नमस्कार दोस्तो, आज हम केंद्रीय बैंक : कार्य एवं साख नियंत्रण । Central Bank Functions And Credit Control In Hindi पर बात करेंगे। भारत मे बैंकों का बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अर्थात Rbi को कहा जाता है जो केंद्रिय बैंक है जो सम्पूर्ण बैंकिंग प्रणाली को नियंत्रित करता है। आज के निबंध एस्से में हम RBI केंद्रीय बैंक क्या है इसके कार्य फंक्शन वर्क्स आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे। Show
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया इन हिंदी ; प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था के बैंकिंग और मौद्रिक क्षेत्र को नियमित एवं नियंत्रित करने का महत्वपूर्ण कार्य उसका केंद्रीय बैंक करता है। यह देश मे सुस्थिर आर्थिक विकास, पूर्ण रोजगार, मूल्य स्थिरता एवं सुदृढ़ भुगतान सन्तुलन को स्थिर बनाए रखने के लिए उत्तरदायी हैं। केंद्रीय बैंक सभी बैंकों एवं वित्तीय संस्थाओं को निर्देश जारी करता है। अमेरिका में यह फेडरल रिजर्व बैंक इंग्लैंड में बैंक ऑफ इंग्लैंड और भारत में यह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता हैं। केंद्रीय बैंक प्रत्येक देश का शीर्षस्थ बैंक होता है। एम एच डी कॉक के अनुसार केंद्रीय बैंक वह बैंक होता है जो अपने देश की मौद्रिक एवं बैंकिंग ढांचे का सिरमौर होता हैं। केंद्रीय बैंक की परिभाषा व अर्थ meaning & definition of central bank in hindiकेंद्रीय बैंक को अनेक विद्वानों ने अपने अपने दृष्टि कोण से परिभाषित करने का प्रयास किया हैं। ए सी एल डे के अनुसार केंद्रीय बैंक वह बैंक है जो मौद्रिक एवं बैंकिंग प्रणाली को नियंत्रित एवं स्थिर करने में सहायक होता हैं। Telegram Group Join Nowसैम्युलसन के अनुसार एक केंद्रीय बैंक बैंकों का बैंक है जिसकी जिम्मेदारी मौद्रिक आधार के नियंत्रण की होती है और उच्च शक्तिशाली मुद्रा नियंत्रण करता हैं। इस प्रकार स्पष्ट है केंद्रीय बैंक किसी देश की वह शीर्ष संस्था है जो मौद्रिक व बैंकिंग क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए अधिकृत होती हैं। भारत में उक्त भूमिका भारतीय रिजर्व बैंक अदा करता है। यह देश की सम्पूर्ण मौद्रिक एवं वित्तीय क्षेत्र का नियामक होता है। साथ ही करेंसी जारी करने से लेकर बैंकिंग संस्थाओं को अनुज्ञा पत्र जारी करने का अधिकार भी प्राप्त है। इस प्रकार देश की अर्थव्यवस्था में इसे एक शीर्ष बैंक अथवा केंद्रीय बैंक के रूप में जाना जाता हैं। केंद्रीय बैंक के कार्य functions of central bank in hindi
करेंसी का निर्गमनकेंद्रीय बैंक वैधानिक रूप से देश की मुद्रा का निर्गमन एवं संचालन का कार्य प्रमुख रूप से करता है। भारत मे नोट निर्गमन का एकाधिकार भारतीय रिजर्व बैंक के पास हैं। जिससे नोटों में एकरूपता तथा विनिमय में सुविधा बनी रहती है। देश में पर्याप्त मात्रा में नोट जारी करने के लिए न्यूनतम कोष प्रणाली का उपयोग किया जाता हैं। जिसके अंतर्गत अर्थव्यवस्था में निर्गमित कुल मुद्रा की एवज में न्यूनतम कोष रिजर्व बैंक को अपने पास जमा रखना पड़ता है। इस प्रकार केंद्रीय बैंक का देश मे करेंसी संचालन पर प्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण होता हैं। न्यूनतम कोष प्रणाली – इस प्रणाली के अंतर्गत भारत में रिजर्व बैंक अपने पास 115 करोड़ रुपये का सोना और 85 करोड़ की विदेशी प्रतिभूतियां सदैव रिजर्व में रखता है। इस प्रकार दो सौ करोड़ रुपये का न्यूनतम कोष रिजर्व में रखने के पश्चात भारतीय रिजर्व बैंक किसी भी सीमा तक नोट जारी कर सकता हैं। भारत में 1956 से ही इस प्रणाली का उपयोग नोट निर्गमन हेतु किया जा रहा हैं। बैंकों का बैंक एवं नियंत्रणकर्ताकेंद्रीय बैंक व्यापारिक बैंकों के समस्त वित्तीय क्रियाकलापों का नियमन एवं नियंत्रण करता है। सभी व्यापारिक बैंकों को अपनी कुल जमाओं का एक निश्चित प्रतिशत भाग केंद्रीय बैंक के पास अनिवार्य रूप से रखना पड़ता है। देश की बैंकिंग प्रणाली को उन्नत बनाने के लिए केंद्रीय बैंक समय समय पर दिशा निर्देश जारी करता हैं। सरकारी बैंकर एजेंट एवं सलाहकारकेंद्रीय बैंक देश की ऊंची विकास दर प्राप्त करने में सहयोगी भूमिका अदा करता है। आर्थिक विकास हेतु नीति निर्माण में सलाहकार का कार्य करता है। केंद्रीय बैंक सरकार की ओर से धन जमा करता है एवं जरूरत पड़ने पर सरकार की तरफ से भुगतान भी करता हैं। भारत मे इसी प्रकार रिजर्व बैंक केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक के रूप में सरकार के सलाहकार की भूमिका अदा करता है। देश की मौद्रिक नीति की घोषणा इसी प्रयोजन हेतु केंद्रीय बैंक द्वारा समय समय पर की जाती है। अंतर्राष्ट्रीय विनिमय कोषों का संरक्षककेंद्रीय बैंक देश के लिए विनिमय कोषों का संरक्षक भी होता है। यह विनिमय कोषों के संरक्षण के साथ साथ भुगतान कोषों को भी संवर्धित करने का कार्य करता है। यह विभिन्न स्रोतों से प्राप्त विदेशी मुद्रा को जमा करता है। तथा आवश्यकता पड़ने पर सरकार की ओर से अदायगी भी करता है। विदेशी मुद्रा की तुलना में घरेलू मुद्रा की विनिमय दर को स्थिर बनाए रखने का कार्य भी केंद्रीय बैंक द्वारा किया जाता है जिसके लिए अवमूल्यन अथवा अधिमूल्यन उपकरणों का उपयोग किया जाता है। भारत में यह कार्य रिजर्व बैंक सम्पादित करता हैं। अंतिम ऋण दाताकेंद्रीय बैंक देश का शीर्षस्थ बैंक होने के साथ साथ अपने अधीनस्थ बैंकों के लिए वित्तीय संकट की स्थिति में अंतिम ऋण दाता की भूमिका भी अदा करता है। अधीनस्थ बैंकों को उनकी प्रतिभूतियों की एवज में तत्काल केंद्रीय बैंक ऋण उपलब्ध करवाता है। केंद्रीय समाशोधनकेंद्रीय बैंक व्यापारिक बैंकों के नकद कोषों का संरक्षक होने के कारण अपने अधीनस्थ बैंकों के लिए समाशोधन बैंक का कार्य भी करता है। व्यापारिक बैंकों के आपसी लेन देन इत्यादि का समाशोधन केंद्रीय बैंक के माध्यम से बिना नकद राशि का भुगतान किए खातों के माध्यम से हो जाते है। केंद्रीय बैंक व्यापारिक को एक स्थान से दूसरे स्थान पर राशि स्थान्तरित करने में भी माध्यम बनता है। इस प्रकार केंद्रीय बैंक भुगतानों एवं राशि स्थानांतरण हेतु केंद्रीय समाशोधन का माध्यम बनता हैं। साख का नियमन एवं नियंत्रणदेश मे मुद्रा की पूर्ति के परिमाण और साख की मात्रा दोनों को नियंत्रित करने का कार्य केंद्रीय बैंक का कार्य होता है। देश में मुद्रा की कुल मात्रा और उसका चलन वेग प्रत्यक्ष रूप से मुद्रा की स्फीति और मुद्रा संकुचन को प्रभावित करता है। आर्थिक विकास के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में मुद्रा की मात्रा को नियंत्रित करता है। साख का विस्तार या संकुचन करने के लिए केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति का उपयोग करता है, जिसे हम आगे विस्तार से जानेंगे। केंद्रीय बैंक का प्रमुख कार्य साख नियंत्रण हैं। व्यापारिक बैंक की साख निर्माण क्षमता को नियंत्रित करना आवश्यक होता है। देश में कीमत स्तर को स्थिर करना अर्थात मुद्रा स्फीति एवं मुद्रा संकुचन जैसी अस्थिरता को दूर करना केंद्रीय बैंक द्वारा साख नियंत्रण का प्रमुख उद्देश्य होता है। इसके अतिरिक्त विदेशी विनिमय दर को स्थिर करना, स्थिरतापूर्वक आर्थिक वृद्धि करना देश में व्यापार के अनुकूल साख की मात्रा उपलब्ध कराना आदि। केंद्रीय बैंक द्वारा साख नियंत्रण के उपायमात्रात्मक उपाय quantitative methodsइन उपायों को अपनाने से प्रत्यक्ष रूप से कुल साख की मात्रा पर प्रभाव पड़ता है। किंतु साख किस उद्देश्य के लिए उपलब्ध करवाई गई है अप्रभावित रहती है। ये उपाय केवल साख की मात्रा पर विशेष ध्यान देते है न कि साख की दिशा पर , जब देश की अर्थव्यवस्था में मुद्रा की तरलता की मात्रा का आधिक्य हो जाता है या कमी हो जाती है तो केंद्रीय बैंक साख की मात्रा एवं लागत को नियंत्रित करने के लिए जिन उपायों को अपनाता है उन्हें मात्रात्मक या परिमाणात्मक उपाय कहा जाता है। साख नियंत्रण के लिए भारत जैसे विकासशील देश मे अपनाए जाने वाले मात्रात्मक उपाय इस प्रकार हैं। बैंक दर नीति बैंक दर केंद्रीय बैंक द्वारा साख नियंत्रण का सर्वाधिक प्रचलित उपाय है। इसका उपयोग कर केंद्रीय बैंक अपने अधीनस्थ बैंकों की ऋण देने की क्षमता को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते है। बैंक दर वह है जिस दर पर केंद्रीय बैंक अपने व्यापारिक बैंको को ऋण उपलब्ध करवाता है। बैंक दर वह दर है जिस पर सेंट्रल बैंक व्यापारिक बैंकों के विनिमय बिलों की पुनरकटौति करता है भारत में यह कार्य भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किया जाता है। जब देश में साख की मात्रा कम करनी होती है तब सेंट्रल बैंक बैंक दर को बढ़ा देता है। जिससे व्यापारिक बैंक के लिए ऋण महंगे हो जाते हैं। उसकी साख देने की क्षमता घट जाती है। इसके विपरीत साख का विस्तार करने के लिए बैंक दर घटा दी जाती है। जिससे व्यापारिक बैंक सस्ते ऋण केंद्रीय बैंक से प्राप्त कर लोगों के लिए अधिक साख उपलब्ध करवा पाते हैं। खुले बाजार की क्रियाएंकेंद्रीय बैंक द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदने व बेचने की क्रिया को खुले बाजार की क्रियाए कहा जाता है। अर्थव्यवस्था में साख का नियमन करने हेतु केंद्रीय बैंक इस प्रकार की क्रियाओं का प्रयोग करते हैं। जब अर्थव्यवस्था में साख की मात्रा कम करनी होती है तो सेंट्रल बैंक अपने पास संचित प्रतिभूतियों को वाणिज्यिक बैंकों को बेचना शुरू कर देता है। जिससे उनके पास नकद कोषों में कमी आती है और साख की मात्रा घटती है। इसके विपरीत यदि केंद्रीय बैंक सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदना शुरू करती है तो बैंकों के पास नकद कोषों में वृद्धि हो जाती है, जिससे बैंक अधिक ऋण स्वीकृत कर पाते है। इससे अर्थव्यवस्था में साख का विस्तार होता है। नकद कोषानुपात व वैधानिक तरलानुपात में परिवर्तनकेंद्रीय बैंक साख नियंत्रण के लिए नकद कोषानुपात व वैधानिक तरलानुपात दोनों उपकरणों का प्रयोग करता है। व्यापारिक बैंकों द्वारा अपनी जमाओ का एक निश्चित अनुपात धनराशि के रूप में केंद्रीय बैंक के पास रखना अनिवार्य होता है जिसे वैधानिक तरलता अनुपात कहते हैं। इसी प्रकार बैंकिंग विधान के अनुसार बैंकों को अपनी कुल संपत्ति का एक निश्चित अनुपात अपने पास तरल या नकद के रूप में रखना अनिवार्य होता है जिसे नकद कोष अनुपात सीआरआर कहते हैं। जब केंद्रीय बैंक को साख का विस्तार करना होता है तो उक्त दोनों अनुपातों को कम कर दिया जाता है इसके विपरीत जब शाखा संकुचन या कमी करनी होती है तो उक्त अनुपातों में वृद्धि कर दी जाती है। गुणात्मक उपाय Qualitative Measuresकेंद्रीय बैंक द्वारा साख नियंत्रण हेतु कुछ गुणात्मक उपाय भी अपनाए जाते हैं जिनका उद्देश्य अर्थव्यवस्था के विशिष्ट क्षेत्र में साख को सीमित करने का होता है साख पर अनुउत्पादक से उत्पादक क्षेत्र की तरफ करने का प्रयास केंद्रीय बैंक की चयनात्मक नियंत्रण रीतियों द्वारा किया जाता है सा के नियंत्रण के गुणात्मक उपाय इस प्रकार हैं। चयनात्मक साख नियंत्रणकेंद्रीय बैंक द्वारा विशिष्ट क्षेत्रों एवं विशिष्ट आवश्यकता वाले समूहों के लिए चयनात्मक के नियंत्रण के उपाय अपनाए जाते हैं जो इस प्रकार है।
साख की राशनिंगइसके अंतर्गत केंद्रीय बैंक के द्वारा भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के लिए साख की राशनिंग कर दी जाती है यह सीमा बैंक के अनुसार अलग-अलग निर्धारित की जा सकती है साख राशनिंग भिन्न भिन्न तरीकों से की जा सकती है। नैतिक दवाबइसके अंतर्गत केंद्रीय बैंक व्यापारिक बैंकों को सलाह एवं मार्गदर्शन करता है और इसी के द्वारा उसकी साख निर्माण नीति को नियमित करने का प्रयास करता है केंद्रीय बैंक अपने अधीनस्थ व्यापारिक बैंकों को सद्भाव व नैतिक अनुनय से भी अपनी साख नियंत्रित करने के लिए दबाव बना सकता है एक सहज महत्वपूर्ण उपाय है। प्रचारबाजारीकरण के इस युग में विज्ञापनों का बड़ा महत्व है प्रत्येक देश का केंद्रीय बैंक इस हेतु अपनी अपनी पत्र पत्रिकाएं जनरल बुलेटिन इत्यादि प्रकाशित करता है जिसमें अर्थव्यवस्था से जुड़ी चुनौतियों समसामयिक आर्थिक पर अपनी राय प्रस्तुत करता है और चुनौतियों से निपटने के उपाय भी सुझाता है केंद्रीय बैंक का यह उपाय भी साख नियंत्रण में सहायक सिद्ध होता है। प्रत्यक्ष कार्यवाहीकेंद्रीय बैंक द्वारा उपरोक्त उपाय करने के पश्चात भी यदि बैंक की स्कीम नीति का पालन नहीं करते और बाजार विफलताएं प्रतीत हो तो ऐसी वैधानिक अधिकार प्राप्त है कि है व्यापारिक बैंकों के खिलाफ प्रत्यक्ष कार्यवाही कर सकता है ऐसी कठोर कार्यवाही के तहत दोषी बैंकों को पुनर कटौती की सुविधा से वंचित कर सकता है। रिजर्व बैंक के द्वारा साख नियंत्रण के लिए किए गए उपायों में सबसे कठोर कार्रवाई माना जाता है अतः उक्त उपाय व्यवहार में कम ही लिया जाता है। उपरोक्त विवेचन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि केंद्रीय बैंक सफल साख नियंत्रण के लिए मात्रात्मक एवं चयनात्मक साख नियंत्रण उपायों का एक-एक करके उचित समायोजन करता है जहां एक और मात्रात्मक उपाय प्रत्यक्ष रूप से साख की मात्रा को प्रभावित करते हैं वही चयनात्मक विधियां साख की दिशा को निर्धारित करती है। केंद्रीय बैंक तथा व्यापारिक बैंक में अंतर तुलना Difference Comparison between Central Bank and Commercial Bank In Hindiदेश की अर्थव्यवस्था में उसके केंद्रीय बैंक तथा व्यापारिक बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है तथापि केंद्रीय बैंक तथा व्यापारिक बैंकों के उद्देश्य और कार्यों में भिन्नता पाई जाती है फिर भी देश की मौद्रिक बैंकिंग व्यवस्था में दोनों संस्थाओं की अहम जिम्मेदारी निभाती है केंद्रीय बैंक तथा व्यापारिक बैंकों के उद्देश्य और कार्यों की तुलना हम निम्नानुसार कर सकते हैं।
इस प्रकार केंद्रीय बैंक के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए व्यापारिक बैंक देश की मौद्रिक एवं बैंकिंग व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग प्रदान करते हैं। यह भी पढ़े
उम्मीद करता हूँ दोस्तों केंद्रीय बैंक : कार्य एवं साख नियंत्रण । Central Bank Functions And Credit Control In Hindi का यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा, कमर्शियल बैंक्स वर्क्स कार्य फंक्शन के बारे में यहाँ दी गईं जानकारी आपको पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें। केंद्रीय बैंक क्या है इसके कार्यों का वर्णन करें?सरकार का बैंकर
इस रूप में केन्द्रीय बैंक सरकार को वो सेवाएं प्रदान करता है जो व्यापारिक बैंक जनता को प्रदान करते हैं। यह सरकारी विभागों के खाते रखता है और कोषों की व्यवस्था करता है। सरकार को आवश्यकता पड़ने पर ऋण भी देता है। सरकार की ओर से विदेशी मुद्राओं का क्रय-विक्रय भी करता है ।
सेंट्रल बैंक का नाम क्या है?सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया (अंग्रेजी: Central Bank of India) भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का प्रमुख बैंक है जिसकी स्थापना स्वदेशी आन्दोलन से प्रभावित होकर एक पारसी बैंकर सर सोराबजी पोचखानवाला द्वारा 1911 में की गयी थी।
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