लेखिका उर्दू और फारसी क्यों नहीं सीख पाई? - lekhika urdoo aur phaarasee kyon nahin seekh paee?

'मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।' इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि -
लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं? 


आज लड़कियों के जन्म के संबंध की स्थितिओ में काफी सुधार हुआ हैं। इसका कारण अपने अधिकारों को पाने के लिए नारी की जागरूकता हैं। आज शिक्षा के माध्यम से लोग सजग हो रहें हैं। लड़का-लड़की का भेदभाव धीरे-धीरे कम हो रहा हैं। आज लड़कियों को लड़कों की तरह पढ़ाया-लिखाया भी जाता है। परंतु लड़कियों के साथ भेदभाव पूरी-तरह समाप्त नहीं हुआ है। आज भी समाज में भ्रूण-हत्याएँ हो रही हैं, इसलिए सरकार कड़े कानून बना रहीं है। परंतु आज भी कुछ परिवारों में नारी की स्वतंत्रता पर प्रश्न चिन्ह है।

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लेखिका उर्दू-फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाई?


लेखिका की उर्दू-फ़ारसी में बिल्कुल रुचि न होने के कारण वह उससे सीख नही पायीं। इसलिए लेखिका को बचपन में उर्दू पढ़ाने के लिए जब मौलवी रखा गया और वह जब घर में आए तो लेखिका चारपाई के नीचे छिप गई।

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'मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।' इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि -
उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी?


उस समय की लड़कियों की दशा बहुत शोचनीय थी। उस समय का समाज पुरुष प्रधान था। पुरुषों को समाज में ऊँचा दर्जा प्राप्त था। उस समय लड़कियों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। पुरुषों के सामने नारी को अत्यंत हीन दृष्टि से देखा जाता था।प्रायः लड़कियों को जन्म देते ही मार दिया जाता था। उन्हें बोझ समझा जाता था। यदि उनका जन्म हो जाता था तो पूरे घर में मातम छा जाता था। उस समय समाज में बाल-विवाह, दहेज-प्रथा तथा सती-प्रथा जैसी कुरीतियाँ फ़ैली हुई थी। शिक्षा को पाने का अधिकार भी केवल लड़कों को ही था। कुछ उच्च वर्गों की लड़कियाँ ही शिक्षित थी परन्तु उसकी संख्या भी गिनी चुनी थी। ऐसी लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।

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लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?


लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है:
1. उन्हें हिंदी तथा संस्कृत का अच्छा ज्ञान था।
2. वे धार्मिक स्वभाव की महिला थीं।
3. वे पूजा-पाठ किया करती थीं तथा ईश्वर में आस्था रखती थीं।
4. लेखिका की माता अच्छे संस्कार वाली महिला थीं तथा वह लिखा भी करती थीं।

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जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसे क्यों कहा है? 


पहले हिंदु और मुस्लिम दो सम्प्रदायों में आज के जैसा भेदभाव नहीं था। हिंदु और मुस्लिम दोनों एक ही देश में प्रेम पूर्वक रहते थे। स्वतंत्रता के पश्चात् हिंदु और मुस्लिम संबन्धों में बदलाव आ गया है। उदाहरण स्वरूप - ज्वारा के नवाब के साथ महादेवी वर्मा के पारिवारिक संबंध सगे-संबंधियों से भी अधिक बढ़कर थे। जवारा की बेगम स्वयं को महादेवी की ताई समझती थी तथा उन्होंने ही इनके भाई का नामकरण भी किया। वे हर त्योहार पर उनके साथ घुलमिल जाती थी। बेगम साहिबा के घर में अवधी बोली जाती थी। परन्तु हिंदी और उर्दू भी चलती थी। पहले वातावरण में जितनी निकटता थी, वह अब सपना हो गई है। ऐसे में आत्मीय संबंधों की आज के समय में कल्पना भी नहीं की जा सकती।

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लेखिका उर्दू फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाई ?`?

लेखिका उर्दू-फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाई? उत्तर: लेखिका को उर्दू-फ़ारसी में बिल्कुल रुचि नहीं थी। उसके शब्दों में-'ये (बाबा) अवश्य चाहते थे कि मैं उर्दू-फ़ारसी सीख लें, लेकिन वह मेरे वश की नहीं थी।

लेखिका उर्दू फारसी क्यों नहीं सीख पाई 12 लेखिक ने अपनी माँ के व्यक्तित्व के किस?

लेखिका उर्दू-फ़ारसी इसलिए नहीं सीख पाई क्योंकि लेखिका की रुचि उर्दू-फ़ारसी में नहीं थी। उसे लगता था कि वह उर्दू-फ़ारसी नहीं सीख सकती है।

लेखिका संस्कृत आसानी से सीख गई क्योंकि?

उत्तर: लेखिका को उर्दू-फारसी बहुत कठिन भाषा लगती थी। इसलिए मौलवी साहब के आते ही वह छुप जाती थीं। इसलिए वह इन भाषाओं को नहीं सीख पाईं। Question 3: लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?