5 Show सदाबहार वन भारत के पश्चिमी घाट पर खासतौर पर पाया जाता है तथा उत्तर - पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र में तथा अंडमान निकोबार द्वीप समूहों पर पाया जाता है। नीलगिरी पर्वत भारत के पश्चिमी घाट की एक पर्वतमाला है। यह तमिलनाडु राज्य में स्थित है। यह तमिलनाडु राज्य में स्थित है। इसका कुछ हिस्सा कर्नाटक और केरल में भी पाया जाता है। इसकी सबसे ऊंची चोटी दोद्दाबेटा है। (ऊंचाई - 2637 मी.) है। Free UPSSSC Junior Assistant Official Paper 1 (Held On 4 Jan 2020 Shift 1) 130 Questions 65 Marks 90 Mins Latest UPSSSC Junior Assistant Updates Last updated on Oct 4, 2022 Uttar Pradesh Subordinate Service Selection Commission (UPSSSC) has released the new notification for a total of 1262 vacancies under advt no 08/2022. The UPSSSC Junior Assistant application will be accepted only from those candidates who appeared in PET 2021. Candidates who are 12th class passedwill be eligible to apply for the post. After getting a successful selection, candidates will receive an expected UPSSSC Junior Assistant Salary of range between Rs. 5200 - 20,200. Homeभारत का भूगोलभारत का पश्चिमी घाट भारत के प्रमुख घाट (भारत के तटीय क्षेत्र या मैदान) पश्चिमी घाट क्यों प्रसिद्ध है?भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पर्वत श्रृंखला को पश्चिमी घाट या सह्याद्रि कहते हैं। दक्कनी पठार के पश्चिमी किनारे के साथ-साथ यह पर्वतीय श्रृंखला उत्तर से दक्षिण की तरफ 1600 किलोमीटर लम्बी है। विश्व में जैविकीय विवधता के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है और इस दृष्टि से विश्व में इसका 8वां स्थान है।
पश्चिमी घाट में कौन से पेड़ पाए जाते हैं?आर्द्र पर्णपाती वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहाँ वर्षा 100 से 200 सेंटीमीटर होती है। ये वन उत्तर-पूर्वी राज्यों और हिमालय के गिरीपद, पश्चिमी घाट के पूर्वी ढालों और ओडिशा में उगते हैं । सागवान, साल, शीशम, हुर्रा, महुआ, आँवला, सेमल, कुसुम और चंदन आदि प्रजातियों के वृक्ष इन वनों में पाए जाते हैं।
पश्चिमी घाट में कौन सा जानवर पाया जाता है?तोता, चील, कबूतर, चिडिया भी हैं खास
भारत में एक ऐसा तोता पाया जाता है, जिसके नीले पंख होते हैं इसे मालाबार पाराकीट कहते हैं। यह तोता दक्षिणी भारत के पश्चिमी घाट पर पाया जाता है।
भारत में पश्चिमी घाट के दक्कन क्यों सोचते हैं?लगभग 1600 किमी लंबे खंड में ये पहाड़ 140,000 वर्ग किलोमीटर के भूभाग को आच्छादित करते हैं, जिसमें लगभग 11° N पर पालघाट गैप मात्र 30 किमी तक ही अवरोध डालता है। इस बृहद हिमालयी पर्वत-श्रृंखला से अधिक पूराने, भारत के इन पश्चिमी घाटों में आत्यंतिक वैश्विक महत्व की दृष्टि से एक भौगोलिक वैशिष्ट्य है।
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