पुष्प की अभिलाषा कवि कौन है? - pushp kee abhilaasha kavi kaun hai?

Q. 'पुष्प की अभिलाषा' के लेखक कौन हैं?
Answer: [B] माखन लाल चतुर्वेदी
Notes: 'पुष्प की अभिलाषा' के लेखक माखनलाल चतुर्वेदी थे। उन्हें पंडित जी कहा जाता था। वो एक नाटककार, छायावाद के कवि और लेखक थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया।

Pushp ki Abhilasha Kavita, पुष्प की अभिलाषा, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है.

Pushp ki Abhilasha Kavita

चाह नहीं, मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध
प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं सम्राटों के शव पर
हे हरि डाला जाऊँ,
चाह नहीं देवों के सिर पर
चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ,
मुझे तोड़ लेना बनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक!
मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने,
जिस पथ पर जावें वीर अनेक

कविता की भूमिका

राष्ट्रकवि पं माखनलाल चतुर्वेदी ने गाँधीजी के सत्याग्रह आन्दोलन में गिरफ्तार होने के बाद बिलासपुर सेंट्रल जेल में रहते हुए अमर कविता ‘पुष्प की अभिलाषा’ का लेखन किया था जो आज भी देश के हर वर्ग में राष्ट्रप्रेम का अलग जगा रही है. जेल में आज भी उस पल और उस व्यक्तित्व को भारतीय आत्मा का नाम देकर जीवंत रखा गया है.
यह वो दौर था, जब अंग्रेजों के शोषण के खिलाफ देश मुखर हो रहा था,आजाद भारत के लिए जंग छिड़ गई थी. अंग्रेजों ने देशभर के आंदोलनकारियों को जेल में बंद करना शुरू कर दिया था. लेकिन जेल के अंदर भी अंग्रेजी हुकूमत माँ भारती के वीर सपूतों के हौसले को डिगा न सकी और जेल के अंदर से ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ क्रांति पनपने लगी.
इसका एक गवाह बना बिलासपुर का केंद्रीय जेल, जहां सैकड़ों देशभक्तों को अंग्रेजों ने बंदी बना रखा था, जिसमें एक प्रसिद्ध राष्ट्रकवि और सत्याग्रही पंडित माखन लाल चतुर्वेदी भी रहे जिन्हें अंग्रेजों ने 5 जुलाई, 1921 से लेकर 1 मार्च, 1922 तक कैद में रखा.
इस दौरान अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बढ़ते आक्रोश और मातृभूमि की आजादी के लिए पंडित माखनलाल ने कैद में रहते हुए कलम को अपना हथियार बनाया और वैचारिक क्रांति की शुरआत की.
18 फरवरी, 1922 को बैरक नंबर 9 मे रहकर उन्होंने एक ऐसी कविता की रचना की, जिसने समूची क्रांति में देशप्रेम का जज्बा पैदा कर वीर सपूतों की फौज खड़ी कर दी.
‘पुष्प की अभिलाषा’ शीर्षक कविता में फूल के माध्यम से कवि ने युवाओं में राष्ट्र प्रेम की भावना जाग्रत करने का प्रयास किया, जिसके बाद ऐसी वैचारिक क्रांति हुई जो स्वतंत्रा प्राप्ति की राह मे सहायक साबित हुई. आज भी पंडित माखन लाल चतुर्वेदी की यादों को केंद्रीय जेल में संजो कर रखा गया है.

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माखनलाल चतुर्वेदी की कुछ प्रतिनिधि कवितायेँ

एक तुम हो  लड्डू ले लो  दीप से दीप जले  मैं अपने से डरती हूँ सखि  कैदी और कोकिला  कुंज कुटीरे यमुना तीरे  गिरि पर चढ़ते, धीरे-धीरेसिपाहीवायुवरदान या अभिशाप?  बलि-पन्थी से  जवानीअमर राष्ट्र  उपालम्भ  मुझे रोने दो  तुम मिले  बदरिया थम-थमकर झर री !यौवन का पागलपन  झूला झूलै री  घर मेरा है?  तान की मरोर  पुष्प की अभिलाषा  तुम्हारा चित्र  दूबों के दरबार में  बसंत मनमाना  तुम मन्द चलो  जागना अपराध  यह किसका मन डोला  चलो छिया-छी हो अन्तर में  भाई, छेड़ो नही, मुझे  उस प्रभात, तू बात न माने  ऊषा के सँग, पहिन अरुणिमा  मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक  आज नयन के बँगले में  यह अमर निशानी किसकी है?  मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी  अंजलि के फूल गिरे जाते हैं  क्या आकाश उतर आया है  कैसी है पहिचान तुम्हारी  नयी-नयी कोपलें  ये प्रकाश ने फैलाये हैं  फुंकरण कर, रे समय के साँप  संध्या के बस दो बोल सुहाने लगते हैं  जाड़े की साँझ  समय के समर्थ अश्व    मधुर! बादल, और बादल, और बादल  जीवन, यह मौलिक महमानी  उठ महान  ये वृक्षों में उगे परिन्दे  बोल तो किसके लिए मैं  वेणु लो, गूँजे धरा  इस तरह ढक्कन लगाया रात ने  गाली में गरिमा घोल-घोल  प्यारे भारत देश  साँस के प्रश्नचिन्हों, लिखी स्वर-कथा  किरनों की शाला बन्द हो गई चुप-चुप  गंगा की विदाई  वर्षा ने आज विदाई ली  ये अनाज की पूलें तेरे काँधें झूलें   

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पुष्प की अभिलाषा माखनलाल चतुर्वेदी की कविता


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पुष्प की अभिलाषा कविता का सारांश

प्रस्तुत पाठ या कविता  पुष्प की अभिलाषा , कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी के द्वारा रचित है ⃒ कवि इस कविता के माध्यम से बच्चों में देशभक्ति की भावना जागृत करना चाहते हैं ⃒ इस कविता में देशभक्ति को सर्वश्रेष्ठ माना गया है ⃒ कवि फूल के माध्यम से बच्चों में अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने और बलिदान की भावना का स्फुरण करने का प्रयास किया है ⃒ कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी का मानना है कि जिस मार्ग पर होकर देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले गुज़रते हैं, वह मार्ग अत्यधिक पवित्र हो जाया करता है... ⃒  



पुष्प की अभिलाषा कविता की व्याख्या भावार्थ अर्थ

पुष्प की अभिलाषा कवि कौन है? - pushp kee abhilaasha kavi kaun hai?
पुष्प की अभिलाषा
चाह नहीं मैं सुरबाला के 

गहनों में गूँथा जाऊँ, 

चाह नहीं, प्रेमी-माला में 

बिंध प्यारी को ललचाऊँ, 

चाह नहीं, सम्राटों के शव 

पर हे हरि, डाला जाऊँ, 

चाह नहीं, देवों के सिर पर 

चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ ⃒

मुझे तोड़ लेना वनमाली !

उस पथ पर देना तुम फेंक, 

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने 

जिस पथ जावें वीर अनेक ⃒ 


व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी के द्वारा रचित कविता  पुष्प की अभिलाषा  से उद्धरित हैं ⃒ इन पंक्तियों के माध्यम से कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी ने बच्चों में अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए त्याग की भावना जागृत करने का प्रयास किया है ⃒ कवि उक्त पंक्तियों के माध्यम से पुष्प (फूल) को केंद्र में रखकर उसका आंतरिक भाव प्रकट करते हुए कहते हैं कि मेरी यह इच्छा नहीं है कि मैं किसी सुरबाला अर्थात् किसी सुन्दर स्त्री के गहनों में गूँथा जाऊँ ⃒ मैं नहीं चाहता हूँ कि दो प्रेमी जोड़ों के लिए माला सिर्फ बनकर रह जाऊँ ⃒ मेरी यह बिलकुल भी इच्छा नहीं कि सम्राटों के शव पर मुझे चढ़ाया जाए ⃒ बल्कि यह भी नहीं चाहता हूँ कि मुझे भगवान के चरणों पर स्थान मिले और मैं अपने भाग्य पर इठलाऊँ अर्थात् ख़ुद को भाग्यशाली समझूँ ⃒ पुष्प बल्कि वनमाली से यह कामना करता है कि तुम मुझे तोड़कर उस राह पर फेंक देना, जिस राह से मातृभूमि को शीश चढ़ाने अर्थात् अपना बलिदान देने वीरों का गुजरना हो ⃒ ताकि मैं उन वीरों के क़दमों तले आकर स्वयं पर गर्व  महसूस कर सकूँ... ⃒  




पुष्प की अभिलाषा कविता के प्रश्न उत्तर


प्रश्न-1 – प्रत्येक प्रश्न के लिए चार विकल्प दिए गए हैं ⃒ सही विकल्प का चयन करके बॉक्स में लिखें ⃒ 

  • ‘पुष्प की अभिलाषा’ कविता से किस चीज़ की प्रेरणा मिलती है ? 

उत्तर- देशभक्ति 

  • पुष्प किसके गहनों की शोभा बनना नहीं चाहता है ? 

उत्तर- सुरबाला 

  • सम्राटों के शव पर कौन अर्पित नहीं होना चाहता है ? 

उत्तर- पुष्प 

  • किसके सिर पर चढ़कर पुष्प इठलाना नहीं चाहता ? 

उत्तर- देव 

  • मातृभूमि पर शीश कौन चढ़ा सकता है ? 

उत्तर- वीर 


प्रश्न-2 – फूल की क्या अभिलाषा है ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, पुष्प की अभिलाषा यह है कि उसे उस राह या पथ पर डाला जाए, जिस पथ पर मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व त्याग करने वाले वीर चला करते हैं ⃒ 


प्रश्न-3 – फूल को कहाँ-कहाँ चढ़ाया जाता है ? 

उत्तर- फूल को सम्राटों के शव पर और देवों के सिर पर चढ़ाया जाता है ? 


प्रश्न-4 – फूल वनमाली से क्या प्रार्थना करता है ? 

उत्तर- फूल वनमाली से यह प्रार्थना करता है कि तुम मुझे तोड़कर उस राह पर फेंक देना, जिस राह से मातृभूमि को शीश चढ़ाने अर्थात् अपना बलिदान देने वीरों का गुजरना हो ⃒ ताकि मैं उन वीरों के क़दमों तले आकर स्वयं पर गर्व महसूस कर सकूँ ⃒ 


प्रश्न-5 – वह वीरों के जाने वाले पथ पर क्यों बिछना चाहता है ? 

उत्तर- (फूल) उसके अंदर देशभक्ति की भावना जागृत है और वह मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपना बलिदान देने वाले वीरों को ही सच्चा नायक समझता है ⃒ इसलिए वीरों के जाने वाले पथ पर बिछना चाहता है ⃒ 


प्रश्न-6 – फूल के हृदय में देश-प्रेम की भावना है, यह किस बात से स्पष्ट होता है ? 

उत्तर- फूल के हृदय में देश-प्रेम की भावना है, यह इस बात से स्पष्ट होता है कि वह देश की रक्षा करने वाले वीरों के पथ पर बिछने को व्याकुल है, ताकि वीरों के क़दमों तले आकर ख़ुद पर गर्व महसूस कर सके और देशभक्ति का परिचय दे सके ⃒ 


प्रश्न-7 – यहाँ ‘वीर’ से क्या तात्पर्य है ? 

उत्तर- यहाँ ‘वीर’ से तात्पर्य उस सैनिक अथवा योद्धा से है, जो मातृभूमि की रक्षा करने के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर कर देता है ⃒ 


प्रश्न-8 –  सुरबाला कौन होती होती है ? उसके गहने कैसे होते हैं ? 

उत्तर- सुरबाला ‘अप्सरा’ होती है अर्थात् जिसे देवकन्या या देवी भी कहा जाता है ⃒ सुरबाला के गहने स्वर्णों के होते हैं, जो गहने उनके पूरे शरीर में सु-शोभित होते हैं ⃒ 

पुष्प की अभिलाषा के लेखक कौन हैं?

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कवि के अनुसार पुष्प की क्या अभिलाषा है?

अर्थ- उक्त पंक्तियों में फूल अपनी इच्छा प्रकट करते हुए कहता है कि हे ईश्वर ! मेरी इच्छा राजाओं के मुर्दों पर डाले जाने कि नहीं है और न ही मेरी यह भी इच्छा देवताओं के सिर पर चढ़कर अपने स्वयं के भाग्य पर घमंड करने की है। उस पथ पर तुम देना फेंक। प्रसंग- इन पंक्तियों में फूल ने अपनी देशभक्ति की भावना को प्रकट किया है।

पुष्प की अभिलाषा हिंदी कविता कब लिखी गई?

इस दरमियान 28 फरवरी 1922 को उन्होंने अपनी मशहूर कविता पुष्प की अभिलाषा लिखी

पुष्प की अभिलाषा किसकी रचना है और कहां से ली गई है?

Answer. पुष्प की अभिलाषा माखनलाल चतुर्वेदी की रचना है जो कि काव्य संग्रह हिम तरंगिनी से ली गई है।