नयी कविता की प्रमुख विशेषताएँ | नई कविता की प्रमुख प्रवृत्तियाँ नयी कविता की प्रमुख विशेषताएँप्रयोगवादी काव्यधारा का तीसरा सप्तक’ 1959 ई. में प्रकाशित हुआ, किन्तु इसके प्रकाशन के पूर्व ही ‘नयी कविता’ के नाम से नवीन काव्यान्दोलन का सूत्रपात हो चुका था। 1954 ई. में डॉ. जगदीश गुप्त और रामस्वरूप चतुर्वेदी ने ‘नयी कविता’ नामक अर्द्धवार्षिक पत्रिका का प्रकाशन किया। इस नाम के मूल में अनेक कारण हैं और वे यह कि 1950 ई. के लगभग देश- विदेश में समकालीन कविता को ‘नयी कविता’ कहने की प्रवृत्ति चल पड़ी थी। जी. एस. फ्रेजर ने अंग्रेजी कविता के नवीनतम अध्याय को ‘न्यू मूवमेन्ट्स’ के नाम से उल्लिखित किया। डेनाल्ड हाल ने अमरीकी कविता के पिछले दशक की प्रगति को ‘न्यू पोइट्री’ नाम से ही विवेचित किया है। लन्दन की ग्रियर्सन द्वारा सम्पादित ‘नयू कविता’ पत्रिका ने भी नयी कविता के नामकरण में अपना योगदान किया। इस प्रकार हम देखते हैं कि देश-विदेश के अनुकरण पर हिन्दी में नवीनतम कविता के लिए ‘नयी कविता’ नाम स्वीकृत हुआ। हिन्दी में नयी कविता के निम्नलिखित कारण स्पष्ट जान पड़ते हैं-
नई कविता की प्रमुख प्रवृत्तियाँनयी कविता की प्रवृत्तियों को संक्षेप में इस प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है-
डॉ. जगदीश गुप्त की एक कविता द्रष्टव्य है- “हृदय का हर एक कोना सनसनाहट से रहा भर, और मन की खिड़कियों का हर किवाड़, फड़फड़ाता पंख जैसा। किसी हल्के क्षीण बादल सा, कल्पना के शीश पर आँचल नहीं टिकता।”
“अच्छा अपना ठाठ फकीरी मंगनी के सुख साज से।” जीवन के सामान्य-से-सामान्य दिखायी देने वाले प्रसंग और कार्य-व्यापार नयी कविता में वर्णित है। नरेश मेहता की निम्नलिखित पंक्तियाँ देखिए- “आओं इस झील को अमर कर दें, छूकर नहीं, किनारे बैठकर भी नहीं, एक संग झांक कर दर्पण में, इस जल को।”
‘’अब कहीं कोई यात्रा नहीं है, न अर्थमय, न अर्थ हीन, गिरने और उठने के बीच में कोई अन्तर नहीं है।’’ यह निराशा और अनास्था इतनी बढ़ जाती है कि व्यक्ति भूत, वर्तमान और भविष्य के निरर्थक सम्भावनाओं से पिसने लगता है। जो न था, न है और न होगा उसकी सम्भावना मानव को त्रस्त बना देती है और वह शान्ति का अनुभव नहीं कर पाता। निम्नलिखित पंक्तियों में यही भाव वर्णित है- “एक अदृश्य इमारत मेरे ऊपर गिर पड़ी है। जो ‘नहीं है उसके बोझ से मैं दब गया हूँ।। एक अदृश्य नदी बुझ कर फैल गई है। जो ‘नहीं होगा’ उसकी धार में मैं बह गया हूँ।। एक अदृश्य सड़क मेरे नीचे से निकल गई है। जो ‘नहीं था’ उसकी चपेट से मैं कुचल गया।।’’
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नई कविता की परिभाषा क्या है?नई कविता स्वतंत्रता के बाद लिखी गई वह कविता है जिसमे नवीन भावबोध, नए मूल्य तथा नया शिल्प विधान है। नई कविता मे मानव का वह रूप जो दार्शनिक है, वादों से परे है, जो एकांत मे प्रगट होता है, जो प्रत्येक स्थिति मे जीता है, प्रतिष्ठित हुआ है। नई कविता ने लघु मानव को, उसके संघर्ष को बार-बार उकेरा है।
नई कविता की मूल संवेदना क्या है?नई कविता ने लोक-जीवन की अनुभूति, सौंदर्य-बोध, प्रकृत्ति और उसके प्रश्नों को एक सहज और उदार मानवीय भूमि पर ग्रहण किया। साथ ही साथ लोक-जीवन के बिंबों, प्रतीकों, शब्दों और उपमानों को लोक-जीवन के बीच से चुनकर उसने अपने को अत्यधिक संवेदनापूर्ण और सजीव बनाया। कविता के ऊपरी आयोजन नई कविता वहन नहीं कर सकती।
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