मध्य प्रदेश की औद्योगिक नीति क्या है? - madhy pradesh kee audyogik neeti kya hai?

उद्योग

मध्य प्रदेश की औद्योगिक नीति क्या है? - madhy pradesh kee audyogik neeti kya hai?
मध्य प्रदेश की औद्योगिक नीति क्या है? - madhy pradesh kee audyogik neeti kya hai?
मध्य प्रदेश की औद्योगिक नीति क्या है? - madhy pradesh kee audyogik neeti kya hai?

फोकल पॉइंट

मध्यप्रदेश, भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, जो प्राकृतिक संसाधनों, स्वास्थ्यकर वातावरण और उपजाऊ कृषि वातावरण स्थितियों से संपन्न है। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था में काफी बदलाव आया है। बाजार की ताकतों ने औद्योगिक क्षेत्रों में निवेश प्रवाह को निर्देशित करना शुरू कर दिया है। आर्थिक विकास के लिए औद्योगिक विकास में निवेश बढाना, मध्यप्रदेश के लिए प्रमुख केंद्रित क्षेत्रों में से एक है। आज, 2011-12 के दौरान 11.98% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ मध्यप्रदेश, भारत में सबसे तेजी से विकसित हो रहे प्रभावशाली राज्यों में से एक है। तेजी से विकसित हो रहा यह राज्य विभिन्न क्षेत्रों में भारी व्यापार के अवसर प्रदान करता है। मध्यप्रदेश में निवेशकों को परियोजना के स्थान, बुनियादी ढांचे, प्रोत्साहन और अन्य सुविधाओं के मामले में बेहतर विकल्प उपलब्ध है। वर्तमान समय में विभिन्न चरणों में 104 अरब से अधिक अमरिकी डॉलर वाले भावी निवेश प्रस्ताव राज्य के समक्ष है।

मध्य प्रदेश की औद्योगिक नीति क्या है? - madhy pradesh kee audyogik neeti kya hai?

मध्यप्रदेश में उद्योग काफी हद तक प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है। यहां चूना पत्थर, कोयला, तिलहन, दालें, बॉक्साइट, लौह अयस्क, हीरा, तांबा अयस्क, मैंगनीज अयस्क, रॉक फॉस्फेट, सिलिका, सोया, कपास और अन्य प्राकृतिक संपदा प्रचुर मात्रा में है। राज्य में कपड़ा, सीमेंट, इस्पात, खाद्य प्रसंस्करण, ऑटोमोबाइल और ऑटो कम्पोनेंट, फार्मा और ऑप्टिकल फाइबर जैसे क्षेत्रों के लिए एक मजबूत औद्योगिक नींव बनी हुई है। राज्य में निवेश को आकर्षित करने के लिए मध्यप्रदेश संसाधनों से समृद्ध राज्य है। प्रगतिशील नीतियों और सक्रिय उपायों के माध्यम से सरकार लगातार कारोबारी माहौल में सुधार कर रही है। मध्यप्रदेश के संसाधनों और निवेश के अवसरों के बारे में निवेशकों में जागरूकता पैदा करने के लिए राज्य सरकार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों की संगोष्ठी का आयोजन करती है। अपने संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग और निवेशकों के लिए एक सुविधाजनक वातावरण बनाने पर ध्यान देते हुए, मध्यप्रदेश बहुत जल्द ही औद्योगिक समुदाय के लिए सबसे पसंदीदा गंतव्य बनने की उम्मीद रखता है।

एमपी का लाभ

निवेश को प्रोत्साहित करने की रणनीति के साथ आर्थिक विकास के उच्च स्तर को प्राप्त करने के लिए राज्य में तेजी से आर्थिक विकास की जरूरत को मध्यप्रदेश सरकार पहचानती है।

  • मजबूत अर्थव्यवस्था : अवधि के दौरान 9.5% के प्रभावशाली सीएजीआर के साथ भारत में सबसे तेजी से बढ़ रहा राज्य
  • मजबूत औद्योगिक बुनियादी ढांचा : औद्योगिक निवेश की सुविधा के लिए 231 अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्र, 19 विकास केंद्र, चार अधिसूचित विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) और 12 उत्पाद विशिष्ट औद्योगिक पार्क
  • रणनीतिक स्थान : भारत के केंद्र में स्थित, देश भर के सभी प्रमुख बाजारों और प्रथम स्तरीय शहरों के करीब
  • स्थिर सरकार और काम के लिए शांतिपूर्ण माहौल : : राज्य में निवेश प्रक्रिया की निर्बाध सुविधा के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने कई निवेशक अनुकूल नीतियां बनाई है और एकल खिड़की सचिवालय, म. प्र. ट्रायफेक का निर्माण किया है।
  • बेहतरीन कनेक्टिविटी : 99403 km. की मजबूत सड़क का नेटवर्क, जो राज्य को एक आदर्श स्थल, केंद्रीकृत विनिर्माण और वितरण का केंद्र बनाता है।
  • औद्योगिक उपयोग के लिए बड़े पैमाने पर भूमि : राज्य भर में विभिन्न रणनीतिक स्थानों पर औद्योगिक उपयोग के लिए 16,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि।
  • मजबूत उपभोक्ता आधार : 70 लाख से अधिक की आबादी के साथ, बड़े शहरों की 40% विकास दर की तुलना में राज्य की दशक की शहरीकरण विकास दर 26% की है.

समृद्ध प्राकृतिक संसाधन

  • मध्यप्रदेश में विभिन्न कृषि आबोहवा वाले 11 क्षेत्र है।
  • लौह अयस्क, हीरे, तांबा अयस्क, मैंगनीज अयस्क, लौह अयस्क, बॉक्साइट, चूना पत्थर, कोयला और संगमरमर, ग्रेनाइट जैसी समृद्ध खनिज संपदा।
  • भारत के वनों में से 12% मध्यप्रदेश में हैं।
  • कोयला और कोयला बेड मीथेन जैसे दुर्लभ ईंधन संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं।
  • भारत के कोयला भंडार का 14% मध्यप्रदेश में हैं।
  • एशिया की सबसे घनी कोयला-संस्तर सीधी जिले में स्थित है।
  • भारत में मध्यप्रदेश में ही हीरे की खदाने हैं ।
  • 144 बीसीएम कोल बेड मीथेन भंडार पाया गया है।
  • बिजली, सीमेंट, लोहा और इस्पात इकाइयों के कैप्टिव माइनिंग के लिए उपलब्ध ब्लॉकों का पूर्वेक्षण।
  • चूना पत्थर के बड़े भंडार है, जो निर्माण का बुनियादी कच्चा माल है।
  • लोहा और इस्पात के महत्वपूर्ण तत्व, मैंगनीज और डोलोमाइट पाए जाते हैं।
  • संगमरमर, ग्रेनाइट और शिला पट्ट जैसी आकर्षक आयामी पत्थर किस्में की उपलब्ध हैं।

कृषि-उपलब्धि

  • देश के कुल उत्पादन में से 23.92% के साथ तिलहनों का सबसे बड़ा निर्माता।
  • देश के कुल उत्पादन में से दालों के 25% और चने के 40% उत्पादन के साथ राज्य देश में पहले स्थान पर है।
  • गेहूं और आलू की व्यावसायिक तौर पर पसंदीदा किस्मों की वृद्धि हुई है।
  • लहसुन और धनिया का सबसे बड़ा उत्पादक।
  • बड़े पैमाने पर बंजर भूमि और सरकारी खेतों की 50 से 3000 एकड़ जमीन निवेश की पेशकश के लिए तैयार।
  • निवेशकों के लिए गैर वन बंजर भूमि के आवंटन के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने एक नीति तैयार की है।
  • अनुबंध खेती की अनुमति दी है।

समृद्ध जैव विविधता

  • राज्य के 30% क्षेत्र पर वन आवरण है।
  • 25 वैश्विक कृषि आबोहवा क्षेत्र में से राज्य में 11 क्षेत्र है।
  • बड़े पैमाने पर अज्ञात, दुर्लभ एवं मूल्यवान औषधीय हर्बल पौधों की प्रजातियां, कुशल श्रमिक और शिक्षा केन्द्र।
  • हर साल तकरीबन 90,390 तकनीकी स्नातक और कुल 2,70,000 स्नातक कार्यबल में शामील
  • ग्वालियर एवं जबलपुर के भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आई आई आई टी), नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी और राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल का भारतीय वन प्रबंधन संस्थान (आई आई एफ एम), इंदौर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और इस तरह के राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय प्रसिद्ध शिक्षा केन्द्र, बड़ी संख्या में मध्यप्रदेश में स्थित हैं।
  • 6 प्रमुख स्थानों पर समूह आधारित विकास
    • इंदौर : फार्मा, वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण, आईटी, ऑटो कम्पोनेंट।
    • भोपाल : इंजीनियरिंग, वस्त्र, बायोटेक, हर्बल, आईटी, खाद्य प्रसंस्करण।
    • जबलपुर : वस्त्र, खनिज, पत्थर, वन, हर्बल, खाद्य प्रसंस्करण।
    • ग्वालियर : इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी, एफएमसीजी, अभियांत्रिकी, स्टोन, खाद्य प्रसंस्करण।
    • रीवा : खनिज, सीमेंट, कृषि और वन के उत्पादन।
    • सागर : खनिज प्रसंस्करण, पत्थर।

उद्योग सुविधा

मध्यप्रदेश निम्न सुविधाओं के साथ तेजी से उद्योगों के लिए नए गंतव्य स्थान के रूप में उभर रहा है: -

  • उद्योग अनुकूल प्रशासन का निर्माण और एक पैनी औद्योगिक संवर्धन नीति।
  • छोटे, मध्यम और कुटीर उद्यमों के विकास के लिए राज्य, सुविधाजनक वातावरण प्रदान करता है।
  • यहां विशेष आर्थिक क्षेत्र है।
  • उद्योगों के लिए विश्वसनीय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
  • प्रमुख औद्योगिक शहरों के साथ एयर कनेक्टिविटी उपलब्ध है।
  • 25 करोड़ रुपए से अधिक निवेश वाली बड़ी निवेश परियोजनाओं के लिए प्रोत्साहन के साथ विशेष पैकेज।
  • औद्योगिक पार्क की स्थापना के लिए सहायता।
  • पर्यटन परियोजनाओं के लिए रियायतें।
  • परियोजना क्लीयरेंस कार्यान्वयन बोर्ड (पीसीबी) के माध्यम से मेगा परियोजनाओं को एकल तालिका मंजूरी। लगभग 2,64,129 करोड़ रुपए लागत वाली परियोजनाएं की है।

औद्योगिक संवर्धन नीति 2010 के मुख्य प्रोत्साहन (2012 में संशोधित)

  • 10 साल तक के लिए मूल्य योजित कर (वैट) की वापसी - पूंजी निवेश के 100% तक सीमित।
  • 9 साल तक प्रवेश कर छूट।
  • सूक्ष्म और लघु उद्योग के लिए स्थाई पूंजी निवेश पर 15% की सब्सिडी।
  • विशाल परियोजनाओं के लिए भूमि सब्सिडी - 75% (प्रीमियम पर)।
  • सूक्ष्म और लघु उद्योग के लिए रू. 2 दशलक्ष (40,000 अमरीकी डालर) की सीमा के साथ 7 साल की अवधि के लिए 5% की ब्याज सब्सिडी।
  • औद्योगिक पार्क की स्थापना की बुनियादी सुविधाओं की विकास लागत पर रू. 50 दशलक्ष (1 मिलियन अमरीकी डालर) की सीमा के साथ 15% की वित्तीय सहायता।
  • रू. 200,000 दशलक्ष (4 अरब अमरीकी डालर) अथवा इससे अधिक निवेश वाली परियोजनाओं के लिए वित्तीय प्रोत्साहनों की एक विशेष पैकेज।
  • रू. 250 दशलक्ष (5 मिलियन अमरीकी डालर) अथवा इससे अधिक निवेश वाली परियोजनाओं के लिए वित्तीय प्रोत्साहनों के अनुकूलित पैकेज का प्रावधान

वस्त्र उद्योग के लिए अतिरिक्त राजकोषीय प्रोत्साहन

  • नई कपड़ा इकाइयों को रू.10 दशलक्ष (200,000 डालर) तक पात्र पूंजी निवेश के 10% की निवेश सब्सिडी दी जाएगी।
  • रू. सौ करोड़ (20 मिलियन अमरीकी डालर) से अधिक की अचल पूंजी निवेश वाली नई इकाइयों को 7 वर्ष की अवधि के लिए प्रवेश कर छूट दी जाएगी।
  • रू. 50 दशलक्ष (1 मिलियन अमरीकी डालर) तक के निवेश के लिए 5 वर्ष की अवधि के लिए 2% की ब्याज सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
  • परिधान प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना के लिए रू. 2.5 दशलक्ष (50,000 अमरीकी डालर) तक के निवेश के लिए 25% सब्सिडी प्रदान की जाएगी।

संस्थागत प्रणाली की स्थापना

  • म. प्र. ट्रायफेक निवेश की सुविधा के लिए एकल खिड़की सचिवालय है।
  • जिला स्तरीय निवेश संवर्धन अधिकार प्राप्त समिति - जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में
  • राज्य स्तरीय निवेश संवर्धन अधिकार प्राप्त समिति - उद्योग मंत्री की अध्यक्षता में
  • सर्वोच्च स्तरीय निवेश संवर्धन अधिकार प्राप्त समिति - माननीय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में।

निवेश प्रोत्साहन

कृषि, उद्योग, इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं के क्षेत्र में निवेश के माध्यम से अपने कुल आर्थिक विकास के लिए सरकार ने मध्यप्रदेश को बढ़ावा देने की पहल की।

  • म. प्र. ट्रायफेक के माध्यम से एकल खिड़की निवेश सुविधाकरण।
  • एमपी निवेश सुविधाकरण अधिनियम, 2008 अधिनियमित।
  • मध्यप्रदेश औद्योगिक केंद्र विकास निगम लिमिटेड (MPAKVN) के माध्यम से औद्योगिक नीति द्वारा समूह आधारित विकास की सुविधा।
  • उद्यमियों को सभी संबंधित विभागों की शीर्ष स्तर / राज्य स्तर / जिला स्तरीय समिति द्वारा आवश्यक मंजूरी प्राप्त करने के लिए संयुक्त आवेदन पत्र।
  • उद्यमियों की सुविधा के लिए, राज्य में उपलब्ध (16000 हेक्टेयर) भूमि का एक व्यापक डाटाबेस तैयार किया गया है, जो उद्योगों की स्थापना के लिए उपयुक्त है।

मध्य प्रदेश में नई औद्योगिक नीति कब से आरंभ हुई?

एमपी निवेश सुविधाकरण अधिनियम, 2008 अधिनियमित। मध्यप्रदेश औद्योगिक केंद्र विकास निगम लिमिटेड (MPAKVN) के माध्यम से औद्योगिक नीति द्वारा समूह आधारित विकास की सुविधा। उद्यमियों को सभी संबंधित विभागों की शीर्ष स्तर / राज्य स्तर / जिला स्तरीय समिति द्वारा आवश्यक मंजूरी प्राप्त करने के लिए संयुक्त आवेदन पत्र।

औद्योगिक नीति क्या है?

निजी क्षेत्र में औद्योगिक उपक्रमों को अनिवार्यतः राज्य की सामाजिक तथा आर्थिक नीति के अनुकूल होना चाहिए तथा वे उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम तथा अन्य संगत कानून के अनुसार नियंत्रण तथा विनियमन के अध्यधीन रहेंगे ।

मध्य प्रदेश की औद्योगिक नीति के प्रमुख अंग क्या है?

इसके साथ ही, यह नीति: i) उद्योगों को तकनीकी और वित्तीय सहायता का प्रावधान, ii) देश के विभिन्न प्रदेशों का संतुलित और समन्वित विकास, iii) औद्योगिक शांति और सद्भाव को बनाए रखना और iv) ग्रामीण और लघु उद्योगों की वृद्धि को त्वरित करना जैसे पहलुओं से संबंधित था।

औद्योगिक नीति कितनी है?

किसी देश की औद्योगिक नीति (industrial policy) वह नीति है, जिसका उद्देश्य उस देश के निर्माण, उद्योग का विकास करना एवं उसे वांछित दिशा देना होता है। स्वतंत्र भारत में अब तक 6 औद्योगिक नीति की घोषणा हो चुकी है।