ख खा खाकर कुछ पाएगा नहीं न खाकर बनेगा अहंकारी 5 बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललद्यद ने क्या उपाय सुझाया है? - kh kha khaakar kuchh paega nahin na khaakar banega ahankaaree 5 band dvaar kee saankal kholane ke lie laladyad ne kya upaay sujhaaya hai?

वाख

ललद्यद

NCERT Solution

Question 1: ‘रस्सी’ यहाँ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कैसी है?

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उत्तर: यहाँ पर जीवन की नैया को खींचने के लिए किये जा रहे प्रयासों को रस्सी की संज्ञा दी गई है। यह रस्सी कच्चे धागे की बनी है अर्थात बहुत ही कमजोर है और कभी भी टूट सकती है।

Question 2: कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं?

उत्तर: कवयित्री के प्रयास ऐसे ही हैं जैसे कोई मिट्टी के कच्चे सकोरे में पानी भरने की कोशिश कर रहा हो। ऐसे में पानी जगह से जगह से रिसने लगता है और कसोरा भर नहीं पाता है। कवयित्री को लगता है कि भक्त के प्रयास निरर्थक साबित हो रहे हैं।

Question 3: कवयित्री को ‘घर जाने की चाह’ से क्या तात्पर्य है?

उत्तर: यहाँ पर भगवान से मिलने की इच्छा को घर जाने की चाह बताया गया है।


Chapter List

दो बैलों की कथा ल्हासा की ओर उपभोक्तावाद की संस्कृति साँवले सपनों की याद देवी मैना प्रेमचंद के फटे जूते बचपन के दिन एक कुत्ता और एक मैना कबीर ललद्यद रसखान माखनलाल चतुर्वेदी सुमित्रानंदन पंत केदारनाथ अग्रवाल सर्वेश्वरदयाल सक्सेना चंद्रकांत देवताले स्पर्श कृतिका संचयन

Question 4: भाव स्पष्ट कीजिए:

  1. जेब टटोली कौड़ी न पाई।

    उत्तर: आखिर में जब भक्त की नाव को भगवान पार लगा देते हैं तो वह कृतध्न होकर उन्हें कुछ देना चाहता है। लेकिन भक्त की श्रद्धा की पराकाष्ठा ऐसी है कि उसे लगता है कि उसके पास देने के लिए कुछ भी नहीं है। जो कुछ उसने जीवन में पाया वो सब तो भगवान का दिया हुआ है। वह तो खाली हाथ इस संसार में आया था और खाली हाथ ही वापस गया।

  2. खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं, न खाकर बनेगा अहंकारी।

    उत्तर: यदि कोई आडम्बर से भरी हुई पूजा करता है तो उससे कुछ नहीं मिलता है। पूजा नहीं करने वाला अपने अहंकार में डूब जाता है।


Question 5: बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललद्यद ने क्या उपाय सुझाया है?

उत्तर: बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए कवि ने इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने का सुझाव दिया है। इसका मतलब है कि यदि आप सच्चे मायने में भगवान को पाना चाहते हैं तो आपको लोभ और लालच से मोहभंग करना होगा।

Question 6: ईश्वर प्राप्ति के लिए बहुत से साधक हठयोग जैसी कठिन साधना भी करते हैं, लेकिन उससे भी लक्ष्य प्राप्ति नहीं होती। यह भाव किन पंक्तियों में व्यक्त हुआ है?

उत्तर: आई सीधी राह से, गई न सीधी राह्।
सुषुम सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह।

Question 7: ‘ज्ञानी’ से कवयित्री का क्या अभिप्राय है?

उत्तर: वैसा मनुष्य ज्ञानी होता है जिसे अपने आप की सही पहचान होती है। कवयित्री का मानना है कि जो मनुष्य मंदिर-मस्जिद या विभिन्न देवी देवताओं में उलझा रहता है उसे ज्ञान नहीं मिल पाता है। जिसने आत्मज्ञान प्राप्त कर लिया वही सच्चा ज्ञानी है।

Question 8: हमारे संतों, भक्तों और महापुरुषों ने बार बार चेताया है कि मनुष्यों में परस्पर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होता, लेकिन आज भी हमारे समाज में भेदभाव दिखाई देता है:

  1. आपकी दृष्टि में इस कारण देश और समाज को क्या हानि हो रही है?

    उत्तर: आज का समाज धर्म और जाति के नाम पर बँटा हुआ है। कई जगह सांप्रदायिक झगड़े होते हैं। कई बार एक जाति के लोग किसी अन्य जाति के लोगों के खिलाफ हथियार उठा लेते हैं। इससे पारस्परिक सौहार्द्र मिट जाता है। एक आदमी का दूसरे आदमी पर से विश्वास उठ जाता है।

  2. आपसी भेदभाव को मिटाने के लिए अपने सुझाव दीजिए।

    उत्तर: हमें धर्म या समुदाय की सीमाओं से परे होकर एक दूसरे के साथ भाईचारा बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। हमें दूसरे के धर्म की इज्जत करनी चाहिए। आपसी सहयोग से ही हर तरफ खुशहाली और तरक्की आएगी।


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