प्र०१. इनमें से कौन –सा मौलिक अधिकारों के उपयोग का उदाहरण नहीं है? क. बिहार के मजदूरों का पंजाब के खेतों में काम करने जाना। ख. ईसाई मिशनो द्वारा मिशनरी स्कूलों की श्रृंखला चलाना। ग. सरकारी नौकरी में औरत और मर्द को समान वेतन
मिलना। घ. बच्चे द्वारा मां– बाप की संपत्ति विरासत में पाना। उत्तर– बच्चों द्वारा मां– बाप की संपत्ति विरासत में पाना। यह मौलिक अधिकार के उपयोग का उदाहरण नहीं है। प्र०२. इनमें से कौन– सी स्वतंत्रता भारतीय नागरिकों को नहीं है? क. सरकार की आलोचना की स्वतंत्रता ख. सशस्त्र विद्रोह में भाग लेने की स्वतंत्रता ग. सरकार बदलने के लिए आंदोलन शुरू करने की
स्वतंत्रता घ. संविधान के केंद्रीय मूल्यों का विरोध करने की स्वतंत्रता। उत्तर– सशस्त्र विद्रोह में भाग लेने की स्वतंत्रता भारतीय नागरिकों को नहीं है। तथा संविधान के केंद्रीय मूल्यों का विरोध करने की स्वतंत्रा। यह दोनों स्वतंत्रता भारतीय नागरिकों को नहीं है। प्र०३. भारतीय संविधान इनमें से कौन– सा अधिकार देता है? क. काम का अधिकार ख. पर्याप्त जीविका का अधिकार ग.
अपनी संस्कृति की रक्षा का अधिकार घ. निजता का अधिकार उत्तर– अपनी संस्कृति की रक्षा का अधिकार भारतीय सविधान देता है। प्र०४. उस मौलिक अधिकार का नाम बताएं जिसके तहत निम्नलिखित स्वतंत्राएं आती है? क. अपने धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता ख. जीवन का अधिकार ग. छुआछूत की समाप्ति घ. बेगार पर प्रतिबंध उत्तर– क. धर्म की (धार्मिक) स्वतंत्रता का अधिकार ख. स्वतंत्रता का अधिकार ग. समानता का अधिकार घ. शोषण के विरुद्ध अधिकार। प्र०५. लोकतंत्र और अधिकारों के बीच संबंधों के बारे में इनमें से कौन –सा बयान ज्यादा उचित है? अपनी पसंद के पक्ष में कारण बताएं? क. हर लोकतांत्रिक देश अपने नागरिकों को अधिकार देता है। ख. अपने नागरिकों को अधिकार देने वाला हर देश लोकतांत्रिक है। ग. अधिकार देना अच्छा है, पर यह लोकतंत्र के लिए जरूरी नहीं है। उत्तर– कथन ‘क’ हर लोकतांत्रिक देश अपने नागरिकों को अधिकार देता है। लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को मतदान करने तथा चुनाव लड़ने का अधिकार दिया जाता है। चुनाव लोकतांत्रिक हो, इसके लिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार व्यक्त करने, राजनीतिक दल का निर्माण करने तथा राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार प्राप्त हो। लोकतंत्रीय राज्यों में नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। अधिकतर राज्यों में नागरिकों के महत्वपूर्ण अधिकारों को संविधान में शामिल कर दिया जाता है। भारतीय संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों को शामिल किया गया है और उनकी सुरक्षा के लिए भी उपाय किए गए हैं। ऐसा एक भी राज्य नहीं है जहां पर लोकतांत्रिक देश अपने नागरिकों को अधिकार नहीं देता है। सभी राज्य अपने देश को पूरा-पूरा अधिकार देते हैं। प्र०६. स्वतंत्रता के अधिकार पर ये पाबंदियां क्या उचित है? अपने जवाब के पक्ष में कारण बताएं। क. भारतीय नागरिकों को सुरक्षा कारणों से कुछ सीमावर्ती इलाकों में जाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है। उत्तर– हां, भारतीय नागरिकों को सुरक्षा कारणों से कुछ सीमावर्ती इलाकों में जाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है। क्योंकि ‘स्वतंत्रता का अधिकार ’ के अधिकार के अंतर्गत देश के किसी भी भाग में घूमने –फिरने का अधिकार है, परंतु देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए देश के कुछ भागों/क्षेत्रों (जैसे फौज की छावनी अथवा सीमावर्ती इलाकों) में जाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है। यह बिल्कुल ही न्यायसंगत है, क्योंकि देश की सुरक्षा के मुकाबले में नागरिकों के अधिकारों को प्राथमिकता नहीं दी जा सकती। ख. स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा के लिए कुछ इलाकों में बाहरी लोगों को संपत्ति खरीदने की अनुमति नहीं है। उत्तर– यह कथन भी सही है, स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा के लिए कुछ इलाकों में बाहरी लोगों को संपत्ति खरीदने की अनुमति नहीं है। क्योंकि कुछ क्षेत्रों में ऐसी व्यवस्था को अनुचित नहीं कहा जा सकता। कुछ कबाइली क्षेत्रों में तथा जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों के बारे में ऐसी पाबंदी लगाई गई है, ताकि वहां के लोग अपनी संस्कृति को बनाए रख सकें। ग. शासक दल को अगले चुनाव में नुकसान पहुंचा सकने वाली किताब पर सरकार प्रतिबंध लगाती है। उत्तर– शासक दल को अगले चुनाव में नुकसान पहुंचा सकने वाली किताब पर सरकार प्रतिबंध लगाती है, यह कथन उचित नहीं है। ऐसी पाबंदी को उचित नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि यह नागरिकों के विचार प्रकट करने के अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है। प्र०७. मनोज एक सरकारी दफ्तर में मैनेजर के पद के लिए आवेदन देने गया। वहां के किरानी ने उसका आवेदन लेने से मना कर दिया और कहा, ‘झाड़ू लगाने वाले का बेटा होकर तुम मैनेजर बनना चाहते हो। तुम्हारी जाति का कोई कभी इस पद पर आया है? नगरपालिका के दफ्तर जाओ और सफाई कर्मचारी के लिए अर्जी दो।’ इस मामले में मनोज के किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है? मनोज की तरफ से जिला अधिकारी के नाम लिखे एक पत्र में इसका उल्लेख करो। उत्तर– इस स्थिति में मनोज के स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है। स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति को अपनी इच्छा नुसार कोई भी कार्य, नौकरी अथवा व्यवसाय करने का अधिकार दिया गया है और किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरूद्ध कोई कार्य करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। अत: निम्न जातियों के लोगों को उनका जातिगत काम करने के लिए मजबूर करना उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। आदरणीय जिलाधीश महोदय, इस पत्र के माध्यम से मैं आपको सूचित करना चाहता हूं कि एक सफाई कर्मचारी का बेटा होने के कारण मुझे एक सरकारी दफ्तर में मैनेजर के पद पर नहीं रखा जा रहा है। जिसके कारण में समानता के अधिकार का लाभ नहीं उठा पा रहा हूं। मेरी जात को बता कर मुझे नौकरी नहीं दिया जा रहा है। आपसे विनम्र निवेदन है कि आप इस विषय में सख्त कार्यवाही करें। भवदीय, मनोज। प्र०८. जब मधुरिमा संपत्ति के पंजीकरण वाले दफ्तर में गई तो रजिस्ट्रार ने कहा, “आप अपना नाम मधुरिमा बनर्जी, बेटी ए. के. बनर्जी ” नहीं लिख सकती। आप शादीशुदा है और आपको अपने पति का ही नाम देना होगा। फिर आपके पति का उपनाम तो राव है। इसलिए आपका नाम भी बदलकर मधुरिमा राव जाना चाहिए। मधुरिमा इस बात से सहमत नहीं हुई। उसने कहा, “अगर शादी के बाद मेरे पति का नाम नहीं बदला तो मेरा नाम क्यों बदलना चाहिए? अगर वह अपने नाम के साथ पिता का नाम लिखते रह सकते हैं तो मैं क्यों नहीं लिख सकती? ” आपकी राय में इस विवाद में किसका पक्ष सही है? और क्यों? उत्तर– मेरी राय से यह विवाद समानता के अधिकार से संबंधित है। क्योंकि मेरे विचार में उपरोक्त मामले में विवाह ‘समानता के मौलिक अधिकार ’ से संबंधित है। संविधान के अनुच्छेद 16 में कहा गया है कि राज्य किसी भी व्यक्ति के साथ उसके धर्म, जाति, लिंग तथा जन्म स्थान आदि किसी भी आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा। उपरोक्त केस में मधुरिमा को ऐसा करने के लिए मजबूर करना उसके समानता के अधिकार का उल्लंघन होगा। मधुरिमा के मर्जी के बिना कोई भी उसके नाम को किसी और के नाम के साथ नहीं जोड़ सकता। प्र०९. मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पिपरिया में हजारों आदिवासी और जंगल में रहने वाले लोग सतपुड़ा राष्ट्रीय पार्क, बोरी वन्यजीव अभयारण्य और पंचमढ़ी वन्यजीव अभयारण्य से अपने प्रस्तावित विस्थापन का विरोध करने के लिए जमा हुए। उनका कहना था कि यह विस्थापन उनकी जीविका और उनके विश्वास पर हमला है। सरकार का दावा है कि इलाके के विकास और वन्य जीवो के संरक्षण के लिए उनका विस्थापन जरूरी है। जंगल पर आधारित जीवन जीने वाले की तरफ से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक पत्र, इस मसले पर सरकार द्वारा दिया जा सकने वाला संभावित जवाब और इस मामले पर मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट तैयार करो। उत्तर– मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के पिपरिया में हजारों आदिवासी और जंगल में रहने वाले लोग अपने प्रस्तावित विस्थापन का विरोध करने के लिए इकट्ठे हुए। उनके अनुसार सरकार द्वारा ऐसा करना उनके स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है, जो उन्हें देश के किसी भी भाग में बसने का अधिकार देता है। परंतु सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि सार्वजनिक हित में नागरिक की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन कर सकती है और और उसे सीमित कर सकती है। कुछ ही समय पहले दिल्ली में यमुना नदी के किनारे पर बसे झुग्गी– झोपड़ी वालों को वहां से हटा दिया गया है क्योंकि ऐसा करना उस स्थान के विकास तथा जानवरों की रक्षा के लिए आवश्यक समझा गया था। उस जंगल में रहने वाले लोगों में राष्ट्रीय मानवाधिकार को एक पत्र लिखा जिसमें यह कहा गया कि सरकार किसी अन्य स्थान पर उनके पुनर्वास का प्रबंध करें। दिल्ली सरकार ने ऐसा किया। सर्वोच्च न्यायालय का हाल ही का एक निर्णय भी इसी बात का समर्थन करता है जिसमें नर्मदा बांध की ऊंचाई को बढ़ाने के उद्देश्य से जिन लोगों को विस्थापित किया गया था, उनके पुनर्वास के लिए सरकार किसी अन्य स्थल पर प्रबंध करेगी। जंगलों में रहने वाले लोगों की तरफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को याचिका आदरणीय महोदय, सरकार हमें, हमारी आजीविका तथा आस्था से वंचित कर रही है। हमारे पूर्वज शुरुआत से ही जंगलों में रहते हुए आए हैं, और अब हमें भी जंगल में ही गुजारा करना पड़ रहा है। अब तो वह जंगल भी हमसे छीना जा रहा है। हमें रहने के लिए किसी भी आस्था को नहीं छोड़ा जा रहा है। आपसे विनम्र निवेदन है कि आप इस स्थिति की ओर ध्यान दें। प्र०१०. इस अध्याय में पढ़े विभिन्न अधिकारों को आपस में जोड़ने वाला एक मकड़जाल बनाए। जैसे आने– जाने की स्वतंत्रता का अधिकार तथा पेशा चुनने की स्वतंत्रता का अधिकार आपस में एक –दूसरे से जुड़े हैं। इसका एक कारण है कि आने –जाने की स्वतंत्रता के चलते व्यक्ति अपने गांव या शहर के अंदर ही नहीं, दूसरे गांव, दूसरे शहर और दूसरे राज्य तक जाकर काम कर सकता है। इसी प्रकार इस अधिकार को तीर्थाटन से जोड़ा जा सकता है जो किसी व्यक्ति द्वारा अपने धर्म का अनुसरण करने की आजादी से जुड़ा है। आप इस मकड़जाल को बनाए और तीर के निशानों से बताएं कि कौन –से अधिकार आपस में जुड़े हैं। हर तीर के साथ संबंध बताने वाला एक उदाहरण भी दे। उत्तर– लोकतंत्र अधिकार क्या है?हमने इस सरल परिभाषा के साथ शुरुआत की है कि लोकतंत्र शासन का एक रूप है जिसमें जनता शासकों का चुनाव करती है।
लोकतांत्रिक अधिकार कौन कौन से हैं?लोकतन्त्र के प्रकार
लोकतन्त्र की परिभाषा के अनुसार यह "जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन है"। लेकिन अलग-अलग देशकाल और परिस्थितियों में अलग-अलग धारणाओं के प्रयोग से इसकी अवधारणा कुछ जटिल हो गयी है।
लोकतांत्रिक और गैर लोकतांत्रिक में क्या अंतर है?Solution : लोकतांत्रिक सरकार जनता द्वारा चुनी जाती है, जबकि गैर-लोकतांत्रिक नहीं। लोकतांत्रिक देशों में लोगों को मौलिक अधिकार प्राप्त है जबकि गैर लोकतांत्रिक देशों में नहीं। लोकतंत्र में निरंतर चुनाव होते हैं जिसमें जनता सरकार को बदल सकती है।
लोकतंत्र में अधिकारों की क्या जरूरत है?Solution : भारत में सुदृढ़ लोकतंत्र के निर्माण के लिए अनेक लोकतांत्रिक अधिकार प्रदान किया जाना आवश्यक है <br> (i) मौलिक अधिकार : लोकतंत्र में अपने नागरिकों को कुछ मौलिक अधिकार, किसी भी धर्म को मानने का अधिकार, कोई भी कार्य करने का अधिकार दिया जाए तो वह अच्छा जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
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