Students can prepare for their exams by studying NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant Chapter 14 लोकगीत was designed by our team of subject expert teachers. अभ्यास प्रश्न निबंध से प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. अनुमान और कल्पना प्रश्न 1. प्रश्न 2. कुछ करने को प्रश्न
1. प्रश्न 2. (i) भारत के मानचित्र में – भारत के नक्शे में पाठ में चर्चित राज्यों के लोक गीत और नृत्य दिखाओ। भाषा की बात प्रश्न 1.
प्रश्न
2.
उत्तर: प्रश्न 3. प्रश्न 4. अधिकतर संख्या अपने देश में स्त्रियों के गीतों की है इन्हें गाती भी स्त्रियाँ हैं। इन गीतों का सम्बन्ध विशेषतः स्त्रियों से है। त्योहारों के, विवाह के, ज्योनार के, सम्बन्धियों के लिए प्रेमयुक्त गाली के, जन्म आदि सभी अवसरों के अलग-अलग गीत हैं जो स्त्रियाँ आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से गाती आ रही हैं। स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं। उनके गाने के साथ नाच का पुट भी होता है। इसी प्रकार होली के अवसर पर ब्रज में रसिया गाया जाता है जिसे स्त्रियाँ दल बनाकर गाती हैं। लोक गीतों के निर्माण में स्त्रियों ने काफी योगदान दिया है। लोक गीत व्याकरण बिन्दु प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
प्रश्न 4.
स्त्रियों के गाने की विशेषता क्या है?इनके गीत आमतौर पर दल बाँधकर ही गाए जाते हैं। अनेक कंठ एक साथ फूटते हैं। यद्यपि अधिकतर उनमें मेल नहीं होता, फिर भी त्योहारों और शुभ अवसरों पर वे बहुत ही भले लगते हैं। स्त्रियाँ ढोलक के साथ गाती हैं।
लोकगीतों की कौन सी विशेषताएँ होती है?लोकगीत सीधे जनता के गीत हैं। इसके लिए विशेष प्रयत्न की आवश्यकता नहीं पड़ती। ये त्योहारों और विशेष अवसरों पर साधारण ढोलक और झाँझ आदि की सहायता से गाए जाते हैं। इसके लिए विशेष प्रकार के वाद्यों की आवश्यकता नहीं होती।
स्त्री के लोकगीत कैसे होते हैं?सदा से ये गाए जाते रहे हैं और इनके रचनेवाले भी अधिकतर गाँव के लोग ही हैं। स्त्रियों ने भी इनकी रचना में विशेष भाग लिया है। ये गीत बाजों की मदद के बिना ही या साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से गाए जाते हैं। और औरतों के दल एक साथ या एक-दूसरे के जवाब में गाते हैं, दिशाएँ गूंज उठती हैं।
लोकगीत का हमारे जीवन में क्या महत्व है?लोकगीत मानव जीवन की अनुभूत अभिव्यक्ति और हृदयोदगार है तथा जीवन का स्वच्छ और साफ दर्पण भी है, जिसमें समाज के व्यक्त जीवन का प्रतिबिंब दिखाई पड़ता है। लोकगीत मनुष्य के स्वाभाविक भावनात्मक स्पंदनों सें जितना जुड़ा हुआ है उतना वाणी के किसी रूप में भी नहीं। लोकगीत ही लोकजीवन की वास्तविक भावनाओं को प्रस्तुत करता है।
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