क्वार मास के बादल कैसे होते हैं * जलयुक्त जल से हीन डरावने लुभावने? - kvaar maas ke baadal kaise hote hain * jalayukt jal se heen daraavane lubhaavane?

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रहीम के दोहे

Exercise : Solution of Questions on page Number : 84


प्रश्न 1: पाठ में दिए गए दोहों की कोई पंक्ति कथन है और कोई कथन को प्रमाणित करने वाला उदाहरण। इन दोनों प्रकार की पंक्तियों को पहचान कर अलग-अलग लिखिए।

उत्तर : उदाहरण वाले दोहे –
(i) तरूवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान।
कहि रहीम परकाज हित, संपति-सचहिं सुजान||

(ii) थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात।
धनी पुरूष निर्धन भए, करें पाछिली बात||

(iii) धरती की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह।
जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह||
कथन वाले दोहे –

(1) कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत||

(2) जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह||


प्रश्न 2: रहीम ने क्वार के मास में गरजने वाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों से क्यों की है जो पहले कभी धनी थे और बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं? दोहे के आधार पर आप सावन के बरसने और गरजने वाले बादलों के विषय में क्या कहना चाहेंगे?

उत्तर : क्वार के मास में जो बादल आसमान में होते हैं वे सक्रिय नहीं होते अर्थात्‌ केवल गरज कर ही रह जाते हैं बरसते नहीं हैं। उसी प्रकार जो निर्धन हो गए हैं वे केवल बड़बड़ा कर रह जाते हैं, कुछ कर नहीं पाते हैं। इसलिए कवि ने दोनों में समानता दिखाई है।


Exercise : Solution of Questions on page Number : 85


प्रश्न 1: निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित-हिंदी रूप लिखिए-
जैसे-परे-पड़े (रे, ड़े)
बिपति बादर
मछरी सीत

उत्तर : (i) बिपति – विपत्ति
(ii)बादर – बादल
(iii) मछरी – मछली
(iv) सीत – शीत


प्रश्न 2:

नीचे दिए उदाहरण पढ़िए-
(क) बनत बहुत बहु रीत।
(ख) जाल परे जल जात बहि।
उपर्युक्त उदाहरणों की पहली पंक्ति में ‘ब’ का प्रयोग कई बार किया गया है और दूसरी में ‘ज’ का प्रयोग। इस प्रकार बार-बार एक ध्वनि के आने से भाषा की सुंदरता बढ़ जाती है। वाक्य रचना की इस विशेषता के अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।

उत्तर : 1. चारू चंद्र की चंचल किरणें (यहाँ ‘च’ वर्ण की आवृति बार-बार हुई है)
2. रघुपति राघव राजा राम (यहाँ ‘र’ वर्ण की आवृति बार-बार हुई है)
3. विमल वाणी ने वीणा ली (यहाँ ‘व’ वर्ण की आवृति बार-बार हुई है)
4. मुदित महीपति मंदिर आए (यहाँ ‘म’ वर्ण की आवृति बार-बार हुई है)
5. तरनि तनूजा तट तमाल तरूवर बहुछाए (यहाँ ‘त’ वर्ण की आवृति बार-बार हुई है)
जहाँ एक ही वर्ण की आवृति एक से अधिक बार की जाए वहाँ ‘अनुप्रास’ अंलकार होता है।


प्रश्न 1:

नीचे दिए गए दोहों में बताई गई सच्चाइयों को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो उनके क्या लाभ होंगे? सोचिए और लिखिए-
(क) तरुवर फल……………….सचहिं सुजान||
(ख) धरती की-सी……………….यह देह||

उत्तर : (क) हमारे मन में परोपकार की भावना का उदय होगा और हमारे मन से लोभ तथा मोह नष्ट हो जाएगा। लोगों में कटुता, द्वेष तथा विषमता कम होगी और सदभाव बढ़ेगा।
(ख) हमारा शरीर तथा मन सहनशील होगा और हम आने वाले कष्ट के लिए हमेशा तैयार रहेंगे, हमें दुख की अनुभूति कम होगी।


क्वार के महीने के बादल कैसे होते हैं?

Solution : रहीम ने क्वार के बादलों की तुलना उन लोगों से की है जो पहले अमीर थे लेकिन अब वे गरीब हो चुके हैं। जैसे क्वार माह के बादल केवल गरजते हैं, पर बरसते नहीं हैं। ठीक उसी प्रकार अमीरी से निर्धन हुए व्यक्ति केवल दिखावे रूप में अमीरी की बात करते हैं जबकि वे भीतर से खोखले होते हैं

क्वार के बादल कैसे होते हैं तथा धनी निर्धन बन जाने पर पिछली बातें क्यों दोहराते हैं?

रहीम ने क्वार के मास में गरजनेवाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों से की है जो पहले कभी धनी थे और अपनी बीती बातें बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं। ऐसा कवि ने इसलिए किया क्योंकि क्वार मास के बादल बरसने वाले न होकर खोखले होते हैं ठीक वैसे ही जैसे धनी से निर्धन हो जाने वाले लोग धनहीन होते हैं

आश्विन महीने के बादलों की क्या विशेषता है?

आश्विन महीने के बादलों की क्या विशेषता होती है? Answer: आश्विन महीने में बादल केवल गरजते हैं। बादलों की तुलना किससे की गई है? Answer: रहीम ने बादलों की तुलना अमीरों से की हैं।

कवि ने थोथे बदर क्वार की क्या विशेषता बताई है और धनी पुरुष निर्धन होने पर किसकी बातें किया करते हैं?

थोथे बादर क्वार के, ज्यों 'रहीम' घहरात । धनी पुरुष निर्धन भये, करैं पाछिली बात ॥ क्वार मास में पानी से ख़ाली बादल जिस प्रकार गरजते हैं, उसी प्रकार धनी मनुष्य जब निर्धन हो जाता है, तो अपनी बातों का बारबार बखान करता है