क्या मैं बिना पीरियड के डिलीवरी के बाद प्रेग्नेंट हो सकती हूं? - kya main bina peeriyad ke dileevaree ke baad pregnent ho sakatee hoon?

क्या मैं बिना पीरियड के डिलीवरी के बाद प्रेग्नेंट हो सकती हूं? - kya main bina peeriyad ke dileevaree ke baad pregnent ho sakatee hoon?

निस्संदेह, गर्भावस्था किसी भी महिला के जीवन के सबसे सुंदर और रोमांचक चरणों में से एक होती है। जैसे ही उसके मासिक धर्म की तारीख निकल जाती है वह उम्मीदें बाँध लेती है, लेकिन यह आवश्यक है कि आप इसकी पुष्टि करने के पहले कुछ लक्षणों की पहचान करें।हालांकि, गर्भावस्था के लक्षणों को पहचानना हर महिला के लिए बेहद जरूरी है। यद्यपि मासिक धर्म का चूकना गर्भावस्था का संकेत है, पर इसके साथ ही अन्य ध्यान देने योग्य लक्षण भी हैं जो आपको गर्भावस्था परीक्षण करने से पहले देखने चाहिए।

मैं कितनी जल्दी गर्भावस्था के लक्षण देख सकती हूँ ?

क्या मैं बिना पीरियड के डिलीवरी के बाद प्रेग्नेंट हो सकती हूं? - kya main bina peeriyad ke dileevaree ke baad pregnent ho sakatee hoon?

डॉक्टरों का कहना है कि कुछ मामलों में लक्षण गर्भधारण के एक दिन बाद ही देखे जा सकते हैं। आप कितनी जल्दी लक्षणों को जान पाएंगी यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप अपने शरीर और उसकी स्थिति के प्रति कितनी जागरूक हैं। स्त्री बीज (डिंब) को डिंबवाही नलिका तक यात्रा करने और गर्भाशय में प्रत्यारोपित होने में लगभग छह दिन लगते हैं, लेकिन जैसे ही बीज निषेचित होता है, शरीर संकेत भेजना शुरू कर देता है।

यह चरण थोड़ा दर्दनाक होता है, विशेष रूप से उनके लिए, जिन्होंने पहली बार गर्भधारण किया है, इसलिए चिंतित होना पूरी तरह से सामान्य है।

गर्भधारण के सबसे सामान्य लक्षणों में से एक है, सेक्स के बाद मासिक धर्म का न होना। हालांकि आवश्यक नहीं है कि मासिक धर्म का चूक जाना गर्भावस्था का ही संकेत हो। लेकिन, यह संभव है कि आपने गर्भधारण किया हो। ऐसे समय में खबर की पुष्टि करने के लिए अपने घर पर गर्भावस्था का परीक्षण करना सहायक होता है।

मासिक धर्म न होने के बाद गर्भावस्था के सामान्य लक्षण

यहाँ गर्भावस्था के आमतौर पर अनुभव किए गए लक्षण प्रस्तुत हैं:

1. जी घबराना और पाचन समस्या

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जी घबराना गर्भावस्था के सबसे सामान्य लक्षणों में से एक है। जी घबराना या मॉर्निंग सिकनेस सब में अलग-अलग तरह से होती है। कुछ मामलों में, यह गर्भाधारण करने के दो-तीन सप्ताह बाद जबकि कुछ स्थितियों में, एक या दो महीने के बाद शुरू होती है। एक महिला इसे कभी भी अनुभव कर सकती है – चाहे सुबह हो, दोपहर, शाम हो या रात। कुछ स्त्रियों को पूरी गर्भावस्था के दौरान मतली जारी रहती है, जबकि कुछ को यह केवल शुरु के कुछ महीनों में ही होती है। कुछ महिलाएँ ऐसी भी हो सकती हैं, जिन्हें इसका सामना करना ही नहीं पड़ता।

मतली और पाचन संबंधी अन्य समस्याएँ, जैसे एसिडिटी और कब्ज़, आमतौर पर शरीर में हार्मोन के परिवर्तन और पेट की बदलती संरचना के कारण होती हैं। मॉर्निंग सिकनेस को रोकने या कम करने के लिए, डॉक्टर वे दवाएँ लिखते हैं, जो दुष्प्रभाव से मुक्त होती हैं। इस अवधि के दौरान शराब या तंबाकू का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, लंबी अवधि के लिए भोजन किये बिना रहने से बचें। यदि सुबह आपको उबकाई जैसा महसूस होता हो, तो आपके लिए तरल पदार्थ का सेवन बढ़ाना बेहतर होगा, क्योंकि यह पेट में एसिड को बनने से रोक देता है।

इसके अलावा, तैलीय, मसालेदार, भारी और तले हुए भोजन या तेज सुगंध वाले भोजन से दूर रहें। एक बार में थोड़ा-थोड़ा खाना खाएं और बीच-बीच में थोड़ा स्नैक्स लेती रहें। अदरक और विटामिन बी 6 के पूरक भी सुबह होने वाली अस्वस्थता को कम करने में मदद करते हैं।

2. संवेदनशील स्तन और निप्पलों में दर्द

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शुरुआती गर्भावस्था में भी कभी कभी स्तनों में काफी बदलाव दिखाई देते हैं, जैसे:

  • वैरिकोज़ नसों का विकास होना
  • फैलाव
  • संवेदनशीलता और दर्द
  • कुछ महिलाएं अपने निप्पलों को उभरा हुआ भी पाती हैं, और उसके पास के भाग का रंग अधिक गहरा हो जाता है

ऐसा एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोनों में बदलाव के कारण होता है। इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप, स्तन क्षेत्र में रक्त की आपूर्ति बढ़ जाती है और उन्हें बहुत संवेदनशील बना देती है।

कभी-कभी, स्तनों में खुजली भी होती है और गर्भावस्था के बाद के चरणों में उन पर खिंचाव के निशान भी विकसित हो सकते हैं। अगले कुछ महीनों के दौरान, आप स्तन के अग्रभाग के चारों ओर उभार भी देख सकते हैं।

जैसे-जैसे आपके स्तन का आकार बढ़ेगा, बड़े आकार की ब्रा पहनना उचित होगा। हमेशा तार वाली या सूती ब्रा जैसी अच्छा सहारा प्रदान करने वाली ब्रा पहननी चाहिए, जो हवादार होने के साथ पहनने में भी ठीक नाप की हो।

3. मन की स्थिति का बदलते रहना और चिड़चिड़ापन

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गर्भावस्था में एक महिला के शरीर में हॉर्मोनों के इतने अधिक परिवर्तन होते हैं कि उसके मन की स्थिति में अक्सर उतार-चढ़ाव होता रहता है। गर्भावस्था के प्रभावों में शामिल हैं:

  • जी मिचलाना
  • शारीरिक असुविधा
  • सिर दर्द
  • दर्द
  • तनाव
  • सोने में कठिनाई

इस स्थिति से बचने के लिए, एक महिला को चाहिए कि :

  • भरपूर नींद लेने और आराम करने की कोशिश करे
  • पोषक खाना खाए
  • तनाव मुक्त रहे
  • ताजी हवा में साँस ले
  • हल्के व्यायाम करे
  • सकारात्मक बनी रहे

4. बार-बार पेशाब आना

हार्मोन परिवर्तन और रक्त संचार में वृद्धि के कारण, गुर्दों में रक्त प्रवाह की दर बढ़ जाती है और इस कारण मूत्राशय बार-बार भर जाता है। जैसे-जैसे गर्भावस्था आगे बढ़ेगी और पेल्विस क्षेत्र में रक्त-प्रवाह बढ़ेगा, पेशाब बार -बार और ज्यादा आएगा।

साथ ही, शिशु मूत्राशय पर दबाव डालता है, जो गर्भावस्था के बाद के चरणों में बार-बार पेशाब आने का एक और कारण है। इसके अतिरिक्त, गर्भवती महिला के स्नायुओं में खिंचाव होता है और गर्भाशय का विस्तार होता है, जिसके कारण मूत्राशय के लिए कम जगह बचती है।

5. खाद्य पदार्थों को पसंद और नापसंद करना

कई महिलाएं गर्भावस्था के दौरान भोजन के प्रति रूचि दिखाती हैं, जबकि कई खाद्य पदार्थों को नापसंद करने लगती हैं। कभी-कभी, गर्भवती महिलाएँ उसी भोजन को नापसंद करना शुरू कर देती हैं, जो उन्हें अच्छा लगता था और अब वे उसे देखना भी नहीं चाहतीं। ऐसा माना जाता है कि यह तेजी से बदलते हार्मोनों के कारण होता है, जो भूख और भोजन के प्रति आपके दृष्टिकोण पर भी प्रभाव डालता है।

6. थकान

मासिक धर्म न होने के बाद गर्भावस्था के सबसे आम संकेतों में से एक थकान है। यदि आपको हर समय शक्तिहीन लगने लगा है या थकान महसूस होती है, तो आपको आराम करना चाहिए और घबराना नहीं चाहिए। पहली तिमाही बहुत जोखिम भरी होती है, इसलिए अधिक मेहनत न करें या भारी वजन न उठाएं। आराम करना सीखें, मदद माँगे और जीवन में महत्वहीन चीजों को छोड़ दें।

पहले तीन महीनों में गर्भनाल के विकास में बहुत अधिक ऊर्जा का उपभोग होता है, जो थकान का कारण बनता है। इसके अलावा, रक्त शर्करा का स्तर कम हो जाता है। यह भी शरीर को सुस्त बनाने में योगदान देता है। हालांकि, आपको थकने के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि पहली तिमाही में हर समय ऐसा अनुभव करना पूरी तरह से सामान्य है।

7. शरीर का तापमान बढ़ना

आप देखेंगी कि आपके शरीर का तापमान बढ़ जाता है, जैसा मासिक धर्म से पहले होता है, और आप हर समय गर्मी का अनुभव करेंगी। यदि आप दो सप्ताह तक शरीर के तापमान में वृद्धि अनुभव करती हैं, तो बहुत संभव है कि आप गर्भवती हैं। यह शरीर में हार्मोनों का परिवर्तन ही है, जो शरीर के तापमान में वृद्धि का कारण बनता है। प्रोजेस्टेरोन का स्तर काफी बढ़ जाता है, और इसलिए चयापचय (मेटाबॉलिज़्म) की दर भी बढ़ जाती है।

8. कमर का दर्द

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कई कारक हैं, जो प्रारंभिक गर्भावस्था में कमर में दर्द का कारण बनते हैं। पहला कारण बढ़ता वजन और गर्भाशय का विस्तार है। शरीर के स्नायु (लिगामेंट) ढीले हो जाते हैं, जिसके कारण धड़ और मुद्रा काफ़ी बदल जाते हैं, जिससे पीठ में दर्द होता है।

धड़ पर्याप्त मात्रा में वजन ले लेता है और यह आपकी पीठ पर भार डालता है। गर्भावस्था के दौरान मुद्रा को लेकर बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है, क्योंकि बहुत सी महिलाएं अपनी पीठ को नुकसान पहुँचा लेती हैं, जो शरीर की संरचना को स्थायी रूप से बदल देती है। झुकते हुए कंधों, गले का आकार गोल होने या ठोढ़ी के दोहरे होने जैसी चीज़ों का ध्यान रखें। यह आवश्यक नहीं है कि सभी महिलाओं को इस समस्या का सामना करना पड़े, लेकिन कई महिलाओं को ऐसी समस्या का सामना करना पड़ता है, अतः सावधान रहना आवश्यक है।

9. गर्भ प्रत्यारोपण के बाद होने वाला रक्तस्राव

कुछ महिलाओं को मामूली रक्तस्राव और धब्बों के मुद्दे का सामना करना पड़ता है क्योंकि निषेचित डिंब गर्भाशय में खुद को प्रत्यारोपित करना शुरू कर देता है। आमतौर पर, एक बार जब निषेचित डिंब को प्रत्यारोपित किया जाता है, तो इस तरह का रक्तस्राव निषेचन के 3 से 6 दिन के बाद होता है।

आप यह भी देखेंगी कि योनि स्राव का रंग हल्का गुलाबी है, न कि मासिक धर्म की तरह गहरा लाल। डिंब के प्रत्यारोपण के कारण, कुछ महिलाओं को स्राव में वृद्धि के साथ-साथ पेट में ऐंठन का भी सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, यदि रक्तस्राव जारी रहता है, तो डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।

10. पेट फूलना

हार्मोनों के परिवर्तन और मतली गैस की समस्याओं का कारण बनते हैं, जिसके कारण कई महिलाएं हर समय पेट फूला हुआ महसूस करती हैं। पाचन तंत्र की माँसपेशियाँ शुरुआत में ढीली पड़ने लगती हैं, ताकि श्रोणि खिंच जाए और प्रसव के लिए खुद को तैयार कर ले। डिंब के प्रत्यारोपण से गर्भाशय की दीवार में सूजन भी हो सकती है, जिससे पेट फूला महसूस हो सकता है।

गर्भावस्था परीक्षण कब कराएं ?

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यदि आप माहवारी न आने पर गर्भावस्था परीक्षण करवाने की सोच रही हैं, तो आप कम से कम एक सप्ताह प्रतीक्षा करें। आप घर पर आसानी से यह परीक्षण कर सकती हैं। यदि आप ऊपर दिए हुए लक्षणों में से कुछ या किसी एक का भी अनुभव कर रही हैं, तो यह सोचे बिना कि गर्भावस्था परीक्षण कब किया जाए, परीक्षण कर लें। इसके लिए, आपको बस एक अच्छी गर्भावस्था किट खरीदने और मूत्र का नमूना एकत्र करने की आवश्यकता है। एक ड्रॉपर का उपयोग करें, स्टिक पर कुछ मूत्र रखें और परिणाम देखने के लिए कुछ समय तक प्रतीक्षा करें। बहुत सी किट आपको परिणामों के लिए पाँच मिनट तक प्रतीक्षा करने के लिए कहती हैं। यदि यह एक सकारात्मक परिणाम दिखाती है, तो आपकी गर्भावस्था की पुष्टि हो जाती है।

निश्चित परिणामों के लिए आपको मासिक धर्म चूक जाने के बाद कम से कम एक सप्ताह तक प्रतीक्षा करने की सलाह दी जाती है। एच.सी.जी. (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन), जो प्रत्यारोपण के बाद गर्भनाल (प्लेसेंटा) द्वारा निर्मित एक हार्मोन है, एक गर्भवती महिला के मूत्र में बहुत मात्रा में होता है। इसी से आपको गर्भधारण का निश्चित परिणाम मिलता है। जब परीक्षण की पुष्टि हो जाती है, तो यह गर्भावस्था के पूर्व परीक्षण के लिए एक डॉक्टर से मिलने और पूर्ण गर्भावस्था की यात्रा को शुरू करने का समय है।

क्या बिना पीरियड आए महिला प्रेग्नेंट हो सकती है?

किसी महीने पीरियड ना होना प्रेग्नेंसी का सबसे पहला संकेत है. आमतौर पर मासिक धर्म चक्र 24 से 38 दिन का होता है. अगर इस अवधि में किसी महिला को पीरियड ना हों तो ये गर्भावस्था का संकेत हो सकता है.

डिलीवरी के कितने दिन बाद गर्भ ठहर सकता है?

यदि आप अपने शिशु को फॉर्मूला दूध पिलाती हैं, तो आपके पीरियड्स डिलीवरी के बाद पांच सप्ताह से तीन महीनों के बीच शुरु हो सकते हैं। इसका मतलब है कि आप शिशु को जन्म देने के केवल तीन हफ्ते बाद फिर से जननक्षम हो जाएंगी। शिशु की निप्पल चूसने की क्रिया डिंबोत्सर्जन (ओव्यूलेशन) पैदा करने वाले हॉर्मोनों को दबा देती है।

डिलीवरी के बाद पीरियड ना आए तो क्या करें?

अगर डिलीवरी के बाद भी पीरियड्स सामान्य नहीं हो रहे तो अपनी डॉक्टर से जरूर मिल लें। क्योंकि सामान्यत बच्चे के जन्म के बाद पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। लेकिन अगर इनके नियमित होने या खुलकर होने की शिकायत हो तो तुरंत ही डॉक्टर से सलाह जरूर करें

बिना पीरियड के गर्भधारण कैसे करें?

ऐसे में बार-बार सेक्‍स से फायदा होता है अनियमित माहवारी में ओवुलेशन साइकिल को ट्रैक करने से फायदा होता है। कुछ कपल्‍स को बार-बार सेक्‍स करने से कंसीव हो जाता है। महिलाओं की ओवरी में एग 24 घंटे तक ही रहता है लेकिन पुरुषों का स्‍पर्म महिला के गर्भाशय में पांच दिनों तक एक्टिव रह सकता है।