क्या बकरी का दूध कच्चा पीना चाहिए - kya bakaree ka doodh kachcha peena chaahie

क्या बकरी का दूध कच्चा पीना चाहिए - kya bakaree ka doodh kachcha peena chaahie

हल्‍द्वानी कालाढुंगी रोड पर बकरी का दूध लेने के लिए लगी लोगों की कतार। अमर उजाला

हल्द्वानी। डेंगू का प्रकोप बढ़ने के साथ ही बकरी के दूध की डिमांड भी बढ़ी है। ऐसा माना जाता है कि बकरी का दूध डेंगू मरीजों के लिए काफी लाभदायक होता है। वहीं, इसका फायदा बकरी पालक भी उठा रहे हैं। वह बकरी का दूध पांच सौ से एक हजार रुपये लीटर बिक रहा है, लेकिन बकरी का कच्चा दूध पीने से आंतों की टीबी होने का खतरा रहता है।

बता दें कि ‘माइको बैक्टीरियम बोविस’ से जानवरों में टीबी होने का खतरा रहता है। जानवर में अगर उक्त बैक्टीरिया है और इंसान ने उसके कच्चे दूध का सेवन कर लिया तो बैक्टीरिया इंसान में पहुंचने की आशंका रहती है। बैक्टीरिया शरीर में पहुंचने पर आंतों की टीबी होने का खतरा होता है। चिकित्सक मानते हैं कि बकरी, गाय या भैंस का दूध अगर बिना उबाले पीया जाए तो आंतों की टीबी होने का खतरा हो सकता है।

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कोट
डेंगू होने पर मरीज को ताजे फल और ओआरएस का सेवन करना चाहिए। जानवरों के कच्चे दूध से आंतों की टीबी हो सकती है। बकरी, गाय और भैंस का दूध उबालकर ही पीना चाहिए। -डॉ. गौरव सिंघल, वरिष्ठ सांस रोग विशेषज्ञ
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हल्द्वानी। डेंगू मच्छर के डंक ने खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) को भी चपेट में लिया है। इधर, 24 घंटे के भीतर डेंगू के 62 रोगी मिले हैं, जबकि सरकारी और निजी अस्पतालों में 91 मरीज डेंगू के भर्ती हैं।

अब तक डेंगू के 1470 मरीज मिले चुके हैं और 13 लोगों की डेंगू से मौत हो चुकी है। हल्द्वानी खंड विकास अधिकारी डॉ. निर्मला जोशी भी पिछले दो दिनों से तेज बुखार से ग्रस्त थीं। शुक्रवार को डॉ. जोशी ने अपनी जांच कराई तो उन्हें भी डेंगू की पुष्टि हुई। उधर, बेस अस्पताल में एलाइजा जांच के बाद 44 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है, जबकि एसटीएच में 15 और निजी लैब में 3 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। बेस अस्पताल में डेंगू के 62, एसटीएच में 15 और निजी अस्पतालों में 14 मरीज डेंगू के भर्ती है। बेस अस्पताल में बुखार और डेंगू के मिलाकर 110, जबकि एसटीएच में बुखार और डेंगू के मिलाकर 120 मरीज भर्ती हैं।
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इनसेट :: फोटो
मेडिकल कॉलेज मेें मिला डेंगू का लार्वा
हल्द्वानी। मेडिकल कॉलेज की टीम ने शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज के छात्रावास और आवासीय परिसर का सर्वे किया। टीम को यहां डेंगू के लार्वा मिले।
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीपी भैसोड़ा ने बताया कि कूलर की टंकी, गमलों और टब में डेंगू के लार्वा मिले थे, जिन्हें नष्ट करा दिया गया है। बता दें कि मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और छात्र-छात्राओं को मिलाकर दस लोग डेंगू की चपेट में हैं।

क्या बकरी का दूध कच्चा पीना चाहिए - kya bakaree ka doodh kachcha peena chaahie

- बकरी का दूध इम्यून सिस्टम व मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने का काम करता है। लेकिन बकरी के दूध को निकालने के तुरंत बाद पी लेना चाहिए क्योंकि ये बाद में खराब हो जाता है।

- बकरी का दूध डेंगू में भी काफी प्रभावी है। बकरी का दूध शरीर का इम्यून सिस्टम ठीक करता है, जिससे बीमारियां आपसे दूर होती है।

- बकरी का दूध इम्यूनिटी की क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही बकरी का दूध सेलेनियम का एक समृद्ध स्रोत है।

- बकरी का दूध कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें कैल्शियम, विटामिन बी, फास्फोरस और पोटैशियम पाया जाता है।

क्या बकरी का दूध कच्चा पीना चाहिए - kya bakaree ka doodh kachcha peena chaahie

- बकरी का दूध आयरन और कॉपर से भी समृद्ध है, जो आपके मेटाबॉलिज्म रेट को बेहतर करने में मदद करता है।

- हड्डियों की समस्या को बकरी का दूध दूर करता है। ये दूध कैल्शियम से भरपूर होता है, जिसके चलते इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता।

- इस दूध में एमिनो एसिड ट्रिप्टोफेन भरपूर मात्रा में होता है। जो कि हमारी हड्डियों और दांतों को मजबूत रखता है। इसका दूध पीने से ऑस्टियोपोरोसिस होने की संभावना कम रहती है।

- बकरी का दूध दिल के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। इसमें अच्छे फैटी एसिड पाए जाते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखते हैं।

- बकरी का दूध एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है और इससे सूजन को कम करने में मदद मिलती है।

- डेंगू की बीमारी होने पर बकरी का दूध काफी फायदेमंद साबित होता है। ये दूध घटती हुई ब्लड प्लेटलेट की संख्या को बढ़ाता है।

Goat Milk Benefits: डेंगू के मामले बढ़ने के साथ ही बकरी के दूध की कीमत में भी इजाफा हो गया है. ऐसे में जानते हैं कि बकरी के दूध में आखिर क्या होता है कि डेंगू के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जाता है.

क्या बकरी का दूध कच्चा पीना चाहिए - kya bakaree ka doodh kachcha peena chaahie

बकरी को होनी वाली बीमारियों की समय पर हो जाए पहचान तो नहीं होगा नुकसान.

देश में डेंगू के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. फिरोजाबाद में तो डेंगू से हाल बेहाल है और सरकार की ओर से कई कदम भी उठाए जा रहे हैं. जब डेंगू के केस बढ़ते हैं, तब बकरी के दूध की भी डिमांड भी बढ़ जाती है. ऐसा ही एक बार फिर हो रहा है और लोग डेंगू के इलाज के लिए बकरी का दूध पी रहे हैं. बकरी के दूध डिमांड बढ़ने के साथ ही इसके दाम भी काफी बढ़ गए हैं और कई जगह पर बकरी का दूध 1500 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बाजार में बिकने लगा है.

लेकिन, ऐसा पहली बार नहीं है. पहले भी बकरी के दूध के दाम काफी ज्यादा बढ़ चुके हैं और डेंगू के समय बकरी के दूध के दाम अक्सर बढ़ जाते हैं. ऐसे में जानते हैं कि आखिर बकरी के दूध में क्या होता है, जिस वजह से बकरी के दूध की डिमांड बढ़ जाती है. साथ ही जानते हैं आखिर क्यों डेंगू में बकरी का दूध पीने की सलाह दी जाती है. जानते हैं इससे जुड़ी हर एक बात…

बकरी के दूध में क्या होता है?

बकरी के दूध में फैट, प्रोटीन, लैक्टोज, मिनरल और विटामिन होता है, जिस वजह से यह आपकी हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद होता है. डेयरी प्रोडक्ट में पाए जाने वाले तत्वों के साथ ही बकरी के दूध में लिपिड और कई तरह के एसिड भी होते हैं, जिससे पाचन में मदद मिलती है. साथ ही इसमें कई ऐसे तत्व होते हैं, जिससे रोग की रोकथाम में मदद मिलती है. साथ ही इसमें कैल्शियम, प्रोटीन, पोटैशियम और विटामिन डी पाए जाते हैं, जो कि शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं.

डेंगू में क्यों है सहायक?

कई रिपोर्ट्स में सामने आया है कि बकरी के दूध में अहम चीज होती है, जिसका नाम है सेलेनियम. दरअसल, डेंगू में अहम खतरा सेलेनियम और प्लेटलेट काउंट का होता है. इससे बकरी के दूध से सेलेनियम शरीर को सेलेनियम मिलता है और इससे डेंगू से लड़ने में मदद मिलती है. यह गाय के दूध में भी होता है, लेकिन बकरी के दूध में मात्रा ज्यादा होती है. साथ ही बकरी का दूध अलग अलग मिनरल के पाचन में उपयोगी भी होता है.

बकरी के दूध के लिए कई भ्रांतियां?

अतिरिक्त निदेशक (स्वास्थ्य) एके सिंह ने कहा, ‘गाय और बकरी का दूध लगभग समान रूप से पौष्टिक होता है. बकरी के दूध से प्लेटलेट्स बढ़ते हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इस तरह की भ्रांतियां झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा फैलाई जाती हैं. डेंगू जैसे लक्षणों वाले लोगों को योग्य डॉक्टरों से परामर्श लेना चाहिए और दवाओं के निर्धारित पाठ्यक्रम का पालन करना चाहिए.’ साथ ही नारियल पानी, कीवी और पपीते के पत्ते भी नीम हकीम बता रहे हैं.

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बकरी का दूध कैसे पिया जाता है?

बकरी का दूध गाँव में भी इस्तेमाल होता है और गाँव के लोग इसे कई बार बिना पकाए या उबाले ही पी लेते हैं। हर इंसान के अंदर वो क्षमता नहीं है कि इसको कच्चा पी सके। वहीं इसमें मौजूद बैक्टीरिया आपकी सेहत को खराब कर सकते हैं जिससे आपको बचने की सख्त जरूरत है क्योंकि वो सही नहीं है।

क्या बकरी का दूध पीना चाहिए?

आयुर्वेद के अनुसार बकरी का दूध गाय और भैंस के दूध से हल्का होता है, इसी कारण जो लोग गाय और भेस का दूध नहीं पचा पातें उन्हें बकरी का दूध पीने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स कम होने पर बकरी के दूध का सेवन करना सबसे ज्यादा लाभदायक माना गया है।

दूध को कैसे पीना चाहिए?

आयुर्वेद के अनुसार दूध ठंड, वात और पित्‍त दोष को बैलेंस करने का काम करता है। जो लोग बैठकर दूध पीते हैं उन्हें हाजमे की दिक्कत रहती है। यही वजह है कि आयुर्वेद में रात को सोने से पहले या शाम के भोजन के दो घंटे बाद दूध को हल्का गर्म करके खड़े होकर पीने की सलाह दी जाती है ताकि उसके पूरे लाभ व्यक्ति को मिल सके।