पथ की पहचान शीर्षक कविता में किसे और क्या पहचानने की? - path kee pahachaan sheershak kavita mein kise aur kya pahachaanane kee?

पथ की पहचान कविता का भावार्थ - हरिवंशराय बच्चन

पथ की पहचान कविता का भावार्थ - हरिवंशराय बच्चन

पथ की पहचान कविता में कवि ने मनुष्य को जीवन पथ पर आगे बढ़ने से पहले सावधान किया है कि यात्रा आरंभ करने से पहले मनुष्य को अपने लक्ष्य व मार्ग का निर्धारण कर लेना चाहिए। इस लक्ष्य का निर्धारण हमें स्वयं ही करना पड़ता है। यह कहानी पुस्तकों में नहीं छपी होती। जितने भी महापुरुष हुए हैं उन्होंने भी अपने लक्ष्य का निर्धारण स्वयं ही किया था। कवि ने पथिक को अच्छे -बुरे की शंका किए बिना आस्था के साथ अपने मार्ग पर चलने को कहा है, जिससे लक्ष्य तक पहुँचने की यात्रा सरल हो जाएगी। यदि हम अपने मन में यह सोच लें कि यही मार्ग सही एवं सरल है तो हम लक्ष्य की प्राप्ति आसानी से कर सकते हैं। जितने भी महापुरुषों ने अपने लक्ष्य की प्राप्ति की है, वे मार्ग की कठिनाइयों से नहीं घबराए और अपने मार्ग पर निरंतर बढ़ते रहे। उचित मार्ग की पहचान से ही जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है। जीवन के मार्ग में कब कठिनाइयाँ आएँगी और कब सुख मिलेगा, यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। अर्थात् यह सब अनिश्चित है कि कब कोई हमसे बिछड़ जाएगा और कब हमें कोई मिलेगा, कब हमारी जीवन यात्रा समाप्त हो जाएगी। कवि मनुष्य को हर विपत्ति से सामना करने का प्रण लेने की प्रेरणा देते हैं। कल्पना करना मनुष्य का स्वभाव है। कवि के अनुसार जीवन के सुनहरे सपने देखना गलत बात नहीं है। अपनी आयु के अनुरूप सभी कल्पना करते हैं। परंतु इस संसार में कल्पनाएँ बहुत कम और यथार्थ बहुत अधिक हैं। इसलिए तू कल्पनाओं के स्वप्न में न डूब, वरन् जीवन की वास्तविकताओं को देख। जब मनुष्य स्वर्ग के सुखों की कल्पना करता है तो उसकी आँखों में प्रसन्नता भर जाती है। पैरों में पंख लग जाते हैं और हृदय उन सुखों को पाने को लालायित हो जाता है परंतु जब यथार्थ (सत्य) सामने आता है तो मनुष्य निराश हो जाता है।

हमारे आँखों में भले ही स्वर्ग के सुखों के सपने हो परंतु हमारे पैर धरातल पर ही जमे होने चाहिए। राह के काँटे हमें जीवन मार्ग की कठिनाइयों का संदेश देते हैं। इसलिए इन कष्टों से लड़ने के लिए सोच-विचारकर ही कार्य करो और एक बार आगे बढ़ने पर विघ्न-बाधाओं से मत घबराओ।

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Author: Admin

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पथ की पहचान शीर्षक कविता में किसे और क्या पहचानने?

'पथ की पहचान' शीर्षक कविता का सारांश लिखिए। उत्तर : प्रस्तुत कविता में कवि 'बच्चन' ने पथिक के माध्यम से यह प्रेरणा दी है कि मनुष्य को अपने पथ की पहचान स्वयं करनी चाहिए, क्योंकि जीवन के मार्ग में अपने ही अनुभव सबसे श्रेष्ठ होते हैं। इस मार्ग का निर्धारण किसी दूसरे के उपदेश से या पुस्तकों को पढ़कर नहीं किया जा सकता है।

5 पथ की पहचान शीर्षक कविता में किसे और क्या पहचानने की बात कही गई है ?`?

'पथ की पहचान' कविता श्री हरिवंश राय 'बच्चन' की श्रेष्ठ रचना है। इसमें कवि मनुष्य को सम्बोधित करते हुए कहता है कि हे मनुष्य ! जीवन के मार्ग पर चलने से पहले तू उसकी पहचान कर ले, क्योंकि इसका ज्ञान लोगों के बताने या पुस्तकों से प्राप्त नहीं होगा।

पथ की पहचान के कवि कौन है?

पथ की पहचान / हरिवंशराय बच्चन - कविता कोश

पथ की पहचान कविता में कवि ने पथ पर चलने के पहले क्या करने को कहा है?

Solution : . पथ की पहचान. कविता में कवि ने पथ पर चलने के पहले कहा है कि अपनी सफलता का पथं पहले से ही तय करें ताकि रास्ते भटक न जायें।