पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सामाजिक विचार क्या है वर्णन कीजिए? - pandit deenadayaal upaadhyaay ke saamaajik vichaar kya hai varnan keejie?

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पंडित दीनदयाल उपाध्याय  का जन्म 


➥जन्म 25 सितंबर 1916 को मथुरा जिले के नागला  चंद्रभान  गांव में  हुआ था ,


पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ के संस्थापक थे ,

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रमुख पुस्तकें /रचनाएँ 


प्रमुख पुस्तकें:-

दो योजनाएं
राजनीतिक डायरी
सम्राट चंद्रगुप्त
जगतगुरु शंकराचार्य
भारतीय अर्थ नीति का अवमूल्यन
एकात्म मानववाद

               पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की प्रमुख पत्रिकाएं 

राष्ट्रधर्म 
पंचजन्य 
स्वदेश


महत्वपूर्ण तथ्य:- 25 सितंबर 1916 उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गांव में इनका जन्म हुआ था, इनके माता-पिता धार्मिक प्रवृत्ति के थे, राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भूमिका रही।

       छात्र जीवन से ही RSS  के सक्रिय कार्यकर्ता बन गए बाद में प्रचारक बनने के बाद संपूर्ण भारत में भ्रमण कर भारत की राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक व आर्थिक स्थिति के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए।


 पंडित दीनदयाल उपाध्याय के प्रमुख विचार

1. हिंदू वाद की अवधारणा
2. समानता की अवधारणा
3. एकात्म मानववाद
4. राष्ट्रवाद के पक्षधर
5. सनातन धर्म संस्कृति के पक्षधर
6. राजनीतिक नैतिकता के पक्षधर

            पंडित दीनदयाल उपाध्यायने हिंदू वाद की नवीन अवधारणा को प्रस्तुत किया, उनका मानना था कि हिंदुत्व एक जीवन पद्धति का नाम है, किसी विशेष पूजा पद्धति को अपनाने वाला हिंदू होता है ऐसा नहीं है ,हर व्यक्ति जो भारत को अपनी जन्मभूमि मानता है इसके प्रति आदर सम्मान व प्रतिबद्धता रखता है वह हिंदू है ,अतः हिंदुत्व को किसी धर्म विशेष व देवी देवता के साथ नहीं जोड़ा जा सकता।

                उपाध्याय जी ने भारतीय समाज में व्याप्त जातिगत असमानता का भी विरोध किया उन्होंने दलित व पिछड़े वर्गों को मंदिर में पुजारी पद के प्रशिक्षण का पक्ष लिया ,उनका मानना था कि उस परमेश्वर को प्राप्त करने का सभी को समान अधिकार है, किसी को भी उसके अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।


               पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने अपनी पुस्तक "एकात्म मानववाद"में मानववाद के संबंधित अपनी अवधारणा को प्रस्तुत किया।
 उपाध्याय जी के दर्शन पर शंकराचार्य जी के दर्शन का प्रभाव था अतः वे वेदांत दर्शन के समान संपूर्ण मानव जाति में एक आत्मा की बात करते थे, और किसी भी प्रकार के भेदभाव को नहीं मानते थे।

                उपाध्याय जी राष्ट्रवाद के प्रबल समर्थक थे और उनका मानना था कि प्रत्येक मनुष्य को अपने राष्ट्र के प्रति जो कर्तव्य  होते हैं उनकी पूर्ति अवश्य करना चाहिए ,और जो व्यक्ति राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं करते उन्हें अधिकार मांगने का हक नहीं मिलना चाहिए।

               उपाध्याय जी सनातन हिंदू धर्म संस्कृति को श्रेष्ठ मानते थे ,उनका मानना था कि हिंदू समाज प्राचीन काल में विश्व गुरु था और संपूर्ण विश्व का पथ दर्शक था, जिसका प्रमुख कारण हमारी सनातन वैज्ञानिक संस्कृति के मूल्य थे , जिन्हें अंग्रेजों के प्रभाव और पश्चिमीकरण के कारण भारतीय समाज के लोगों ने त्याग दिया ,इसके परिणाम स्वरूप भारतीय समाज पिछड़ता  ही चला गया ,

 उपाध्याय जी उन प्राचीन परंपराओं व प्रक्रियाओं को वर्तमान समाज की आवश्यकता के अनुसार स्थापित करना चाहते थे ,जिसके लिए उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस )के माध्यम से प्रयास भी किया।


पंडित दीनदयाल उपाध्याय के राजनैतिक विचार 


           उपाध्याय जी राजनीतिक नैतिकता के प्रबल समर्थक थे ,उनका मानना था कि राजनेता समाज के लिए मार्गदर्शक ,आदर्श की भूमिका निभाते हैं ,अतः  नेताओं को उच्च नैतिक मूल्यों से परिपूर्ण होना चाहिए ताकि समाज में भी नैतिकता का संचार हो सके।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद (Integral Humanism)*


         एकात्म मानववाद एक ऐसी विचारधारा है जिसके केंद्र में व्यक्ति, व्यक्ति से  जुड़ा हुआ परिवार, परिवार से जुड़ा हुआ  समाज, राष्ट्र, विश्व और फिर अनंत ब्रह्मांड समाविष्ट हैं।

            इस एकात्म अखंड आकृति में प्रत्येक कारक व्यक्ति - परिवार- समाज- राष्ट्र - विश्व - ब्रह्मांड का क्रमिक विकास होता है ,सभी एक दूसरे से जुड़कर अपना अस्तित्व कायम रखते हैं, वह एक दूसरे के पूरक व स्वाभाविक सहयोगी हैं ,इन में परस्पर कोई संघर्ष नहीं है, जब व्यक्ति अपने शारीरिक अंगों की भांति राष्ट्र से समाज से परिवार से व्यक्ति से और स्वयं से एकात्म  में स्थापित कर लेता है ,तब यही उपाध्याय जी के अनुसार एकात्म मानववाद है।


           पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय सम्बन्धी विचार 

 अंत्योदय उपाध्याय जी का आर्थिक विचार हैं ,

अंत्योदय का सरल अर्थ है समाज के अंतिम व्यक्ति का उदय, अंत्योदय के विचार को साकारित करने के लिए उपाध्याय जी ने आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना पर बल दिया जिसमें आर्थिक विकास के साथ समाज के अंतिम व्यक्ति का कल्याण हो।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के जन्म 25 सितंबर को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय अंत्योदय दिवस के रूप में मनाया जाता है

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पंडित दीनदयाल उपाध्याय का कोड क्या है?

पं॰ दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन रेलवे स्टेशन.

पंडित दीनदयाल उपाध्याय का सामाजिक विचार क्या है वर्णन कीजिये?

उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी। वे एक समावेशित विचारधारा के समर्थक थे जो एक मजबूत और सशक्त भारत चाहते थे। राजनीति के अतिरिक्त साहित्य में भी उनकी गहरी अभिरुचि थी।

दीनदयाल उपाध्याय का पहला नाम क्या था?

दीनदयाल उपाध्याय का पारिवारिक नाम ''दीना'' था। बचपन में सभी उन्हे स्नेह से ''दीना'' कहकर ही पुकारते थे। दीना के जन्म के लगभग दो वर्ष बाद उनकी माता रामप्यारी ने एक और पुत्र को जन्म दिया। इस बालक का नाम ''शिवदयाल'' रखा गया तथा पारिवारिक नाम ''शिव'' दिया गया।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद क्या है?

एकात्म मानववाद एक ऐसी धारणा है जो सर्पिलाकार मण्डलाकृति द्वारा स्पष्ट की जा सकती है जिसके केंद्र में व्यक्ति, व्यक्ति से जुड़ा हुआ एक घेरा परिवार, परिवार से जुड़ा हुआ एक घेरा -समाज, जाति, फिर राष्ट्र, विश्व और फिर अनंत ब्रम्हांड को अपने में समाविष्ट किये है।