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रात में कितनी बार शिशु की श्वसन क्रिया की जांच करनी चाहिए?आप आश्वस्त होने के लिए जितनी बार चाहें उतनी बार शिशु की जांच कर सकती है। यदि आप पहली बार माँ-बाप बने हैं, तो शायद आप खुद को रात में ज्यादा बार शिशु की श्वसन क्रिया की जांच करता हुआ पाएं। खुद चैन की नींद न सो पाना और शिशु की भी बार-बार जांच करने से आप सभी को परेशानी व थकान महसूस होगी, मगर यह एक सामान्य बात है। आप आश्वस्त रहें सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (सिड्स) यानि कॉट डेथ बहुत दुर्लभ है। नवीनतम शोध दर्शाती है कि शिशु को अपने साथ सुलाने से सिड्स का खतरा बढ़ता है। मगर, केवल यही एक कारण नहीं है और भारत में अधिकांश परिवार बच्चों को अपने साथ ही सुलाते हैं, फिर भी भारत में सिड्स के मामले विश्व के अन्य देशों की तुलना में काफी कम होते हैं। सामान्यत: एक महीने से कम उम्र के शिशुओं में कॉट डेट होना काफी असामान्य है। ऐसा सबसे ज्यादा दूसरे महीने में होता है और 90 प्रतिशत कॉट डेथ छह माह के कम उम्र के शिशुओं में होती है। शिशु के बड़ा होने के साथ-साथ यह खतरा कम होता जाता है-एक साल की उम्र के बाद बहुत कम कॉट डेथ होती हैं। सुनिश्चित करें कि जिस कमरे में आप सोती हैं, वहीं शिशु को कॉट में पीठ के बल सुलाएं। शुरुआती छह महीनों में शिशु के सोने के लिए यह सबसे सुरक्षित जगह है। बहरहाल, यदि अन्य माँओं की तरह आपको भी लगता है कि शिशु को साथ में सुलाने से रात को स्तनपान करवाना आसान रहता है, तो आपको कुछ बातों को ध्यान रखना होगा। शिशु को साथ में सुलाने से जुड़े सुरक्षात्मक कदमों के बारे में यहां पढ़ें। एक ही रात में आपके शिशु की नींद गहरी व शांत, क्रियाशील व शोर-गुल वाली और यहां तक कि घुरघुराहट या नाक से आवाज आने वाली हो सकती है। अनुभव के साथ-साथ आपकी चिंता भी कम होने लगेगी और धीरे-धीरे शिशु के बड़ा होने के साथ-साथ आपको रात में उसकी सांस जांचने की जरुरत भी कम लगेगी। हालांकि, कुछ माता-पिता ब्रीदिंग मॉनिटर का इस्तेमाल करते हैं, मगर इस बात के कोई प्रमाण नहीं है कि ये सिड्स का खतरा कम करते हैं। और ये मॉनीटर कई बार गलत चेतावनी भी देते हैं, जो आपको चिंतामुक्त होने की बजाय आपकी चिंता और बढ़ा देते हैं। रात में शिशु के सांस लेने की सामान्य क्रिया क्या रहती है?आपका नवजात शिशु क्रमवार तरीके से सांस लेता है, उसकी सांसे बढ़ते-बढ़ते तेज और गहरी होने लगती हैं और फिर धीमी और हल्की होने लगती हैं। इसे सामयिक श्वसन क्रिया (पीरियोडिक ब्रीदिंग) कहा जाता है। शिशु अपनी सांस पांच सैकंड या इससे ज्यादा भी रोक सकता है और फिर दोबारा गहरी सांसे लेने लगता है। यह सामान्य है और जीवन के शुरुआती कुछ महीनों में उसकी श्वसन क्रिया और अधिक विकसित हो जाएगी और कभी-कभार वह गहरी सांस या आह भर सकता है। यदि आप सुनिश्चित करना चाहती हैं कि शिशु सामान्य तरीके से सांस ले रहा है, तो इसके तीन तरीके हैं:
क्या शिशु के सांस लेते समय आवाज आना चिंता का कारण है?कभी कभार नाक से आवाज या खर्राटे लेना या घरघराहट की आवाज आना पूरी तरह सामान्य है और आमतौर पर कोई चिंता की बात नहीं होती। जब छह से आठ सप्ताह के बीच शिशु की पहली डॉक्टरी जांच होती है, तो शिशु के डॉक्टर उसके दिल और छाती की आवाजों की जांच करेंगे। यदि आप इस समय तक भी शिशु की श्वसन क्रिया को लेकर चिंतित हों तो डॉक्टर से बात कर सकते हैं। वे शिशु की श्वसन क्रिया को देखकर आपको आवश्वस्त कर सकेंगे। यदि किसी चिकित्सकीय उपचार की आवश्यकता हुई तो वे इस बारे में भी आपको बता देंगे। बहरहाल, निम्न स्थितियों में आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:
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ReferencesBall HL, Moya E, Fairley L et al (2011) Infant care practices related to sudden infant death syndrome in South Asian and White British families in the UK. Paediatric and Perinatal Epidemiology. DOI: 10.1111/j.1365-3016.2011.01217.x Carpenter R, McGarvey C, Mitchell EA, et al. 2013 Bed sharing when parents do not smoke: is there a risk of SIDS? An individual level analysis of five major case-control studies. BMJ Open Online first: 20 May P. Kumar et al. 1995. 'Which sleeping position is best for infants'. Indian Journal of Pediatrics. Vol. 62 (2) S. Banerjee. 1996. 'Sudden Infant Death Syndrome'. Indian Journal of Otolaryngology and Head and Neck Surgery. Vol. 48 (3) WHO. 2007. Profile on Smoke-free environments in the South-East Asia region Neha translates BabyCenter India's English content into Hindi to make it available to a wider audience. नवजात बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो तो क्या करें?सांस लेने में कठिनाई
आपको अपने बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए अगर आपको दिखता है कि वह: लगातार बहुत तेज़ सांस ले रहा है, जैसे दो महीने से कम उम्र का होने पर 60 सांसें प्रति मिनट या 2-3 महीने का होने पर 50 पचास से ज्यादा सांसें प्रति मिनट ले रहा है। ऐसा लगता है कि सांस लेने का प्रयास करता है और चूसने में असमर्थ है
कैसे बताएं कि शिशु ठीक से सांस ले रहा है या नहीं?सुनें: अपना कान शिशु के मुंह और नाक के पास लगाएं और उसके सांस की आवाज सुनें। देखें: झुक कर अपनी आंखों को शिशु की छाती के स्तर पर ले आएं और सांसों की ऊपर-नीचे होने की हलचल को देखें। महसूस करें: अपने गाल को शिशु के मुंह और नाक के साथ लगाए और उसकी छोटी सांसों को अपनी त्वचा पर महसूस करें।
नवजात शिशु जल्दी जल्दी सांस क्यों लेते हैं?सांस तेज होने व छाती में दर्द के साथ खांसी आ रही है तो सचेत हो जाएं क्योंकि उसे न्यूमोनिया हो सकता है।
बच्चे को सांस लेने में दिक्कत क्यों होती है?किसी भी तरह के इन्फेक्शन (Infection) की वजह से बच्चों को सांस में तकलीफ होने लगती है. 2 साल से कम उम्र के बच्चों में हल्की सर्दी भी कई बार गंभीर समस्या बन जाती है. सर्दी के वजह से बच्चे की नाक बहने लगती है, गले में कफ, खांसी और बुखार भी आ सकता है.
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