Q. 'पुष्प की अभिलाषा' के लेखक कौन हैं? Show
Pushp ki Abhilasha Kavita, पुष्प की अभिलाषा, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. Pushp ki Abhilasha Kavita चाह नहीं, मैं सुरबाला के कविता की भूमिकाराष्ट्रकवि पं माखनलाल चतुर्वेदी ने गाँधीजी के सत्याग्रह आन्दोलन में गिरफ्तार होने के बाद बिलासपुर सेंट्रल जेल में रहते हुए अमर कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ का लेखन किया था जो आज भी देश के हर वर्ग में राष्ट्रप्रेम का अलग जगा रही है. जेल में आज भी उस पल और उस व्यक्तित्व को भारतीय आत्मा का नाम देकर जीवंत रखा गया है. इसे भी पढ़ें: माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचयमाखनलाल चतुर्वेदी की कुछ प्रतिनिधि कवितायेँएक तुम हो लड्डू ले लो दीप से दीप जले मैं अपने से डरती हूँ सखि कैदी और कोकिला कुंज कुटीरे यमुना तीरे गिरि पर चढ़ते, धीरे-धीरेसिपाहीवायुवरदान या अभिशाप? बलि-पन्थी से जवानीअमर राष्ट्र उपालम्भ मुझे रोने दो तुम मिले बदरिया थम-थमकर झर री !यौवन का पागलपन झूला झूलै री घर मेरा है? तान की मरोर पुष्प की अभिलाषा तुम्हारा चित्र दूबों के दरबार में बसंत मनमाना तुम मन्द चलो जागना अपराध यह किसका मन डोला चलो छिया-छी हो अन्तर में भाई, छेड़ो नही, मुझे उस प्रभात, तू बात न माने ऊषा के सँग, पहिन अरुणिमा मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक आज नयन के बँगले में यह अमर निशानी किसकी है? मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी अंजलि के फूल गिरे जाते हैं क्या आकाश उतर आया है कैसी है पहिचान तुम्हारी नयी-नयी कोपलें ये प्रकाश ने फैलाये हैं फुंकरण कर, रे समय के साँप संध्या के बस दो बोल सुहाने लगते हैं जाड़े की साँझ समय के समर्थ अश्व मधुर! बादल, और बादल, और बादल जीवन, यह मौलिक महमानी उठ महान ये वृक्षों में उगे परिन्दे बोल तो किसके लिए मैं वेणु लो, गूँजे धरा इस तरह ढक्कन लगाया रात ने गाली में गरिमा घोल-घोल प्यारे भारत देश साँस के प्रश्नचिन्हों, लिखी स्वर-कथा किरनों की शाला बन्द हो गई चुप-चुप गंगा की विदाई वर्षा ने आज विदाई ली ये अनाज की पूलें तेरे काँधें झूलेंपुष्प की अभिलाषा हिंदी कविता पुष्प की अभिलाषा कविता व्याख्या सारांश पुष्प की अभिलाषा प्रश्न उत्तर पुष्प की अभिलाषा माखनलाल चतुर्वेदी pushp ki abhilash पुष्प की अभिलाषा माखनलाल चतुर्वेदी की कवितापुष्प की अभिलाषा पुष्प की अभिलाषा हिंदी कविता पुष्प की अभिलाषा क्या है लिखिए पुष्प की अभिलाषा क्या है पुष्प की अभिलाषा कविता का सारांश पुष्प की अभिलाषा के प्रश्न उत्तर पुष्प की अभिलाषा सवाल और जवाब पुष्प की अभिलाषा माखनलाल चतुर्वेदी पुष्प की अभिलाषा कविता का आशय स्पष्ट करें pushp ki abhilasha summary in hindi pushp ki abhilasha poem hindi explanation pushp ki abhilasha hindi poem pushp ki abhilahsa ke question answer pushp ki abhilasha by makhan lal chaturvedi पुष्प की अभिलाषा कविता का सारांशप्रस्तुत पाठ या कविता पुष्प की अभिलाषा , कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी के द्वारा रचित है ⃒ कवि इस कविता के माध्यम से बच्चों में देशभक्ति की भावना जागृत करना चाहते हैं ⃒ इस कविता में देशभक्ति को सर्वश्रेष्ठ माना गया है ⃒ कवि फूल के माध्यम से बच्चों में अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने और बलिदान की भावना का स्फुरण करने का प्रयास किया है ⃒ कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी का मानना है कि जिस मार्ग पर होकर देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले गुज़रते हैं, वह मार्ग अत्यधिक पवित्र हो जाया करता है... ⃒ पुष्प की अभिलाषा कविता की व्याख्या भावार्थ अर्थ
गहनों में गूँथा जाऊँ, चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ, चाह नहीं, सम्राटों के शव पर हे हरि, डाला जाऊँ, चाह नहीं, देवों के सिर पर चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ ⃒ मुझे तोड़ लेना वनमाली ! उस पथ पर देना तुम फेंक, मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जावें वीर अनेक ⃒ व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी के द्वारा रचित कविता पुष्प की अभिलाषा से उद्धरित हैं ⃒ इन पंक्तियों के माध्यम से कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी ने बच्चों में अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए त्याग की भावना जागृत करने का प्रयास किया है ⃒ कवि उक्त पंक्तियों के माध्यम से पुष्प (फूल) को केंद्र में रखकर उसका आंतरिक भाव प्रकट करते हुए कहते हैं कि मेरी यह इच्छा नहीं है कि मैं किसी सुरबाला अर्थात् किसी सुन्दर स्त्री के गहनों में गूँथा जाऊँ ⃒ मैं नहीं चाहता हूँ कि दो प्रेमी जोड़ों के लिए माला सिर्फ बनकर रह जाऊँ ⃒ मेरी यह बिलकुल भी इच्छा नहीं कि सम्राटों के शव पर मुझे चढ़ाया जाए ⃒ बल्कि यह भी नहीं चाहता हूँ कि मुझे भगवान के चरणों पर स्थान मिले और मैं अपने भाग्य पर इठलाऊँ अर्थात् ख़ुद को भाग्यशाली समझूँ ⃒ पुष्प बल्कि वनमाली से यह कामना करता है कि तुम मुझे तोड़कर उस राह पर फेंक देना, जिस राह से मातृभूमि को शीश चढ़ाने अर्थात् अपना बलिदान देने वीरों का गुजरना हो ⃒ ताकि मैं उन वीरों के क़दमों तले आकर स्वयं पर गर्व महसूस कर सकूँ... ⃒ पुष्प की अभिलाषा कविता के प्रश्न उत्तरप्रश्न-1 – प्रत्येक प्रश्न के लिए चार विकल्प दिए गए हैं ⃒ सही विकल्प का चयन करके बॉक्स में लिखें ⃒
उत्तर- देशभक्ति
उत्तर- सुरबाला
उत्तर- पुष्प
उत्तर- देव
उत्तर- वीर प्रश्न-2 – फूल की क्या अभिलाषा है ? उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, पुष्प की अभिलाषा यह है कि उसे उस राह या पथ पर डाला जाए, जिस पथ पर मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व त्याग करने वाले वीर चला करते हैं ⃒ प्रश्न-3 – फूल को कहाँ-कहाँ चढ़ाया जाता है ? उत्तर- फूल को सम्राटों के शव पर और देवों के सिर पर चढ़ाया जाता है ? प्रश्न-4 – फूल वनमाली से क्या प्रार्थना करता है ? उत्तर- फूल वनमाली से यह प्रार्थना करता है कि तुम मुझे तोड़कर उस राह पर फेंक देना, जिस राह से मातृभूमि को शीश चढ़ाने अर्थात् अपना बलिदान देने वीरों का गुजरना हो ⃒ ताकि मैं उन वीरों के क़दमों तले आकर स्वयं पर गर्व महसूस कर सकूँ ⃒ प्रश्न-5 – वह वीरों के जाने वाले पथ पर क्यों बिछना चाहता है ? उत्तर- (फूल) उसके अंदर देशभक्ति की भावना जागृत है और वह मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपना बलिदान देने वाले वीरों को ही सच्चा नायक समझता है ⃒ इसलिए वीरों के जाने वाले पथ पर बिछना चाहता है ⃒ प्रश्न-6 – फूल के हृदय में देश-प्रेम की भावना है, यह किस बात से स्पष्ट होता है ? उत्तर- फूल के हृदय में देश-प्रेम की भावना है, यह इस बात से स्पष्ट होता है कि वह देश की रक्षा करने वाले वीरों के पथ पर बिछने को व्याकुल है, ताकि वीरों के क़दमों तले आकर ख़ुद पर गर्व महसूस कर सके और देशभक्ति का परिचय दे सके ⃒ प्रश्न-7 – यहाँ ‘वीर’ से क्या तात्पर्य है ? उत्तर- यहाँ ‘वीर’ से तात्पर्य उस सैनिक अथवा योद्धा से है, जो मातृभूमि की रक्षा करने के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर कर देता है ⃒ प्रश्न-8 – सुरबाला कौन होती होती है ? उसके गहने कैसे होते हैं ? उत्तर- सुरबाला ‘अप्सरा’ होती है अर्थात् जिसे देवकन्या या देवी भी कहा जाता है ⃒ सुरबाला के गहने स्वर्णों के होते हैं, जो गहने उनके पूरे शरीर में सु-शोभित होते हैं ⃒ पुष्प की अभिलाषा के लेखक कौन हैं?माखनलाल चतुर्वेदीपुष्प की अभिलाषा / लेखकnull
कवि के अनुसार पुष्प की क्या अभिलाषा है?अर्थ- उक्त पंक्तियों में फूल अपनी इच्छा प्रकट करते हुए कहता है कि हे ईश्वर ! मेरी इच्छा राजाओं के मुर्दों पर डाले जाने कि नहीं है और न ही मेरी यह भी इच्छा देवताओं के सिर पर चढ़कर अपने स्वयं के भाग्य पर घमंड करने की है। उस पथ पर तुम देना फेंक। प्रसंग- इन पंक्तियों में फूल ने अपनी देशभक्ति की भावना को प्रकट किया है।
पुष्प की अभिलाषा हिंदी कविता कब लिखी गई?इस दरमियान 28 फरवरी 1922 को उन्होंने अपनी मशहूर कविता पुष्प की अभिलाषा लिखी।
पुष्प की अभिलाषा किसकी रचना है और कहां से ली गई है?Answer. पुष्प की अभिलाषा माखनलाल चतुर्वेदी की रचना है जो कि काव्य संग्रह हिम तरंगिनी से ली गई है।
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