मौलिक अधिकारों के बारे में: मौलिक अधिकार (नागरिकों और विदेशियों को प्राप्त अधिकार) (शत्रु देश के लोगों को छोड़कर) केवल नागरिकों को प्राप्त मौलिक अधिकार, जो विदेशियों को प्राप्त नहीं है समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14, 15, 16, 17 और 18):
स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19, 20, 21 और 22):
× मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय कौन सी रिटें जारी कर सकता है उल्लेख करें?भारतीय संविधान द्वारा सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय को अधिकारों की रक्षा करने के लिये लेख, निर्देश तथा आदेश जारी करने का अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32 के तहत) एवं उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226 के तहत) रिट जारी कर सकते हैं।
मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय कितने प्रकार की रिट जारी करता है?सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निम्नलिखित रिट जारी की जा सकती हैं: बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) रिट, परमादेश (Mandamus) रिट, प्रतिषेध (Prohibition) रिट, उत्प्रेषण (Certiorari) रिट और अधिकार पृच्छा (Qua Warranto) रिट.
मौलिक अधिकारों को सुरक्षा कौन प्रदान करता है?मौलिक अधिकार भारत के संविधान के भाग 3 (अनुच्छेद 12 से 35) वर्णित भारतीय नागरिकों को प्रदान किए गए वे अधिकार हैं जो सामान्य स्थिति में सरकार द्वारा सीमित नहीं किए जा सकते हैं और जिनकी सुरक्षा का प्रहरी सर्वोच्च न्यायालय है।
सुप्रीम कोर्ट कितने प्रकार की रिट जारी कर सकता है?संविधान मोटे तौर पर पांच प्रकार के “विशेषाधिकार” रिट प्रदान करता है: बंदी प्रत्यक्षीकरण, प्रमाणपत्र, परमादेश, यथा वारंट और निषेध।
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