प्रश्न संख्यां : 1. निम्नलिखित को पृथक करने के लिए आप किन विधियों को अपनाएंगे ? Show (a) सोडियम क्लोराइड को जल के विलयन से पृथक करने में उत्तर :वाष्पीकरण ( Evaporation ) ब्याख्या:सोडियम क्लोराइड, जिसका सामान्य नाम साधारण नमक है, तथा एक ठोस है। सोडियम क्लोराइड को जल में घोलने पर एक ठोस-तरल विलयन बनता है। जब इस सोडियम क्लोराइड के जल के विलयन को गर्म किया जाता है, तो जल वाष्पीकृत होकर उड़ जाता है तथा सोडियम क्लोराइड बच जाता है। यह प्रक्रिया वाष्पीकरण कहलाती है। अत: वाष्पीकरण की प्रक्रिया द्वारा सोडियम क्लोराइड को जल के विलयन से पृथक किया जाता है। (b) अमोनियम क्लोराइड को सोडियम क्लोराइड तथा अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण को पृथक करने में Answer :उर्ध्वपातन ( Sublimation ) ब्याख्या : कुछ ठोस पदार्थ गर्म किये जाने पर द्रव में परिवर्तित हुए बिना ही गैस में बदल जाते हैं तथा ठंढ़ा किये जाने पर बिना द्रव में परिवर्तन हुए ही गैस से ठोस में परिवर्तित हो जाते हैं। इस प्रक्रिया को उर्ध्वपातन तथा ऐसे ठोस पदार्थों को उर्ध्वपात कहा जाता है। अमोनियम क्लोराइड एक उर्ध्वपात है। अत: जब अमोनियम क्लोराइड तथा सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक) के मिश्रण को गर्म किया जाता है तो अमोनियम क्लोराइड उर्ध्वपातित होकर सोडियम क्लोराइड से अलग हो जाता है। अत: उर्ध्वपातन की विधि द्वारा अमोनियम क्लोराइड तथा सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक) तथा के मिश्रण से अमोनियम क्लोराइड को अलग किया जा सकता है। (c) धातु के छोटे टुकड़ों को कार के इंजन ऑयल से पृथक करने में। उत्तर : छानन [ निस्यंदन (Filtration) ] ब्याख्या : धातु के छोटे टुकड़े कार के इंजन में नहीं घुलते हैं। अत: उन्हें छानन (Filtration) विधि द्वारा अलग किया जा सकता है। (d) दही से मक्खन निकालने के लिए। उत्तर :अपकेन्द्रीकरण (Centrifugation) ब्याख्या: मक्खन जो कि वसा है तथा ठोस है, दही में कोलाइड के रूप में परिक्षिप्त प्रावस्था में रहता है। ये कण इतने छोटे होते हैं कि छानन विधि द्वारा इन्हें अलग नहीं किया जा सकता। अत: दही से मक्खन को पृथक करने के लिए विशेष तकनीक अपकेन्द्रीकरण (Centrifugation) का उपयोग किया जाता है। अपकेन्द्रीकरण की विधि में दही को एक बर्तन में रखकर तेजी से घुमाया जाता है। दही में उपस्थित वसा के कण जो महीन तथा भारी होते हैं, केन्द्राभिसारी बल (Centripetal force) के कारण केन्द्र की ओर जाकर तल में जमा होने लगता है, तथा दही के अन्य अवयव हल्के होने के कारण उपर तैरने लगता है, जिसे अलग कर लिया जाता है। इस तरह अपकेन्द्रीकरण की विधि द्वारा दही से मक्खन को अलग कर लिया जाता है, इसी विधि द्वारा दूध से भी क्रीम अथवा मक्खन को अलग किया जाता है। (e) जल से तेल निकालने के लिये। उत्तर :निस्तारण या निथारना (Decantation) ब्याख्या : तेल का घनत्व जल से कम है, जिसके कारण तेल जल से हल्का होता है। हल्का होने के कारण जल तथा तेल के मिश्रण में जल ऊपर तैरता है तथा जल निचले परत पर रहता है। चूँकि जल और तेल की परतें अलग अलग होती हैं, अत: सीधा बर्तन, जिसमें तेल तथा जल का मिश्रण रखा गया हो से निस्तारण की प्रक्रिया द्वारा तेल के ऊपरी परत को दूसरे बर्तन में निकाल कर मिश्रण को पृथक किया जा सकता है, या पृथक्करण कीप की सहायता से जल के निचले परत को निस्तारित कर मिश्रण को पृथक किया जा सकता है। निस्तारण का सिद्धांत दो अघुलनशील द्रव के घनत्व में अंतर होने के कारण मिश्रण में अलग अलग परतों के निर्माण पर कार्य करता है। (f) चाय से चाय की पत्तियों को पृथक करने में। उत्तर : निस्यंदन या छानन या फिल्टरेशन (Filtration) ब्याख्या :चाय की पत्तियाँ चाय (चाय का जल में जूस) में घुलनशील नहीं होते हैं। चाय की पत्तियाँ या तो चाय में तैरती रहती हैं, या तो तल में बैठ जाती हैं । चूँकि चाय की पत्तियाँ चाय में घुलती नहीं है, अत: उन्हें फिल्टेरशन की विधि द्वारा छान कर पृथक किया जाता है। (g) बालू से लोहे की पिनों को पृथक करने में उत्तर : हाथ से चुनकर या मैग्नेटिक पृथक्करण ब्याख्या : यदि लोहे के पिनों की संख्यां कम हो तो हाथ से चुनकर बालू से लोहे के पिनों को अलग किया जा सकता है। परंतु यदि पिनों की संख्यां अधिक हो तो उन्हें हाथ से चुनकर अलग करना असंभव हो जाता है। इस स्थिति में चुम्बकीय पृथक्करण विधि का उपयोग किया जाता है। चुम्बकीय पृथक्करण (Magnetic Separation)लोहा चुम्बकीय धातु होता है, अर्थात लोहा चुम्बक की ओर आकर्षित होता है। अत: बालू से लोहे के पिनों को चुम्बकीय पृथक्करण विधि द्वारा अलग (पृथक) किया जा सकता है। चुम्बकीय पृथक्करण विधि में एक शक्तिशाली चुम्बक को मिश्रण में घुमाया जाता है, इससे चुम्बकीय धातु यथा लोहा, चुम्बक में सट जाता है, जिसे बाद में चुम्बक से खींचकर अलग कर लिया जाता है। कूड़े चुनने वाले छड़ी, जिसके नीचे एक शक्तिशाली चुम्बक लगा होता है, को लेकर फुटपाथ तथा सड़कों पर नीचे घसीटते हुए घूमते रहते हुए प्राय: देखा जा सकता है। इससे सड़कों तथा फुटपाथ पर पड़े कूड़े के ढ़ेर में फेके गये या पड़े हुए लोहे के टुकड़े छड़ी या डंडे के नीचले छोर पर लगे चुम्बक में सट जाते हैं, जिसे कूड़ा चुनने वाला अलग कर झोली में भरता जाता है। तथा बाद में उसे कबाड़ी के हाथों बेच देता है। यह मैग्नेटिक पृथक्करण का एक उदाहरण है। बड़े मलवे के ढ़ेर से बड़े बड़े चुम्बक को क्रेन में लगाकर चुम्बकीय पदार्थ, यथा लोहे के टुकड़ों को अलग किया जाता है। अयस्क से लोहे निष्कर्षण में भी मैग्नेटिक सेपरेशन (चुम्बकीय पृथक्करण) विधि का उपयोग किया जाता है। (h) भूसे से गेहूँ के दानों को पृथक करने में। उत्तर : ओसाई या अवसादन विधि द्वारा (By the method of winnowing or sedimentation) ब्याख्या : भूसे से गेहूँ को ओसाई करके या अवसादन विधि द्वारा पृथक किया जाता है। (a) ओसाई में गेंहू तथा भूसे के मिश्रण को कुछ ऊँचाई से नीचे गिराया जाता है। गेहूँ के दाने भारी होने के कारण नजदीक में गिर जाते हैं लेकिन भूसा के टुकड़े हल्के होने के कारण हवा से उड़कर दूर जा गिरते हैं। इस तरह ओसाई की विधि द्वारा भूसे से गेहूँ के दानों को अलग कर लिया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में गेहूँ से भूसे ओसाई को आज भी ओसाई द्वारा अलग किया जाता है। (b) अवसादन (Sedimentation): अवसादन की विधि में गेहूँ तथा भूसे के मिश्रण को पानी से भरे बड़े टब में डाला जाता है। गेहूँ के दाने भारी होने के कारण तल में बैठ जाते हैं तथा भूसे के टुकड़े हल्के होने के कारण जल में तैरने लगते हैं। जिसे अलग कर लिया जाता है। तथा गेहूँ को धूप में सुखा लिया जाता है। (i) पानी में तैरते हुए महीन मिट्टी के कण को पानी से अलग करने के लिए। उत्तर :अपकेन्द्रीकरण (Centrifugation)/वाष्पीकरण ब्याख्या :अपकेन्द्रीकरण पानी में मिट्टी के महीन कण निलंबित रहते हैं। ये कण काफी महीन होने के कारण तल में नहीं बैठते हैं। ये कण कोलाइड की तरह होते हैं। अत: फिल्टरेशन की विधि द्वारा इन्हें पृथक नहीं किया जा सकता है। अत: पानी में तैरते हुए महीन कणों को अपकेन्द्रीकरण की विधि द्वारा अलग किया जाता है।वाष्पीकरण :मिट्टी के कण ठोस होते हैं तथा जल एक तरल है। अत: वाष्पीकरण तथा आसवन विधि का उपयोग कर जल तथा उसमें तैरते हुए महीन कण को अलग किया जा सकता है। (j) पुष्प की पंखुड़ियों के निचोड़ से विभिन्न रंजकों को पृथक करने में। उत्तर :क्रोमैटोग्राफी (Chromatography) ब्याख्या : क्रोमैटोग्राफी एक ऐसी तकनीक है जिसका प्रयोग उन विलेय पदार्थों को पृथक करने में होता है जो एक ही प्रकार के विलायक में घुले हों। इस तकनीकि का नाम ग्रीक शब्द क्रोमा, जिसका अर्थ रंग होता है, के नाम पर पड़ा है, चूँकि इस विधि को सबसे पहले रंगों को पृथक करने में प्रयोग किया गया था, अत: इसका नाम क्रोमैटोग्राफी पड़ा। पुष्प की पंखुड़ियों के निचोड़ में जल विलेयक के रूप में तथा रंग (डाइ) विलेय के रूप में रहता है। इस निचोड़ के बूंद को फिल्टर पेपर पर डालकर जब उसके निचले सिरे को जल में डाला जाता है, तो जैसे ही जल फिल्टर पेपर पर ऊपर की दिशा की ओर अग्रसर होता है, यह डाई के कणों को भी अपने साथ ले लेता है। प्राय: पुष्प के पंखुड़ियों के रंजक अर्थात रंग दो या दो से अधिक रंगों का मिश्रण होता है। रंग वाला घटक जो कि जल में अधिक घुलनशील है, तेजी से ऊपर उठता है और इस प्रकार रंगों का पृथक्करण संभव हो जाता है। प्रश्न संख्यां : 2. चाय तैयार करने के लिए आप किन-किन चरणों का प्रयोग करेंगे। विलयन, विलायक, विलेय, घुलना, घुलनशील, अघुलनशील, घुलेय (फिल्ट्रेट) तथा अवशेष शब्दों का प्रयोग करें। उत्तर : सबसे पहले जल को विलायक के रूप में लिया जाता है। चाय पत्ती, चीनी तथा दूध उस विलायक में विलेय के रूप में डाला जाता है। इस तरह से तैयार विलयन को कुछ समय तक गर्म कर खौलाया जाता है। इस क्रम में चीनी तथा दूध घुल जाता है तथा विलयन तैयार होता है। उसके बाद उस विलयन को छननी से छान लिया जाता है। छानने से अघुलनशील चाय की पत्तियाँ अवशेष के रूप में छन्ना पर बच जाता है। इसमें प्राप्त घुलेय (फिल्ट्रेट) चाय के रूप में प्राप्त होता है। प्रश्न संख्यां : 3. प्रज्ञा ने तीन अलग-अलग पदार्थों की घुलनशीलताओं को विभिन्न तापमान पर जाँचा तथा नीचे दिए आँकड़ों को प्राप्त किया। प्राप्त हुए परिणामों को 100 g जल में विलेय पदार्थ की मात्रा, जो संतृप्त विलयन बनाने हेतु पर्याप्त है, निम्नलिखित तालिका में दर्शाया गया है।
(a) 50 g जल में 313 K पर पोटैशियम नाइट्रेट के संतृप्त विलयन को प्राप्त करने हेतु कितने ग्राम पोटैशियम नाइट्रेट की आवश्यक्ता होगी ? उत्तर : दिया गया है, 313 K तापमान पर 100 g जल में बना हुआ संतृप्त घोल में KNO3 की मात्रा = 62 g अत: 313 K तापमान पर 50 g जल में बने हुए संतृप्त घोल में KNO3 की मात्रा = `(62\ g)/2 =31\ g` अत: उत्तर = 31 g (b) प्रज्ञा 353 K पर पोटैशियम क्लोराइड का एक संतृप्त विलयन तैयार करती है और विलयन को कमरे के तापमान पर ठंढ़ा होने के लिए छोड़ देती है। जब विलयन ठंढ़ा होगा तो वह क्या अवलोकित करेगी? स्पष्ट करें। उत्तर :पोटैशियम क्लोराइड के संतृप्त विलयन के ठंढ़ा होने पर पोटैशियम क्लोराइड का रवा (क्रिस्टल) प्राप्त होगा। ऐसा इसलिये होता है, कि पोटैशियम क्लोराइड का संतृप्त विलयन 353 K पर बनाया गया है, जो कमरे के तापमान से काफी अधिक है। घुलनशीलता तापमान के बढ़ने के साथ बढ़ता है, अर्थात तापमान बढ़ने के साथ किसी विलेयक की विलेय घुलाने की क्षमता बढ़ती है तथा तापमान घटने पर घुलनशीलता कम होती है। अत: जब विलयन कमरे के तापमान पर ठंढ़ा होता है, तो घुलनशीलता कम हो जाने के कारण उसमें घुला हुआ पोटैशियम क्लोराइड का क्रिस्टलीकरण हो जाता है। अत: जब विलयन ठंढ़ा हो जाता है, तो प्रज्ञा अवलोकित करती है कि पोटैशियम क्लोराइड क्रिस्टल के रूप में प्राप्त हुआ है। (c) 293 K पर प्रत्येक लवण की घुलनशीलता का परिकलन करें। इस तापमान पर कौन सा लवण सबसे अधिक घुलनशील होगा? Answer : टेबल के अनुसार 293 K तापमान पर प्रत्येक लवण की घुलनशीलता निम्नांकित है: पोटैशियम नाइट्रेट (Potassium nitrate) : 32 g सोडियम क्लोराइड (Sodium chloride) : 36 g पोटैशियम क्लोराइड (Potassium chloride) : 35 g अमोनियम क्लोराइड (Ammonium chloride) : 37 g स्पष्ट रूप से 293 K पर अमोनियम क्लोराइड की घुलनशीलता अधिकतम है, अत: अमोनियम क्लोराइड इस तापमान पर सबस अधिक घुलनशील होगा। (d) तापमान में परिवर्तन से लवण की घुलनशीलता पर क्या प्रभाव पड़ता है? Answer : लवण की घुलनशीलता तापमान के ब्युत्क्रमानुपाती होता है। अर्थात तापमान बढ़ने पर लवण की घुलनशीलता बढ़ती है तथा तापमान घटने पर लवण की घुलनशीलता कम होती है। प्रश्न संख्यां : 4. निम्न की उदारण सहित ब्याख्या करें : (a) संतृप्त विलयन Answer :विलयन जिसमें एक निश्चित तापमान पर और अधिक विलेय की मात्रा नहीं घुल सकती है, तो वैसा विलयन संतृप्त विलयन (SATURATED SOLUTION) कहलाता है। अर्थात यदि किसी विलयन में किसी विलेय के घुलनशीलता की क्षमता के अनुसार अधिकतम विलेय की मात्रा घुली हुई हो, तो वह विलयन संतृप्त विलयन कहलाता है। उदारण : यदि 30oC तापमान पर 200 g जल में चीनी की अधिकतम 50g मात्रा घुल सकती है, और 30oC तापमान पर 200 g जल में 50g चीनी घुली हुई है, तो इस विलयन संतृप्त विलयन कहा जायेगा। यदि इस विलयन में चीनी की और अधिक मात्रा मिलाने पर वह चीनी विलयन में नहीं घुलेगा तथा उसके तल में बैठ जायेगा। अर्थात एक निश्चित ताप पर एक संतृप्त विलयन में विलेय की और अधिक मात्रा नहीं घोली जा सकती है। (b) शुद्ध पदार्थ उत्तर : पदार्थ जिसके सभी कणों का रासायनिक गुण समान हो, शुद्ध पदार्थ कहलाते हैं। अर्थात किसी शुद्ध पदार्थ की छोटी से छोटी मात्रा या उसका एक भी कण लेने पर उसका रासायनिक गुण एक जैसा रहता है। सभी तत्व तथा यौगिक शुद्ध पदार्थ हैं या कहलाते हैं। उदाहरण के लिए : सोना, चाँदी, लोहा, ताम्बा, जल, सोडियम क्लोराइड, पोटैशियम क्लोराइड, इत्यादि। (c) कोलाइड उत्तर: कोलाइड एक विषमांगी मिश्रण है। लेकिन कोलाइड समांगी मिश्रण प्रतीत होता है। कोलाइड के कण अति सूक्ष्म होते हैं तथा इन्हें नंगी आँखों से नहीं देखा जा सकता है। परंतु कोलाइड के कण इतने बड़े होते हैं कि ये प्रकाश की किरण को फैला देते हैं जिससे प्रकाश का पथ दृष्टिगोचर होता है। कोलाइड को शांत छोड़ देने पर इसके कण तल में नहीं बैठते हैं, अत: कोलाइडल विलयन स्थाई होता है। कोलाइड के कणों को फिल्टरेशन की विधि द्वारा पृथक नहीं किया जा सकता है। परंतु कोलाइड के कणों को अपकेन्द्रीकरण की प्रक्रिया द्वारा मिश्रण से पृथक किया जा सकता है। उदाहरण के लिए : दूध, कुहासा, कोहरा, बादल, शेविंग क्रीम आदि कोलाइड के उदाहरण हैं। (d) निलंबन Answer : निलंबन एक विषमांगी मिश्रण है। निलंबन को शांत छोड़ देने पर इसके कण तल में बैठ जाते हैं तथा निलंबन टूट जाता है, अत: निलंबन अस्थाई होता है। निलंबन के कण कोलाइड से बड़े परंतु विलयन के कणों से छोटे होते हैं। निलंबन के कण उससे गुजरने वाली प्रकाश की किरण को फैला देते हैं जिससे प्रकाश का पथ दृष्टिगोचर होने लगता है। उदारण : आटे तथा जल का मिश्रण, तेल तथा पानी का मिश्रण, चॉक पाउडर तथा जल का मिश्रण, आदि निलंबन के उदाहरण हैं। प्रश्न संख्यां : 5. निम्नलिखित में से प्रत्येक को समांगी और विषमांगी मिश्रणों में वर्गीकृत करें: सोडा जल, लकड़ी, बर्फ, वायु, मिट्टी, सिरका, छनी हुई चाय उत्तर : सोडा जल, वायु, सिरका, तथा छनी हुई चाय समांगी मिश्रण हैं। लकड़ी, मिट्टी तथा बर्फ मिश्रण नहीं हैं। प्रश्न संख्यां : 6. आप किस प्रकार पुष्टि करेंगे कि दिया हुआ रंगहीन द्रव शुद्ध जल है ? उत्तर: किसी भी द्रव का क्वथनांक उसका गुणधर्म है। शुद्ध जल का क्वथनांक 100oC होता है। जल में अशुद्धियाँ होने पर उसका क्वथनांक बढ़ जाता है। अत: यदि दिया गया जल 100oC पर उबलने लगता है, तो यह शुद्ध जल है और यदि दिये गये रंगहीन जल 100oC से ज्यादा या कम तापमान पर उबलता है, तो यह शुद्ध जल नहीं है। अत: दिये गये रंगहीन द्रव के क्वथनांक का अवलोकन कर यह पुष्टि की जा सकती है कि दिया गया रंगहीन द्रव शुद्ध जल है अथवा नहीं। प्रश्न संख्यां : 7. निम्नलिखित में से कौन सी वस्तुएँ शुद्ध पदार्थ हैं? (a) बर्फ (b) दूध (c) लोहा (d) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (e) कैल्सियम ऑक्साइड (f) पारा (g) ईंट (h) लकड़ी (i) वायु उत्तर: शुद्ध पदार्थ: (a) बर्फ (b) लोहा (d) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (e) कैल्सियम ऑक्साइड (f) पारा प्रश्न संख्यां : 8. निम्नलिखित मिश्रणों में से विलयन की पहचान करें। (a) मिट्टी (b) समुद्री जल (c) वायु (d) कोयला (e) सोडा जल उत्तर : निम्नांकित विलयन हैं (b) समुद्री जल ब्याख्या: समुद्री जल, जल तथा कई लवणों का समांगी मिश्रण है। चूँकि यह समांगी मिश्रण है, अत: यह एक विलयन है। (c) वायु ब्याख्या: वायु कई गैसों, यथा ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड आदि का समांगी मिश्रण है। चूँकि वायु एक समांगी मिश्रण है, अत: यह एक विलयन है। (e) सोडा जल ब्याख्या: सोडा जल जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड का समांगी मिश्रण है। चूँकि यह एक समांगी मिश्रण है, अत: यह एक विलयन है। प्रश्न संख्यां: 9. निम्नलिखित में से कौन सा टिनडल प्रभाव को प्रदर्शित करेगा? (a) नमक का घोल (b) दूध (c) कॉपर सल्फेट का विलयन (d) स्टार्च विलयन उत्तर : दूध तथा स्टार्च विलयन चूँकि कोलाइड हैं, अत: ये टिनडल प्रभाव को प्रदर्शित करते हैं। प्रश्न संख्यां : 10. निम्नलिखित को तत्व, यौगिक तथा मिश्रण में वर्गीकृत करें: (a) सोडियम उत्तर: तत्व (b) मिट्टी उत्तर: मिश्रण (c) चीनी का घोल उत्तर: मिश्रण (d) चाँदी उत्तर : तत्व (e) कैल्सियम कार्बोनेट उत्तर : यौगिक (f) टिन उत्तर : तत्व (g) सिलिकन उत्तर : तत्व (h) कोयला उत्तर: तत्व ब्याख्या : चूँकि कोयला कार्बन का एक रूप है, अत: यह एक तत्व है। (i) वायु उत्तर : मिश्रण ब्याख्या : वायु कई गैसों, यथा ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, आदि, का मिश्रण है। (j) साबुन उत्तर: यौगिक (k) मिथेन उत्तर: यौगिक (l) कार्बन डाइऑक्साइड उत्तर: यौगिक (m) रक्त उत्तर: मिश्रण प्रश्न संख्यां : 11. निम्नलिखित में से कौन-कौन से परिवर्तन रासायनिक हैं ? (a) पौधों की बृद्धि उत्तर : रासायनिक परिवर्तन (b) लोहे में जंग लगना उत्तर : रासायनिक परिवर्तन (c) लोहे के चूर्ण तथा बालू को मिलाना उत्तर : भौतिक परिवर्तन (d) खाना पकाना उत्तर : रासायनिक परिवर्तन (e) भोजन का पाचन उत्तर: रासायनिक परिवर्तन (f) जल से बर्फ बनना उत्तर : भौतिक परिवर्तन (g) मोमबत्ती का जलना उत्तर : रासायनिक परिवर्तन नमक तथा अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण को कैसे पृथक कर सकते हैं?सही उत्तर उर्ध्वपातन है। सोडियम क्लोराइड (नमक) और अमोनियम क्लोराइड का मिश्रण उर्ध्वपातन द्वारा पृथक किया जा सकता है।
नमक और नौसादर के मिश्रण को कैसे अलग करेंगे?नौसादर (अमोनियम नीरेय) एक अकार्बनिक यौगिक है जिसका अणुसूत्र NH4Cl है।
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. अमोनियम क्लोराइड सोडियम क्लोराइड के मिश्रण से अमोनियम क्लोराइड को कैसे अलग कर सकते हैं?अत: जब अमोनियम क्लोराइड तथा सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक) के मिश्रण को गर्म किया जाता है तो अमोनियम क्लोराइड उर्ध्वपातित होकर सोडियम क्लोराइड से अलग हो जाता है। अत: उर्ध्वपातन की विधि द्वारा अमोनियम क्लोराइड तथा सोडियम क्लोराइड (साधारण नमक) तथा के मिश्रण से अमोनियम क्लोराइड को अलग किया जा सकता है।
अमोनियम क्लोराइड को गर्म करने पर क्या होता है?अमोनियम क्लोराइड को गर्म करने पर NH(3) व HCl गैसें बनती हैं ठण्डा करने पर पुनः अमोनियम क्लोराइड बनती हैं ।
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