Haryana State Board HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 3 नादान दोस्त Textbook Exercise Questions and Answers. कहानी से नादान दोस्त पाठ
के प्रश्न उत्तर HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant प्रश्न 1. पाठ 3 नादान दोस्त प्रश्न उत्तर HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant प्रश्न 2. पाठ 3 नादान दोस्त के प्रश्न उत्तर HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant प्रश्न 3. नादान दोस्त के प्रश्न उत्तर HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant प्रश्न 4. नादान दोस्त शब्दार्थ HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant प्रश्न 5. नादान दोस्त के शब्दार्थ HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant प्रश्न 6. नादान दोस्त पाठ के शब्दार्थ HBSE 6th Class Hindi Solutions Vasant प्रश्न 7. प्रश्न 8. कहानी से आगे प्रश्न 1.
प्रश्न 2. प्रश्न 3. HBSE 6th Class Hindi नादान दोस्त Important Questions and Answersप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. नादान दोस्त गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या 1. केशव के घर कार्निस के ऊपर एक चिड़िया ने अंडे दिए थे। केशव और उसकी बहन श्यामा दोनों बड़े ध्यान से चिड़िया को वहाँ आते-जाते देखा करते। सवेरे दोनों आँखें मलते कार्निस के सामने पहुँच जाते और चिड़ा और चिड़िया दोनों को वहाँ बैठा पाते। उनको देखने में दोनों बच्चों को न मालूम क्या मजा मिलता, दूध और जलेबी की सुध भी, न रहती थी। दोनों के दिल में तरह-तरह के सवाल उठते। अंडे कितने बड़े होंगे? किस रंग के होंगे? कितने होंगे? क्या खाते होंगे? प्रसंग
: व्याख्या : यहाँ तक कि उन्हें दूध और जलेबी खाने की याद तक नहीं रहती थी। उनको देखकर उनके मन में तरह-तरह के प्रश्न उठते थे। वे अंडों के आकार, रंग तथा संख्या के बारे में सोचते रहते। उन्हें उनके खाने की चिंता भी सताती थी। इस प्रकार वे दोनों बच्चे चिड़िया और उसके बच्चों के साथ गहरे रूप से जुड़ गए थे। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए 1. केशव के घर पर क्या घटना घटी थी? 2. बच्चे सवेरे कहाँ पहुँच जाते थे? 3. चिड़ा-चिड़िया को देखने में बच्चों को क्या मिलता था? 4. केशव की बहन का नाम क्या था? 2. इस तरह तीन-चार दिन गुजर गए। दोनों बच्चों की जिज्ञासा दिन-दिन बढ़ती जाती थी। अंडों को देखने के लिए वे अधीर हो उठते थे। उन्होंने अनुमान लगाया कि अब जरूर बच्चे निकल आए होंगे। बच्चों के चारे का सवाल अब उनके सामने आ खड़ा हुआ। चिड़िया बेचारी इतना दाना कहाँ पाएगी कि सारे बच्चों का पेट भरे। गरीब बच्चे भूख के मारे चूं-धूं करके मर जाएंगे। प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रेमचंद की कहानी ‘नादान दोस्त’ से ली गई हैं। केशव और श्याम चिड़िया के अंडों के विकास के बारे में जानना चाहते थे। व्याख्या : अब वे उन बच्चों के खाने के बारे में सोचने लगे। उन्हें लगा कि चिड़िया के लिए बच्चों का पेट भरने लायक दाना जुटाना अत्यंत कठिन होता होगा। यदि बच्चों का पेट नहीं भरा तो वे बच्चे चूँ-यूँ करके मर जाएंगे। इस चिंता ने बच्चों को परेशान कर दिया। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए 1.
कितने दिन गुजर गए? 2. बच्चे किसलिए अधीर हो उठते थे? 3. चिड़िया को दाना किसलिए चाहिए था? नादान दोस्त Summary in Hindiनादान दोस्त पाठ का सार 1. यह प्रेमचंद द्वारा रचित एक मार्मिक कहानी है। केशव और उसकी बहन श्यामा दोनों बच्चे थे। उनके घर के कानिंस पर एक चिड़िया ने अंडे दिए थे। वे दोनों बालक चिड़िया को वहाँ आते-जाते बड़े ध्यान से देखते थे। दोनों के मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे थे। वे अंडों के बारे में सोचा करते थे। इस तरह तीन-चार दिन बीत गए। वे चिड़िया के बच्चों की भूख की कल्पना करके घबरा उठे। उन्होंने कार्निस पर थोड़ा-सा दाना रखने का फैसला किया। उन्होंने घोंसले के ऊपर कपड़े की छत बनाने तथा पानी की प्याली और थोड़े से चावल रखने की भी योजना बनाई। बच्चे अपनी माँ की आँख बचाकर अपने काम में लग गए। उन्होंने तेल से पत्थर की प्याली को साफ किया। छाया करने के लिए कूड़ा फेंकने वाली टोकरी लाई गई। सुराख को बंद करने के लिए उसमें कागज तूंस दिया गया। श्यामा अपने भैया की चालाकी पर खुश हो गई। 2. गर्मी के दिन थे। माँ दोनों बच्चों को कमरे में सुलाकर खुद भी सो गई। बच्चे सोए ही नहीं थे, वे तो मौके की तलाश में थे। माँ को सोता देखकर वे दरवाजे की सिटकनी खोलकर बाहर निकल गए और अंडों की हिफाजत की तैयारी करने लगे। केशव कमरे से स्टूल उठा लाया। श्यामा स्टूल को पकड़े रही। केशव ने जैसे ही कार्निस पर हाथ रखा, चिड़िया उड़ गई। केशव ने देखा कि कार्निस पर तिनके बिछे हुए हैं और उन पर तीन अंडे पड़े हैं। श्यामा ने उन्हें देखना चाहा तो केशव बोला- “पहले चिथड़े ले आ. नीचे बिछा दूं। बेचारे अंडे तिनकों पर पड़े हैं”। श्यामा दौड़कर पुरानी धोती फाड़कर एक टुकड़ा ले आई। केशव ने उसकी गद्दी बनाई और उसे बिछाकर तीनों अंडे उस पर रख दिए। फिर उसने टोकरी लगाकर उन पर छाया कर दी। इसके बाद उसने श्यामा से दाना-पानी की प्याली लाने को कहा। फिर केशव नीचे उतर आया। अब श्यामा स्टूल पर चढ़कर अंडों को देखना चाहती थी, पर केशव ने गिर पड़ने का डर दिखाकर उसे रोक दिया। श्यामा ने रोते हुए कहा कि मैं सारी बात अम्मा से कह दूँगी। तभी कोठरी का दरवाजा खुला और माँ ने आते ही पूछा- “तुम दोनों बाहर कब निकल आए? किसने किवाड़ खोला?” दोनों चुप रहे। माँ ने उन्हें डाँट-डपटकर फिर कमरे में बंद कर दिया। अब दोनों बच्चों को नींद आ गई थी। 3. चार बजे श्यामा की नींद खुली। किवाड़ खुले हुए थे। वह कार्निस की ओर गई और ऊपर की ओर ताकने लगी। टोकरी का कहीं पता न था। अंडे नीचे पड़े हुए थे। केशव ने भी यह सब देखा। अंडे टूट गए थे और उनसे कोई चूने की सी चीज बाहर निकल रही थी। उसके चेहरे का रंग उड़ गया। श्यामा के पूछने पर केशव ने बताया कि अंडे तो फूट गए, अब बच्चे नहीं बनेंगे। तभी माँ हाथ में सोटी लिए आई और पूछा-“तुम दोनों धूप में क्या कर रहे हो?” श्यामा ने अंडों के टूटने की बात बताई। माँ गुस्से में बोली- “तुम लोगों ने अंडों को छुआ होगा।” दोनों बच्चे एक-दूसरे को दोषी ठहराने लगे। केशव भीगी बिल्ली बना खड़ा रहा। माँ ने उसे खूब डाँटा- “तू इतना बड़ा हुआ। तुझे अभी इतना भी नहीं मालूम कि छूने से चिड़ियों के अंडे गंदे हो जाते हैं। चिड़िया फिर उन्हें नहीं सेती।” केशव के सिर जब पाप पड़ने की बात कही गई तब वह रोनी सूरत बनाकर बोला”मैंने तो सिर्फ अंडों को गद्दी पर रख दिया था।” उसकी बात सुनकर माँ को हँसी आ गई। केशव को कई दिनों तक अपनी गलती पर अफसोस होता रहा। दोनों चिड़ियाँ वहाँ फिर दिखाई न दीं। नादान दोस्त शब्दार्थ कार्निस = दीवार की कैंगनी (Carnis)! तसल्ली = सांत्वना, दिलासा, ढाढ़स (Consolation)। फुर = छोटी चिड़ियों के उड़ने में होने वाली परों की आवाज (Sound)। पेचीदा = उलझन वाला, कठिन, टेढ़ा (Difficult)। अधीर = उतावला, आकुल (Eager)। सुराख = छेद (Hole)। हिकमत = युक्ति, उपाय (Way)। हिफाजत = रक्षा (Defense, Safety)। चिथड़े = फटा-पुराना कपड़ा. गूदड़ (Torn clothes)। आहिस्ता = धीरे-धीरे, धीमी आवाज से (Slowly)। यकायक = एकाएक (Suddenly)। जिज्ञासा = जानने की इच्छा (Curiosity)। प्रस्ताव = सुझाव (Proposal)। गद्दी = नरम कपड़ा (Pad)। फैसला = निर्णय (Decision)। ताकना = देखना (To see)। कहानी पर चिड़िया ने कितने अंडे दिए थे?केशव के घर कार्निस के ऊपर एक चिड़िया ने अंडे दिए थे । केशव और उसकी बहन श्यामा दोनों बड़े ध्यान से चिड़िया को वहाँ आते-जाते देखा करते । सवेरे दोनों आँखें मलते कार्निस के सामने पहुँच जाते और चिड़ा और चिड़िया दोनों को वहाँ बैठा पाते। उनको देखने में दोनों बच्चों को न मालूम क्या मज़ा मिलता, दूध और जलेबी की सुध भी न रहती थी।
चिडिया ने अंडे कहाँ दिए थे?चिड़िया ने अंडे कहाँ दिए थे? Answer: चिड़िया ने अंडे केशव के घर कार्निस के ऊपर दिए थे।
चिड़िया ने अंडे कहाँ दिए थे * 2 points?Solution : चिड़िया ने केशव के घर के कार्निस पर अण्डे दिए थे।
अंडों की संख्या कितनी थी?जन्म के समय, एक लड़की लगभग 700.000 से 2 मिलियन अंडे (oocytes) के साथ पैदा होती है। अपने जीवन के हर एक महीने में जब तक वह यौन (puberty) तक नहीं पहुँचती, तब तक वह लगभग 11,000 अंडे खो देती है। जब तक वह अपनी किशोरावस्था में होती है, तब तक उसके पास 300,000-400,000 अंडे होते हैं, जिनमें से 500 से कम ओव्युलेट होते हैं।
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