लोकतंत्र और शिक्षा की अवधारणा क्या है? - lokatantr aur shiksha kee avadhaarana kya hai?

इस लेख के माध्यम से आप “लोकतंत्र और शिक्षा (Democracy and Education)” के बारे में अध्ययन करेंगे। आप जानेंगे कि – लोकतंत्र किसे कहते हैं? लोकतंत्र का अर्थ क्या है? लोकतंत्र की परिभाषा क्या है? लोकतंत्र में शिक्षा का महत्व क्या है? शिक्षा में लोकतंत्र का महत्व क्या है?

लोकतंत्र (Democracy)

लोकतंत्र को जनतंत्र अथवा प्रजातंत्र भी कहा जाता है।

लोकतंत्र का मतलब वैसा शासन प्रणाली से जिसमें लोगों का शासन होता है।

लोकतंत्र की परिभाषा

अब्राहम लिंकन के अनुसार :- लोकतंत्र वैसी शासन प्रणाली है जिसमें जनता को, जनता के लिए तथा जनता के द्वारा शासन किया जाता है।

ब्राइस के अनुसार :- लोकतंत्र शासन का वह रूप है जिसमें राज्य की शासन शक्ति किसी वर्ग विशेष अथवा वर्गों में निहित ना होकर संपूर्ण समाज के सदस्यों में निहित होती है।

डायसी के अनुसार – लोकतंत्र वह समाज है जिसमें अधिकारों की साधारण समानता तथा स्थिति की, विचारों की, भावनाओं की तथा आदर्शों की समानता पाई जाती है।

लोकतंत्र और शिक्षा

  • लोकतंत्र और शिक्षा दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं। एक के बिना दूसरा अधूरा है।
  • लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए सबसे आवश्यक शिक्षा है।
  • अगर कभी भी लोकतंत्र में दोष बताये जाते हैं तो उन सब का प्रमुख कारण शिक्षा का अभाव है।
  • शिक्षा ही लोकतंत्र के नागरिकों को जागरूक बनाती है और राज्य के कार्य में उनकी रुचि उत्पन्न करती है।
  • लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए शिक्षा आवश्यक है एवं शिक्षा को सफल बनाने के लिए लोकतंत्र आवश्यक है।
  • अर्थात हम कह सकते हैं कि लोकतंत्र और शिक्षा दोनों एक दूसरे के बिना अधूरा है।
  • जॉन ड्यूवी कहते हैं कि – शिक्षा के अभाव में लोकतंत्र लंगड़ा, निर्जीव तथा लचीला है और लोकतंत्र के अभाव में शिक्षा सूखी, नीरस तथा मृतप्राय हैं।

लोकतंत्र में शिक्षा का महत्व

  • शिक्षा लोकतंत्र को सफल बनाती है।
  • लोगों में लोकतांत्रिक मूल्यों का विकास शिक्षा के माध्यम से ही संपन्न होता है।
  • शिक्षा लोकतंत्र के समानता, अधिकार एवं नियम कानून को समझने में मदद करती है।
  • शिक्षा के माध्यम से ही हम अपने अधिकार एवं कर्तव्य जानते हैं जो लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए आवश्यक है।

शिक्षा में लोकतंत्र का महत्व

  • शिक्षा में लोकतंत्र का मतलब यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के शिक्षा दी जाए।
  • लोकतांत्रिक शिक्षा का प्रमुख लक्ष्य लोगों का कल्याण करना है।
  • लोकतांत्रिक शिक्षा के अंतर्गत बच्चों की बुद्धिलब्धि, प्रजाति, धर्म, सामाजिक स्थिति, आर्थिक स्थिति इत्यादि में भिन्नता होने के बावजूद भी सबको समान शिक्षा का अवसर उपलब्ध कराती है।
  • प्रजातांत्रिक शिक्षा के अंतर्गत प्रत्येक बच्चे को समान अधिकार, समान असुविधा एवं समान शिक्षा दी जाती है।
  • जब लोकतांत्रिक ढंग से बच्चे को शिक्षा दी जाती है तो प्रत्येक बच्चे शिक्षा को ग्रहण करते हैं जिससे एक अच्छा समाज विकसित होता है।

लोकतंत्र की शिक्षण पद्धति

  • स्वयं करके सीखना।
  • प्रयोग द्वारा सीखना।
  • प्रश्नोत्तर एवं वाद-विवाद के द्वारा सीखना।
  • स्वानुभव द्वारा सीखना।
  • सामूहिक क्रियाकलापों के द्वारा सीखना।

इस लेख के माध्यम से आपने जाना कि “लोकतंत्र (Democracy)” किसे कहते हैं?

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शिक्षा की लोकतांत्रिक अवधारणा से आप क्या समझते हैं?

एक लोकतांत्रिक समाज में शिक्षा के उद्देश्य की अभिव्यक्ति उचित नागरिक के पूर्ण विकास में निहित है। एक उचित नागरिक से तात्पर्य यह है कि व्यक्ति अपने स्वयं के प्रति तथा अपने सहयोगियों के प्रति उत्तरदायित्व को निभा सके। वह ऐसा व्यक्ति हो जो अपने अधिकारों और कर्तव्यों के संबंध में जागरूक हो।

लोकतंत्र और शिक्षा में क्या संबंध है स्पष्ट कीजिए?

लोकतंत्र और शिक्षा का आपस में अन्योन्याश्रित सम्बन्ध है और एक के अभाव में दूसरा सफल नहीं हो सकता । लोकतंत्र लोगों को स्वतंत्रता प्रदान करने में विश्वास करता है । परंतु, यदि लोग शिक्षित नहीं हैं तो उनकी स्वतंत्रता अराजकता और अनुशासनहीनता की तरफ जा सकती है। लोकतांत्रिक शिक्षा के लिए आर्थिक - आत्मनिर्भरता भी आवश्यक है।

लोकतंत्र में शिक्षा के क्या उद्देश्य है?

लोकतांत्रिक शिक्षा का उद्देश्य हर व्यक्ति के व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास करना है। अर्थात् शिक्षा छात्रों के समुदाय में रहने की कला का विकास आधार है। भारतीय समाज " एकता में अनेकता” का व्यापक उदाहरण प्रस्तुत करता है। भारत अपनी क्षेत्रीय सीमाओं के पार व्यापक विविधताओं के साथ एक राष्ट्र राज्य है।

क्या शिक्षा लोकतंत्र व्यवस्था को सुगम बनाती है चर्चा कीजिए?

शिक्षा को अधिक सार्थक, संगत व उपयोगी बनाने के लिए इसकी समस्त प्रक्रिया में लोकतंत्रीय मूल्यों तथा सिद्धान्तों का प्रयोग करना चाहिए। इसी प्रकार शिक्षा के बिना कोई लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता है, क्योंकि किसी भी सभ्य समाज के नागरिकों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों का ज्ञान होना आवश्यक है