क्या माता पिता से ब्लड ग्रुप बदल सकता है? - kya maata pita se blad grup badal sakata hai?

वैज्ञानिकों ने पहली बार ये दावा किया है कि किसी महिला का ब्लड ग्रुप उसके गर्भधारण करने की संभावना को प्रभावित करता है.

एक नए शोध के मुताबिक 'ओ पाज़िटिव' ब्लड ग्रुप वाली महिलाओं को गर्भधारण करने में मुश्किलें आ सकती हैं क्योंकि उनके अंडाणु कम हो सकते हैं.

वैज्ञानिकों का कहना है कि 'ए पाज़िटिव' ब्लड ग्रुप की महिलाओं के लिए तुलनात्मक दृष्टि से गर्भधारण करना इसलिए आसान है क्योंकि उनके अंडाणुओं का स्तर बेहतर होता है.

इस शोध के लिए न्यूयॉर्क और येल विश्वविद्यालय के ऐल्बर्ट आइंस्टाइन कॉलेज के विशेषज्ञों ने 35 की औसत उम्र की उन 560 महिलाओं के साथ काम किया जो प्रजनन के लिए इलाज़ करवा रही थीं.

इस शोध के परिणाम का मतलब ये हुआ कि अब किसी महिला के प्रजनन संबंधी इलाज़ के लिए उसके ब्लड ग्रुप पर ध्यान दिए जाने की ज़रूरत ज़्यादा होगी.

'ए' ब्लड ग्रुप वाले लोगों के ख़ून में 'ऐंटिजन ए' होता है.

ये एक प्रोटीन है जो कोशिकाओं की सतह पर होता है. 'ऐंटिजन ए', 'ओ ब्लड ग्रुप' के लोगों में नहीं पाया जाता.

ऐल्बर्ट आइंस्टाइन कॉलेज के डॉक्टर ऐडवर्ड नेजात का कहना है कि 'ए और एबी' ब्लड ग्रुप वाली महिलाओं की बच्चेदानी में अंडाणुओं की संख्या कम होने की संभावना कम होती है.

डॉक्टर ऐडवर्ड नेजात ने कहा कि अभी इस क्षेत्र में और शोध की आवश्यकता है लेकिन अबतक इस विषय में जितना पता चला है, वो काफ़ी महत्वपूर्ण है.

उनका कहना है कि महिला की प्रजनन शक्ति निर्धारित करने में उसकी उम्र ही सबसे अहम भूमिका निभाती है.

ब्रिटिश फ़र्टिलिटी सोसायटी के टोनी रदरफ़ोर्ड का कहना है," ये पहला मौक़ा है जबकि शोधकर्ताओं ने प्रजनन शक्ति और ब्लड ग्रुप में संबंध दिखाया है."

उन्होंने कहा कि ये महत्वपूर्ण हो सकता है लेकिन इसके साथ साथ हॉरमोन और प्रजनन के लिए ज़रूरी दूसरे और पैमानों को एक साथ जोड़कर देखना होगा और इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है.

गोल्डन ब्लड. सुनकर ही किसी बेशकीमती चीज़ का अहसास होता है. यह ख़ून का दुर्लभ ग्रुप है जो दुनिया में बहुत कम लोगों का होता है.

भले ही इस ब्लड ग्रुप वाले लोगों को आप ख़ास समझें मगर हक़ीकत यह है कि उनके लिए यह बात कई बार जानलेवा भी बन जाती है.

जिस ब्लड ग्रुप को गोल्ड ब्लड कहा जाता है, उसका असली नाम आरएच नल (Rh null) है.

Rh null क्या है और यह क्यों इतना क़ीमती समझा जाता है कि इसकी तुलना सोने से होती है? आख़िर इस ब्लड ग्रुप वाले लोगों को क्या ख़तरा होता है?

इन सवालों के जवाब जानने के लिए पहले हमें पहले यह समझना होगा कि ब्लड ग्रुप का वर्गीकरण कैसे होता है.

ऐसे तय होते हैं ब्लड ग्रुप

ख़ून जिन लाल रक्त कोशिकाओं से बना होता है, उनके ऊपर प्रोटीन की एक परत होती है, जिन्हें एंटीजन कहा जाता है.

ब्लड टाइप A में सिर्फ़ एंटीजन A होते हैं, ब्लड B में सिर्फ B, ब्लड AB में दोनों होते हैं और टाइप O में दोनों ही नहीं होते.

लाल रक्त कोशिकाओं में एक और तरह का एंटीजन होता है. इसे कहते हैं RhD. यह एंटीजन 61 Rh टाइप के एंटीजनों के समूह का हिस्सा होता है. जब ख़ून में Rhd हो तो इसे पॉज़िटिव कहा जाता है और अगर न हो तो नेगेटिव टाइप कहा जाता है.

इस तरह से सामान्य ब्लड ग्रुप्स की पहचान करके उनका वर्गीकरण इस तरह किया जाता है: A-, B +, B-, AB +, AB-, O + और O-.

अगर किसी को ख़ून चढ़ाने की ज़रूरत पड़े तो उसके ब्लड ग्रुप का पता होना ज़रूरी होता है.

अगर नेगेटिव ग्रुप वाले शख़्स को पॉज़िटिव वाले डोनर का ख़ून चढ़ाया जाए तो यह उनके लिए जानलेवा हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि उसके शरीर के एंटीबॉडीज़ इस ख़ून को अस्वीकार कर सकते हैं.

इसी कारण O- ब्लड ग्रुप वालों को यूनिवर्सल डोनर कहा जाता है. क्योंकि इसमें न तो एंटीजन A, B होते हैं और न ही RhD. ऐसे में ख़ून बिना रिजेक्ट हुए अन्य ग्रुप वालों के ख़ून में मिक्स हो जाता है.

इस तरह से ख़ून के जितने भी कॉम्बिनेशन हैं, उनमें Rh null सबसे अलग है.

अगर किसी के रेड ब्लड सेल में Rh एंटीजन है ही नहीं, तो उसका ब्लड टाइप Rh null होगा.

बायोमेडिकल रिसर्च पोर्टल मोज़ेक पर छपे लेख में पेनी बेली ने लिखा है कि पहली बार इस ब्लड टाइप की पहचान 1961 में की गई थी. ऑस्ट्रेलियाई मूल निवासी महिला में यह मिला था. उसके बाद से लेकर अब तक पूरी दुनिया में इस तरह से 43 मामले ही सामने आए हैं.

नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ कोलंबिया में हेमैटोलॉजी में विशेषज्ञ नतालिया विलारोया ने बीबीसी को बताया कि इस तरह का ब्लड अनुवांशिक रूप से मिलेगा. उन्होंने कहा, "माता-पिता दोनों इस म्यूटेशन के वाहक होने चाहिए."

Rh null ब्लड टाइप एक वरदान भी हो सकता है और अभिशाप भी.

एक तरह से तो यह यूनिवर्सल ब्लड है जो किसी भी Rh टाइप वाले या बिना Rh वाले दुर्लभ ब्लड टाइप वाले को चढ़ाया जा सकता है. मगर ऐसा बहुत कम मामलों में ही किया जाता है क्योंकि इसे पाना लगभग असंभव है.

नेशनल रेफ़रेंस लैबरेटरी के निदेशक डॉक्टर थिएरी पेरर्ड के हवाले से मोज़ेक पर लिखा गया है, "बेहद दुर्लभ होने के कारण ही इसे गोल्डन ब्लड कहा जाता है."

बेली के मुताबिक़, इस टाइप का ख़ून बेशकीमती होता है. भले ही इस ख़ून को ब्लड बैंकों में बिना किसी नाम-पते के स्टोर किया जाता है, मगर ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें वैज्ञानिकों ने अपने शोध के लिए ब्लड सैंपल लेने के इरादे से रक्तदान करने वालों का पता लगाने की कोशिश की है.

महंगा पड़ता है यह ब्लड ग्रुप होना

गोल्डन ब्लड ग्रुप होना कई बार लोगों को महंगा भी पड़ता है. यूएस रेयर डिज़ीज़ इन्फ़र्मेशन सेंटर के मुताबिक जिन लोगों का ब्लड टाइप Rh नल होता है, उन्हें हल्का अनीमिया हो सकता है.

ऊपर से अगर उन्हें ख़ून चढ़ाने की ज़रूरत हो तो उन्हें सिर्फ़ Rh null ब्लड ही चढ़ाया जा सकता है जिसे खोजना मुश्किल होता है. न सिर्फ़ इसलिए कि इस ब्लड टाइप वाले लोग बहुत कम हैं और अगर दूसरे देश में कोई डोनर मिल जाए तो ख़ून को लाना पेचीदा काम बन जाता है.

आरएच नल ब्लड टाइप वाले लोग ब्राज़ील, कोलंबिया, जापान, आयरलैंड और अमरीका में रहते हैं.

इन्हें प्रोत्साहित किया जाता है कि वे ख़ून को डोनेट करते रहें ताकि यह उनके लिए भी कभी रिज़र्व के तौर पर काम आए. मगर चूंकि इस ब्लड वाले लोग बहुत कम हैं, इसलिए इनका ख़ून अन्य ज़रूरतमंदों के काम भी आ जाता है.

क्या बच्चे का ब्लड ग्रुप मां बाप से अलग हो सकता है?

बच्चा अपने माता-पिता के ब्लड ग्रुप से अलग हो भी सकता है और नहीं भी। उदाहरण के तौर पर AB और O ब्लड टाइप वाले माता-पिता के बच्चों के ब्लड टाइप A या B हो सकते हैं। कई बार बच्चे का ब्लड ग्रुप अपने माता-पिता से मिल सकता है। ब्लड ग्रुप में बदलाव जेनेटिक्स की वजह से भी होता है।

माता पिता का ब्लड ग्रुप समान हो तो क्या होगा?

अगर AB ब्‍लड ग्रुप वाला O ब्‍लड ग्रुप वाले से शादी करता है तो इस स्थिति में बच्‍चे का ग्रुप कुछ भी हो सकता है। अगर माता-पिता का ब्‍लड ग्रुप एक जैसा है तो बच्‍चे का ब्‍लड ग्रुप या तो अपने माता-पिता जैसा होगा या फिर O होगा

कौन से ब्लड ग्रुप वाले इंसान का दिमाग सबसे ज्यादा तेज होता है?

1- B+ ब्लड ग्रुप कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में ब्लड ग्रुप को लेकर एक रिसर्च किया गया था, जिसमें पाया गया कि सभी ब्लड ग्रुप में 'B पाजिटिव ब्लड ग्रुप वाले लोगों का दिमाग सबसे ज्यादा तेज होता है. इस रिसर्च में बताया गया कि बी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप के लोगों की सोचने-समझने की शक्ति अन्य लोगों के मुकाबले अच्छी होती है.

क्या ब्लड ग्रुप चेंज हो सकता है?

ब्लड में बदलाव - मान लीजिए कि किसी 'ए' ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को खून की जरूरत है और ब्लड ग्रुप 'ए' व 'ओ' वाला कोई दानदाता उपलब्ध नहीं है तो ऐसे में एंजाइम्स के जरिए 'बी' ब्लड ग्रुप में शुगर एंटीजन को नष्ट कर इसे 'ओ' में बदल दिया जाएगा।