पाकिस्तान की खोज किसने की थी - paakistaan kee khoj kisane kee thee

  • दक्षिण एशिया तथा
भारतीय उपमहाद्वीप का इतिहास
पाकिस्तान की खोज किसने की थी - paakistaan kee khoj kisane kee thee

पाषाण युग (७०००–३००० ई.पू.)

  • निम्न पुरापाषाण (२० लाख वर्ष पूर्व)
  • मध्य पुरापाषाण (८० हजार वर्ष पूर्व)
  • मध्य पाषाण (१२ हजार वर्ष पूर्व)
  • (नवपाषाण)
  •  – मेहरगढ़ संस्कृति (७०००–३३०० ई.पू.)
  • ताम्रपाषाण (६००० ई.पू.)

कांस्य युग (३०००–१३०० ई.पू.)

  • सिन्धु घाटी सभ्यता (३३००–१३०० ई.पू.)
  •  – प्रारंभिक हड़प्पा संस्कृति (३३००–२६०० ई.पू.)
  •  – परिपक्व हड़प्पा संस्कृति (२६००–१९०० ई.पू.)
  •  – गत हड़प्पा संस्कृति (१७००–१३०० ई.पू.)
  • गेरूए रंग के मिट्टी के बर्तनों संस्कृति (२००० ई.पू. से)
  • गांधार कब्र संस्कृति (१६००–५०० ई.पू.)

लौह युग (१२००–२६ ई.पू.)

  • वैदिक सभ्यता (२०००–५०० ई.पू.)
  •  – जनपद (१५००-६०० ई.पू.)
  •  – काले और लाल बर्तन की संस्कृति (१३००–१००० ई.पू.)
  •  – धूसर रंग के बर्तन की संस्कृति (१२००–६०० ई.पू.)
  •  – उत्तरी काले रंग के तराशे बर्तन (७००–२०० ई.पू.)
  •  – मगध महाजनपद (५००–३२१ ई.पू.)
  • प्रद्योत वंश (७९९–६८४ ई.पू.)
  • हर्यक राज्य (६८४–४२४ ई.पू.)
  • तीन अभिषिक्त साम्राज्य (६०० ई.पू.-१६०० ई.)
  • महाजनपद (६००–३०० ई.पू.)
  • रोर राज्य (४५० ई.पू.–४८९ ईसवी)
  • शिशुनागा राज्य (४१३–३४५ ई.पू.)
  • नंद साम्राज्य (४२४–३२१ ई.पू.)
  • मौर्य साम्राज्य (३२१–१८४ ई.पू.)
  • पाण्ड्य साम्राज्य (३०० ई.पू.–१३४५ ईसवी)
  • चेर राज्य (३०० ई.पू.–११०२ ईसवी)
  • चोल साम्राज्य (३०० ई.पू.–१२७९ ईसवी)
  • पल्लव साम्राज्य (२५० ई.पू.–८०० ईसवी)
  • महा-मेघा-वाहन राजवंश (२५० ई.पू.–४०० ईसवी)

मध्य साम्राज्य (२३० ई.पू.–१२०६ ईसवी)

  • सातवाहन साम्राज्य (२३० ई.पू.–२२० ईसवी)
  • कूनिंदा राज्य (२०० ई.पू.–३०० ईसवी)
  • मित्रा राजवंश (१५० ई.पू.-५० ई.पू.)
  • शुंग साम्राज्य (१८५–७३ ई.पू.)
  • हिन्द-यवन राज्य (१८० ई.पू.–१० ईसवी)
  • कानवा राजवंश (७५–२६ ई.पू.)
  • हिन्द-स्क्य्थिंस राज्य (२०० ई.पू.–४०० ईसवी)
  • हिंद-पार्थियन राज्य (२१–१३० ईसवी)
  • पश्चिमी क्षत्रप साम्राज्य (३५–४०५ ईसवी)
  • कुषाण साम्राज्य (६०–२४० ईसवी)
  • भारशिव राजवंश (१७०-३५० ईसवी)
  • पद्मावती के नागवंश (२१०-३४० ईसवी)
  • हिंद-सासनिद् राज्य (२३०–३६० ईसवी)
  • वाकाटक साम्राज्य (२५०–५०० ईसवी)
  • कालाब्रा राज्य (२५०–६०० ईसवी)
  • गुप्त साम्राज्य (२८०–५५० ईसवी)
  • कदंब राज्य (३४५–५२५ ईसवी)
  • पश्चिम गंग राज्य (३५०–१००० ईसवी)
  • कामरूप राज्य (३५०–११०० ईसवी)
  • विष्णुकुंड राज्य (४२०–६२४ ईसवी)
  • मैत्रक राजवंश (४७५–७६७ ईसवी)
  • हुन राज्य (४७५–५७६ ईसवी)
  • राय राज्य (४८९–६३२ ईसवी)
  • चालुक्य साम्राज्य (५४३–७५३ ईसवी)
  • शाही साम्राज्य (५००–१०२६ ईसवी)
  • मौखरी राज्य (५५०–७०० ईसवी)
  • हर्षवर्धन साम्राज्य (५९०–६४७ ईसवी)
  • तिब्बती साम्राज्य (६१८-८४१ ईसवी)
  • पूर्वी चालुक्यों राज्य (६२४–१०७५ ईसवी)
  • गुर्जर-प्रतिहार राज्य (६५०–१०३६ ईसवी)
  • पाल साम्राज्य (७५०–११७४ ईसवी)
  • राष्ट्रकूट साम्राज्य (७५३–९८२ ईसवी)
  • परमार राज्य (८००–१३२७ ईसवी)
  • यादवों राज्य (८५०–१३३४ ईसवी)
  • सोलंकी राज्य (९४२–१२४४ ईसवी)
  • प्रतीच्य चालुक्य राज्य (९७३–११८९ ईसवी)
  • लोहारा राज्य (१००३-१३२० ईसवी)
  • होयसल राज्य (१०४०–१३४६ ईसवी)
  • सेन राज्य (१०७०–१२३० ईसवी)
  • पूर्वी गंगा राज्य (१०७८–१४३४ ईसवी)
  • काकतीय राज्य (१०८३–१३२३ ईसवी)
  • ज़मोरीन राज्य (११०२-१७६६ ईसवी)
  • कलचुरी राज्य (११३०–११८४ ईसवी)
  • शुतीया राजवंश (११८७-१६७३ ईसवी)
  • देव राजवंश (१२००-१३०० ईसवी)

देर मध्ययुगीन युग (१२०६–१५९६ ईसवी)

  • दिल्ली सल्तनत (१२०६–१५२६ ईसवी)
  •  – ग़ुलाम सल्तनत (१२०६–१२९० ईसवी)
  •  – ख़िलजी सल्तनत (१२९०–१३२० ईसवी)
  •  – तुग़लक़ सल्तनत (१३२०–१४१४ ईसवी)
  •  – सय्यद सल्तनत (१४१४–१४५१ ईसवी)
  •  – लोदी सल्तनत (१४५१–१५२६ ईसवी)
  • आहोम राज्य (१२२८–१८२६ ईसवी)
  • चित्रदुर्ग राज्य (१३००-१७७९ ईसवी)
  • रेड्डी राज्य (१३२५–१४४८ ईसवी)
  • विजयनगर साम्राज्य (१३३६–१६४६ ईसवी)
  • बंगाल सल्तनत (१३५२-१५७६ ईसवी)
  • गढ़वाल राज्य (१३५८-१८०३ ईसवी)
  • मैसूर राज्य (१३९९–१९४७ ईसवी)
  • गजपति राज्य (१४३४–१५४१ ईसवी)
  • दक्खिन के सल्तनत (१४९०–१५९६ ईसवी)
  •  – अहमदनगर सल्तनत (१४९०-१६३६ ईसवी)
  •  – बेरार सल्तनत (१४९०-१५७४ ईसवी)
  •  – बीदर सल्तनत (१४९२-१६९९ ईसवी)
  •  – बीजापुर सल्तनत (१४९२-१६८६ ईसवी)
  •  – गोलकुंडा सल्तनत (१५१८-१६८७ ईसवी)
  • केलाड़ी राज्य (१४९९–१७६३)
  • कोच राजवंश (१५१५–१९४७ ईसवी)

प्रारंभिक आधुनिक काल (१५२६–१८५८ ईसवी)

  • मुग़ल साम्राज्य (१५२६–१८५८ ईसवी)
  • सूरी साम्राज्य (१५४०–१५५६ ईसवी)
  • मदुरै नायक राजवंश (१५५९–१७३६ ईसवी)
  • तंजावुर राज्य (१५७२–१९१८ ईसवी)
  • बंगाल सूबा (१५७६-१७५७ ईसवी)
  • मारवा राज्य (१६००-१७५० ईसवी)
  • तोंडाइमन राज्य (१६५०-१९४८ ईसवी)
  • मराठा साम्राज्य (१६७४–१८१८ ईसवी)
  • सिक्खों की मिसलें (१७०७-१७९९ ईसवी)
  • दुर्रानी साम्राज्य (१७४७–१८२३ ईसवी)
  • त्रवनकोर राज्य (१७२९–१९४७ ईसवी)
  • सिख साम्राज्य (१७९९–१८४९ ईसवी)

औपनिवेशिक काल (१५०५–१९६१ ईसवी)

  • पुर्तगाली भारत (१५१०–१९६१ ईसवी)
  • डच भारत (१६०५–१८२५ ईसवी)
  • डेनिश भारत (१६२०–१८६९ ईसवी)
  • फ्रांसीसी भारत (१७५९–१९५४ ईसवी)
  • कंपनी राज (१७५७–१८५८ ईसवी)
  • ब्रिटिश राज (१८५८–१९४७ ईसवी)
  • भारत का विभाजन (१९४७ ईसवी)

श्रीलंका के राज्य

  • टैमबापन्नी के राज्य (५४३–५०५ ई.पू.)
  • उपाटिस्सा नुवारा का साम्राज्य (५०५–३७७ ई.पू.)
  • अनुराधापुरा के राज्य (३७७ ई.पू.–१०१७ ईसवी)
  • रोहुन के राज्य (२०० ईसवी)
  • पोलोनारोहवा राज्य (३००–१३१० ईसवी)
  • दम्बदेनिय के राज्य (१२२०–१२७२ ईसवी)
  • यपहुव के राज्य (१२७२–१२९३ ईसवी)
  • कुरुनेगाल के राज्य (१२९३–१३४१ ईसवी)
  • गामपोला के राज्य (१३४१–१३४७ ईसवी)
  • रायगामा के राज्य (१३४७–१४१२ ईसवी)
  • कोटि के राज्य (१४१२–१५९७ ईसवी)
  • सीतावाखा के राज्य (१५२१–१५९४ ईसवी)
  • कैंडी के राज्य (१४६९–१८१५ ईसवी)
  • पुर्तगाली सीलोन (१५०५–१६५८ ईसवी)
  • डच सीलोन (१६५६–१७९६ ईसवी)
  • ब्रिटिश सीलोन (१८१५–१९४८ ईसवी)

राष्ट्र इतिहास

  • अफ़्गानिस्तान
  • बांग्लादेश
  • भूटान
  • भारत
  • मालदीव
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्रीलंका

क्षेत्रीय इतिहास

  • असम
  • बिहार
  • बलूचिस्तान
  • बंगाल
  • हिमाचल प्रदेश
  • महाराष्ट्र
  • मध्य भारत
  • उत्तर प्रदेश
  • पंजाब
  • ओड़िशा
  • सिंध
  • दक्षिण भारत
  • तिब्बत

विशेष इतिहास

  • सिक्का
  • राजवंशों
  • आर्थिक
  • इंडोलॉजी
  • भाषाई
  • साहित्य
  • सेना
  • विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी
  • समयचक्र

  • दे
  • वा
  • सं

पाकिस्तान शब्द का जन्म सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली के द्वारा हुआ। इसके पहले सन् 1930 में शायर मुहम्मद इक़बाल ने भारत के उत्तर-पश्चिमी चार प्रान्तों -सिन्ध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद)- को मिलाकर एक अलग राष्ट्र का मांग की थी। 1947 अगस्त में भारत के विभाजन के फलस्वरूप पाकिस्तान का जन्म हुआ। उस समय पाकिस्तान में वर्तमान पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों सम्मिलित थे। सन् 1971 में भारत के साथ हुए युद्ध में पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा (जिसे उस समय तक पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था) बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र हो गया। आज का पाकिस्तानी भूभाग कई संस्कृतियों का गवाह रहा है।

आधुनिक राष्ट्र पाकिस्तान का गठन करने वाले क्षेत्र का इतिहास प्राचीन भारत का हिस्सा है, जिसमें मध्ययुगीन काल में ब्रिटिश भारत का इतिहास भी शामिल है।[1] आज के पाकिस्तानी भूभाग में ईसा के 3000 साल पहले सिन्धु घाटी सभ्यता का जन्म हुआ।[2] यह 1500 ईसापूर्व के आसपास नष्ट हो गया। ईसापूर्व सन् 543 में यह फारस के हखामनी शासकों के साम्राज्य का अंग बना। सिकन्दर ने 330 ईसापूर्व के आसपास हखामनी शासक दारा तृतीय को हराकर उसके सम्पूर्ण साम्राज्य पर कब्जा कर लिया। उसके साम्राज्य को उसके सेनापतियों ने बाँट लिया और इस क्षेत्र में एक अभूतपूर्व यूनानी-बैक्टियन संस्कृति का अंग बना। इसके बाद यह मौर्य साम्राज्य का अंग बना। इसके बाद शक (सीथियनों की भारतीय शाखा) और फिर कुषाणों की शाखा यहाँ आई।

सन् 712 में फारस के एक अरब सेनापति मुहम्मद-बिन-क़ासिम ने सिन्ध के नरेश को हरा दिया। इसके बाद यहाँ इस्लाम का आगमन हुआ। इस क्षेत्र पर गजनवियों का अधिकार बारहवीं सदी में हुआ और 1206 में यह दिल्ली सल्तनत का अंग बन गया। सन् 1526 में दिल्ली की सत्ता पर मुगलों का अधिकार हो गया और 1857 के बाद यहाँ अंग्रेजों का शासन आया। 14 अगस्त 1947 को यह स्वतंत्र हुआ।

सिन्धु घाटी सभ्यता[संपादित करें]

ईसापूर्व 3300-1800 के बीच यहाँ सिन्धुघाटी सभ्यता का विकास हुआ। यह विश्व के चार प्राचीन ताम्र-कांस्यकालीन सभ्यताओं में से एक थी। इसका क्षेत्र सिन्धु नदी के किनारे अवस्थित था पर गुजरात (भारत) और राजस्थान में भी इस सभ्यता के अवशेष पाए गए हैं। मोहेन्जो-दारो, हड़प्पा इत्यादि स्थल पाकिस्तान में इस सभ्यता के प्रमुख अवशेष-स्थल हैं। इस सभ्यता के लोग कौन थे इसके बारे में विद्वानों में मतैक्य नहीं है। कुछ इसे आर्यों की पूर्ववर्ती शाखा कहते हैं तो कुछ इसे द्रविड़। कुछ इसे बलोची भी ठहराते हैं। इस मतभेद का एक कारण सिन्धु-घाटी सभ्यता की लिपि का नहीं पढ़ा जाना भी है।

ऐसा माना जाता है कि 1500 ईसापूर्व के आसपास आर्यों का आगमन पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्रों के मार्फ़त भारत में हुआ। आर्यों का निवास स्थान कैस्पियन सागर के पूर्वी तथा उत्तरी हिस्सों में माना जाता है जहाँ से वो इसी समय के करीब ईरान, यूरोप औप भारत की ओर चले गए थे। सन् 543 ईसापूर्व में पाकिस्तान का अधिकांश इलाका ईरान (फारस) के हख़ामनी साम्राज्य के अधीन आ गया। लेकिन उस समय इस्लाम का उदय नहीं हुआ था; ईरान के लोग ज़रदोश्त के अनुयायी थे और देवताओं की पूजा करते थे। सन् 330 ईसापूर्व में मकदूनिया (यूनान) के विजेता सिकन्दर ने दारा तृतीय को तीन बार हराकर हखामनी वंश का अन्त कर दिया। इसके कारण मिस्र से पाकिस्तान तक फैले हखामनी साम्राज्य का पतन हो गया और सिकन्दर पंजाब तक आ गया। ग्रीक स्रोतों के मुताबिक उसने सिन्धु नदी के तट पर भारतीय राजा पुरु (ग्रीक - पोरस) को हरा दिया। पर उसकी सेना ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया और वह भारत में प्रवेश किये बिना वापस लौट गया। इसके बाद उत्तरी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में यूनानी-बैक्ट्रियन सभ्यता का विकास हुआ। सिकन्दर के साम्राज्य को उसके सेनापतियों ने आपस में बाँट लिया। सेल्युकस नेक्टर सिकन्दर के सबसे शक्तिशाली उत्तराधिकारियों में से एक था।

मौर्यों ने 300 ईसापूर्व के आसपास पाकिस्तान को अपने साम्राज्य के अधीन कर लिया। इसके बाद पुनः यह ग्रीको-बैक्ट्रियन शासन में चला गया। इन शासकों में सबसे प्रमुख मिनांदर ने बौद्ध धर्म को प्रोत्साहित किया। पार्थियनों के पतन के बाद यह फारसी प्रभाव से मुक्त हुआ। सिन्ध के राय राजवंश (सन् 489-632) ने इसपर शासन किया। इसके बाद यह उत्तर बारत के गुप्त और फारस के सासानी साम्राज्य के बीच बँटा रहा। आभि पाकिस्तन एक आतन्क्वदि देश है

इस्लाम का आगमन[संपादित करें]

सन् 712 में फारस के सेनापति मुहम्मद बिन कासिम ने सिन्ध के राजा को हरा दिया। यह फारसी विजय न होकर इस्लाम की विजय थी। बिन कासिम एक अरब था और पूर्वी ईरान में अरबों की आबादी और नियंत्रण बढ़ता जा रहा था। हँलांकि इसी समय केन्द्रीय ईरान में अरबों के प्रति घृणा और द्वेष बढ़ता जा रहा था पर इस क्षेत्र में अरबों की प्रभुसत्ता स्थापित हो गई थी। इसके बाद पाकिस्तान का क्षेत्र इस्लाम से प्रभावित होता चला गया। पाकिस्तानी सरकार के अनुसार इसी समय 'पाकिस्तान की नींव' डाली गई थी। इसके 1192 में दिल्ली के सुल्तान पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद ही दिल्ली की सत्ता पर फारस से आए तुर्कों, अरबों और फारसियों का नियंत्रण हो गया। पाकिस्तान दिल्ली सल्तनत का अंग बन गया।

मध्यकाल[संपादित करें]

सोलहवीं सदी में मध्य-एशिया से भाग कर आए हुए बाबर ने दिल्ली की सत्ता पर अधिकार किया और पाकिस्तान मुगल साम्राज्य का अंग बन गया। मुगलों ने काबुल तक के क्षेत्र को अपने साम्राज्य में मिला लिया था। अठारहवीं सदी के अन्त तक विदेशियों (खासकर अंग्रेजों) का प्रभुत्व भारतीय उपमहाद्वीप पर बढ़ता गया। सन् 1857 के गदर के बाद सम्पूर्ण भारत अंग्रेजों के शासन में आ गया। १८८५ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई जिसका उद्देश्य था प्रशासन में भारतीय भागीदारी बढ़ाना। हँलांकि कई मुस्लिम नेता इसमें बहुत सक्रिय थे पर कुछ लोग इसे हिन्दू-बहुल पार्टी के रूप में देखते थे। 1906 में मुसलमानों के एक दल मुस्लिम लीग का गठन हुआ। १९३० में मुस्लिम लीग तथा अन्य दलों के नेताओं को इस बात का डर था कि यदि भारत सवतंत्र हो गया तो उसमें मुसलमानों की भागीदारी बहुत कम हो जाएगी क्योंकि वे अल्पसंख्यक हैं। इसी कारण से उन्होंने एक अलग राष्ट्र की मांग की। प्रसिद्ध शायर अलामा इक़बाल ने इस सिद्धांत का साथ दिया और १९४० में हुए लाहौर समझौते के तहत द्विराष्ट्र सिद्धांत पर और बल दिया गया। इस बैठक की वजह १९३७ में हुए चुनाव में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में मुस्लिम लीग की पराजय, द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत सरकार की बिना किसी भारतीय नेता के परामर्श के शमिल होना तथा हिन्दू महासभा के गठन को लेकर उपजी स्थिति थी।

आज़ादी के बाद[संपादित करें]

1947 में भारत को अंग्रेज़ों से स्वतंत्रता मिली। 14 अगस्त को पाकिस्तान स्वतंत्र हुआ और 15 अगस्त को भारत। १९४८ तथा १९६५ में पाकिस्तान ने भारत के साथ लड़ाई की। इन दोनों युद्धों में जीत का निर्णय नहीं हो सका था और अंतर्ऱाष्ट्रीय संधि के तहत संघर्षविराम हुआ। सन् 1971 में भारत के साथ हुए युद्ध में पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र हो गया और बांग्लादेश का जन्म हुआ।

सन् १९९८ में भारत के साथ करगिल युद्ध हुआ जिसमें पाकिस्तानी सेना को करगिल से पीछे हटना पड़ा। 1999 में हुए एक तख्तापलट में सेनानायक परवेज़ मुशर्रफ़ ने सत्ता पर अधिकार कर लिया। बाद में विदेशी और आंतरिक दबाब के कारण उन्होंने देश की सेना के प्रमुख का पद छोड़ दिया और राष्ट्रपति बने रहे। पर अंतरर्र्ऱाष्ट्रीय तथा आंतरिक दबाव के कारण उन्हें चुनाव करवाने पड़े जिनमें उनकी हार हुई और इसी चुनाव के दौरान पाकिस्तान पूपुल्स पार्टी की नेता बेनज़ीर भुट्टो की अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी।

1947

अंग्रेजों से आजादी मिलने के साथ-साथ भारत का विभाजन हो गया और पाकिस्तान अस्तित्व में आया। पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना देश के गवर्नर जनरल बने। लियाकत अली खान को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। इसके एक वर्ष बाद ही जिन्ना का निधन हो गया जो टीबी की बीमारी से पीड़ित थे।

1951

प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की रावलपिण्डी में हत्या कर दी गई। कम्पनी बाग में वह एक सभा में मौजूद थे, उसी समय उन पर दो गोलियां दागी गईं। पुलिस ने मौके पर ही हमलावर को ढेर कर दिया। लियाकत अली को झटपट अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनके बाद बंगाली मूल के ख्वाजा नजीमुद्दीन पाकिस्तान के दूसरे प्रधानमन्त्री बने।

1958

सन 1956 में पाकिस्तान को पहला संविधान मिला। लेकिन राजनीतिक खींचतान के बीच 1958 में पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति इसकंदर मिर्जा ने संविधान को निलंबित कर मार्शल लॉ लगा दिया। फिर कुछ दिनों बाद ही सेना प्रमुख जनरल अयूब खान मिर्जा को हटाकर खुद देश के राष्ट्रपति बन बैठे। पाकिस्तान में पहली बार सत्ता सेना के हाथ में आई।

1965

पाकिस्तान में अमेरिका जैसी राष्ट्रपति शासन प्रणाली लागू करने वाले अयूब खान ने 1965 में चुनाव कराने का निर्णय लिया। वह खुद पाकिस्तान मुस्लिम लीग के उम्मीदवार बने जबकि विपक्ष ने उनके सामने जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना को उतारा। फातिमा जिन्ना को भरपूर वोट मिले लेकिन अयूब खान इलेक्ट्रोल कॉलेज के जरिए चुनाव जीत गए। इसी वर्ष भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ जिसमें पाकिस्तान को मुँह की खानी पड़ी।

1969

फातिमा जिन्ना के खिलाफ विवादास्पद जीत और भारत के साथ 1965 में हुई जंग के नतीजों से अयूब खान की छवि को बहुत नुकसान हुआ। जबरदस्त विरोध प्रदर्शनों के बीच उन्होंने राष्ट्रपति पद छोड़ दिया और सत्ता अपने आर्मी चीफ जनरल याहया खान को सौंप दी। देश में फिर मार्शल लॉ लगा और सभी असेंबलियां भंग कर दी गईं।

1970

पाकिस्तान में आम चुनाव कराए गए। पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) के नेता शेख मुजीबउर रहमान की पार्टी आवामी लीग को जीत मिली। नेशनल असेंबली की कुल 300 सीटों में से आवामी लीग को 160 सीटें मिलीं। 81 सीटों के साथ जुल्फिकार अली भुट्टो की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी दूसरे स्थान पर रही। लेकिन आवामी लीग की जीत को स्वीकार नहीं किया गया।

1971

चुनाव नतीजों को लेकर छिड़े विवाद ने एक युद्ध की जमीन तैयार की। इसमें भारत ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान की मदद की और 1971 में 'बांग्लादेश' के नाम से भारतीय उपमहाद्वीप में एक नए देश का उदय हुआ। १९४७ में भारत का विभाजन धर्म के नाम पर हुआ था (द्विराष्ट्र सिद्धान्त), लेकिन एक धर्म होने के बावजूद पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान एक साथ नहीं रह पाए।

1972

पाकिस्तान की टूट के लिए याहया खान के शासन को जिम्मेदार माना गया, जिसके कारण उनका सत्ता में रहना मुश्किल होने लगा। ऐसे में, उन्होंने देश की सत्ता जुल्फिकार अली भुट्टो को सौंप दी। देश में लगे मार्शल लॉ को हटाया गया और जुल्फिकार अली भुट्टो पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने। 1972 में ही भुट्टो ने पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम शुरू किया।

1973

पाकिस्तान में फिर एक 'नया संविधान लागू हुआ जिसके तहत पाकिस्तान को एक संसदीय लोकतन्त्र बनाया गया, जिसमें प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख हो। इस तरह भुट्टो राष्ट्रपति से प्रधानमंत्री पद पर आ गए। भुट्टो ने 1976 में जनरल जिया उल हक को अपना चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बनाया, जो आगे चल कर उनके लिए बड़ी मुसीबत बन गए।

1977

पाकिस्तान में आम चुनाव हुए जिसमें भुट्टो की पार्टी को भारी जीत मिली। लेकिन विपक्ष ने चुनावों में धांधली के आरोप लगाए और देश में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया। मौके का फायदा उठाते हुए जिया उल हक ने भुट्टो का तख्तापलट किया और संविधान को निलम्बित कर देश में फिर से मार्शल लॉ लगा दिया।

1978

जिया उल हक ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। उन्होंने सेना प्रमुख का पद भी अपने ही पास रखा। भुट्टो को जिया की "हत्या के साजिश" के आरोप में दोषी करार देकर फांसी पर चढ़ा दिया गया। इसी साल जिया उल हक देश के इस्लामीकरण की अपनी नीति के तहत विवादित हूदूद ऑर्डिनेंस लाए, जिसमें कुरान के मुताबिक सजाएं देने का प्रावधान किया गया।

1985

पाकिस्तान में आम चुनाव हुए, लेकिन पार्टी के आधार पर नहीं। मार्शल लॉ हटाया गया और नई नेशनल असेंबली ने बीते आठ साल के जिया के कामों पर मुहर लगाई और उन्हें राष्ट्रपति चुना गया। मोहम्मद खान जुनेजो प्रधानमंत्री बनाए गए। इससे पहले 1984 में जिया उल हक ने अपनी इस्लामीकरण की नीति पर एक जनमत संग्रह भी कराया जिसमें 95 समर्थन का दावा किया गया।

1988

बढ़ते मतभेदों के बीच जिया उल हक ने संसद को भंग कर दिया और जुनेजो की सरकार को भी बर्खास्त कर दिया। 90 दिनों के भीतर उन्होंने देश में नए आम चुनाव कराने का वादा किया, लेकिन 17 अगस्त 1988 को वह अपने 31 अन्य साथियों के साथ एक विमान हादसे में मारे गए। 1978 से लेकर 1988 तक जिया उल हक ने पाकिस्तान पर एक छत्र राज किया।

1988

देश में आम चुनाव हुए और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी को भारी बहुमत मिला। जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। चुनाव में बेनजीर की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी को 38 प्रतिशत मत मिले। वहीं नवाज शरीफ के नेतृत्व में इस्लामी जम्हूरी इत्तेहाद पार्टी 30 प्रतिशत मतों के साथ दूसरे स्थान पर आई।

1990

[भ्रष्टाचार]] के आरोपों में बेनजीर को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी। राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने संसद को भंग कर भुट्टो सरकार को बर्खास्त कर दिया। चुनाव हुए और जिया के दौर में राजनीति का ककहरा सीखने वाले नवाज शरीफ देश के प्रधानमंत्री चुने गए। इसके साल भर बाद पाकिस्तान की संसद ने शरिया बिल को मंजूर किया और इस्लामिक कानून पाकिस्तान की न्याय प्रणाली का हिस्सा बने।

1993

राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने नवाज शरीफ सरकार को भी भ्रष्टाचार और नकारेपन के आरोपों में चलता कर दिया। इसी वर्ष खुद उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया। देश में फिर चुनाव हुए जिनमें जीत दर्ज कर बेनजीर भुट्टो दूसरी बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं। पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के एक सदस्य फारूक लेघारी को देश का राष्ट्रपति चुना गया।

1996

राष्ट्रपति लेघारी ने नेशनल असेम्बली को भंग कर बेनजीर सरकार को बर्खास्त कर दिया जो भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी थी। इस तरह, दस साल के भीतर देश चौथी बार आम चुनाव की दहलीज पर खड़ा था। 1997 के चुनाव में नवाज शरीफ की पीएमएल (एन) को भारी जीत मिली और वह दूसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री बने।

1998

पाकिस्तान ने बलूचिस्तान प्रान्त के चघाई की पहाड़ियों में परमाणु परीक्षण किया। इससे कुछ दिन पूर्व भारत ने पोखरण में अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया था। परमाणु परीक्षण के बाद अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े आर्थिक प्रतिबन्ध लगा दिए। लेकिन इससे भारतीय उपमहाद्वीप में परमाणु हथियारों की होड़ को रोका नहीं जा सका।

1999

इसी वर्ष पाकिस्तान ने गुप्त रूप से कारगिल की पहाड़ियों पर अधिकार कर लिया। इसके कारण भारत और पाकिस्तान में कारगिल युद्ध हुआ। इस युद्ध में भारत की विजय हुई। पाकिस्तानी सेना को कारगित की पहाड़ियों से भागना पड़ा। इसके बाद नवाज शरीफ सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ की जगह ख्वाजा जियाउद्दीन अब्बासी को सेना प्रमुख बनाना चाहते थे। लेकिन जैसे ही इसका पता मुशर्रफ को लगा तो उन्होंने नवाज शरीफ का ही तख्तापलट कर दिया और उन्हें नजरबन्द कर लिया। इस तरह पाकिस्तान की बागडोर चौथी बार एक सैन्य शासक के हाथ में आई।

2000

पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने मुशर्रफ के तख्तापलट को उचित ठहराया और तीन साल के लिए उन्हें सारे अधिकार दे दिए। इसी साल नवाज शरीफ और उनका परिवार निर्वासन में सऊदी अरब चले गए। 2001 में मुशर्रफ पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन गए और सेना प्रमुख का पद भी उन्होंने अपने पास ही रखा।

2002

पाकिस्तान में फिर से आम चुनाव हुए और ज्यादातर सीटें पीएमएल (क्यू) ने जीती। इस पार्टी को मुशर्रफ ने ही बनाया था जिसमें उनके वफादारों को अहम पद मिले। जफरउल्लाह खान जमाली पाकिस्तान के प्रधानमंत्री चुने गए, लेकिन वह दो साल ही पद पर रह पाए। 2004 में उनकी जगह शौकत अजीज को पाकिस्तान का प्रधानमन्त्री बनाया गया।

2007

परवेज मुशर्रफ ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस इफ्तिखार मुहम्मद चौधरी को बर्खास्त कर दिया जिसके बाद देश भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। आखिरकार चौधरी को बहाल किया गया लेकिन मुशर्रफ ने देश में इमरजेन्सी लगा दी। इस बीच पाकिस्तानी संसद ने पहली बार अपना पांच साल का निर्धारित कार्यकाल पूरा कर लिया।

2007

आम चुनावों में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की नेता बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान लौटीं। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मुकदमे वापस लिए गए। लेकिन रावलपिंडी में एक चुनावी रैली के दौरान बम विस्फोट द्वारा उनकी हत्या कर दी गई। उनकी हत्या उसी कम्पनी बाग में हुई जहां पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की हत्या की गयी थी।

2008

बेनजीर की मृत्यु के बाद चुनावों में पीपीपी को सहानुभूति लहर का फायदा हुआ और नेशनल असेंबली की ज्यादातर सीटें उसके खाते में आईं। यूसुफ रजा गिलानी देश के प्रधानमंत्री बने जबकि बेनजीर के पति आसिफ अली जरदारी ने राष्ट्रपति का पद संभाला। आरोपों और विवादों के बीच पीपीपी की सरकार ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।

2013

पाकिस्तान में आम चुनाव हुए और पीएमएल (एन) सत्ता में आई। नवाज शरीफ तीसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। क्रिकेट से राजनेता बने इमरान खान की पार्टी 2013 के चुनाव में तीसरी सबसे बड़ी ताकत बन कर उभरी। 17 प्रतिशत वोटों के साथ उसने राष्ट्रीय संसद की 35 सीटें जीतीं और खैबर पख्तून ख्वाह प्रांत में उसकी सरकार बनी।

2017

भ्रष्टाचार के आरोपों में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें किसी सार्वजनिक पद पर रहने और चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दे दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री पद अपने विश्वासपात्र शाहिद खाकान अब्बासी को सौंपा। नवाज शरीफ अपने खिलाफ मुदकमों को राजनीति से प्रेरित बताते हैं। पाकिस्तानी सेना से टकराव के कारण भी वह चर्चा में आए।

2018

पाकिस्तान में फिर चुनाव हुए। सेना पर आरोप लगे कि वह किसी भी तरह से नवाज शरीफ और उनकी पार्टी को सत्ता से बाहर रखना चाहती थी। चुनाव मैदान में इमरान खान को सेना का समर्थन मिला। चुनाव प्रक्रिया में धांधली के आरोप भी लगे। फिलहाल इमरान पाकिस्तान के पीएम हैं, लेकिन पाकिस्तान बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है।

2019

इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। इमरान खान ने अपने चुनाव प्रचार में पाकिस्तान को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने की बात की थी। इमरान खान की तमाम कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान अभी आर्थिक संकट से निकल नहीं पाया है। भारत के साथ चल रहे तनाव से पाकिस्तान को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "If Pakistan shuns the term 'Ancient India' in its history books, is it entirely to blame?". मूल से 10 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 सितंबर 2018.
  2. "Pakistan: The lesser-known histories of an ancient land". मूल से 10 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 सितंबर 2018.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • भारत का इतिहास
  • भारत का विभाजन
  • पाकिस्तान का विभाजन
  • पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंक

पाकिस्तान का दूसरा नाम क्या है?

वर्ष 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के एक छात्र जिसका नाम चौधरी रहमत अली था उसने सिन्ध,पंजाब, कश्मीर और बलोचिस्तान के आम लोगों के लिए पाक्स्तान शब्द का सृजन किया (जो बाद में पाकिस्तान बना)।

पाकिस्तान में हिंदू राजा का नाम क्या है?

अब आप सोच रहे होंगे कि पाकिस्तान में एक हिंदू परिवार ऐसा जलवा आखिर कैसे? - तो आपको बता दें कि करणी सिंह हमीर सिंह सोढा के बेटे और अमरकोट रियासत के राजा है। हमीर सिंह का परिवार पाक राजनीति में अहम जगह रखता है। हमीर सिंह के पिता राणा चंद्र सिंह अमरकोट के शासक परिवार से थे।

पाकिस्तान किसका गुलाम था?

सोलहवीं सदी में मध्य-एशिया से भाग कर आए हुए बाबर ने दिल्ली की सत्ता पर अधिकार किया और पाकिस्तान मुगल साम्राज्य का अंग बन गया। मुगलों ने काबुल तक के क्षेत्र को अपने साम्राज्य में मिला लिया था। अठारहवीं सदी के अन्त तक विदेशियों (खासकर अंग्रेजों) का प्रभुत्व भारतीय उपमहाद्वीप पर बढ़ता गया।

पाकिस्तान का नाम पाकिस्तान क्यों रखा गया?

कैसे पड़ा नाम- पाक मतलब- शुद्ध और स्तान यानी भूमि। पाकिस्तान 14 अगस्त, 1947 को भारत से अलग होकर स्थापित हुआ था। जबकि इसका नाम एक दशक पहले ही सुर्खियों में आ गया था। एक मुस्लिम राष्ट्रवादी नेता चौधरी रहमत अली ने ब्रिटिश सरकार से भारतीय उपमहाद्वीप में एक अलग मुस्लिम राज्य बनाने की वकालत की थी।