गुहिल–सिसोदिया राजवंश की उत्पत्ति सूर्यवंश से है, भगवान राम के पुत्र लव को लाहौर का राजा बनाया गया बाद मैं इन्ही के वंश मैं तीसरी शताब्दी मैं राजा कनकसेन हुए जिन्होंने अपनी पत्नी वलभी के नाम पर वलभी नगर बसाया ओर उसे अपनी राजधानी बनाया। इनके चार पुत्र थे- 1. चन्द्रसेन 2. राघवसेन 3. धीरसेन 4. वीरसेन। इनके बड़े बेटे चन्द्रसेन से "गुहिल (सिसोदिया) वंश" चला तथा इनके दूसरे बेटे राघव सेन से "राघव वंश" चला जो अन्य जगहों पर शाशन करने के कारण अलग अलग नामों से जाना गया जैसे गुर्जरप्रदेश के बड़ प्रान्त पर शाशन करने के कारण बड़गुर्जर राजपूत ओर सीकरी पर शाशन करने के कारण सिकरवार, राजोरगड पर शाशन करने के कारण राजोरा, अत: मडाड कहलाये। गुहिल वंश विश्व का सबसे प्राचीन एकमात्र वंश है जिसने एक ही जगह पर 1558 वर्षो तक लगतार शासन किया । Show राजस्थान के अन्तर्गत मेवाड़ की स्थिति वंशावली[संपादित करें]राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम भाग पर गुहिलों का शासन था। "नैणसी री ख्यात" में गुहिलों की 24 शाखाओं का वर्णन मिलता है, जिनमें मेवाड़, बागड़ और प्रताप शाखा ज्यादा प्रसिद्ध हुई। इन तीनो शाखाओं में मेवाड़ शाखा अधिक महत्वपूर्ण थी। मेवाड़ के प्राचीन नाम शिवि, प्राग्वाट व मेदपाट रहे हैं।
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
मेवाड़ का आखिरी राजा कौन था?इस वंश के अंतिम राजा घनानंद था।
मेवाड़ का पहला राजा कौन था?बप्पा रावल (कालभोज/मालभोज) –
बप्पा रावल ने हारित ऋषि के आर्शीवाद से 734 ईस्वी में चित्तौड़गढ़ के राजा मानमोरी को हराकर मेवाड़ में गुहिल साम्राज्य की नींव रखी थी, इसलिए बप्पा रावल को मेवाड़ में 'गुहिल साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक' कहा जाता है।
वर्तमान में मेवाड़ के राजा कौन है?अरविन्द सिंह मेवाड़. मेवाड़ के संस्थापक कौन थे?इसे सन् 1559 में महाराणा उदय सिंह ने स्थापित किया था। अपनी झीलों के कारण यह शहर 'झीलों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। उदयपुर शहर सिसोदिया राजवंश द्वारा शासित मेवाड़ की राजधानी रहा है।
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