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गाय को खुरपका मुंहपका रोग - Foot And Mouth Disease in Cow in Hindiशेयर करें January 23, 2021 कई बार आवाज़ आने में कुछ क्षण का विलम्ब हो सकता है! खुरपका मुंहपका रोग गाय, भैंस व दो खुरों वाले अन्य जानवरों में होने वाला रोग है। यह एक प्रकार का वायरल संक्रमण है, तो तेजी से फैलता है। गाय को खुरपका मुंहपका रोग होने पर उसके मुंह व खुरों में घाव बनने लग जाते हैं कुछ गंभीर मामलों में ये घाव पूंछ व थनों में भी हो सकते हैं। यह रोग एफ्थोवायरस के कारण होता है, ये वायरस कई प्रकार के होते हैं जो यह संक्रमण पैदा कर सकते हैं। संक्रमण से चार दिन बाद इसके लक्षण दिखने लग जाते हैं। मुंह व खुरों में छाले व घाव बनना जिसके प्रमुख लक्षण हैं। इसके अलावा गाय के स्वास्थ्य के अनुसार कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जिनमें बुखार आदि शामिल हैं। खुरपका मुंहपका रोग का कोई सटीक इलाज नहीं है। हालांकि, इसके लक्षणों के अनुसार दवाएं देकर इसका इलाज किया जाता है। यदि समय पर इसका इलाज न किया जाए तो इससे गाय दूध देना पूरी तरह से बंद कर सकती है और कुछ गंभीर मामलों में गाय की मृत्यु भी हो सकती है।
खुरपका मुंहपका रोग क्या है - Khurpaka muhpaka rog kya haiखुरपका मुंहपका रोग एक वायरल संक्रमण है, जो पैर में दो खुर वाले जानवरों को होता है। यह तेजी से फैलने वाला संक्रमण है, जो संक्रमित जानवर को गंभीर रूप से बीमार बना देता है। जैसा कि इस रोग का नाम है, इस से जानवर का मुंह व खुर प्रभावित होते हैं। अंग्रेजी भाषा में इसे “फुट एंड माउथ डिजीज” कहा जाता है। खुरपका मुंहपका रोग से ग्रस्त गाय शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो जाती है और उसके दूध उत्पादन में भी काफी कमी आ जाती है। (और पढ़ें - गाय के घी के फायदे) गाय के खुरों और मुंह पर घाव व छाले बनना इस रोग का सबसे स्पष्ट लक्षण है, ये छाले मुख्य रूप से खुरों के बीच में और मुंह के अंदर बनते हैं। इसके अलावा कुछ दुर्लभ मामलों में गाय की पूंछ व थन आदि पर भी घाव बन सकते हैं। ये सभी लक्षण गाय को संक्रमण होने के चार दिन बाद विकसित होने लगते हैं। हालांकि, कुछ गायों में थोड़ा अधिक समय भी लग सकता है। इतना ही नहीं खुरपका मुंहपका रोग में मुंह व खुरों पर छालों के साथ कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं, जैसे -
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए? यदि गाय के मुंह व खुरों में घाव लगातार बढ़ता जा रहा है, तो जल्द से जल्द पशु चिकित्सक से संपर्क कर लेना चाहिए। इसके अलावा यदि ऊपरोक्त में से कोई भी लक्षण हो रहा है, तो भी पशु चिकित्सक को दिखा लेना चाहिए। (और पढ़ें - भैंस को खुरपका मुंहपका रोग के लक्षण) गाय को खुरपका मुंहपका रोग होने का कारण - Gaay ko khurpaka muhpaka rog hone ke karanखुरपका मुंहपका रोग एक वायरल संक्रमण है। यह रोग मुख्यत: एफ्थोवायरस के कारण होता है। एफ्थोवायरस के प्रमुख सात प्रकार हैं, जो खुरपका मुंहपका रोग का कारण बनते हैं। इन्हें ए (A), ओएचएसएस(O), सी(C), एसएटी1 (SAT1), एसएटी 2 (SAT2), एसएटी3 (SAT3) और एशिया1 (ASIA) के नाम से जाना जाता है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह वायरस जंगली जानवरों से आया है। हालांकि, भारत में अभी किसी जंगली जानवर के सैंपल में इसकी उपस्थिति नहीं मिली है। वायरस कैसे फैलता है? एफ्थोवायरस से होने वाला संक्रमण मुख्य रूप से इससे पहले से ही संक्रमित हुए जानवर के संपर्क में आने से होता है। यह वायरस संक्रमित जानवर की लार, मूत्र, गोबर, दूध और अन्य शारीरिक द्रवों में पाया जाता है। यदि कोई स्वस्थ जानवर इनमें से किसी के संपर्क में आता है, तो उसे यह रोग हो जाता है। कुछ परिस्थितियों में गाय को खुरपका मुंहपका रोग होने का खतरा बढ़ जाता है -
कई बार गाय में संक्रमण के लक्षण कम होने लगते हैं, लेकिन फिर भी वे अन्य जानवरों में संक्रमण फैला सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि लक्षणों के जाने के बाद भी कुछ दिन तक गाय के शारीरिक द्रवों में वायरस सक्रिय रह सकता है। गाय को खुरपका मुंहपका रोग होने का बचाव - Gaay ko khurpaka muhpaka rog hone se bachavखुरपका मुंहपका रोग एक प्रकार का वायरल संक्रमण है, जिसका परीक्षण सिर्फ पशु चिकित्सक द्वारा ही किया जाता है। इस स्थिति का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर गाय के मुंह व खुर के घावों को करीब से देखते हैं। संक्रमण की पुष्टि करने के लिए घाव से द्रव का सैंपल लेकर कुछ टेस्ट भी किए जा सकते हैं। गाय को खुरपका मुंहपका रोग का परीक्षण - Gaay ko khurpaka muhpaka rog ka parikshanखुरपका मुंहपका रोग होने के बाद घरेलू उपायों की मदद से उसकी रोकथाम नहीं की जा सकती है। हालांकि, यह रोग अन्य जानवरों में फैलने से रोका जा सकता है। खुरपका मुंहपका रोग के लिए टीका भी तैयार किया जा सकता है, जिसे उचित समय पर लगवा कर गाय को खुरपका मुंहपका रोग होने से बचाव किया जा सकता है। लेकिन एक ही टीके से एफ्थोवायरस के सभी प्रकारों की रोकथाम नहीं की जा सकती है, इन सबके लिए अलग टीकाकरण करना पड़ता है और साथ ही यह टीका एक सीमित समय तक ही वायरस से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। यदि संक्रमण पहले ही हो चुका है, तो फिर उसे टीकाकरण की मदद से रोका नहीं जा सकता है। इसके अलावा कुछ अन्य तरीके हैं, जिनकी मदद से खुरपका मुंहपका रोग अन्य जानवरों से गाय को होने से बचाव किया जा सकता है -
गाय को खुरपका मुंहपका रोग का इलाज - Gaay ko khurpaka muhpaka rog hone ka ilaajखुरपका मुंहपका रोग के लिए कोई सटीक इलाज नहीं है। संक्रमित गाय को अन्य जानवरों से दूर रखना ही इसका प्राथमिक इलाज माना जाता है। गाय के लक्षणों के अनुसार ही दवाएं दी जाती हैं। पशु चिकित्सक इस रोग के इलाज में मुख्यत एंटी इंफ्लामेटरी, बुखार और दर्द निवारक दवाओं का उपयोग करते हैं। हालांकि, यदि रोग गंभीर नहीं है, तो बिना दवाओं के अपने आप भी ठीक हो जाता है। लेकिन रोग की गंभीरता की पुष्टि पशु चिकित्सक द्वारा ही की जाती है और वे ही निर्धारित करते हैं कि इसको इलाज की जरूरत है या नहीं। क्योंकि कुछ मामलों में यह रोग इलाज न करवाने पर धीरे-धीरे गंभीर हो जाता है, जिसे बाद में इलाज से भी नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में कई बार पशुओं की मृत्यु भी हो जाती है। गाय को खुरपका मुंहपका रोग की जटिलताएं - Gaay ko khurpaka muhpaka rog ki jatiltayenकुछ मामलों में खुरपका मुंहपका रोग से गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं, जैसे प्रभावित भागों में तीव्र दर्द होना और लंगड़ापन आदि। खुरपका मुंहपका रोग से गाय को जीवनभर के लिए लंगड़ापन हो सकता है और कुछ मामलों में गाय की मृत्यु भी हो सकती है। इसके अलावा वयस्क गाय की तुलना में छोटे बछड़े व बछड़ियों को खुरपका मुंहपका रोग से अधिक समस्याएं होती हैं। छोटे बच्चों के हृदय में सूजन आ जाती है, जिनके कारण उनकी मृत्यु हो जाती है। सम्बंधित लेखडॉक्टर से अपना सवाल पूछें और 10 मिनट में जवाब पाएँ खुर पका मुंह पका रोग का इलाज क्या है?रोगग्रस्त पशु के पैर को नीम एवं पीपल के छाले का काढ़ा बना कर दिन में दो से तीन बार धोना चाहिए। प्रभावित पैरों को फिनाइल-युक्त पानी से दिन में दो-तीन बार धोकर मक्खी को दूर रखने वाली मलहम का प्रयोग करना चाहिए। मुँह के छाले को 1 प्रतिशत फिटकरी अर्थात 1 ग्राम फिटकरी 100 मिलीलीटर पानी में घोलकर दिन में तीन बार धोना चाहिए।
मुंह पका खुर पका रोग किसकी कमी से होता है?खुरपका और मुंहपका रोग पशुओं में तेजी से फैलने वाला विषाणु जनित रोग है, जिससे पशुओं के उत्पादन एवं कार्यक्षमता पर कुप्रभाव पड़ता है। इस रोग की रोकथाम को चल रहे टीकाकरण के 22वें चरण के अभियान को तेज कर दिया है। विभाग मुताबिक जनपद में 20 जून के बाद कभी मानसून की बारिश हो सकती है।
भैंस चारा नहीं खा रही है क्या कारण है?सर्दी की वजह से भैंस ने चारा खाना छोड़ दिया है। पशु चिकित्सक को बताकर गोली ले आएं। कीड़े मारने की भी दवा भी खिलाएं।
गाय के मुंह में छाले होने पर क्या करना चाहिए?पशु के मुंह में छाले पड़ने पर सुहागा के चूर्ण को पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए या फिर पोटाश को ठंडे पानी में मिलाकर मुंह की सफाई करनी चाहिए। या फिर ग्लिसरीन और बोरिक ऐसिड का पेस्ट बनाकर जीभ के उपर छालों पर लगानी चाहिए। इन उपचारों को दिन में तीन से चार बार दोहराते रहते चाहिए।
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