्थ होते हैं । इन मिश्रण में कुछ हानिकारक और कुछ अनुपयोगी पदार्थ होते हैं जिनका अलग करना जरूरी होता है , जिससे कि हम उपयोगी पदार्थ का उपयोग कर सकें और अनुपयोगी पदार्थों को बाहर कर सकें । किसी मिश्रण में से उपयोगी और अनुपयोगी पदार्थों का अलग करना ही पृथक्करण ( Separation ) कहलाता है । अलग – अलग मिश्रणों को अलग – अलग विधियों के द्वारा अलग किया जाता है । किसी भी मिश्रण की पृथक्करण की विधि उस मिश्रण के घटकों ( अवयवों ) पर निर्भर करती है ।

मिश्रणों के पृथक्करण की विधि ( Method of Separation of Mixtures )

मिश्रणों के पृथक्करण की विधियां निम्नलिखित है ;

( 1 ). ठोस अवयवों के मिश्रण
( 2 ). ठोस और द्रव अवयवों के मिश्रण
( 3 ). द्रव और द्रव अवयवों के मिश्रण

ठोस अवयवों के मिश्रण ( Mixture of Solid Ingredients )

इन मिश्रणों में अवयव ठोस होते हैं । इन मिश्रणों को निम्नलिखित तरीकों से अलग किया जाता है :

( 1 ). हस्त चयन विधि

इस विधि में ठोस अनुपयोगी अवयव को हाथ से ननिकाला जाता है । इसके द्वारा दाल , चावल आदि से कंकड़ – पत्थर अलग किया जाता है ।

( 2 ). श्रेसिंग / गाहना विधि

इस विधि से अनाज के कणों को उनकी डंडियों से अलग किया जाता है । इसमें अनाज की डंडियों को हाथों से पीटा जाता है या फिर बैलों के द्वारा कुचला जाता है या फिर थ्रेशर का प्रयोग किया जाता है ।

( 3 ). निष्पावन / पछारना विधि

इस विधि के द्वारा हल्के और भारी ठोस अवयवों को अलग किया जाता है । इसमें हवा का प्रयोग किया जाता है । इस विधि के द्वारा अनाज के कणों को भूसे से अलग किया जाता है ।

( 4 ). चालन विधि

इस विधि से उस मिश्रण को , जिसका एक घटक बारीक होता है और दूसरा थोड़ा मोटा , अलग किया जाता है । इसमें चालनी ( sieve ) का प्रयोग किया जाता है । इस विधि से आटे में से चोकर , रेत में से कंकड़ – पत्थर अलग किये जाते हैं ।

( 5 ). चुम्बकीय पृथक्करण विधि

इस विधि में चुम्बक का प्रयोग किया जाता है । इस विधि से उस मिश्रण को जिसका एक घटक चुम्बक की तरफ आकर्षित हो जाता है । जैसे- लोहा , निकिल , कोबाल्ट को अलग किया जाता है ।

ठोस और द्रव अवयवों के मिश्रण ( Mixture of Solid and Liquid Ingredients )

इस प्रकार के मिश्रणों में मुख्यतः उपयोगी घटक द्रव के रूप में होता है और अनुपयोगी घटक ठोस के रूप में । इस प्रकार के मिश्रणों को निम्न विधियों से अलग किया जाता है : .

( 1 ). अवसादन / तलछटन विधि

इस विधि में ठोस एवं द्रव के मिश्रण को कुछ समय के लिए स्थिर छोड़ दिया जाता है । मिश्रण के स्थिर रहने पर ठोस घटक नीचे बैठ जाता है और द्रव घटक ऊपर आ जाता है ।

( 2 ). निस्तारण / निथारना विधि

इस प्रक्रिया में अवसादित मिश्रण के द्रव को बिना हिलाए दूसरे बर्तन में डाला जाता है ।

( 3 ). निस्पंदन / छानना विधि

इस विधि में निस्तारित मिश्रण को छलनी से छान लिया जाता है ।

  • चाय में से चायपत्ती ,
  • जूस में से रेशे ,
  • पनीर बनाने के लिए फटे दूध में से ठोस कण।
( 4 ). वाष्पीकरण विधि

इस विधि में ठोस एवं द्रव के मिश्रण को उबाला / गर्म किया जाता है ।

  • गर्म करने पर द्रव ( जल ) भाप बन कर उड़ जाता है और ठोस घटक नीचे रह जाता है ।
  • समुद्र के पानी से नमक को इसी विधि के द्वारा अलग किया जाता है ।
  • वाष्पीकरण किसी भी तापमान पर हो सकता है परंतु उबलना ( boil ) एक निश्चित तापमान पर ही होता है ।
( 5 ). अपकेन्द्रण विधि

इस विधि में ठोस एवं द्रव के मिश्रण को बहुत तेज गति से घुमाया जाता है ।

  • इस विधि से दूध में से क्रीम और दही में से मक्खन को अलग किया जाता है ।
  • वाशिंग मशीन में कपड़े धोना भी इसी विधि पर आधारित है ।
( 6 ). द्रवशोधन / आसवन विधि

इस विधि में ठोस एवं द्रव ( fluid ) के मिश्रण को गर्म किया जाता है । इस विधि में ऐसे उपकरण का प्रयोग किया जाता है , जिसमें द्रव ( fluid ) भाप बन कर ऊपर उठता है और ठंडा हो कर दूसरे पात्र में इकट्ठा हो जाता है और ठोस नीचे रह जाता है । समुद्र के जल से नमक और शुद्ध जल प्राप्त करने के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है ।

द्रव एवं द्रव अवयवों के मिश्रण (Mixture of Liquid and Liquid Ingredients )

इन मिश्रणों में घटक द्रव के रूप में होते हैं । इन मिश्रणों में से उपयोगी और अनुपयोगी पदार्थों को निम्न विधियों से अलग किया जाता है ;

( 1 ). पृथक कीप विधि

इस विधि से दो अघुलनशील द्रवों को अलग किया जाता है । इस विधि से तेल और पानी के मिश्रण को अलग किया जाता है । तेल हल्का होने के कारण ऊपर रह जाता है और पानी नीचे पात्र में इकट्ठा हो जाता है ।

( 2 ). प्रभाजी आसवन विधि

इस विधि के द्वारा घुलनशील द्रवों को अलग किया जाता है । यह विधि पदार्थों के क्वथनांक बिन्दु पर आधारित है । जब इस प्रकार के मिश्रण को गर्म किया जाता है । तब अलग – अलग क्वथनांक बिन्दु वाले द्रव अलग हो जाते हैं । इस विधि के द्वारा कच्चे तेल से मोम , स्नेहक ( ग्रीज ) , डीजल , मिट्टी का तेल , पेट्रोल आदि को अलग किया जाता है ।

Note— किसी मिश्रण के पदार्थों को अलग करने के लिए एक से ज्यादा विधियों का प्रयोग किया जा सकता है , जैसे – नमक और रेत के मिश्रण को अलग करने के लिए निम्न विधियाँ अपनाई जाती हैं :

  • मिश्रण में जल मिलाया जाता है ।
  • अवसादन और निस्तारण किया जाता है , जिससे रेत और नमक वाला जल अलग हो जाता है ।
  • निस्यंदन किया जाता है , जिससे नमक वाले जल में बचा हुआ रेत अलग हो जाता है ।
  • वाष्पीकरण , निस्पंदित जल को गर्म किया जाता है , जिससे जल भाप बन कर उड़ जाता है और नमक बच जाता है ।

तो दोस्तों मुझे उम्मीद है कि इस लेख में दी गई सभी जानकारी जैसे — पृथक्करण क्या है? परिभाषा, पृथक्करण की विधि! ( Prthakkaran Kya Hai ) आदि प्रश्नों के उत्तर अच्छी तरह समझ गए होंगे । अगर आपका कोई सवाल या सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं. [धन्यवाद]

पृथक्करण की कौन कौन सी विधियां है?

हस्तचयन, निष्पावन, चालन, अवसादन, निस्तारण तथा निस्यंदन मिश्रणों से उसके अवयवों के पृथक्करण की कुछ विधियाँ हैं । अनाज से भूसा और पत्थरों को हस्त चयन द्वारा पृथक किया जा सकता है। भूसा, अनाज के भारी बीजों से निस्पावन विधि द्वारा पृथक किया जाता है ।

पृथक्करण से आप क्या समझते है?

Solution : मिश्रण में से एक पदार्थ को दूसरे पदार्थ से पृथक् करना पृथक्करण कहलाता है।

पृथक्करण क्यों जरूरी है?

Solution : भिन्न-भिन्न परंतु उपयोगी, अनुपयोगी, हानिकारक या लाभदायक पदार्थों को अलग-अलग करने के लिए।

जीवन में पृथक्करण के लिए हम निष्यंदन विधि का उपयोग कहाँ कहाँ करते हैं उदाहरण देकर समझाइए?

Answer: (क) दूध् और जल के मिश्रण को निस्यंदन द्वारा पृथक किया जा सकता है। (ख) नमक तथा चीनी के मिश्रण को निष्पावन द्वारा पृथक कर सकते हैं। (ग) चाय की पत्तियों को चाय से पृथक्करण निस्यंदन द्वारा किया जा सकता है।