शहरी बस्ती से आप क्या समझते हैं? - shaharee bastee se aap kya samajhate hain?

Solution : नगरीय या शहरी बस्तियों को शहरी बस्तियाँ कहा जाता है। नगरीय बस्तियों में छोटी और शहरी बस्तियों में| अपेक्षाकृत बड़ी बस्तियाँ होती हैं। नगरीय क्षेत्रों में लोग निर्माण, व्यापार एवं सेवा क्षेत्र में| कार्यरत होते हैं।

वो क्षेत्र जिनका जनसंख्या घनत्व उनके आसपास के क्षेत्रों की तुलना में अधिक और जहां मानवीय सुविधाओं की उपलब्धता प्रचुर मात्रा में होती है, शहरी क्षेत्र कहलाते हैं। एक शहरी क्षेत्र, शहर या कस्बा हो सकता है पर ग्रामीण क्षेत्र जैसे कि गांव और अर्ध ग्रामीण बस्तियाँ इसकी परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते।

शहरी क्षेत्रों का सृजन और विकास शहरीकरण नामक प्रक्रिया द्वारा होता है। किसी शहरी क्षेत्र का सीमा निर्धारण उस क्षेत्र के जनसंख्या घनत्व और शहरी फैलाव के विश्लेषण और शहरी और ग्रामीण जनसंख्या को निर्धारित करने में मदद करता है, (क्यूबिलास 2007)।

सन्दर्भ[संपादित करें]

उत्तर :

उत्तर की रूपरेखा

  • प्रभावी भूमिका में ग्रामीण बस्तियों को स्पष्ट करें।
  • तार्किक एवं संतुलित विषय-वस्तु में ग्रामीण बस्तियों के प्रतिरूप तथा इनसे संबंधित समस्याओं के बारे में लिखें।
  • प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

ग्रामीण बस्ती का तात्पर्य एक ऐसे प्रदेश से है जहाँ सामान्यतः प्राथमिक क्रियाकलापों में संलग्न अपेक्षाकृत छोटे जनसंख्या समूह एक साथ निवास करते हैं। ग्रामीण बस्तियों का प्रतिरूप इन क्षेत्रों में मकानों की स्थिति तथा उनके अंतर्संबंध को दर्शाता है। यह गाँव की आकृति तथा वहाँ की पर्यावरणीय एवं भौगोलिक स्थिति पर निर्भर करता है। ग्रामीण बस्तियों के प्रतिरूप को निम्नलिखित प्रकार से देखा जा सकता है-

  • रैखिक प्रतिरूप- इसमें मानव बस्तियों का निर्माण सड़कों, रेल लाइनों तथा  नदियों आदि के किनारे होता है।
  • आयताकार प्रतिरूप- इनका निर्माण समतल क्षेत्रों में होता है यहाँ सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटती हैं।
  • वृत्ताकार प्रतिरूप- इसमें किसी तालाब अथवा झील के चारों ओर बस्तियों का निर्माण होता है।
  • तारे के आकार का प्रतिरूप- इनका निर्माण उन प्रदेशों में होता है जहाँ बहुत सारी सड़कें एक साथ एक स्थान पर मिलती हैं। इस प्रकार इन सड़कों के किनारे मकानों के निर्माण होने से ये तारे की आकृति के प्रतीत होते हैं।
  • टी अथवा वाई आकार के प्रतिरूप-  टी आकार की बस्तियाँ सड़कों के तिराहे पर विकसित होती हैं, जबकि वाई आकार की बस्तियों का निर्माण उन क्षेत्रों में होता है जहाँ दो मार्ग आकर तीसरे मार्ग से मिलते हैं।
  • दोहरे ग्राम- नदी अथवा पुल के दोनों किनारों पर बस्तियों के निर्माण से दोहरे ग्राम प्रतिरूप का निर्माण होता है।

ग्रामीण बस्तियों की समस्याएँ

अपेक्षाकृत कम जनसंख्या के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था विकसित नहीं हो पाती। साथ ही यहाँ रोज़गार के साधनों का अभाव होता है जिससे अधिकांश जनसंख्या कृषि से संबंधित कुछ सीमित कार्यों में ही लगी रहती है। इससे यहाँ छिपी बेरोज़गारी, गरीबी तथा प्रवास की समस्या उभरती है। इसका प्रत्यक्ष परिणाम खाद्य सुरक्षा तथा कुपोषण की समस्या के रूप में दिखाई देता है। कुपोषण के कारण लोगों की प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है और वे बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। साथ ही शौचालय एवं कूड़ा-कचरा निस्तारण की सुविधाओं के अभाव के कारण इन  क्षेत्रों में हैजा, पीलिया जैसी स्वास्थ्य समस्याएँ और भी बढ़ जाती हैं। स्वास्थ्य के कमज़ोर होने से लोग आर्थिक गतिविधियों में शामिल नहीं हो पाते जिससे गरीबी के कुचक्र का निर्माण होता है।

सड़क, चिकित्सा तथा शिक्षा से संबंधित अवसंरचना का अभाव इन समस्याओं को और भी बढ़ा देता है। शिक्षा के अभाव के कारण यहाँ अंधविश्वास तथा सामाजिक रूढ़ियों की समस्याओं को देखा जा सकता है। पितृसत्तात्मक व्यवस्था, डायन प्रथा, विधवा महिला से विभेद तथा जाति के नाम पर छुआछूत जैसी सामाजिक समस्याएँ ग्रामीण बस्तियों में देखी जा सकती हैं। अंधविश्वास जैसी समस्याओं से स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। अपने रोगों के इलाज के लिये डॉक्टर के स्थान पर ये ओझाओं पर अधिक विश्वास करते हैं जिससे समय पर इलाज न हो पाने के कारण कई बार लोगों की मृत्यु भी हो जाती है। उदाहरण के लिये, 2017 में उड़ीसा के जगतसिंहपुर जिले में 9 लोगों की मृत्यु साँप के काटने से हुई, जबकि इस स्थान से ज़िला अस्पताल या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 1 घंटे से अधिक की दूरी पर नहीं है। ध्यातव्य है कि भारत में पाया जाने वाला कोई भी साँप इतना विषैला नहीं होता कि 1 घंटे से कम समय में व्यक्ति की मृत्यु हो जाए।

स्पष्ट है कि गरीबी, बेरोज़गारी तथा आर्थिक एवं सामाजिक संरचना का अभाव ग्रामीण बस्तियों की सबसे बड़ी समस्याओं में शामिल है। इसमें सुधार के लिये जनभागीदारी से युक्त एक समन्वित नीति की आवश्यकता है।


1. शहरीकरण से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒शहरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा ग्रामीण बस्तियाँ, कस्बा या शहरों में परिवर्तित हो जाते हैं। इससे एक नई अर्थव्यवस्था उत्पन्न हुई जिसम कृषि-पशुपालन का स्थान, व्यापार, शिल्प और उद्योग धंधों ने ले लिया।


2. शहर किस प्रकार के क्रियाओं के केन्द्र होते हैं ?

उत्तर ⇒शहर विभिन्न प्रकार की क्रियाओं के केन्द्र होते हैं, जैसे — रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार वाणिज्य, यातायात आदि। शहर गतिशील अथव्यवस्था जा मुद्रा प्रधान होती है उसके भी केन्द्र होते हैं। शहर राजनीतिक प्राधिकार का भी एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र होता है।


3. शहरों में मध्यम वर्ग की भूमिका पर प्रकाश डालें।

उत्तर ⇒शहरों में पूँजीपति वर्ग एवं श्रमिक वर्ग के साथ-साथ मध्यम वर्ग का भी उदय और विकास हुआ। ये नए सामाजिक समूह के रूप में उभरे। इस समूह में बुद्धिजीवी, नौकरी पेशा समूह, राजनीतिज्ञ, चिकित्सक, व्यापारी प्रमुख थे। व्यावसायिक वर्ग नगरों के विकास का प्रमुख कारण बना जिससे शहरों को नई सामाजिक-आर्थिक स्वरूप प्राप्त हुआ। बुद्धिजीवी एवं राजनीतिक वर्ग ने नया राजनीतिक-सामाजिक चिंतन दिया तथा विभिन्न आंदोलनों को दिशा एवं नेतृत्व प्रदान किया।


4. किन तीन प्रक्रियाओं के द्वारा आधुनिक शहरों की स्थापना निर्णायक रूप से हुई ?

उत्तर ⇒जिन तीन ऐतिहासिक प्रक्रियाओं ने आधुनिक शहरों की स्थापना में निर्णायक भूमिका निभाई वे निम्नलिखित हैं –

(i)औद्योगिक पूँजीवाद का उदय,
(ii)विश्व के विशाल भू-भाग पर औपनिवेशिक शासन की स्थापना तथा
(iii)लोकतांत्रिक आदर्शों का विकास।


5. शहरों ने किन नई समस्याओं को जन्म दिया ?

उत्तर ⇒ नये-नये शहरों का उदय और शहरों की बढ़ती जनसंख्या ने शहरों में नई-नई समस्याओं को जन्म दिया। शहरों में श्रमिकों की बढ़ती आबादी ने कई नई समस्याओं को जन्म दिया जैसे — बेरोजगारी में वृद्धि, आवास की समस्या तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्या इत्यादि।


6. शहरों और गाँवों में मुख्य अंतर क्या है ?

उत्तर ⇒शहरों और गाँवों में मुख्य अंतर यह है कि ग्रामीण लोगों की आजीविका जहाँ कृषि, पशुपालन एवं घरेलू उद्योग-धंधों पर आश्रित होती है वहीं शहरों में लोग विभिन्न व्यवसायों व्यापार, उद्योग, नौकरी में लगे होते हैं।


7. शहरीकरण का पुरुषों और महिलाओं पर समान रूप से क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर ⇒ शहरीकरण का पुरुषों और महिलाओं पर समान प्रभाव पड़ा। दोनों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता, अधिकारों और कार्यों पर बल दिया गया।


8. शहरीकरण का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा ? इसे रोकने के लिए क्या प्रयास किए गए ?

उत्तर ⇒शहरीकरण के कारण कल-कारखानों की स्थापना, चिमनियों से निकलनेवाले धुएँ, बेतरतीब भीड़, लोगों और सवारियों की आवाजाही, गंदगी और धूल से पर्यावरण काफी दूषित हो गया। अतः पर्यावरण की सुरक्षा के लिए समय-समय पर प्रयास किए गए। 1840 के दशक में इंग्लैंड के प्रमुख औद्योगिक नगरों में धुआँ नियंत्रण कानून लागू किया गया। भारत में 1863 में कलकत्ता में धुआँ-निरोधक कानून बनाया गया।


9. नगरीय जीवन एवं आधुनिकता एक – दूसरे से अभिन्न रूप से कैसे जुड़े हुए हैं ?

उत्तर ⇒शहरों (नगरों) का सामाजिक जीवन आधुनिकता के साथ अभिन्न रूप से जोड़ा जा सकता है। वास्तव में नगरीय जीवन एवं आधुनिकता एक-दूसरे की अंतभिव्यक्ति है। शहरों को आधुनिक व्यक्ति का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है। शहर व्यक्ति को संतष्ट करने के लिए अंतहीन संभावनाएँ प्रदान करता है। आधुनिकीकरण ने नगरीय जीवन को काफी हद तक प्रभावित किया है।


10. यूरोपीय इतिहास में ‘घेटो’ का क्या अर्थ है ?

उत्तर ⇒यूरोपीय इतिहास में ‘घेटो’ शब्द का सामान्यत: अर्थ मध्य यूरोपीय शहरों में यहूदियों की बस्ती के लिए प्रयोग किया जाता था। लेकिन आज के संदर्भ में यह विशिष्ट धर्म, नजाति, जाति या समान पहचानवाले लोगों के साथ रहने को इंगित करता है। घेटोकरण की प्रक्रिया में मिश्रित विशेषताओं वाले पडोस के स्थान पर एक समुदाय पड़ोस में बदलाव का होना, सामुदायिक दंगों को ये एक विशिष्ट देशिक रूप देते हैं।


11. आर्थिक तथा प्रशासनिक संदर्भ में ग्रामीण तथा नगरीय व्यवस्था के दो प्रमुख आधार क्या हैं ?

उत्तर ⇒आर्थिक तथा प्रशासनिक संदर्भ में ग्रामीण तथा नगरीय व्यवस्था के दो प्रमुख आधार हैं –

(i) जनसंख्या का घनत्व- शहरों में जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है।
(ii) कृषि आधारित आर्थिक क्रियाओं का अनुपात- कृषि आधारित आर्थिक क्रियाओं का अनुपात गाँवों में अधिक होता है।


12. चार्टिस्ट आंदोलन क्यों चलाया गया था ?

उत्तर ⇒बालिग पुरुषों के लिए मताधिकार की माँग को लेकर इंगलैंड में चार्टिस्ट आंदोलन चलाया गया।


13. 19वीं, 20वीं शताब्दियों में लंदन में कामकाजी महिलाओं में किस प्रकार का बदलाव आया ? इसके क्या कारण थे ?

उत्तर ⇒18वीं, 19वीं शताब्दी में जब इंगलैंड में कारखाने स्थापित होने लगे, तब बड़ी संख्या में स्त्रियाँ भी इनमें काम करने लगी। कुछ समय बाद तकनीक में परिवर्तन के कारण जब कुशल श्रमिकों की आवश्यकता हुई तो इन स्त्रियों को कारखानों से हटाया जाने लगा। कारखानों में काम बंद होने पर स्त्रियाँ घरेलू काम-धंधों में लग गई। 1861 की जनगणना के अनुसार लंदन में ढाई लाख घरेलू नौकर थे जिनमें महिलाओं की संख्या अधिक थी। अनेक औरतें अपने परिवार की आमदनी बढ़ाने के लिए अपने मकान में पेईंग गेस्ट को रख लेती थी। कुछ स्त्रियाँ अपने घर ही रहकर कपड़े सिलने, ऊनी वस्त्र बुनने तथा कपड़ा धोने का काम करने लगी। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान जब पुरुष बड़ी संख्या में युद्ध में शामिल होने लगे तथा युद्धकालीन आवश्यक सामग्रियों की माँग बढ़ गई तो महिलाएँ पुनः घरेलू काम छोड़कर विभिन्न उद्योगों में काम करने लगी। दफ्तरों में भी उन्हें रोजगार के अवसर मिले। इस प्रकार महिलाओं की आर्थिक क्रियाकलापों में महत्त्वपूर्ण भागीदारी रही।


14. 19वीं शताब्दी के मध्य में बंबई की आबादी में भारी वृद्धि क्यों हुई ?

उत्तर ⇒19वीं शताब्दी से बंबई का विकास एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह के रूप र क विकास के साथ-साथ यहाँ प्रशासकीय गतिविधियाँ भी बढ़ गई। अत: यह पश्चिम भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का मुख्यालय भी बन गया। औद्योगिकीकरण का जब विकास हुआ तो बंबई बड़े औद्योगिक केंद्र के रूप में बदल गया। इसके बाद बंबई का तेजी से विकास हुआ। शहर फैलने लगा, व्यापारी, कारीगर, उद्योगपति, दुकानदार, श्रमिक बड़ी संख्या में आकर यहाँ बसने लगे। इससे बंबई पश्चिमी भारत का सबसे प्रमुख नगर बन गया तथा इसकी आबादी काफी बढ़ती गयी।


15. बंबई की बहुतेरी फिल्में शहर में बाहर से आनेवालों की जिंदगी पर क्यों आधृत होती थी ?

उत्तर ⇒औद्योगिक और आर्थिक केंद्र होने के अतिरिक्त बंबई रुपहले दुनिया या फिल्म उद्योग का केंद्र था। फिल्मी दुनिया से आकृष्ट होकर इस उद्योग में अपना भविष्य तलाशने एवं सँवारने प्रतिवर्ष हजारों-हजार व्यक्ति इस नगर में आते थे। इसलिए अधिकांश फिल्में बंबई में आनेवाले अप्रवासियों के जीवन और उनके द्वारा भोगी गई कठिनाइयों, इनकी आशाओं और निराशा पर केंद्रित कर बनाई गई।


16. व्यावसायिक पूँजीवाद ने किस प्रकार नगरों के उद्भव में अपना योगदान दिया ?

उत्तर ⇒नगरों के उद्भव का एक प्रमुख कारण व्यावसायिक पूँजीवाद के उद्भव के साथ संभव हुआ। व्यापक स्तर पर व्यवसाय, बड़े पैमाने पर उत्पादन, मुद्रा प्रधान अर्थव्यवस्था, शहरी अर्थव्यवस्था जिसमें काम के बदले वेतन, मजदूरी का नगद भुगतान, एक गतिशील एवं प्रतियोगी अर्थव्यवस्था, स्वतंत्र उद्यम, मुनाफा कमाने की प्रवृत्ति, मुद्रा, बैंकिंग, साख बिल का विनिमय, बीमा, अनुबंध, कंपनी साझेदारी, ज्वाएंट स्टॉक, एकाधिकार आदि इस पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की विशेषताओं ने नये-नये नगरों के उद्भव में अपना योगदान दिया।


17, गाँव के कृषिजन्य आर्थिक क्रियाकलापों की विशेषता को दर्शायें।

उत्तर ⇒गाँव के कृषिजन्य आर्थिक क्रियाकलापों की विशेषता मुख्य रूप से यह है कि गाँव की आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि संबंधी व्यवसाय से जुड़ा होता है। अधिकांश वस्तुएँ कृषि उत्पाद से जुड़ी होती हैं जो इनकी आय का प्रमुख स्रोत होती है। गाँव की कषि प्रधान अर्थव्यवस्था मूलतः जीवन-निर्वाह अर्थव्यवस्था की अवधारणा पर आधारित होती हैं।


18. समाज का वर्गीकरण ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में किस भिन्नता के आधार पर किया जाता है ?

उत्तर ⇒गाँव एवं शहरों में सामाजिक वर्गीकरण मुख्यतः व्यवसाय में भिन्नता के आधार पर किया जाता है। ग्रामीण आबादी का एक बहुत बड़ा भाग मुख्यतः कृषिजन्य क्रियाकलापों से सम्बद्ध होता है। इसके विपरीत शहरी आबादी मख्यतः गैर कृषि व्यवसायों, नौकरी, उद्योग तथा व्यापार में संलग्न होती है।


19. उन दो कानूनों के नाम लिखें जिनके द्वारा इंगलैंड में बाल श्रमिकों को कारखानों में काम करने से रोक दिया गया।

उत्तर ⇒(i)अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा तथा
(ii) 1902 में फैक्ट्री कानून बनाकर इंगलैंड में बाल श्रमिकों को कारखानों में काम करने से रोक दिया गया।

20. उन दो फिल्मों के नाम लिखें जिनमें बंबई के अंतर्विरोधी आयामों का उल्लेख किया गया है ?

उत्तर ⇒सी० आई० डी और गेस्ट हाऊस।


21. बंबई की चॉल किस प्रकार की इमारत थी ? इनका निर्माण कब’ से आरंभ हुआ ?

उत्तर ⇒गरीबों के आवास के लिए बंबई में बड़ी संख्या में चॉल बनवाए गए। चॉल बहुमंजिली इमारतें थी। इसका निर्माण 1860 के दशक से आरंभ हुआ था। इनमें एक कमरे के मकान (खोली) कतार में बने होते थे।


22, 19वीं शताब्दी में धनी लंदनवासियों ने गरीबों के लिए मकान बनाने की वकालत क्यों की ?

उत्तर ⇒19वीं शताब्दी में लंदन में गरीबों के आवास से जुड़ी एक बड़ी समस्या थी। कारखानेदारी व्यवस्था ने लंदन नगर का स्वरूप परिवर्तित कर दिया । कारखानों में काम करने के लिए बड़ी संख्या में लोग लंदन आने लगे, परंतु उनके सामने आवास की समस्या थी। शहर में रहने के लिए घर उपलब्ध नहीं थे। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए धनी लंदनवासियों ने गरीबों के लिए मकान बनाने की वकालत शुरू की। वैसे धनी लोगों ने जिनके पास पर्याप्त जमीन उपलब्ध थी शहर में बाहर से आनेवाले गरीब लोगों के लिए टेनेमेंट्स बनाने लगे।


23. श्रमिक वर्ग का आगमन शहरों में किन परिस्थितियों के अंतर्गत हुआ ?

उत्तर ⇒आधुनिक शहरों में जहाँ एक ओर पूँजीपति वर्ग का अभ्युदय हुआ तो दूसरी ओर श्रमिक वर्ग का। शहरों में फैक्ट्री प्रणाली की स्थापना के कारण कृषक वर्ग जो लगभग भूमिविहीन कृषि वर्ग के रूप में थे, शहरों की ओर बेहतर रोजगार के अवसर को देखते हुए भारी संख्या में इनका पलायन हुआ। इस तरह शहरों में रोजगार की अपार संभावनाओं को देखते हुए गाँवों से शहरों की ओर श्रमिक वर्ग का आगमन हुआ।


24. नागरिक अधिकारों के प्रति एक नई चेतना किस प्रकार का आंदोलन या प्रयास से बनी ?

उत्तर ⇒नगरीय सभ्यता ने पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं में भी व्यक्तिवाद की भावना को उत्पन्न किया। एक ओर उनके अधिकारों के लिए विभिन्न आंदोलन चलाए गए। महिलाओं के मताधिकार आंदोलन या विवाहित महिलाओं के लिए संपत्ति में अधिकार आदि आंदोलन के माध्यम से महिलाओं में नागरिक अधिकारों के प्रति एक नई चेतना विकसित हुई। उन्नीसवीं शताब्दी में अधिकतर आंदोलन जैसे चार्टिस्ट (सभी वयस्क पुरुषों के लिए चलाया गया आंदोलन), दस घंटे का आंदोलन (कारखानों में काम के घंटे निश्चित करने के लिए चला आंदोलन) आदि के द्वारा नागरिक अधिकारों के प्रति एक नई चेतना को विकसित किया।


25. 18वीं शताब्दी के मध्य से लंदन की आबादी बढ़ने का क्या कारण था ?

उत्तर ⇒लंदन एक बड़ा नगर था। इंगलैंड की राजधानी होने के कारण इसकी आबादी लगातार बढ़ती गई। जहाँ 1750 तक इसकी आबादी 6 लाख से अधिक थी। वहीं 1880 तक लंदन की जनसंख्या चालीस लाख हो गई। यद्यपि लंदन में कारखाने नहीं थे परंतु वहाँ रोजगार के अन्य अवसर उपलब्ध थे। इसलिए इंगलैंड के विभिन्न भागों से लोग वहाँ आकर बसने लगे। प्रथम विश्वयुद्ध तक लंदन में मोटर और बिजली के सामान भी बड़े स्तर पर बनाए जाने लगे। इससे नए-नए कारखाने खुले। इससे भी लंदन की आबादी बढ़ती गयी।


26. नगरों में विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग अल्पसंख्यक हैं ऐसी मान्यता क्यों बनी है ?

उत्तर ⇒विशेषाधिकार प्राप्त वे वर्ग होते हैं जो सामाजिक तथा आर्थिक दृष्टि से सर्वसंपन्न होते हैं। यह बात सही है कि नगरों में सामाजिक तथा आर्थिक विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग सीमित हैं। अतः इन्हें अल्पसंख्यक कहा गया है। चूंकि यह वर्ग सुविधा संपन्न है, इसलिए ये पूर्णरूपेण उन्मुक्त तथा संतष्ट जीवन जी सकते हैं। अधिकतर व्यक्ति जो शहरों में रहते हैं उनके साधन सीमित हैं तथा बाध्यताओं में सीमित रहने के कारण उनको सापेक्षिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं है।


27. लंदन में गरीबों के लिए आवास बनवाने की आवश्यकता क्यों पड़ी ?

उत्तर ⇒लंदन में गरीबों के लिए आवास बनवाने के अनेक कारण थे

(i) गरीबों के टेनेमेंट्स रैनबसेरे और अजनबी घर अस्वास्थ्यकर और खतरनाक थे।
(ii) इसमें आग लगने का खतरा था जिससे पूरे शहर को नुकसान हो सकता था।
(iii) गरीबों की बड़ी संख्या सामाजिक राजनीतिक उथल-पुथल ला सकती
(iv)गरीबों के विद्रोह की आशंका को दबाने के लिए श्रमिकों के लिए भी आवासीय योजनाएँ बनाई गई।


Geography ( भूगोल ) लघु उत्तरीय प्रश्न 

1 भारत : संसाधन एवं उपयोग
2 कृषि ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
3 निर्माण उद्योग ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
4 परिवहन, संचार एवं व्यापार
5 बिहार : कृषि एवं वन संसाधन
6 मानचित्र अध्ययन ( लघु उत्तरीय प्रश्न )

History ( इतिहास ) लघु उत्तरीय प्रश्न 

1 यूरोप में राष्ट्रवाद
2 समाजवाद एवं साम्यवाद
3 हिंद-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन
4 भारत में राष्ट्रवाद 
5 अर्थव्यवस्था और आजीविका
6 शहरीकरण एवं शहरी जीवन
7 व्यापार और भूमंडलीकरण
8 प्रेस-संस्कृति एवं राष्ट्रवाद

Political Science  लघु उत्तरीय प्रश्न 

Economics ( अर्थशास्त्र ) लघु उत्तरीय प्रश्न

1 अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास
2 राज्य एवं राष्ट्र की आय
3 मुद्रा, बचत एवं साख
4 हमारी वित्तीय संस्थाएँ
5 रोजगार एवं सेवाएँ
6 वैश्वीकरण ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
7 उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण

Aapda Prabandhan Subjective 2022

नगरीय बस्ती से आप क्या समझते हैं?

'सभी स्थान जहाँ नगरपालिका, निगम, छावनी बोर्ड (कैंटोनमेंट बोर्ड) या अधिसूचित नगरीय क्षेत्र समिति (नोटीफाइड टाउन एरिया कमेटी) हो एवं कम से कम 5000 व्यक्ति वहाँ निवास करते हों, 75 प्रतिशत पुरुष श्रमिक गैर कृषि कार्यों में संलग्न हों व जनसंख्या का घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर हो, ऐसे स्थान या क्षेत्र को नगरीय ...

बस्ती से आप क्या समझते हैं?

एक स्थान जो साधारणतया स्थायी रूप से बसा हुआ हो उसे मानव बस्ती कहते हैं। मकानों का स्वरूप बदला जा सकता है, उनके कार्य बदल सकते हैं परंतु बस्तियाँ समय एवं स्थान के साथ निरंतर बसती रहेंगी। कुछ बस्तियाँ अस्थायी हो सकती हैं जिसमें निवास कुछ ही समय जैसे कि एक ऋतु के लिए होता है ।

शहरी बस्तियों की विशेषताएं क्या है?

वो क्षेत्र जिनका जनसंख्या घनत्व उनके आसपास के क्षेत्रों की तुलना में अधिक और जहां मानवीय सुविधाओं की उपलब्धता प्रचुर मात्रा में होती है, शहरी क्षेत्र कहलाते हैं। एक शहरी क्षेत्र, शहर या कस्बा हो सकता है पर ग्रामीण क्षेत्र जैसे कि गांव और अर्ध ग्रामीण बस्तियाँ इसकी परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते।

ग्रामीण और शहरी बस्ती क्या है?

ग्रामीण बस्तियों में जनसंख्या व जनघनत्व बहुत ही कम होता है तथा यहाँ के निवासी प्राथमिक क्रियाकलापों के द्वारा जीविकोपार्जन करते हैं जबकि नगरीय बस्तियों में जनसंख्या व जनघनत्व अपेक्षाकृत अधिक होता है तथा यहाँ के अधिकतर निवासी द्वितीयक, तृतीयक व चतुर्थ श्रेणी के क्रियाकलापों में संलग्न रहकर अपनी जीविका का उपार्जन करते ...