लेखिका ने गिल्लू के प्रथम वसंत को किस प्रकार पहचाना और फिर क्या किया? - lekhika ne gilloo ke pratham vasant ko kis prakaar pahachaana aur phir kya kiya?

Gillu Class 9 Question Answer | गिल्लू पाठ का प्रश्न उत्तर | NCERT Solutions for Class 9 Sanchayan Chapter 1

          आज हम आप लोगों को संचयन भाग-1 कक्षा-9 पाठ-1 (NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Bhag-1 Chapter-1) के गिल्लू का प्रश्न उत्तर (Gillu Class 9 Question Answer) के बारे में बताने जा रहे है जो कि महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) द्वारा लिखित है। इसके अतिरिक्त यदि आपको और भी NCERT हिन्दी से सम्बन्धित पोस्ट चाहिए तो आप हमारे website के Top Menu में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।

पूरकपुस्तक के प्रश्नोत्तर (Gillu Class 9 Question Answer)

प्रश्न 1 . सोनजुही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में कौन-से विचार उमड़ने लगे?

उत्तर : सोनजुही के पौधे में लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन में ‘गिल्लू’ का स्मरण हो आया क्योंकि गिल्लू अपने जीवन काल में प्रायः उस सोनजुही की सघन हरीतिमा में छिपकर बैठता था और वहाँ से आकर लेखिका के पैर से सिर तक और सिर से पैर तक दौड़ लगाने लगता था। सोनजुही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका को ऐसा लगता है कि मानो गिल्लू अब सोनजुही के पीताभ छोटे फूल के रूप में प्रकट हो रहा है।

प्रश्न 2 . पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है?

उत्तर : कौए दोनों रूपों में एक साथ देखा जाता है। हिंदू धर्म में, कौए को सम्मान का पात्र माना जाता है। कहा जाता है कि हमारे पुरखे पितर पक्ष में हमसे कुछ भी पाने के लिए न गरुड़ के रूप में आते हैं न मयूर के रूप में, न हंस के रूप में, बल्कि वे कौए के रूप में प्रकट होते हैं। सम्मानित होने का दूसरा कारण यह है कि भले ही इसका स्वर कर्कश हो, लेकिन कौए हमें हमारे मेहमानों के आगमन के लिए शुभ संकेत देता है। कौए को एक अनादरित प्राणी कहा गया है क्योंकि उसकी कर्कश आवाज को कोई पसंद नहीं करता है, लोग उसका काँव-काँव सुनकर उसे भगा देते हैं।

प्रश्न 3 . गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया?

उत्तर : गिलहरी का बच्चा घायल था और नवजात होने के कारण वह अपना आहार ग्रहण करने में समर्थ नहीं था। लेखिका ने रुई की एक पतली बत्ती से दूध देने का प्रयास किया, लेकिन दूध उसके मुँह में नहीं जा सका। कई घंटे के उपचार के बाद उसके मुँह में एक बूंद पानी टपकाया जा सका। लगभग तीन दिन होते-होते वह कुछ ठीक हुआ और उसने अपने पंजे से लेखिका की उँगली पकड़ना शुरू कर दिया। इस प्रकार काफ़ी प्रयास से उसे बचाया गया।

प्रश्न 4 . लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था?

उत्तर : जब लेखिका लिखने बैठती थीं तो उनका ध्यान आकृष्ट करने के लिए गिल्लू ने एक उपाय ढूँढ लिया था। वह प्राय: लेखिका के पैरों से दौड़ कर परदे पर चढ़ जाता और फिर तेजी से उतरता था। उसका यह दौड़ने का क्रम तब तक चलता रहता था, जब तक की लेखिका उसे पकड़ने के लिए नहीं उठ जाती।

प्रश्न 5 . गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया?

उत्तर : बाहर की गिलहरियाँ प्रायः खिड़की की जाली के पास आ जाती और चिक-चिक करके गिल्लू से न जाने क्या कहती थीं। गिल्लू ऐसी स्थिति में जाली के पास बैठकर अपनेपन से बाहर झाँकता रहता था। लेखिका को यह दृश्य देखकर यह अनुभव हुआ कि इसे अब मुक्तकर देना आवश्यक है। लेखिका ने जाली का एक कोना खोल दिया और गिल्लू बाहर जाकर मुक्ति की साँस ली। इतने छोटे जीव को घर में पले कुत्तों और  बिल्लियों से बचाना एक समस्या ही था।

प्रश्न 6 . गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था?

उत्तर : लेखिका जब बीमार थीं तो गिल्लू उस समय तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हे-नन्हे पंजों से लेखिका के सिर और बालों को हौले-हौले सहलाता रहता था। उसके वहाँ से हट जाने के बाद लेखिका को ऐसा अनुभव होता था कि कोई परिचारिका सिर सहलाना छोड़कर चली गई हो। इसी अर्थ में गिल्लू परिचारिका की भूमिका निभा रहा था।

प्रश्न 7. गिल्लू की किन चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समय समीप है?

उत्तरः एक दिन गिल्लू ने दिन भर कुछ न खाया, बाहर भी नहीं गया। रात में लेखिका के बिस्तर पर गिल्लू आ गया। अपने ठंडे पंजों से वह लेखिका की उँगली पकड़ने लगा। वह उसी उँगली को पकड़कर चिपका था जिस उँगली को उसने बचपन में पकड़ा था। उसकी इन चेष्टाओं से लेखिका को आभास होने लगा कि अब उसका अंत समय समीप है।

प्रश्न 8 . प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया।”-का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : लेखिका कह रही है कि गिल्लू की मृत्यु सूर्य निकलने के साथ ही हो गई। मानो अगला जन्म लेने के लिए इस जन्म की लीला समाप्त हो गई हो।

प्रश्न 9. सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में किस विश्वास का जन्म होता है?

उत्तर : सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि को देखकर लेखिका के मन में यह विश्वास पैदा हुआ कि यह जो पीले रंग की कली है, उसमें उस लघुगात गिल्लू की आत्मा बिंबित है। मानो इस फूल की उत्पत्ति गिल्लू के रूप में हुई हो। यह भावना लेखिका के मन में इसलिए उठी क्योंकि वह गिल्लू के स्वभाव से परिचित थी। उन्हें मालूम था कि गिल्लू को सोनजुही की लता के इर्द-गिर्द रहना बहुत अधिक पसंद था। इसीलिए उसके मरणोपरांत लेखिका को यह विश्वास हो रहा है कि गिल्लू ही इस पीली कली के रूप में प्रस्फुटित हुआ है।

कुछ अन्य प्रश्नोत्तर | Gillu Extra Questions and Answers

(क) लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. लेखिका को गिल्लू कहाँ-किस प्रकार मिला?

उत्तर : लेखिका ने गिलहरी के बच्चे को गमले और दीवार के बीच छिपे हुए देखा। वह शायद घोंसले से गिर पड़ा था और दो कौए उसे चोंच मारकर घायल कर चुके थे।

प्रश्न 2 . हमारे पुरखे धरती पर किस रूप में और कब आते हैं?

उत्तर : हमारे पुरखे पितरपक्ष में हमसे कुछ पाने के लिए काक बनकर धरती पर आते हैं।

प्रश्न 3 . लेखिका के काकपुराण के विवेचन में कब बाधा पड़ी?

उत्तर : लेखिका के काकपुराण के विवेचन में अचानक से बाधा आ पड़ी, जब उन्होंने गमले और दीवार के निकट एक गिलहरी के छोटे-से बच्चे को देखा जो शायद घोंसले से गिर पड़ा था।

प्रश्न 4 . गिल्लू का घर किस प्रकार बनाया गया?

उत्तर : लेखिका ने फूल रखने की एक हलकी डलिया में रुई बिछाकर गिल्लू का घर बनाया जिसे तार पर लटका दिया गया।

प्रश्न 5 . गिल्लू का प्रिय खाद्य क्या था?

उत्तर : गिल्लू का प्रिय खाद्य काजू था। गिल्लू को काजू न मिलने पर वह खाने की अन्य चीजें लेना बंद कर देता था या उन्हें झूले से नीचे फेंक देता था।

(ख) निबंधात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1 . लेखिका ने कौए की किन विशेषताओं का कैसा वर्णन किया है?

उत्तर : लेखिका ने कौए के समादरित और अनादरित रूप का वर्णन किया है। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में कौओं को भोजन खिलाने से हमारे पूर्वजों का पेट भरता है। इसके अतिरिक्त ये कौए हमारे दूरस्थ प्रियजनों के आने का मधुर संदेश भी लेकर आते हैं। कौए को अनादरित प्राणी इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये काँव-काँव करते हैं और यह उनकी कटु आवाज़ किसी को पसंद नहीं आती।

प्रश्न 2 . लेखिका द्वारा किस प्रकार से उपचार करने पर गिल्लू को बचाया जा सका?

उत्तर : महादेवी वर्मा उसे उठाकर अपने कमरे में लाईं, फिर रुई से उसका खून साफ़ किया तथा पेंसिलिन का मरहम लगाया। फिर उसे रुई की पतली बत्ती से दूध पिलाने का प्रयत्न किया। कई घंटे के उपचार के बाद उसके मुँह में पानी की एक बूंद टपकाया जा सका। इस प्रकार वह तीसरे दिन कुछ अच्छा हो पाया।

प्रश्न 3. लेखिका का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने के लिए गिल्लू क्या-क्या करता था?

उत्तर : लेखिका का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए वह उनके पैर तक आकर तेज़ी से पर्दे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेज़ी से उतरता। वह तब तक ऐसा करता रहता, जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न दौड़तीं।

प्रश्न 4. लेखिका ने गिल्लू के प्रथम वसंत को किस प्रकार पहचाना और फिर क्या किया?

उत्तर : जब कुछ गिलहरियाँ खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक की आवाज़ करने लगी और गिल्लू ने भी प्यार से बाहर झाँका, तब लेखिका ने उसके जीवन के प्रथम वसंत को पहचाना। फिर उन्होंने खिड़की की जाली का एक कोना खोल दिया जहाँ से वह बाहर जाने लगा।

गिल्लू पाठ का सारांश | Gillu Summary

          इस प्रस्तुत पाठ में एक चंचल तथा तेज गति से दौड़ने वाली जीव जो गिलहरी है, उससे लेखिका के अद्भुत प्रेम का परिचय मिलता है। Read More

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जब लेखिका लिखने बैठती तब गिल्लू क्या करता वे उस पर किस प्रकार नियंत्रण रखती थी?

उत्तर: जब लेखिका लिखने बैठती तो गिल्लू लेखिका का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करता। इसके लिए वह लेखिका के पैर तक आकर तेज़ी से पर्दे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से उतरता। गिल्लू यह क्रिया तब तक करता रहता जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न दौड़ती।

लेखिका को गिल्लू कहाँ और किस प्रकार मिला?

लेखिका को गिल्लू निश्चेष्ट अवस्था में गमले की संधि में मिला था। उसके शरीर पर कौओं की चोंच के जख्म थे। लेखिका ने उसे उठाया और धैर्यपूर्वक उसके घावों को साफ किया और मरहम लगाया। उन्होंने रूई की बत्ती बनाकर उसे दूध भी पिलाने की कोशिश की, उन्होंने बड़े धैर्य के साथ के साथ रात-दिन उसकी सेवा की।

गिल्लू को पहली बार लेखिका ने कब देखा था?

Answer: सोन जूही में लगी पीली कली को देखकर लेखिका के मन में उस छोटे से जीव को याद आ गई, जिसे वे गिल्लू कहते थे। गिल्लू इसी बेल (लता) की हरियाली में छुपकर बैठ जाता था

गिल्लू के रहने के लिए लेखिका ने क्या किया?

वह लेखिका पास रखी हुई सुराही पर लेट जाता था, जिससे वह लेखिका के नजदीक भी बना रहता और ठंडक में भी रहता। इस तरह उसने दो काम एक साथ करना सीख लिया था। लेखिका कहती है कि गिलहरियों के जीवन का समय दो वर्ष से अधिक नहीं होता, इसी कारण गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत भी नजदीक आ ही गया। दिन भर उसने न कुछ खाया न बाहर गया।