Short Note Show उत्तर लिखो : मनुष्य को नाखूनों की जरूरत तब थी : (अ) ______ (आ) ______ Advertisement Remove all ads Solutionमनुष्य को नाखूनों की जरूरत तब थी : (अ) जब मनुष्य वनमानुष जैसा जंगली था। (आ) जब जीवनरक्षा के लिए उसके पास अस्त्र नहीं थे। Concept: गद्य (8th Standard) Is there an error in this question or solution? Advertisement Remove all ads Chapter 1.3: नाखून क्यों बढ़ते हैं? - सूचना नुसार कृतियाँ करो [Page 8] Q (३) ३.Q (३) २.Q 1.1 APPEARS INBalbharati Hindi - Sulabhbharati 8th Standard Maharashtra State Board [हिंदी - सुलभभारती ८ वीं कक्षा] Chapter 1.3 नाखून क्यों बढ़ते हैं? Advertisement Remove all ads मनुष्य के नाखून की जरूरत कब थी?मैं मनुष्य के नाखून की ओर देखता हूँ, तो कभी-कभी निराश हो जाता हूँ। ये उसकी भयंकर पाशवी वृत्ति के जीवंत प्रतीक हैं। मनुष्य की पशुता को जितनी बार काट दो, वह मरना नहीं जानती । हिंदी चित्र 18.2 चित्र 18.1 | दाक्षिणात्य लोग छोटे नखों को अपनी-अपनी रुचि है, देश की भी और काल की भी ।
बढ़ते नाखून द्वारा प्रकृति मनुष्य को क्या याद दिलाती है?बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को याद दिलाती है कि तुम भीतर वाले अस्त्र से अब भी वंचित नहीं हो। तुम्हारे नाखून को भुलाया नहीं जा सकता । तुम वही प्राचीनतम नख एवं दंत पर आश्रित रहने वाला जीव हो । पशु की समानता तुममें अब भी विद्यमान है।
मनुष्य का स्वधर्म क्या है?ईश्वरीय ज्ञान के अनुसार करुणा, दया, शांति, प्रेम, पवित्रता, सुख, आनंद, अहिंसा, सहयोग और सद्भावना आदि सकारात्मक गुण ही मनुष्य की अंतरात्मा यानी 'स्व' का धर्म है। यह स्वधर्म, हर आत्मा का मौलिक सात्विक और शाश्वत स्वभाव है। इन्हीं आत्मिक गुण और धर्म को, गीता में दैवी संपदा भी कहा गया है।
लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप देखना कहाँ तक संगत है?लेखक द्वारा नाखूनों का अस्त्र के रूप में देखना कहां तक संगत है? Solution : लेखक मनुष्य के नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखकर निराश हो जाता है। लेखक नाखूनों को प्रतीकात्मक प्रयोगों द्वारा, यह सिद्ध करना चाहता है कि ये उसकी (मानव की) पाश्विक वृत्ति के जीवंत प्रतीक है।
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