Porn Kahani सीता --एक गाँव की लड़की Show Porn Kahani सीता --एक गाँव की लड़की ट्रेन से उतरते ही सीता की जान में जान आ गई। वो भगवान का शुक्रिया अदा की। बिहार की ट्रेन में भीड़ ना हो ये कभी हो नहीं सकता। इसी भीड़ में गाँव की बेचारी सीता को अपने पति श्याम के साथ आना पड़ा। श्याम जो कि T.T.E. है। हालाँकि वो भी गाँव का ही है मगर नौकरी लगने के बाद उसे शहर रहना पड़ा। 6 महीने पहले दोनों की शादी हुई थी। शादी के बाद श्याम ज्यादा दिन तक अकेला नहीं रह पाया । काम के दौरान वो काफी थक जाता था। फिर घर आकर खाना बनाने का झंझट। मन नहीं करता खाना बनाने का पर क्या करता? होटल में अच्छा खाना मिलता नहीं । कभी कभी तो भूखा ही रह जाता। ऐसा नहीं है कि वो महँगे होटल में नहीं जा सकता था। मगर सिर्फ पेट की भूख रहती तब ना। उसे तो नई नवेली पत्नी सीता की भी भूख लग गई थी। आखिर क्यों नहीं लगती? सीता थी ही इतनी सुंदर । पूरे गाँव में तो उतनी सुंदर कोई थी ही नहीं। तभी तो उसकी शादी एक नौकरी वाले लड़के से हुई । श्याम जब सीता को पहली बार देखा तो देखता ही रह गया। एकदम चाँद की तरह चमकती गोरी रंग, नशीली आँखें, गुलाबी होंठ,कमर तक लम्बे लम्बे बाल,नाक में लौंग, कान में छोटी छोटी बाली, गले में पतली सी Necklace जिसमें अँगूठी लटकी थी।सफेद रंग की समीज-सलवार में सीता पूरी हुस्न की मल्लिका लग रही थी। दोनों के परिवार वाले देख चुके थे, पर सबकी इच्छा थी कि ये दोनों भी एक-दूसरे को देख लें तो अच्छा रहेगा। सीता अपने भैया-भाभी के साथ श्याम को देखने गाँव से 5 किलोमीटर दूर एक मंदिर में गई थी।गाँव में शादी से पहले लड़के का घर पर आना तो दूर, बात करना भी नहीं होता है। पर श्याम के परिवार वाले की जिद के कारण एक मुलाकात हो सकी । दोनों की शादी बड़े ही धूमधाम से हुई। श्याम अपने सुहागरात को ले काफी व्याकुल था। आखिर क्यों ना हो इतनी सुंदर बीबी जो मिली ।लाल जोड़ों में तो सीता और भी कहर ढा रही थी। सुहागरात के लिए सीता कोई खास सोची नहीं थी। सीता के बगल में बैठा श्याम कंधों पर हाथ रखकर सीता के गालोँ को सहलाने लगा। स्पर्श पाकर सीता अजीब रोमांच से भर गई। श्याम अब अपना चेहरा सीता के कंधों पर रख दिया जो कि सीता के गालोँ से सट रही थी। सीता का रोम रोम श्याम के गर्म साँसोँ से सिहर गया। सीता के जिस्म की खुशबू श्याम को मदहोश कर रही थी। श्याम अपना दूसरा हाथ बढ़ाकर सीता के चेहरे को अपनी तरफ किया जिससे सीता के होंठ श्याम के होंठ के काफी निकट हो गए। दोनों की गर्म साँसें टकरा रही थी। सीता आगे होने वाली का चित्रण को याद कर तेज साँसें लेने लगी और उसके होंठ कंपकंपाने लगे। श्याम ज्यादा देर करना उचित नहीं समझा और होंठ सीता के तपते होंठों से चिपका दिए। श्याम का लण्ड अभी भी पूरा तना हुआ था। उसने एक पैर सीता के पैरों पर चढ़ा दिया, जिससे लण्ड सीधा सीता की गुलाबी चूत पर दस्तक दे रही थी। श्याम सीता को चूमते हुए कहा,"जानू, तुम तो इतनी जल्दी खल्लास हो गई। अभी तो असली मजा तो बाकी ही है।" सीता --एक गाँव की लड़की--2 लण्ड अब लगातार सीता की चूत को चीर रही थी। सीता अभी भी दर्द से बेहाल थी।वो लगातार कराह रही थी मगर श्याम तो अब और जोर जोर से पेलने लगा। अपना लण्ड पूरा बाहर निकालता और एक ही झटके में जड़ तक घुसेड़ देता। वो सीता की कुंवारी चूत की लगातार धज्जियाँ उड़ा रहा था। सुबह 5 बजे मेरी नींद खुली तो अपनी हालत देख खुद शर्मा गई। मैं पूरी मादरजात नंगी श्याम के नंगे जिस्म से चिपकी थी। मैं उठी तो मेरी नजर बेडसीट पड़ी, बेडसीट पर खून और वीर्य के काफी गहरी दाग बन चुकी थी। मैंने अपने कपड़े पहने।फिर श्याम को नींद से जगाई तो वो भी देख मुस्कुरा दिए। मैंने जल्दी से बेडसीट बदली और दूसरी बिछा दी। तब तक श्याम भी अपने कपड़े पहने और फिर सो गए। नींद तो हमें भी आ रही थी किंतु नई जगह थी तो देर तक सोती तो पता नहीं सब लोग क्या सोचते? रात की थकावट से मैं सोई तो बेसुध सोती रही। अचानक मुझे अपने होंठ पर कुछ गीला सा महसूस हुआ मगर मेरी नींद नहीं खुली। तभी मेरी होंठ में तेज दर्द हुई जिससे मैं हड़बड़ा के नींद से जगी। "प्लीज बता दीजिए ना!" सीता --एक गाँव की लड़की--3 क्यों रण्डी, फोन क्यों काट दी?" रात में श्याम ने दो बार जम के चोदा, फिर सो गए। दर्द तो ज्यादा नहीं हुई पर थक ज्यादा गई तो सुबह नींद देर से खुली। जल्दी से फ्रेश हुई और किचन की तरफ चल दी। सोची शायद पूजा होगी तो मनाने की कोशिश करूँगी। अब मैं पूजा से थोड़ा खुलना चाहती थी और पूजा को भी बेहिचक बुलवाना चाहती थी। मैंने पूजा को बाँहों में भरते हुए बेड पर पसर गई और पूछी," क्यों पूजा रानी? जरा हमें भी तो बताओ कि नागेश्वर अंकल में ऐसी क्या बात है जो दीवानी हो गई।" सीता --एक गाँव की लड़की--4 शाम के 4 बजे चुके थे। श्याम आए तो उन्हें नाश्ता दी। वे रूम में बैठ कर नाश्ता कर रहे थे। मम्मी जी नाश्ता करके पड़ोस वाली आंटी के यहाँ बैठी गप्पे लड़ा रही थी। कुछ देर तक मैं सोचती रही कि क्या करूँ? पता नहीं क्यों बुला रहे हैं? पूजा लगातार प्लीज प्लीज करती रही। अंतत: मैंने चलने की हामी भर दी। सीता --एक गाँव की लड़की--5 पैकेट में क्या हो सकती है, मैं खुद परेशान थी। पर मम्मी जी के सामने दिए थे तो कुछ राहत जरूर मिली कि कोई ऐसी-वैसी चीजें तो नहीं ही होगी। फिर भी मेरे अंदर एक अलग ही उत्सुकता थी जल्द से जल्द देखने की। अंकल उठ के तेजी से बाहर की तरफ निकल गए। पूजा और मम्मी एक-दूसरे की तरफ देख हँस दिए। मैं भी अंदर में मुस्कुरा रही थी। सीता --एक गाँव की लड़की--6 अंकल पूजा की पीठ पर से हाथ हटाते हुए उसकी गाल पर ले गए और प्यार से उठाते हुए अपने चेहरे की तरफ कर लिए। रात का खाना बन चुकी थी। करीब 9 बज रहे थे। चूँकि गाँव में सब ज्यादा देर तक नहीं जगे रहते। श्याम भी आ चुके थे।आते ही उन्होंने मेरी गालोँ को चूमते हुए खाना खाने की इच्छा व्यक्त की। मैं भी जल्दी से खाना लाई और श्याम खाना खाने बैठ गए। पायल की छन छन के साथ रूम में जैसे ही प्रवेश की, श्याम देखते ही रह गए। उनके नजरें ना तो हट रही थी और ना कुछ बोल ही रहे थे।बस लगातार वो कभी मेरी आँखों में देखते तो कभी मेरी होंठों को। कभी मेरी आधी नंगी पेट को देखते तो कभी मेरी उभारोँ को। कहानी जारी है... RE: Porn Kahani सीता --एक गाँव की लड़कीसीता --एक गाँव की लड़की--7 श्याम कुछ देर लेटे लेटे ही चूमते रहे। मैं एक नागिन की तरह मचल रही थी। अगले ही पल श्याम के हाथ मेरी साड़ी खोलने लगे और चंद घड़ी में ही साड़ी अलग पड़ी हुई थी।ब्लॉउज कब निकली ये तो मुझे भी नहीं मालूम।सिर्फ पेन्टी में पड़ी मस्ती के सागर में लगातार गोते लगा रही थी। सुबह जब मेरी नींद खुली तो पूरा बदन टूट रहा था। बगल में श्याम भी पूरी नींद में सो रहे थे।उनका एक हाथ अभी भी मेरी चुची पर थी। धीरे से हाथ हटाते हुए मैं बेड से उतरी और फ्रेश होने बाथरुम की तरफ बढ़ गई। फ्रेश होने के बाद मैं किचन में गई। तब तक मम्मी पापा भी जग गए थे।जल्दी से चाय बनाई और मम्मी पापा को देने के बाद श्याम को देने के बढ़ गई।अभी भी वे बेसुध हो कर सो रहे थे।मैं मुस्कुराती हुई उनके होंठों पर Morning Kiss जड़ दी। वे तुरंत ही नींद से जग गए। फिर मैंने उनकी तरफ चाय बढ़ा दी।वे चाय लेते हुए बोले,"थैंक्स डॉर्लिँग, काश पहले भी इतनी अच्छी Morning Kiss देने वाली कोई होती!" मैं भी मुस्कुरा के फोन लेने दी पूजा को। फिर हम दोनों साथ बैठ गए और पूजा तस्वीरें निकालने लगी। इसी तरह पूजा के साथ दिन भर हँसी मजाक और फिर रात में श्याम से चुदाई चलती रही। जैसा कि गाँवों में ये एक रिवाज है कि नई दुल्हन 3 या 9 दिन के बाद वापस अपने मायके चली जाती है। मैं भी जिंदगी के हसीन पल अपनी यादों में समेट वापस अपने मायके चली आई थी। जिंदगी में इतनी हसीन यादें फिर कभी नहीं आती है, ये एक कटु सत्य है। समय मिलते ही श्याम और पूजा से अच्छी बुरी बातें फोन पर शुरू कर देती थी। अंकल तो अभी तक व्यस्त ही थे। उनसे मिले बिना ही मैं आ गई थी, इसका मुझे काफी मलाल था। सीता --एक गाँव की लड़की--8 कुछ ही देर में अपने भैया के साथ बगीचे पहुँच गई थी। मैं उतरी और अपनी गांड़ पूरब पश्चिम करती आगे बढ़ गई। सिर्फ चोली में मेरी चुची मानो दो बड़े-2 पर्वत जैसी लग रही थी।पीछे भैया भी जल्दी से बाईक खड़ी की और लगभग दौड़ते हुए पीछे-2 चलने लगे। भैया की हालत देख मेरी तो हँसी निकल रही थी पर किसी तरह खुद को रोक रखी थी। एक पेड़ के पास रुकते हुए मैं तेजी से पलटी। तभी भैया उठे और मेरे पैरों की तरफ हाथ बढ़ाते हुए मेरी लहँगा को ऊपर करने लगे। कुछ ही पल में पूरी लहँगा मेरे पेट को ढँक चुकी थी और नीचे सिर्फ पेन्टी मेरी चूत की रखवाली कर रही थी। मैं इतनी देर से तो बेशर्म बन रही थी पर अब तो शर्म से मरने लगी थी और अपने हाथों से मुँह को ढँक ली थी। भैया पेन्टी के ऊपर से ही चूत पर उँगली नचाने लगे और अचानक उँगली फँसाते हुए एक जोरदार झटके दे दिए। मेरी भीँगी हुई पेन्टी चरचराती हुई कई टुकड़े में बँट गई। भैया की नजर मेरी चूत पर पड़ते ही बोल पड़े,"ओफ्फ। क्या संगमरमर सी चूत है सीता तुम्हारी। कसम से अगर पहले जानता तो मैं कब का चोद चुका रहता।" और अपने होंठ मेरी गीली चूत में भिड़ा दिए। मैं कुछ बोलना चाहती थी पर भैया के होंठ लगते ही मेरी आवाज एक आहहहह में बदल के गूँजने लगी। भैया मेरी चूत को ऐसे चुसने लगे कि मानो वो मेरी चूत नहीं, मेरी होंठ हो। मैं उल्टे हाथ से जमीन की घास नोँच नोँच के फेंकने लगी थी। अचानक मैं चिहुँक उठी। भैया मेरी चूत के दाने को अपने दाँतो से पकड़ काट रहे थे। मेरी शरीर में खून की जगह पानी दौड़ने लगी थी। मैं लगातार चीखी जा रही थी। भैया बेरहम बनते हुए मुझे तड़पाने लगे। मैं ज्यादा देर तक टिक नहीं पाई और शरीर को जमीन पर रगड़ते हुए फव्वारे छोड़ने लगी। भैया बिना मुँह हटाए मेरी चूतरस तेजी से पीने लग गए। मैं भी लगातार भैया को अपनी रस सीधे गले में उतार रही थी। कुछ ही पल में भैया सारा रस चट कर गए थे। सारा रस चुसने के बाद भी भैया मेरी चूत को छोड़ने के मूड में नहीं थे। वे अब अपनी जीभ डालकर कुरेदने लगे। मैं झड़ने के बाद थोड़ी सुस्त पड़ गई थी। पर भैया की जीभ से मैं तुरंत ही अपने रंग में रंग गई और मचलने लगी। खुरदरे जीभ को ज्यादा देर तक सहन नहीं कर सकी। मैं तड़पते हुए भैया के बाल पकड़ते हुए बोली,"आहहहहहह भैया, अब मत तरसाओ। जल्दी कुछ करो वर्ना मैं मर जाऊंगी। ओफ्फ......" कुछ देर बाद जब होश में आई तो उठ के बैठ गई और अपनी हालत देख मैं मुस्कुराने लगी। पूरी चोली आम के रस और भैया के थूक से सनी हुई थी। और लहँगा तो पूरी मिट्टी से भरी हुई थी। पास ही मेरी पेन्टी फटी पड़ी थी। इस वक्त अगर कोई देख ले उसे समझते देर नहीं लगेगी कि अभी-2 दमदार चुदाई हुई है। बगल में नजर दौड़ाई तो देखी भैया बेसुध से अभी भी पड़े हुए थे मानो लम्बी रेस दौड़ के आए हों। उनका लंड अभी भी मेरी चूत की रस से सनी हुई थी। मैं मुस्कुराते हुए फटी हुई पेन्टी उठाई और आहिस्ते से उनका लंड साफ करने लग गई। लंड पर हाथ पड़ते ही भैया आँखें खोल दिए और मुस्कुराने लगे। जवाब में मैं भी शर्मिली हँसी हँसते हुए बोली,"अब उठो भी भैया! जल्दी घर चलो वर्ना ज्यादा देर हुई तो भाभी मुफ्त में डांटेगी।" सीता --एक गाँव की लड़की--9 भाभी मुझे रोते देख अपने सीने से चिपकाती हुई बोली,"सीता, मेरी जगह तुम क्यों रो रही हो। रोना तो मुझे चाहिए था कि मेरे पति बाहर भी मुँह मारते फिरते हैं। चलो चुप हो जाओ।" अगली सुबह मेरी नींद देर से खुली। अंग-अंग टूट रही थी। कल वाली चुदाई की खुमारी अब जा के दूर हुई थी। तभी नजर मेरी नंगी शरीर पर पड़ी पतली सी सफेद चादर पर गई। ओह गॉड! पूरी रात मैं नंगी ही सो रही थी। फिर दिमाग पर जोर देते हुए रात का वाक्या याद करने लगी। रात में झड़ने के बाद तो नंगी ही सो गई थी फिर ये चादर किसने डाल दी। जरूर भाभी आई होगी जगाने। फिर मुझे नंगी ही गहरी नींद में सोती देख चादर डाल दी होगी। मेरे होंठ पर अनायास ही मुस्कान की तरंगेँ रेँगने लगी और मेरी आँखें चादर को देखने लगी। मैं कप ले चाय पीने लगी। तभी भाभी बोली,"ऐसे तो और भी सुंदर लग रही हो।" सीता --एक गाँव की लड़की--10 अचानक श्याम मेरे शरीर को झकझोर कर जगाते हुए बोले,"ऐ सीता, उतरना नहीं है क्या?" पता नहीं क्यों अब मैं भी ऐसी गंदी बातों को काफी मजे से सुन रही थी। नई नई शादी शुदा जोड़े खुली छत पर बेफिक्र हो सेक्स करने में मग्न थे। लड़की छत की रेलिँग के सहारे खड़ी पीछे की तरफ सिर की हुई थी और लड़का उसकी नंगी दोनों चुची पकड़ तेज-2 धक्के लगाए जा रहा था। हे भगवान, कितनी बेशर्म हो दोनों चुदाई कर रहे हैं। अगल बगल की छत की तरफ देखी तो कई और भी लोग थे जो उसे मुँह खोले एकटक देखे जा रहे थे। मैं शर्म के मारे पूजा को पकड़ते हुए नीचे की भागी। पूजा हँसते हुए बोली,"अरे भाभी, कर वे दोनों रहे हैं और शर्म आपको लग रही है। ये तो उनका लगभग रोज का काम है।" मैं भी फ्रेश हो खाना खाई और आराम करने चली गई। दिन में करीब 2 बजे पूजा आई। आते ही बोली,"भाभी, जल्दी तैयार हो जाओ। बाहर घूमने कहीं चलते हैं।" मैं तो पूजा की बात सुनते ही शॉक हो गई। इतनी बेहूदा हरकतों को बस नॉर्मल कह रही थी। खैर मैं सिर हिलाती पूजा के साथ चल दी। 1 ग्राम सोने का मंगलसूत्र कितने का है?sone ka mangalsutra new design
यह मंगल सूत्र का वेट 3.75 ग्राम है। गोल्ड की प्राइस ₹14,992 है।
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सोने के मोती का क्या भाव है?
मंगलसूत्र कितने कैरेट का बनता है?22 कैरेट गोल्ड शार्ट मंगलसूत्र डिज़ाइन वजन के साथ
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