कोटा का क्या मतलब होता है? - kota ka kya matalab hota hai?

इसे सुनेंरोकेंकोटा Meaning in Hindi – कोटा का मतलब हिंदी में कोटा इंग्लिश [संज्ञा पुल्लिंग] किसी योजना या सहायता में वह अनुपातिक अंश या भाग जो एक या प्रत्येक सदस्य को नियत रूप से मिलता हो ; यथांश ; निश्चित अंश ; भाग।

कोटा का इंग्लिश क्या होगा?

इसे सुनेंरोकेंकोटा MEANING IN ENGLISH – EXACT MATCHES Usage : All the salesmen met their quota for the month. The quota for the Japanese imports was being negotiated.

कोटा के संस्थापक कौन है?

इसे सुनेंरोकेंकोटा के संस्थापक कोटिया भील को बताने पर पूर्व कोटा रियासत के महाराव बृजराज सिंह ने विवाद खड़ा कर दिया है।

पढ़ना:   कंडक्टर या इन्सुलेटर क्या है?

कोटिया क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंएक ही प्रकार की वस्तुओं का वर्ग या श्रेणी; किस्म; (ग्रेड) 2. धनुष का सिरा 3. अस्त्र की नोक या धार 4. उत्कृष्टता 5.

कोटा की स्थापना कब और किसने की?

इसे सुनेंरोकेंकोटा का इतिहास राजा कोटिया भील से शुरू होता है , इन्होंने कोटा में नीलकंठ महादेव मंदिर स्थापित किया, जेत सिंह से युद्ध करते हुए वे शहिद हुए। कोटा कभी बूंदी राज्य का एक हिस्सा था। मुगल शासक जहांगीर ने जब बूंदी के शासकों को पराजित किया तो कोटा 1624 ई. में एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित हुआ।

कोटा के राजा कौन थे?

इसे सुनेंरोकेंकोटा रियासत के शासक महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय जिन्हें आज भी आधुनिक कोटा का जनक माना जाता है, उनकी छतरी भी यहां है। उनके शासनकाल में न केवल कोटा रियासत का भरपूर विकास हुआ बल्कि उनके शासनकाल के दौरान कई भव्य इमारतों का निर्माण कराया गया जो कोटा की शान बनी हुई है।

पढ़ना:   अंतरराष्ट्रीय मूल्य निर्धारण को प्रभावित करने वाले घटक कौन कौन से हैं?

कोटा बैराज कितने गेट खुले?

इसे सुनेंरोकेंकोटा शहर में जहां नजर जाती है वहां पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। कोटा बैराज के 10 गेट खोलकर पानी की निकासी की जा रही है। शहर में कई इलाकों के घरों में पानी भरने के कारण लोगों ने छतों पर रात गुजारी है।

कोटा रियासत का शासक कौन था?

इसे सुनेंरोकेंसही उत्तर माधो सिंह है। माधोसिंह कोटा राज्य के संस्थापक शासक थे। 1631 में कोटा की स्वतंत्र स्थिति वास्तविकता बन गई, जब राव रतन के द्वितीय पुत्र राव माधो सिंह को मुगल सम्राट जहांगीर ने शासक बनाया।

कोटा की स्थापना कब व किसने की?

इसे सुनेंरोकेंकोटा की स्थापना 13 वीं शताब्दी में बूंदी के शासक समरसी के पुत्र जैतसी ने की थी। उसने कोटा के स्थानीय शासक काटिया भील को परास्त कर उसके नाम से कोटा की स्थापना की।

कोटा की राजधानी कौन सी है?

इसे सुनेंरोकेंइसकी इसकी राजधानी झालावाड़ रखी गई। 1947 में भारत के स्वतन्त्र होने पर मार्च, 1948 में कोटा का राजस्थान संघ में विलय हो गया और कोटा महाराव भीमसिंह इसके राजप्रमुख बने एवं कोटा राजधानी।

पढ़ना:   ईरान में इस्लाम से पहले कौन सा धर्म था?

कोटा का शासक कौन था?

कोटा क्यों प्रसिद्ध है?

इसे सुनेंरोकेंदक्षिण राजस्थान में चंबल नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित कोटा उन शहरों में है, जहां औद्योगीकरण बड़े पैमाने पर हुआ है। कोटा महलों, संग्रहालयों, मंदिरों और बगीचों के लिए लोकप्रिय है। यह शहर नवीनता और प्राचीनता का अनूठा मिश्रण है।

Tezpatrika.com, Hindi English Dictionary will assist you to know the meaning of words from English to Hindi alphabets. Usage of a dictionary will help you to check the translation in Hindi, synonyms, antonyms and similar words which will help in bringing up the vocabulary.

About English Language
One of the widely spoken languages across the globe is English. Especially English language becomes common and connects people across the globe with each other. English is the 2nd Language learned by most of the people.

About Hindi Language

Hindi languages is one of the oldest language which has roots laid back in around 10th Century AD. One of the Official Language of India is Hindi. It is widely spoken by 10 million people living North Indian States like Delhi, Haryana, Uttar Pradesh, Bihar, Jharkhand, Madhya Pradesh and Parts of Rajasthan. This English to Hindi Dictionary helps you to improve your Hindi as well as English.

कोटा (Kota) भारत के राजस्थान राज्य के कोटा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह चम्बल नदी के किनारे, राज्य की राजधानी, जयपुर, से 240 किमी दक्षिण में बसा हुआ है। यह कोटा ज़िले का मुख्यालय है। जयपुर और जोधपुर के बाद यह राजस्थान का तीसरा सबसे बड़ा शहर है।[1][2]राजा कोटिया भील ने कोटा कि स्थापना को थी [3]

कोटा राजस्थान का एक प्रमुख औद्योगिक शैक्षणिक शहर है। यह नगर राष्ट्रीय राजमार्ग 27 और राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर स्थित है। दक्षिण राजस्थान में चंबल नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित कोटा उन शहरों में है, जहां औद्योगीकरण बड़े पैमाने पर हुआ है। कोटा महलों, संग्रहालयों, मंदिरों और बगीचों के लिए लोकप्रिय है। यह शहर नवीनता और प्राचीनता का अनूठा मिश्रण है। जहां एक तरफ शहर के स्मारक प्राचीनता का बोध कराते हैं वहीं चंबल नदी पर बना हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्लान्ट और मल्टी मेटल उद्योग आधुनिकता का अहसास कराते हैं। ये शहर हाल ही में वर्ल्ड ट्रेड फोरम की सूची में दुनिया का सातवां सबसे ज्यादा भीड-भाड़ वाला शहर बना है। कोटा अपने बागों के लिये भी प्रसिद्ध है। कोटा को देश की शिक्षा नगरी के रूप में भी पहचाना जाता है।

कोटा की सूती साड़ी गोटा पत्ती बॉर्डर सहित

कोटा की विशेष सूती व कोटा डोरीया साड़ियां,कोटा स्टोन,कचोरी के लिए प्रसिद्ध हैं। कोटा को शिक्षा नगरी के नाम से भी जाना जाता हे।

कोटा का इतिहास राजा कोटिया भील से शुरू होता है , इन्होंने कोटा में नीलकंठ महादेव मंदिर स्थापित किया, जेत सिंह से युद्ध करते हुए वे शहिद हुए। कोटा कभी बूंदी राज्य का एक हिस्सा था। मुगल शासक जहांगीर ने जब बूंदी के शासकों को पराजित किया तो कोटा 1624 ई. में एक स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित हुआ। राव माधो सिंह यहां के प्रथम स्वतंत्र शासक के रूप में गद्दी पर बैठे। 1818 ई. में कोटा ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन हो गया।[4]

चंबल नदी के पूर्वी तट पर 17 वीं शताब्दी में बना यह किला कोटा का मुख्य आकर्षण है। इस किले का परिसर राजस्थान के सबसे विशाल किले परिसरों में से एक है। 17 वीं शताब्दी में बना हाथी पोल किले में प्रवेश का खूबसूरत प्रवेश द्वार है। किले के बुर्ज, बालकनी, गुम्बद, परकोटे बेहद आकर्षक है।[5]

राव माधो सिंह संग्रहालय[संपादित करें]

यह संग्रहालय पुराने महल में स्थित है और इसे राजस्थान के सबसे बेहतरीन संग्रहालयों में से एक माना जाता है। कोटा राज्य के प्रथम शासक राव माधो सिंह के नाम पर संग्रहालय का नाम रखा गया है। संग्रहालय में कोटा की खूबसूरत पेटिन्ग, मूर्तियों, तस्वीरें, हथियारों और शाही वंश से संबंधित अनेक वस्तुएं देखी जा सकती हैं।

यह महल कोटा की एक रानी द्वारा 1740 ई. में बनवाया गया था। खूबसूरत किशोर सागर झील के मध्य बना यह महल राजाओं के आमोद प्रमोद का स्थान था। झील के पारदर्शी जल में महल का प्रतिबिम्ब बेहद सुन्दर लगता है। किशोर सागर झील बूंदी के राजकुमार धी देह ने 1346 ई. में बनवाई थी। झील में नौकायन का आनन्द भी लिया जा सकता है।

किशोर सागर झील के समीप किशोर बाग में बने ब्रिजविलास महल में यह संग्रहालय स्थित है। संग्रहालय में दुर्लभ सिक्कों, हस्तलिपियों और चुनिन्दा हडोटी मूर्तियों का विस्तृत संग्रह है। यहां बरोली के मंदिरों से कुछ आकक और ऐतिहासिक मूर्तियां लाकर रखी गई हैं। शुक्रवार और राष्ट्रीय अवकाश के दिन संग्रहालय बन्द रहता है।[6]

यह एक खूबसूरत पिकनिक स्पॉट है और यहां मगरमच्छों का तालाब देखा जा सकता है। यह गार्डन चम्बल नदी और अमर निवास के समीप स्थित है।[7]

देवताजी की हवेली राजस्थान के सबसे सुन्दर भवनों में से एक है। कोटा की यह हवेली अनोखे भित्तिचित्रों और चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध है।[8]

गणेश उद्यान (खड़े गणेश जी)[संपादित करें]

गणेश उद्यान कोटा का दूसरा सबसे मुख्य उद्यान है। यह उद्यान खड़े गणेश जी मंदिर के पास ही है। इसमे गणेश पवर्त भी है।[9]

यह कोटा का ऐतिहासिक गार्डन है, यहाँआज भी कोटा के ऐतिहासिक सौंदर्य को महसूस किया जा सकता है।[10]

कोटा से 50 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय चम्बल वन्य जीव अभयारण्य है जो घड़ियालों और पतले मुंह वाले मगरमच्छों के लिए बहुत लोकप्रिय है। यहां चीते, वाइल्डबोर, तेंदुए और हिरन भी पाए जाते हैं। बहुत कम जगह दिखाई देने वाला दुर्लभ कराकल भी यहां देखा जा सकता है।[11]

श्री केशव राय जी हडोती और हाडा के शासकों के इष्टदेव हैं। केशोरईपाटन भगवान श्री केशव का निवास स्थल है। श्री केशव का मध्यकालीन मंदिर चंबल नदी के किनारे स्थित है। नदी की ओर वाली मंदिर की दीवार किले की दीवार के समान है। कार्तिक माह में आयोजित होने वाले मेले में यहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं। इस अवसर पर भक्तजन चम्बल नदी में डुबकी लगाते हैं और श्री कृष्ण के आशीर्वाद की कामना करते हैं। केशव राय पाटन कोटा से 22 किलोमीटर दूर उत्तर पूर्व में स्‍थित है।[12]

कोटा से 22 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम में शिव को समर्पित गेपरनाथ मंदिर चम्बल नदी के किनारे पर स्थित है। यह मंदिर 1569 ई. में बना था। यह स्थान प्राचीन काल से शिवभक्तों का प्रमुख तीर्थस्थल रहा है। यहां कुछ प्राचीन अभिलेख प्राप्त हुए हैं जो इस तथ्य की पुष्टि करते हैं। सन् 2008 में एक बङी ही विस्मयी घटना ने समस्त कोटा वासीयो का दिल दहला दिया। करीब 250 व्यक्ति जो कि शिव मन्दिर में दर्शन करने वास्ते गये थे वो सीढिया टुट जाने बाबत् अन्दर ही फस गये। प्रशासन ने 2 दिन में कङी मेहनत कर उन्हे बाहर निकाला। गेपरनाथ में करीब 470 सीढिया है। करीब 350 मीटर की गहरी खाई है।[13]

यहां 9 वीं और 12 वीं शताब्दी के बीच बने अनेक प्राचीन मंदिर है। यह स्थान कदम, आम, जामुन और पीपल के पेड़ों से घिरा हिन्दुओं का पवित्र धार्मिक स्थल है। घाटेश्वर यहां का मुख्य मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर के सभा मंडप विशेषकर स्तम्भों में आकर्षक नक्काशियां की गई हैं। महिषासुरमर्दिनी और त्रिदेव मंदिर अन्य दो प्रमुख मंदिर है। इन मंदिरों की कुछ प्रतिमाएं कोटा के सरकारी संग्रहालय में रखी गई हैं।[14]

कोटा की ख़ास पहचान यहां के कोचिंग संस्थान हैं। कोटा को भारत की "कोचिंग राजधानी" भी कहा जाता है।[15] हर साल इस शहर में लाखों विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों के लिए आते हैं। पिछले कुछ सालों में कोटा एक प्रसिद्ध कोचिंग नगरी के रूप में उभरा है। शहर का शैक्षणिक क्षेत्र यहां की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा है। यहां कई कोचिंग संस्थान है जो विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे कि IIT और NEET की तैयारी करवाते हैं।[16][17]

प्रमुख विश्वविद्यालय और कॉलेज[संपादित करें]

  • राजकीय वाणिज्य महाविद्यालय, कोटा
  • राजकीय महाविद्यालय, कोटा
  • राजकीय कला महाविद्यालय, कोटा
  • जानकी देवी बजाज कन्या महाविद्यालय, कोटा
  • गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, कोटा
  • संस्कृत पीजी कॉलेज, कोटा
  • राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय, कोटा
  • राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा
  • वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा
  • कोटा विश्वविद्यालय, कोटा
  • कोटा कृषि विश्वविद्यालय, कोटा
  • आईआईआईटी, कोटा
  • कैरियर प्वाइंट विश्वविद्यालय, कोटा
  • जय मीनेश राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, कोटा
  • एलेन करियर इंस्टिट्यूट
  • मोशन एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड[18]
  • रेजोनेंस कोटा
  • करियर पॉइंट
  • बंसल क्लासेज
  • आकाश इंस्टिट्यूट
  • वाइब्रेंट अकादमी
  • सर्वोत्तम इंस्टिट्यूट

पिछले कुछ वर्षों में, शहर में छात्रों द्वारा आत्महत्या करने की खबरें बढ़ी हैं। रिपोर्टों के अनुसार, छात्रों को तनाव महसूस होता है और अपने लक्षित प्रतियोगी परीक्षा को क्रैक करने के लिए उन पर दबाव पड़ता है। २०१४ के राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, शहर में छात्रों के ४५ आत्महत्या के मामले सामने आए। साल २०१५ में इस तरह के १७ मामले पाए गए थे। इसी कारण से, कई कोचिंग सेंटरों ने काउंसलर भी नियुक्त किए हैं और छात्रों की मदद के लिए मनोरंजक गतिविधियों का आयोजन कर रहे हैं।[19]

नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर का सांगानेर विमानक्षेत्र है जो कोटा से 240 किलोमीटर दूर है। भारत के महानगरों से संगनेर के लिए प्रतिदिन उड़ानों की व्यवस्था है। वैसे कोटा में भी हवाईअड़ा है, किंतु वहां हाल में ही जयपुर के लिए उड़ानें उपलब्ध हैं। कोटा से जयपुर के लिए नियमित उड़ाने शुरू हो चुकी है।[13]

कोटा जंक्शन भारतीय रेलवे की पश्चिम मध्य रेलवे इकाई के कोटा संभाग का संभागीय मुख्यालय है। कोटा सेन्ट्रल रेलवे हे निजामुद्दीन-उदयपुर एक्सप्रेस, जनशताब्दी एक्सप्रेस समेत कई ट्रेनों के माध्यम से दिल्ली से जुड़ा हुआ है। मुम्बई अगस्त क्रान्ति और त्रिवेन्द्रम राजधानी सुपरफास्ट ट्रेनों से भी कोटा पहुंचा जा सकता है। जयपुर से जयपुर-कोटा फास्ट पेसेन्जर और जयपुर- बॉम्बे सेन्ट्रल सुपरफास्ट ट्रैनों से कोटा जाया जा सकता है। कोटा ट्रेन रूट से दो रेलवे लाइन निकलती हे। चितौड़ के लिए एक भोपाल जबलपुर के लिए।[20]

जयपुर से राष्ट्रीय राजमार्ग 12 से टोंक, देवली और बूंदी होते हुए कोटा पहुंचा जा सकता है। मुम्बई से राष्ट्रीय राजमार्ग 8 और 76 से चित्तौड़गढ़, भातेश्वर, भदौरा, बिचोर और बिलोजियां होते हुए कोटा पहुंचा जा सकता है।[20]

  • इंडिया न्यूज
  • एमएचआर न्यूज़ (मीडिया हाउस राजस्थान)
  • एसटीएन न्यूज़
  • सूचना इंडिया
  • फर्स्ट इंडिया राजस्थान
  • समय न्यूज़ राजस्थान
  • एवन टीवी
  • कोटा टीवी
  • भीम न्यूज़

कोटा में कुल पाँच रेडियो स्टेशन हैं, जिनमें से चार का प्रसारण आवृत्ति मॉड्यूलेशन (एफएम) बैंड पर होता है और एक आकाशवाणी स्टेशन जो कि एम्प्लीट्यूड मोड्यूलेशन बैंड पर प्रासारित होता है।

कोटा का शब्दार्थ क्या है?

कोटा का हिंदी अर्थ किसी योजना या सहायता में वह अनुपातिक अंश या भाग जो एक या प्रत्येक सदस्य को नियत रूप से मिलता हो; यथांश; निश्चित अंश; भाग।

कोटा का पुराना नाम क्या है?

1719 ई. में भीमसिंह ने पुन: बूंदी को अपने अधीन कर लिया। इन्होंने अपने नाम कृष्णदास तथा कोटा का नाम नदंगाँव रखा।

कोटा का राजा कौन है?

कोटा रियासत के शासक महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय जिन्हें आज भी आधुनिक कोटा का जनक माना जाता है, उनकी छतरी भी यहां है। उनके शासनकाल में न केवल कोटा रियासत का भरपूर विकास हुआ बल्कि उनके शासनकाल के दौरान कई भव्य इमारतों का निर्माण कराया गया जो कोटा की शान बनी हुई है।

कोटा के संस्थापक कौन थे?

इसी प्रकार कोटा नगर के वास्तविक संस्थापक राव जैतसी हैं, न कि कोटिया। जब तक कोटिया जिंदा था, तब तक यहां कोई बस्ती नहीं थी। हां, इस नई बस्ती का नाम कोटिया के नाम पर कोटा अवश्य हो सकता है। '