निबंध सेप्रश्न 1: खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें। Show
उत्तर: पिछले दस पंद्रह वर्षों में लोगों के खान पान में भारी बदलाव आया है। अब लोग स्थानीय व्यंजन के अलावा दूसरे प्रांतों और दूसरे देशों के व्यंजन भी नियमित रूप से खाने लगे हैं। आज की गृहिणियों को कई प्रकार के व्यंजन बनाने में दक्षता प्राप्त है। आज हर उम्र के लोग अन्य प्रांतों और अन्य देशों के भोजन को पसंद करते हैं। जैसे मेरे घर में आमतौर पर रोटी, चावल, दाल और सब्जी बनती है। इसके अलावा महीने में दो चार दिन इडली, डोसा, ढ़ोकला, आदि भी बनते हैं। नूडल्स और पास्ता भी घर में नियमित रूप से बनते हैं। कभी कभी बाजार से बर्गर और पिज्जा मंगवा कर भी खाये जाते हैं। प्रश्न 2: खानपान में बदलाव के कौन से फायदे हैं? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है? उत्तर: खानपान में बदलाव के कई फायदे हैं। खानपान में बदलाव से न केवल हमारे भोजन में विविधता आती है बल्कि हम अन्य प्रदेशों और अन्य देशों की संस्कृति के बारे में जानने का अवसर भी पाते हैं। कई फास्ट फूड के प्रचलन से आज गृहिणियों, खासकर से कामकाजी महिलाओं के समय की बचत होती है। लेकिन कई फास्ट फूड सेहत के लिए हानिकारक साबित होते हैं। प्रश्न 3: खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है? उत्तर: खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ है स्थानीय व्यंजन को प्रमुखता देना। जैसे यदि कोई बंगाली हिल्सा मछली खाता है तो यह उसके लिए स्थानीय व्यंजन है। लेकिन वही बंगाली जब ढ़ोकला खाता है तो वह स्थानीयता नहीं अपना रहा है। निबंध से आगेप्रश्न 1: घर में बातचीत करके पता कीजिए कि आपके घर में क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी बनाई बाजार से आती हैं? इनमें से बाजार से आनेवाली कौन सी चीजें आपके माँ पिताजी के बचपन में घर में बनती थीं? उत्तर: मेरे घर में रोटी, चावल, पराठा, सब्जी, दाल, कढ़ी, आदि पकती हैं। इनके अलावा मेरे घर में पाव भाजी, डोसा, इडली और बड़ा पाव भी बनते हैं। मेरे घर में चिप्स, नूडल्स, पिज्जा, केचप, आदि बनी बनाई बाजार से आती हैं। मेरे माँ पिताजी के बचपन में उनके घर में पाव भाजी, डोसा, इडली या बड़ा पाव नहीं बनते थे। लेकिन उनके घर में चिप्स और नमकीन बनते थे। Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर Textbook Exercise Questions and Answers. निबंध से Khan
Pan Ki Badalti Tasveer Question Answer HBSE प्रश्न 1. Khanpan Ki Badalti Tasveer Question Answer HBSE प्रश्न 2. लेखक इस बदलाव को लेकर इसलिए चिंतित है क्योंकि अब स्थानीय खानों को लोग भूलते जा रहे हैं, वे बाजार से गायब हो रहे हैं। आधुनिकता के नाम पर हमने चीजें अपना ली हैं जो स्वाद और स्वास्थ्य की दृष्टि से हमारे अनुकूल नहीं हैं। खानपान की बदलती तस्वीर प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 3. निबंध से आगे Class 7 Hindi Chapter 14 HBSE खानपान की बदलती तस्वीर प्रश्न 1. खानपान की बदलती तस्वीर HBSE 7th Class प्रश्न 2.
उत्तर:
खान पान की बदलती तस्वीर HBSE 7th Class प्रश्न 3. Class 7 Hindi Khanpan Ki Badalti Tasveer Question Answer HBSE प्रश्न 4. इसी प्रकार आप कपड़ों या पोशाकों की बदलती तस्वीर का खाका खींचिए। Class 7 Hindi Chapter 14 Summary HBSE प्रश्न 5.
HBSE 7th Class Hindi खानपान की बदलती तस्वीर Important Questions and Answersअति लघुत्तरात्मक प्रश्न Khan Pan Ki Badalti Tasvir HBSE 7th Class
प्रश्न 1. Class 7 Hindi Chapter 14 Pdf HBSE प्रश्न 2. Class 7 Ch 14 Hindi HBSE खानपान की बदलती तस्वीर प्रश्न 3. Class 7 Chapter 14 Hindi HBSE खानपान की बदलती तस्वीर प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. लघुत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. खानपान की बदलती तस्वीर गिद्यांशों पर अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न 1. पिछले दस-पंद्रह ……………….. नहीं रहे। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न : बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए 1. किस बात में बदलाव आया है? 2. ‘ढाबा संस्कृति’ कहाँ तक फैल चुकी
है? 3. बड़े शहरों में किसका प्रचलन बढ़ा है? 4. क्या चीज अब अजनबी नहीं रही? 2. खानपान की ……………………. दुःसाध्य है। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
4. अब घरों में मौसम और ऋतुओं के अनुसार व्यंजन इसलिए नहीं बन पाते क्योंकि अब उन्हें इनको बनाने की फुरसत नहीं है। काम-काजी महिलाओं के लिए सामान तैयार करना और व्यंजन बनाना कठिन है। बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए 1. खान-पान की बदली संस्कृति ने किसे अधिक प्रभावित किया है? 2. मुंबई की क्या चीज़ प्रसिद्ध खान-पान में है? 3.
खान-पान की चीजों की किस बात में फर्क आया 4. ‘दुःसाध्य’ शब्द का सही अर्थ है 3. हम खान-पान ……… रही है। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न : बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए 1. खान-पान की नई संस्कृति का लाभ है 2. किसका पुनरुद्धार जरूरी है? 3. ‘मौसमी सब्जियाँ’- रेखांकित शब्द क्या है? 4. अचरज नहीं ………………… अनुकूलित हैं। अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न : बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए 1. अब पहले की आम चीजों को कहाँ तलाशा जाता 2.
‘आधुनिकता’ में ‘ता’ क्या है? 3. ‘अनुकूलित’ में किस प्रत्यय का प्रयोग है? 4. इस पाठ के लेखक हैं खानपान की बदलती तस्वीर Summary in Hindiखानपान की बदलती तस्वीर पाठ का सार इस पाठ में लेखक ने खानपान के क्षेत्र में आए बदलाव का चित्रण किया है। पिछले 10-15 वर्षों में खानपान की संस्कृति में काफी बदलाव दिखाई दिया है। अब दक्षिण भारत के व्यंजन इडली-डोसा-बड़ा-साँभर-रसम पूरे उत्तर भारत में मिलते हैं और खाए भी जाते हैं। ‘ढाबा’ संस्कृति भी सभी जगह दिखाई देती है। उत्तर भारतीय खाना रोटी-दाल-साग भी सभी जगह उपलब्ध है। अब तो ‘फास्ट फूड’ का चलन भी खूब बढ़ चला है। इसमें बर्गर, नूडल्स चीजें शामिल हैं। अब गुजराती व्यंजन ढोकला-गाठिया भी देश के सभी भागों में स्वाद लेकर खाए जाते हैं। बंगाली मिठाइयाँ भी सभी शहरों में मिल जाती हैं। अंग्रेजी राज में प्रचलित ब्रेड नाश्ते के रूप में लाखों-करोड़ों घरों में सेंकी-तली जा रही है। खानपान की इस बदलती संस्कृति ने नई पीढ़ी को सबसे अधिक प्रभावित किया है। मुंबई की पाव-भाजी और दिल्ली के छोले-कुल्चे की अपनी दुनिया है। अब मथुरा के पेड़े और आगरा के पेठे-नमकीन में वह बात नहीं रह गई है। अब इनकी गुणवत्ता में अंतर आ गया है। अब कामकाजी महिलाओं के लिए खरबूजे के बीज सुखाना और छीलना फिर उनसे व्यंजन तैयार करना कठिन हो गया है। अब तो देसी-विदेशी वे व्यंजन अपनाए जा रहे हैं जिन्हें बनाने पकाने में सुविधा होती हो। कई बार व्यंजन पुस्तिकाओं के आधार पर तैयार किए जाते हैं। इसके कुछ सकारात्मक पक्ष भी हैं। आजादी के बाद अब ‘टिफिन’ संस्कृति का प्रचार बढ़ा है। स्कूली बच्चे टिफिन ले जाते हैं। खानपान की नई संस्कृति में राष्ट्रीय एकता के बीज भी मिल जाते हैं। अब स्थानीय व्यंजनों के पुनरुद्धार की भी जरूरत है। इन्हें पाँच सितारा होटलों के लिए ही नहीं छोड़ देना चाहिए। अब पूड़ियाँ-कचौड़ियाँ-जलेबियाँ स्थानीय बाजारों से गायब हो रही हैं। मौसमी सब्जियों से भरे समोसे भी नहीं मिल पाते। हमने पश्चिम की नकल में खाने की ऐसी बहुत सी चीजें अपना ली हैं जो स्वाद, स्वास्थ्य और सरसता की दृष्टि से हमारे अनुकूल नहीं हैं। खानपान की मिश्रित संस्कृति में हम कई बार चीजों का सही स्वाद नहीं ले पाते हैं। प्रीतिभोजों में चीजों का स्वाद गड्डमड हो जाता है। खाने की चीजों के चुनाव में हम सही लाभ न उठाकर विपरीत प्रकृति वाले व्यंजन खा लेते हैं। खानपान की मिश्रित-विविध संस्कृति को जाँचते रहना आवश्यक है। खानपान की बदलती तस्वीर शब्दार्थ ढाबा = रोटी की दुकान (Dhaba)। चाइनीस = चीन देश का (Chines)। अजनबी = अपरिचित (Unknown)। स्थानीय = स्थान विशेष का (Local)। विज्ञापित = विज्ञापन में दिखाया गया (Advertised)। विविधता = अनेक रूप या विभिन्न, अनेकता (Diversity)। मसलन = जैसे, यथा (AS)। साहबी ठिकानों तक = समृद्ध (अमीर) लोगों के घरों तक (Prosperous people)। कस्बा = नगर या गाँव (Town, village)। गृहिणी = वे महिलाएँ जो कहीं नौकरी नहीं करती (House wife)। कामकाजी ” काम-काज करने वाली महिलाएँ (Working Ladies)। भागमभाग = भागदौड़, जीवन की, व्यस्तता (Busy life) मिश्रित = मिली-जुली (Mixed)। बोली-बानी = बोलचाल की भाषा (Speaking Language)। पुनरुद्धार = फिर से ऊपर उठाना या फिर से छुटकारा (Renovation)। प्रचारार्थ = प्रचार के लिए (For publicity)। दुर्भाग्य = बदकिस्मती (Bad luck)। दुर्गति = बुरी हालत (Bad condition)। अचरज = आश्चर्य (Surprise)। तलाश = खोजा, ढूँढा (Invention)। कड़वा = असली, वास्तविकता (Bitter)। विनिहित . रखा हुआ (Captured). खान पान की बदलती तस्वीर के लेखक कौन हैं?खानपान की बदलती तस्वीर सार वसंत भाग - 1 (Summary of Khanpan ki Badalti Tasvir Vasant) इस निबंध के द्वारा लेखक श्री प्रयाग शुक्ल ने आधुनिक युग तथा पश्चिमी सभ्यता के कारण खान-पान की बदलती हुई तस्वीर को दर्शाया है। पिछले दस-पंद्रह वर्षों से हमारे देश की खान-पान की संस्कृति में बहुत बदलाव आया है।
खानपान में बदलाव के कौन से फ़ायदे हैं फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है IMP उत्तर?फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है? उत्तर: खानपान में बदलाव के कई फायदे हैं। खानपान में बदलाव से न केवल हमारे भोजन में विविधता आती है बल्कि हम अन्य प्रदेशों और अन्य देशों की संस्कृति के बारे में जानने का अवसर भी पाते हैं। कई फास्ट फूड के प्रचलन से आज गृहिणियों, खासकर से कामकाजी महिलाओं के समय की बचत होती है।
खान पान की बदलती तस्वीर क्या है?Answer: यहाँ मिश्रित संस्कृति से लेखक का तात्पर्य विभिन्न प्रांतो व देशों के व्यंजनों के अलग-अलग प्रकारो का मिला जुला रूप है। उदाहरण के लिए आज एक ही घर में हमें दक्षिण भारतीय, उत्तर भारतीय व विदेशी व्यंजनों का मिश्रित रूप खाने में मिल जाता है। जैसे - कभी ब्रेड तो कभी पराठे, कभी सांभर-डोसा तो कभी राजमा जैसे व्यंजन।
खानपान की बदलती तस्वीर गद्य की कौन सी विधा है 1 Point कहानी कविता निबंध उपन्यास?मध्यकाल में जहाँ एक प्रकार का तथा एक ही विधा में अधिकांश साहित्य मिलता है वहीं आधुनिक काल में गद्य, पद्य, उपन्यास, कहानी, पत्रकारिता तथा अनुवाद आदि विविध विधाएँ विकसित हुई और हो रही हैं।
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