कमलेश्वर (६ जनवरी१९३२-२७ जनवरी २००७) हिन्दी लेखक कमलेश्वर बीसवीं शती के सबसे सशक्त लेखकों में से एक समझे जाते हैं। कहानी, उपन्यास, पत्रकारिता, स्तंभ लेखन, फिल्म पटकथा जैसी अनेक विधाओं में उन्होंने अपनी लेखन प्रतिभा का परिचय दिया। कमलेश्वर का लेखन केवल गंभीर साहित्य से ही जुड़ा नहीं रहा बल्कि उनके लेखन के कई तरह के रंग देखने को मिलते हैं। उनका उपन्यास 'कितने पाकिस्तान' हो या फिर भारतीय राजनीति का एक चेहरा दिखाती फ़िल्म 'आंधी' हो, कमलेश्वर का काम एक मानक के तौर पर देखा जाता रहा है। उन्होंने मुंबई में जो टीवी पत्रकारिता की, वो बेहद मायने रखती है। 'कामगार विश्व’ नाम के कार्यक्रम में उन्होंने ग़रीबों, मज़दूरों की पीड़ा-उनकी दुनिया को अपनी आवाज़ दी। कमलेश्वर की अनेक कहानियों का उर्दू में भी अनुवाद हुआ है। Show
कमलेश्वर की अंतिम अधूरी रचना अंतिम सफर उपन्यास है, जिसे कमलेश्वर की पत्नी गायत्री कमलेश्वर के अनुरोध पर तेजपाल सिंह धामा ने पूरा किया और हिन्द पाकेट बुक्स ने उसे प्रकाशित किया और बेस्ट सेलर रहा।[1] 27 जनवरी 2007 को उनका निधन हो गया। कृतियाँ[संपादित करें]उपन्यास -
पटकथा एवं संवाद कमलेश्वर ने ९९ फ़िल्मों के संवाद, कहानी या पटकथा लेखन का काम किया। कुछ प्रसिद्ध फ़िल्मों के नाम हैं- १. सौतन की बेटी(१९८९)-संवाद२. लैला(१९८४)- संवाद, पटकथा३. यह देश (१९८४) -संवाद४. रंग बिरंगी(१९८३) -कहानी५. सौतन(१९८३)- संवाद६. साजन की सहेली(१९८१)- संवाद, पटकथा७. राम बलराम (१९८०)- संवाद, पटकथा८. मौसम(१९७५)- कहानी९. आंधी (१९७५)- उपन्याससंपादन अपने जीवनकाल में अलग-अलग समय पर उन्होंने सात पत्रिकाओं का संपादन किया - अखबारों में भूमिका वे हिन्दी दैनिक `दैनिक जागरण' में १९९० से १९९२ तक तथा 'दैनिक भास्कर' में १९९७ से लगातार स्तंभलेखन का काम करते रहे।' कहानियाँ कमलेश्वर ने तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनकी कुछ प्रसिद्ध कहानियाँ हैं - राजा निरबंसियामांस का दरियानीली झीलतलाश बयाननागमणिअपना एकांतआसक्तिज़िंदा मुर्देजॉर्ज पंचम की नाकमुर्दों की दुनियाकस्बे का आदमीस्मारकनाटक उन्होंने तीन नाटक लिखे -
इन्हें भी देखें[संपादित करें]हिंदी साहित्य हिन्दी गद्यकारआधुनिक हिंदी गद्य का इतिहाससन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
कमलेश्वर द्वारा लिखित कहानी कौनसी है?'आंधी', 'मौसम (फिल्म)', 'सारा आकाश', 'रजनीगंधा', 'मिस्टर नटवरलाल', 'सौतन', 'लैला', 'रामबलराम' की पटकथाएँ उनकी कलम से ही लिखी गईं थीं। लोकप्रिय टीवी सीरियल 'चन्द्रकांता' के अलावा 'दर्पण' और 'एक कहानी' जैसे धारावाहिकों की पटकथा लिखने वाले भी कमलेश्वर ही थे।
कमलेश्वर का मूल नाम क्या है?हिंदी के शीर्ष लेखक-पत्रकार कमलेश्वर का मूल नाम था कमलेश्वर प्रसाद सक्सेना। वह बहुआयामी रचनाकार थे। उन्होंने सम्पादन क्षेत्र में भी एक प्रतिमान स्थापित किया। 'नई कहानियों' के अलावा 'सारिका', 'कथा यात्रा', 'गंगा' आदि पत्रिकाओं का सम्पादन तो किया ही 'दैनिक भास्कर' के राजस्थान अलंकरणों के प्रधान सम्पादक भी रहे...
मटुरा कहानी के लेखक कौन है?सही उत्तर मेनस ओरिया है। 'मटुरा कहानी' जिसमें मुंडाओं की लोक कथाएँ शामिल हैं, मेनस ओरिया द्वारा लिखी गई थीं। वे मुख्य रूप से झारखंड के क्षेत्र में निवास करते हैं, हालांकि वे पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, उड़ीसा और बिहार राज्यों में अच्छी तरह से फैले हुए हैं।
कमलेश्वर का निधन कब हुआ था?27 जनवरी 2007कमलेश्वर / मृत्यु तारीखnull
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