मानव भूगोल में क्या क्या आता है? - maanav bhoogol mein kya kya aata hai?

व्हाइट आनर द्वारा ‘भूगोल को मानव पारिस्थितिकी माना गया है जहाँ पृथ्वी की पृष्ठभूमि से मानव समाज का अध्ययन होता है।

 

मानव भूगोल के कुछ उप-क्षेत्रों के नाम बताइए।

(Name some sub-fields of human geography.)

उत्तर—मानव भूगोल की प्रकृति अत्यन्त अन्तर-विषयक है और यह सामाजिक विज्ञानों के सहयोगी विषयों के साथ घनिष्ठ संबंध रखता है। ज्ञान के विस्तार के साथ नये उपक्षेत्रों विकास हुआ है। मानव भूगोल के उप-क्षेत्र हैंव्यावहारवादी भूगोल, सामाजिक कल्याण का भूगोल, अवकाश का भूगोल, सांस्कृतिक भूगोल, लिंग भूगोल, ऐतिहासिक भूगोल, निर्वाचन भूगोल, सैन्य भूगोल, संसाधन भूगोल, कृषि भूगोल, उद्योग भूगोल, विपणन भूगोल, व्यापारिक भूगोल और पर्यटन भूगोल। ये सभी मानव  उपक्षेत्र में शामिल है

 

 मानव भूगोल किस प्रकार अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंधित हैं?

 

 मानव भूगोल के अंतर्गत मानव के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और जनांकिकीय विशेषताओं का अध्ययन होता है। इन विशेषताओं का अध्ययन विशेष रूप से क्रमशः समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र और जनांकिकी में किया जाता है। इस प्रकार मानव भूगोल इन विषयों से संबंधित है।

 

 

 मानव विकास के चार प्रमुख घटकों के नाम लिखिए।

मानव विकास के चार प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं

 (i) समता : समता का आशव प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध अवसरों के लिए समान पहुँच  की व्यवस्था करना है। लोगों को उपलब्ध अवसर लिंग. प्रजाति आय के भेदभाव के बिना समान होने चाहिए। यद्यपि ऐसा ज्यादातर तो नहीं होता फिर भी यह लगभग प्रत्येक समाज में घटित होता है।

(ii) सतत् पोषणीयता : इसका अर्थ है अवसरों की उपलब्धता में निरन्तरता। सत्तत् पोषणीयता मानव विकास के लिए आवश्यक है कि प्रत्येक पीढ़ी को समान अवसर मिले। संसाधनों का दुरूपयोग नहीं होना चाहिए क्योंकि यह भावी पीढी के लिए अवसरों को कम करेगा।

(iii) उत्पादकता : उत्पादकता का अर्थ मानव श्रम उत्पादकता है। लोगों में क्षमताओं का नियं निर्माण करके ऐसी उत्पादकता में निरन्तर वृद्धि की जानी चाहिए। अन्ततः जन-समुदाय ही राष्ट्र कीके वास्तविक धन होते हैं। इस प्रकार उनके ज्ञान को बढ़ाने के प्रयास से उनकी कार्यक्षमता बढ़ेगी।

 (iv) सशक्तिकरण : इसका तात्पर्य है अपने विकल्प चुनने के लिए शक्ति प्राप्त करना। ऐसी शक्ति बढ़ती हुई स्वतंत्रता और क्षमता से आती है। लोगों को सशक्त करने के लिए सुशासन द्वारा एवं लोकोन्मुखी नीतियों की आवश्यकता होती है।

 

 संभववाद क्या है? (What is possibilism ?)

संभावना वाद एक विचारधरा जिसमे पृथ्वी और पर्यावरण के वो वास्तु जो भाविष्य में प्रयोग में लेन की सम्भावन हो उसे संभावना कहते है

संभववाद इस विचारधारा के अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने के समर्थ है तथा वह प्रकृतिदत्त अनेक संभावनाओं का इच्छानुसार अपने लिए उपयोग कर सकता है। मानव एवं पर्यावरण के परस्पर संबंध में यह विचारधारा मानव केंद्रित है।

19 वीं शताब्दी के अन्तिम चरण में जर्मनी के प्रख्यात भूगोलवेत्ता फ्रेड्रिक रेटजेल, जो मानव भूगोल के जन्मदाता कहे जाते हैं, ने 1882 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘एन्थ्रोपोज्योग्राफी’ में मानव के कार्यकलापों के अध्ययन को प्रमुखता दी। रेटजेल ने भूगोल के क्रमबद्ध अध्ययन के लिए एक नवीन प्रणाली को जन्म दिया। 


रेटजेल के अनुसार- ‘‘मानव भूगोल के दृश्य सर्वत्र वातावरण से सम्बन्ध हैं जो भौतिक दिशाओं का योग होता है।’

मानव भूगोल की परिभाषाएँ

1. फ्रांसीसी विद्वान प्रो. ब्लाश- ‘‘मानव भूगोल पृथ्वी और मानव के पारस्परिक संबंधों को एक नया विचार देता है, जिसमें पृथ्वी को नियंत्रित करने वाले भौतिक नियमों का तथा पृथ्वी पर निवास करने वाले जीवों के पारस्परिक संबंधों का अधिक संयुक्त ज्ञान उपलब्ध होता है।’’

2. प्रो. जीन्स के अनुसार- ‘‘मानव भूगोल उन सभी तथ्यों का अध्ययन है जो मानव के क्रियाकलापों से प्रभावित है और जो हमारी पृथ्वी के धरातल पर घटित होने वाली घटनाओं में से छाँटकर विशेष श्रेणी में रखे जा सकते हैं।

3. प्रो. हटिंगटन- ‘‘मानव भूगोल भौगोलिक वातावरण और मनुष्य के कार्यकलाप एवं गुणों के पारस्परिक सम्बन्ध के स्वरूप और वितरण का अध्ययन है।’’ 4. रैटजेल- ‘‘मानव भूगोल के दृश्य सर्वत्र वातावरण से सम्बन्धित होते हैं, जो स्वयं भौतिक दशाओं का योग होता है।’’

5. कुमारी सेम्पल- ‘‘मानव भूगोल क्रियाशील मानव और अस्थिर पृथ्वी के परिवर्तनशील संबंधों का अध्ययन है।’’

6. डिमाजियाँ- ‘‘मानव भूगोल की समस्याओं पर लिखे गए लेखों के अनुसार मानव भूगोल समुदायों और समाजों का भौतिक वातावरण से संबंधों का अध्ययन है।’’

7. डेविस के अनुसार- ‘‘मानव भूगोल मुख्यतः प्राकृतिक वातावरण और मानव कार्यकलाप दोनों ही के पारस्परिक सम्बन्ध और उस सम्बन्ध के परिणाम के पार्थिवस्वरूप की खोज है अथवा प्राकृतिक वातावरण के नियंत्रण को उनके आधार के रूप में सिद्ध करने का प्रयास है।

8. लेबान के अनुसार- ‘‘मानव भूगोल एक समष्टि भूगोल है, अर्थात् विस्तृत स्वरूप वाला जिसके अन्तर्गत मानव और उसके वातावरण के बीच के संबंधों के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाली समान्य समस्याओं का स्पष्टीकरण किया जाता है।’’

मानव भूगोल का उद्देश्य

मानव भूगोल का उद्देश्य विश्व के विभिन्न प्रदेशों में रहने वाले मानव समूह एवं वहाँ के वातावरण से सम्बन्धित संसाधनों के प्रयोग से उस प्रदेशों के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक एवं सांस्कृतिक परिदृश्य का अध्ययन करना है।

मानव भूगोल का अध्ययन मात्र मानव पारिस्थितिकी तक ही सीमित नहीं है बल्कि उससे कहीं व्यापक, क्योंकि मानव भूगोल में प्राकृतिक वातावरण का ही नहीं वरन् सांस्कृतिक वातावरण का भी अध्ययन किया जाता है जबकि मानव परिस्थितियों में प्राकृतिक वातावरण की क्रियाओं का मानव पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसका अध्ययन करते हैं, परन्तु सांस्कृतिक वातावरण में मानव की शक्तियों, तथ्यों, प्रक्रियाओं तथा प्रभावों एवं उनके द्वारा किए गए परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।

मानव एवं भूगोल में यह विश्लेषण किया जाता है कि पृथ्वी के किसी क्षेत्र में रहने वाला कोई मानव समूह अपने जैविक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक विकास के लिए वातावरण का किस प्रकार प्रयोग करता है। इसमें मानव समूह द्वारा किए गए विभिन्न वातावरण समायोजन और उनके संगठन का अध्ययन किया जाता है।

मानव भूगोल की शाखाएं

मानव भूगोल, भूगोल की वह शाखा है जो मानव समाज के क्रियाकलापों और उनके परिणामस्वरूप बने भौगोलिक प्रतिरूपों का अध्ययन करता है। इसके अन्तर्गत मानव के राजनैतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक पहलु आते हैं।

प्रो. राॅक्सबी ने मानव भूगोल निम्न शाखाओं में विभाजित किया है- 

  1. आर्थिक भूगोल, 
  2. सामाजिक भूगोल, 
  3. राजनीतिक भूगोल, 
  4. ऐतिहासिक भूगोल, 
  5. सामरिक भूगोल और 
  6. प्रजातीय भूगोल।
1. आर्थिक भूगोल- आर्थिक भूगोल, मानव भूगोल की ही एक शाखा है जिसका मुख्य सम्बन्ध मनुष्य के भोजन, विश्राम, कपड़ों और आराम की आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए मनुष्य द्वारा किए गए उत्पादक प्रयत्नों से ही है। विश्व के भिन्न-भिन्न भागों में मानव समुदाय अपनी भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भिन्न-भिन्न जीविकोपार्जन के साधनों-लकड़ी काटना, मछली पकड़ना, शिकार करना, खेती करना, भोज्य पदार्थ एकत्रित करना, खानें खोदना, उद्योगधन्धे चलाना, व्यापार करना और नौकरी आदि व्यवसाय में लगे रहना- में व्यस्त रहता है। उसके इन आर्थिक प्रयत्नों पर मिट्टी, भूमि की बनावट, जलवायु, वनस्पति, खनिज संसाधन भौगोलिक स्थिति, यातायात की सुविधा, जनसंख्या का घनत्व आदि वातावरण के विभिन्न अंगों के प्रभाव का मूल्यांकन कर उसका विश्लेषण करना है। 


इसके अतिरिक्त विकास की सन्तुलित अवस्था प्राप्त करने के लिए कृषि और औद्योगिक दृष्टि से पृथ्वी के विभिन्न भागों में प्राकृतिक साधनों की सुरक्षा का अध्ययन, आर्थिक उपयोग के लिए उनकी जाँच करना ही आर्थिक भूगोल का कार्य है।

मानव भूगोल के अंतर्गत क्या आता है?

मानव भूगोल, भूगोल की प्रमुख शाखा हैं जिसके अन्तर्गत मानव की उत्पत्ति से लेकर वर्तमान समय तक उसके पर्यावरण के साथ सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता हैं। मानव भूगोल की एक अत्यन्त लोकप्रिय और बहु अनुमोदित परिभाषा है, मानव एवं उसका प्राकृतिक पर्यावरण के साथ समायोजन का अध्ययन।

मानव भूगोल कितने प्रकार के होते हैं?

मानव भूगोल की कई उपशाखाएँ हैं (Types of Human Geography in Hindi).
मानवविज्ञान भूगोल.
आर्थिक भूगोल.
सांस्कृतिक भूगोल.
राजनीतिक भूगोल.
सामाजिक भूगोल.
ऐतिहासिक भूगोल.
जनसंख्या भूगोल.
अधिवास भूगोल.

मानव भूगोल के कितने क्षेत्र हैं?

सभ्यता के विकास के आधार पर ब्रून्श ने मानव भूगोल के तथ्यों को चार भागों में विभाजित किया है। 2. पृथ्वी के शोषण का भूगोल - मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु पृथ्वी पर आश्रित रहता है। कृषि उत्पादन, पशुपालन, खनन आदि के द्वारा मानव भूमि का शोषण करता है, इसे पृथ्वी के शोषण का भूगोल कहते हैं

मानव भूगोल के प्रमुख क्षेत्र कौन कौन से हैं?

''अत: मानव भूगोल एक दर्शनशास्त्र के समान है। मनुष्य की विचारधारा और जीवन दर्शन पर किसी स्थान की भौगोलिक परिस्थितियों का गहरा प्रभाव पड़ता है। मानव भूगोल मनुष्य तथा उस पर वातावरण के प्रभाव का ही अध्ययन है। मानवीय अर्थव्यवस्था: आखेट, पशुपालन, कृषि, खनन, उद्योग-धंधे, आवागमन के साधन ।