दीवानों की हस्तीप्रश्न / उत्तरप्रश्न-1 'दीवानों की हस्ती' कविता के रचयिता कौन है?उत्तर -'दीवानों की हस्ती' कविता के रचयिता भगवतीचरण वर्मा हैं। Show प्रश्न-2 कवि सुख और दुःख को किस भाव से ग्रहण करता है?उत्तर –कवि सुख और दुःख को समान भाव से ग्रहण करता है। प्रश्न-3 कवि किस बात के लिए संघर्षरत रहता है?उत्तर - कवि समाज की भलाई के लिए हमेशा संघर्षरत रहता है। प्रश्न-4 शब्दों के अर्थ बताइए - स्वच्छंद, उरउत्तर – स्वच्छंद - अपनीइच्छाकेअनुसारचलनेवाला, उर - ह्रदय प्रश्न-5 कविता पढ़कर कवि की क्या - क्या विशेषताएँ स्पष्ट होती हैं?उत्तर –विशेषताएँ - दीवाना, मस्ताना, सुख दुःख बाँटने वाला, उल्लास से भरा हुआ इत्यादि प्रश्न-6 कवि सुख - दुःख की भावना से निर्लिप्त क्यों है?उत्तर - कविसुख - दुःखकीभावनासेइसलिएनिर्लिप्तहैक्योंकिवहसुखऔरदुःखकोसमानभावसे देखताहै। प्रश्न-7 कवि किन बंधनों को तोड़ने की बात कर रहा है?उत्तर - कविसमाजमेंव्याप्तबुराइयों, रूढ़िग्रस्तरीती - रिवाज़ों केपरंपरागतबंधनोंकोतोड़नेकीबातकहरहाहै। प्रश्न-8 कवि ने दुनियाँ को भिखमंगा क्यों कहा है?उत्तर - कविनेदुनियाँकोभिखमंगाइसलिएकहाहैक्योंकिदुनियामेंसभीलोगएकदूसरेसे कुछनकुछमाँगतेरहतेहैं। प्रश्न-9 कवि जग को अपना क्या योगदान देना चाहता है?उत्तर -कवि लोगों में खुशियाँ बाटना चाहता है। वह लोगों के मन से दुःख और भय जैसे भावों को दूर करना चाहता है। प्रश्न-10 कवि की मंज़िल निश्चित क्यों नहीं है?उत्तर - कविअपनेइच्छानुसारजीवनकाआनंदलेनाचाहताहै।उसेजोभीराह दिखतीहैवहउसीपरआगेबढ़जाताहै।इसलिएकविकीमंज़िलनिश्चितनहींहै। प्रश्न-11 'हम स्वंय बँधे थे और स्वंय हम अपने बंधन तोड़ चले' - पंक्ति का अर्थ बताइए।उत्तर - कविस्वंयसांसारिकबंधनोंसेबंधकर आयाथापरन्तुवहअब सांसारिकताकेसभीबंधनोंकोअपनीइच्छासेतोड़करस्वच्छंदजीनाचाहताहै। प्रश्न-12 कविता में ऐसी कौन-सी बात है जो आपको सबसे अच्छी लगी?उत्तर -कविता में कवि का जीवन को जीने का नज़रिया, हर परिस्थिति में खुश रहने की कला, सुख - दुःख को समान भाव से लेने की कला, दूसरों की खुशियों को ध्यान रखना इत्यादि बातें अच्छी लगी। प्रश्न-13 कवि ने अपने आप को दीवाना क्यों कहा है?उत्तर - कवि नेअपनेआपकोदीवानाइसलिएकहाहैक्योंकिवहमस्तमौलाहै। उसेकिसीबातकी फिक्रनहींहै।वहअपनीमस्तीमेंहीबिनाकिसीमंज़िलकेआगेबढ़ाचलाजारहा है। प्रश्न-14 कवि ने अपने जीवन को मस्त क्यों कहा है?उत्तर - कविकोदुनियाकीकोईपरवाहनहींहै।न उसेकिसीबातकादुःखहैऔरनाहीकिसीबातकीखुशी।उसकारुकनेकाकोई निश्चितस्थाननहींहै।यहीकारणहैकीकविनेअपनेजीवनकोमस्तकहाहै। प्रश्न-15 कवि ने अपने आने को ‘उल्लास’ और जाने को ‘आँसू बनकर बह जाना’ क्यों कहा है?उत्तर - कवि ने अपने आने को ‘उल्लास’ इसलिए कहा है क्योंकि उसके आने पर लोगों में जोश तथा ख़ुशी का संचार होता है। कवि लोगों में खुशियाँ बाटता है। इसी कारण लोगों के मन प्रसन्न हो जाते हैं। पर जब वह उस स्थान को छोड़ कर आगे जाता है तब उसे तथा वहाँ के लोगों को दुःख होता है। विदाई के क्षणों में उनकी आँखों से आँसू बह निकलते हैं। प्रश्न-16 भिखमंगों की दुनिया में बेरोक प्यार लुटानेवाला कवि ऐसा क्यों कहता है कि वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है? क्या वह निराश है या प्रसन्न है?उत्तर – यहाँभिखमंगोंकीदुनियासेकविका आशयहैकियहदुनियाकेवललेनाजानतीहैदेनानहीं।कविनेभीइसदुनियाको प्यारदियापरइसकेबदलेमेंउसेवहप्यारनहींमिलाजिसकीवहआशाकरताहै। कविकेलिएयहउसकीअसफलताहै।इसलिएवहअपनेहृदयपरअसफलताकाएकनिशानभार कीतरहलेकरजारहाहै।अत: कविनिराशहै, वहसमझताहैकिप्यारऔरखुशियाँ लोगोंकेजीवनमेंभरनेमेंअसफलरहा। कविता के अनुसार दीवानों की क्या विशेषताएँ हैं?कवि अपने आने को 'उल्लास' कहता है क्योंकि किसी भी नई जगह पर आने से उसे खुशी मिलती है तथा उस स्थान को छोड़कर जाते समय दुख होता है और इसीलिए आँखों से आँसू निकल जाते हैं। वह अन्य लोगों को खुशियाँ बाँटता है जिससे वे अपना दुख भूल जाते हैं। जब वह जाता है तो वह यह दुख लेकर जाता है कि ये खुशियाँ हमेशा के लिए नहीं हैं।
दीवाने ने अपनी क्या विशेषता बताई है?प्रस्तुत कविता में कवि ने दीवानों की विशेषता बताते हुए कहा है कि दीवाने कभी किसी की नहीं सुनते उनकी अपनी एक अलग दुनिया होती है। उनके लिए अपना-पराया, मित्र…
दीवानों की हस्ती कविता का मूल उद्देश्य क्या है?'दीवानों की हस्ती' कविता से कवि के प्रेमी हृदय का पता चलता है । कवि घर, परिवार व समाज में फैले हर एक दुख एवं कठिनाइयों को समाप्त कर चहुँ ओर मस्ती भरा वातावरण स्थापित करना चाहते हैं। वे अपने मन की भावनाओं को कभी उल्लास तो कभी ऑसू के रूप में प्रकट करते हैं। उनकी ये भावनाएँ उसके समाज हितैषी होने का सबसे बड़ा प्रमाण है ।
दीवानों की हस्ती कविता से हमें क्या सीख मिलती है?उत्तर: इस कविता से हमें यह संदेश मिलता है कि हमारे मन में भी देश-प्रेम की भावना होनी चाहिए। हमें केवल अपने लिए नहीं, अपितु दूसरों के लिए भी जीना चाहिए। यदि देश पर कोई विपत्ति आ जाए, तो अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
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