You can Download Chapter 17 तोड़ती पत्थर Questions and Answers Pdf, Notes, Summary, 1st PUC Hindi Textbook Answers, Karnataka State Board Solutions help you to revise complete Syllabus and score more marks in your examinations. Show
तोड़ती पत्थर Questions and Answers, Notes, SummaryI. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिएः प्रश्न
1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. अतिरिक्त प्रश्नः प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न
3. अतिरिक्त प्रश्नः प्रश्न 4. III. ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए : प्रश्न
1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. तोड़ती पत्थर कवि परिचयः सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी का जन्म सन् 1896 ई. में मेदिनीपुर, महिषादल नगर में हुआ। अल्पायु में आपकी माता की मृत्यु हुई। पत्नी तथा पिता के असामायिक निधन, गरीबी एवं तिरस्कार से जूझते हुए ‘निराला’ का व्यक्तित्व जुझारू तथा संघर्षशील हो गया। आपका निधन 1961 ई. में हुआ। प्रमुख रचनाएँ : ‘परिमल’, ‘गीतिका’,
‘अनामिका’, ‘अर्चना’, ‘आराधना’, ‘कुकुरमुत्ता’, ‘राम की शक्तिपूजा’, ‘तुलसीदास’, आदि। कविता का आशयः प्रस्तुत कविता में सड़क पर पत्थर तोड़नेवाली एक साधन-हीन और असहाय नारी का अति सजीव चित्र अंकित हुआ है। गर्मियों की तपती दुपहरी में अपने घर से दूर काम करनेवाली उस नारी के प्रति कवि के मन में अपार सहानुभूति है। एक ओर तो धनी वर्ग ऊँची-ऊँची अट्टालिकाओं में विश्राम कर रहा है और दूसरी ओर मध्याह्न के विषम ताप में यह प्रताड़ित युवती परिश्रम-साध्य कार्य में व्यस्त है। अर्थ-वैषम्य की ओर ध्यान आकृष्ट करानेवाली यह प्रगतिवादी रचना निराला के काव्य-संग्रह ‘अनामिका’ से संकलित की गई है। तोड़ती पत्थर Summary in Kannadaतोड़ती पत्थर Summary in EnglishIn this poem, the poet Suryakant Tripathi “Nirala’ gives us an emotional portrayal of the troubles of a helpless stone-breaker and how she is devoid of any means or comforts. The poet notices the labourer breaking stones one day on a street in Allahabad. There was no shady tree there below which she could sit and rest. She was dark-skinned but youthful. Her eyes were completely focused on the task of breaking stones. She saw the poet looking at her and immediately looked towards the building which was in front of her. When she found that there was no one there, she looked back at the poet. Even after looking at the poet looking at her, she did not feel embarrassed about her pitiable state. The strings of her heart which were not playing, the poet could still hear through his imagination as if it was a heavily decorated sitar. A droplet of sweat dripped from her forehead. After looking for a second in the other direction, she once again brought her focus back to her work. तोड़ती पत्थर Summary in Hindi1) वह तोड़ती
पत्थर। लेखक ने एक मजदूरनी को इलाहाबाद के सड़क पर पत्थर तोड़ते देखा। वहाँ कोई छायादार . पेड़ भी न था, जिसके नीचे वह बैठती। वह साँवले रंग की थी, पर उसका यौवन भरा हुआ था। नीचे नेत्र किए वह पूरे मन से अपने काम में लगी हुई थी। शब्दार्थ : 2) गुरु हथौड़ा हाथ, भारी हथौड़ा हाथ में लिए हुए वह बार-बार चोटें मार रही थी। उसके सामने ऊँची-ऊँची इमारतें, अटारियाँ तथा वृक्षों की कतार थी। गर्मी के दिन थे। धूप चढ़ रही थी। सूर्य तमतमाया हुआ था। झुलसाने वाली लू चल रही थी। धरती रूई की तरह जल रही थी। धूल उड़ रही थी। दोपहर हो गई थी, पर वह पत्थर तोड़ रही थी। शब्दार्थ :
3) देखते देखा मुझे तो एक बार उसने मुझे अपनी ओर देखते हुए देखा, और तुरंत ही उसने अपने सामने वाले भवन की ओर देखा। देखा कि वहाँ कोई नहीं है फिर उसने मेरी ओर देखा। मुझे अपनी ओर देखते देखकर अपनी हीन दशा से वह संकुचित नहीं हुई। उसके हृदय में जो झंकार नहीं भी थी, वह मैंने सितार सजाकर अपनी कल्पना शक्ति से सुनी। उसके माथे से पसीने की बूंद गिर पड़ी। एक बार क्षण भर दूसरी ओर देखने के बाद वह फिर अपने काम में लग गई, जैसे वह कह रही हो, मैं पत्थर तोड़ रही हूँ। शब्दार्थ :
पत्थर तोडती स्त्री के सामने क्या था?कवि पत्थर तोड़ती स्त्री की दुःखद स्थिति को देखकर सहानुभूति से भर उठते हैं। इलाहाबाद के पथ पर तपती दुपहरी में एक महिला पत्थर तोड़ रही थी। जहाँ वह बैठी थी वहाँ कोई छायादार पेड़ नहीं था। चारों तरफ लू चल रही थी।
पत्थर तोड़नेवाली स्त्री कहाँ बैठकर काम कर रही थी और वहाँ किस चीज की कमी थी?उत्तर: पत्थर तोड़नेवाली स्त्री इलाहाबाद में सड़क के किनारे बैठकर काम कर रही थी और वहाँ छायादार वृक्ष की कमी थी।
पत्थर तोड़ती एक स्त्री के माध्यम से क्या चित्रण किया गया है?कवि कहते है, मैने एक महिला को पत्थर तोड़ते हुए देखा। कवि इलाहाबाद के किसी रास्ते पर उस महिला को पत्थर तोड़ते हुए देखते है। वह एक ऐसे पेड़ के नीचे बैठी है, जहा छाया नहीं मिल रही आस पास भी कोई छायादार जगह नहीं हैं। इस प्रकार कवि शोषित समाज की विषमता का वर्णन करते है।
तोड़ती पत्थर कविता में कवि ने स्त्री को कहाँ के पथ पर देखा?Solution : वह तोड़ती पत्थर' कविता में कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी जी ने इलाहाबाद में भयानक गर्मी में रास्ते पर पत्थर तोड़ने का काम करने वाली एक मजदूर स्त्री को देखा।
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