UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 15 Plant Growth and Development (पादप वृद्धि एवं परिवर्धन)These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 11 Biology . Here we given UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 15 Plant Growth and Development (पादप वृद्धि एवं परिवर्धन) Show अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. 1. वृद्धि (Growth) : 2. विभेदन (Differentiation) : 3. परिवर्धन (Development) : 4. निर्विभेदन (Dedifferentiation) : 5. पुनर्विभेदन (Redifferentiation) : 6. सीमित वृद्धि (Determinate Growth) : 7. मेरिस्टेम (Meristem) : 8. वृद्धि दर (Growth Rate) : प्रश्न 2. वृद्धि के प्राचालिक वृद्धि सभी जीवधारियों की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है। पौधों में वृद्धि कोशिका विभाजन, कोशिका विवर्धन या दीर्धीकरण तथा कोशिका विभेदन के फलस्वरूप होती है। पौधे की मेरिस्टेम कोशिकाओं (meristematic cells) में कोशा विभाजन की क्षमता पाई जाती है। सामान्यतया कोशिका विभाजन जड़ तथा तने के शीर्ष (apex) पर होता है। इसके फलस्वरूप जड़ तथा तने की लम्बाई में वृद्धि होती है। एधा (cambium) तथा कॉर्क एधा (8rk cambium) के कारण तने और जड़ की मोटाई में वृद्धि होती है। इसे द्वितीयक वृद्धि (secondary growth) कहते हैं। कोशिकीय स्तर पर वृद्धि मुख्यतः जीवद्रव्य मात्रा में वर्धन का परिणाम है। जीवद्रव्य की बढ़ोतरी या वर्धन का मापन कठिन है। वृद्धि दर मापन के कुछ मापदण्ड हैं–ताजे भोर में वृद्धि, शुष्क भार में वृद्धि, लम्बाई, क्षेत्रफल, आयतन तथा कोशिका संख्या में वृद्धि आदि। (UPBoardSolutions.com) मक्का की जड़ को अग्रस्थ मेरिस्टेम प्रति घण्टे लगभग 17,500 कोशिकाओं का निर्माण करता है। तरबूज की कोशिका के आकार में लगभग 3,50,000 गुना वृद्धि हो सकती है। पराग नलिका की लम्बाई में वृद्धि होने से यह वर्तिकाग्र, वर्तिका से होती हुई अण्डाशय में स्थित बीजाण्ड में प्रवेश करती है। प्रश्न 3. (अ) समसूत्री विभाजन के पश्चात् बनने वाली दो संतति कोशिकाओं में से एक कोशिका निरन्तर विभाजित होती रहती है और दूसरी कोशिका विभेदित एवं परिपक्व होती रहती है। अंकगणितीय वृद्धि को हम हैं निश्चित दर पर वृद्धि करती जड़ में देख सकते हैं। यह है एक सरलतम (UPBoardSolutions.com) अभिव्यक्ति होती है। संलग्न चित्र में वृद्धि (लम्बाई) समय के विरुद्ध आलेखित की गई है।इसके फलस्वरूप रेखीय वक्र (linear curve) प्राप्त होता है। इस वृद्धि को हम गणितीय रूप से व्यक्त कर सकते हैं (ब) एक कोशिका की वृद्धि अथवा पौधे के एक अंग की वृद्धि अथवा पूर्ण पौधे की वृद्धि सदैव एकसमान नहीं हैं होती। अनुकरण करती हैं और इसी प्रकार विभाजित होने की क्षमता बनाए रखती हैं। यद्यपि सीमित पोषण, आपूर्ति के साथ वृद्धि दर धीमी होकर स्थिर हो जाती है। समय के प्रति वृद्धि दर को ग्राफ पर अंकित करने पर एक सिग्मॉइड वक्र (sigmoid curve) प्राप्त होता है। यह ‘S’ की आकृति का होता है। ज्यामितीय वृद्धि (geometrical growth) को गणितीय रूप से निम्नलिखित प्रकार व्यक्त कर सकते हैं W1 = [latex]{ W }_{ 0}^{ ert }[/latex] (स) ज्यामितिक वृद्धि को तीन प्रावस्थाओं में विभक्त कर सकते हैं
यदि वृद्धि दर का समय के प्रति ग्राफ बनाएँ तो ‘S’ की आकृति का वक्र प्राप्त होता है। इसे सिग्मॉइड वृद्धि वक्र कहते हैं। (द)
दोनों पत्तियों ने एक निश्चित समय में अपने सम्पूर्ण क्षेत्रफल में समान वृद्धि की है, फिर भी A की सापेक्ष वृद्धि दर अधिक है। प्रश्न 4. प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामक पौधों की विभज्योतकी कोशिकाओं (meristematic cells) और विकास करती पत्तियों एवं फलों में प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाले विशेष कार्बनिक यौगिकों को पादप हॉर्मोन्स (phytohormones) कहते हैं। ये अति सूक्ष्म मात्रा में परिवहन के पश्चात् पौधों के अन्य अंगों (भागों) में पहुँचकर वृद्धि एवं अनेक उपापचयी क्रियाओं को प्रभावित एवं नियन्त्रित करते हैं। वेण्ट (Went, 1928) के अनुसार वृद्धि नियामक पदार्थों के अभाव में वृद्धि नहीं होती। पादप हॉर्मोन्स को हम निम्नलिखित पाँच प्रमुख समूहों में बाँट लेते हैं 1. ऑक्सिन बायसेन : वेण्ट ने इस रासायनिक पदार्थ को ऑक्सिन (auxin) नाम दिया। ऑक्सिन की सान्द्रती तने में वृद्धि को प्रेरित करती है और जड़ में वृद्धि का संदमन करती है। ऑक्सिन के असमान वितरण के फलस्वरूप ही प्रकाशानुवर्तन (phototropism) और गुरुत्वानुवर्तन (geotropism) गति होती है। केनेथ थीमान (Kenneth Thimann) ने ऑक्सिन को शुद्ध रूप में प्राप्त करके इसकी आण्विक संरचना ज्ञात की। ऑक्सिन के कार्यिकी प्रभाव एवं उपयोग (i) प्रकाशानुवर्तन एवं गुरुत्वानुवर्तन (Phototropism and Geotropism) : (ii) शीर्ष प्रभाविता (Apical dominance) : (iii) विलगन (Abscission) : (iv) अनिषेकफलन (Parthenocarpy) : (v) खरपतवार निवारण (Weed destruction) : (vi) कटे तनों पर जड़ विभेदन (Root differentiation on Stem cutting) : (vii) प्रसुप्तती नियन्त्रण (Control of Dormancy) : 2. जिबरेलिन जिबरेलिन का पादप कार्यिकी पर प्रभाव एवं कृषि या बागवानी में महत्त्व (i) लम्बाई बढ़ाने की क्षमता (Efficiency of increase the length) : (ii) पुष्पन पर प्रभाव (Effect of Flowering) : (iii) अनिषेकफलन (Parthenocarphy) : (iv) जीर्णता या जरावस्था (Senescence) : (v) बीजों का अंकुरण (Seed Germination) : (vi) पौधों की परिपक्वता (Maturity of Plants) : 3. सायटोकाइनिन
निर्माण को नियन्त्रित करते हैं। यदि तम्बाकू की कोशिकाओं का संवर्धन शर्करा तथा खनिज लवणयुक्त माध्यम में किया जाए तो केवल कैलस (callus) ही विकसित होता है। यदि माध्यम में सायटोकाइनिन और ऑक्सिन का अनुपात बदलता रहे तो जड़ अथवा प्ररोह का विकास होता है। संवर्धन के प्रयोग आनुवंशिक इन्जीनियरी के लिए लाभदायक हैं; क्योंकि नई किस्म के पौधे उत्पन्न करने में कोशिका संवर्धन लाभदायक है। 4. ऐब्सीसिक अम्ल (i) विलगने (Abscission) : (ii) कलिकाओं की वृद्धि एवं बीजों का अंकुरण (Growth of buds and germination of seeds) : (iii) जीर्णता (Senescence) : (iv) वाष्पोत्सर्जन नियन्त्रण (Control of Transpiration) : (v) कन्द निर्माण (TuberFormation) : (vi) कोशिकाविभाजन एवं कोशिका दीर्धीकरण (Cell division and Cell Elongation) : 5. एथिलीन (i) पुष्पन (Flowering) : (ii) विलगने (Abscission) : (iii) पुष्प परिवर्तन (Flower Modification) : (iv) फलों को पकना (Fruit Ripening) : प्रश्न 5. (क)
अल्प प्रदीप्तकाली पौधों को मिलने वाली प्रकाश अवधि को कम करके और दीर्घ प्रदीप्तकाली पौधों को अतिरिक्त प्रकाश अवधि प्रदान करके पुष्पन शीघ्र कराया जा सकता है। (ख) प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. जाता है। दो जातियों के पौधे समान अवधि के प्रकाश में पुष्प उत्पन्न करते हैं, परन्तु उनमें से एक अल्प प्रदीप्तकाली पौधा तथा दूसरा दीर्घ प्रदीप्तकाली पौधा हो सकता है; जैसे-जैन्थियम (Xanthiur) का निर्णायक दीप्तिकाल 15 1/2 घण्टे है और हाईओसायमस नाइजर (Hyoscyamus niger) को निर्णायक दीप्तिकाल 11 घण्टे है। दोनों पौधे 14 घण्टे की प्रकाशीय अवधि में पुष्प उत्पन्न कर सकते हैं। इस आधार पर जैन्थियम अल्प प्रदीप्तकाली पौधा है क्योंकि यह निर्णायक दीप्तिकाल से कम प्रकाशीय अवधि में पुष्पन करता है तथा हाइओसायमस नाइजर दीर्घ प्रदीप्तकाली पौधा है; क्योंकि यह निर्णायक दीप्तिकाल से अधिक प्रकाश अवधि में पुष्पन करता है। प्रश्न 9. उत्तर : प्रश्न 10. प्रश्न 11. उत्तर : परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर बहुविकल्पीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रकाशानुवर्तन इस क्रिया में पौधों के विभिन्न भाग प्रकाश उद्दीपन द्वारा विभिन्न प्रकार की वक्रण गतियाँ प्रदर्शित करते हैं। प्रकाश के एकदिशीय उद्दीपन (unilateral stimulus) के कारण तने प्रकाश की ओर मुड़ जाते हैं। इसे धनात्मक प्रकाशानुवर्तन (positive phototropism) कहते हैं। जड़े प्रकाश के इस प्रकार के उद्दीपन के विपरीत वक्रण प्रदर्शित करती हैं। इसे ऋणात्मक प्रकाशानुवर्तन (negative phototropism) कहते हैं। पत्तियाँ उभय प्रकाशानुवर्तन (diaphototropism) तथा शाखाएँ प्रकाश के अन्य किसी कोण पर तिर्यक प्रकाशानुवर्तन (plagiophototropism) प्रदर्शित करती हैं। प्रकाशानुवर्तन का कारण कोलोडनी तथा वेण्ट (Cholodny and went) ने ऑक्सिन के असमान वितरण को पाया। अंधेरे के क्षेत्र की (UPBoardSolutions.com) ओर अधिक ऑक्सिन एकत्रित हो जाने से तनों में उस ओर अधिक वृद्धि तथा जड़ों में वृद्धि का संदमन होने से तने प्रकाश की ओर, किन्तु जड़े प्रकाश के विपरीत वक्रण प्रदर्शित करती हैं। कुछ पौधे अथवा उनके अंग परिवर्द्धन के विभिन्न कालों में भिन्न-भिन्न व्यवहार प्रदर्शित करते हैं। मूंगफली (groundnut = Arachis hypoged) में अण्डाशय (ovary) के नीचे लगा वृन्त पहले धनात्मक किन्तु निषेचन (fertilization) के बाद ऋणात्मक प्रकाशानुवर्तन प्रदर्शित करता है। एक सामान्य प्रयोग द्वारा प्रकाशानुवर्तन को निम्नवत् प्रदर्शित किया जा सकता है। लकड़ी का बना एक ऐसा बॉक्स लेते हैं जिसमें एक ओर प्रकाश के आने के लिए खिड़की बनी होती है। एक गमले में । लगा पौधा इस बॉक्स के अन्दर रख दिया जाता है। कुछ दिन बाद देखने पर पता चलता है कि पौधे की शाखायें खिड़की की ओर अर्थात् प्रकाश के स्रोत की ओर मुड़ (UPBoardSolutions.com) जाती हैं। इससे सिद्ध होता है कि पौधे के वायवीय भाग विशेषकर तना धनात्मक प्रकाशानुवर्ती होते हैं। प्रश्न 2. गुरुत्वाकर्षण शक्ति (gravitational force) गुरुत्वानुवर्तन का प्रदर्शन उपर्युक्ते प्रकार के वक्रण को एक सामान्य प्रयोग द्वारा समझाया जा सकता है। जब किसी गमले में लगे पौधे को भूमि के समान्तर रख देते हैं तो ऑक्सिन (auxin) हॉर्मोन के प्रभाव से तने में ऋणात्मक गुरुत्वानुवर्तन (negative geotropism) तथा जड़ के निचले सिरे पर धनात्मक गुरुत्वानुवर्तन (positive geotropism) होने लगता है। इसके कारण तना’ऊपर की ओर तथा जड़ नीचे की ओर वक्रण प्रदर्शित करती है। प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. A. कुछ जातियों के बीज; जैसे—सलाद (Lettuce), तम्बाकू की कुछ किस्में, मिसिल्टो (Viscum), आदि प्रकाश की अनुपस्थिति में अंकुरित नहीं होते और बहुत कम प्रकाश में रखने पर भी अंकुरित हो जाते हैं। ऐसे बीजों में दृश्य स्पेक्ट्रम (visible spectrum) का लाल (R 660 nm) क्षेत्र अंकुरण के लिए बहुत प्रभावी होता है तथा सुदूर लाल (Far red 730 nm) क्षेत्र, लाल प्रकाश के प्रभाव को समाप्त कर देता है। बीजों के अंकुरण पर लाल (red) तथा सुदूर लाल (far red) प्रकाश का प्रभाव, फाइटोक्रोम (phytochrome) नामक प्रोटीन वर्णक (pigment) के कारण होता है। B. 1. बीजावरण की जल के लिए अपारगम्यता (Impermeability of Seed Coat to Water) : 2. बीजावरण की ऑक्सीजन के लिए अपारगम्यता (Impermeability of Seed Coat to Oxygen) : 3. यान्त्रिक रूप से प्रतिरोधी बीजावरण (Mechanically Resistant Seed Coat) : 4. अपूर्ण परिवर्धित भ्रूण (Imperfectly Developed Embryo) : 5. भ्रूण की परिपक्वन के बाद शुष्क भण्डारण आवश्यकता (Embryo Requiring after Ripening in Dry Storage) : 6. अंकुरणरोधक पदार्थों की उपस्थिति (Presence of Germinating Inhibitors) : We hope the UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 15 Plant Growth and Development (पादप वृद्धि एवं परिवर्धन) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 15 Plant Growth and Development (पादप वृद्धि एवं परिवर्धन), drop a comment below and we will get back to you at the earliest. कौन सा पादप हार्मोन वृद्धि का संदमन करता है?ऑक्सिन वृद्धि हार्मोन हैं जो कोशिका दीर्घीकरण को बढ़ाने की सामर्थ्य रखता है।
पौधों में ऑक्सिन हार्मोन का क्या काम है?ऑक्सिन की यह सांद्रता कोशिकाओं को प्ररोह, जो प्रकाश से दूर होता है, की तरफ बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। इस प्रकार, पौधे प्रकाश की ओर झुकते हुए प्रतीत होते हैं।
जिबरेलिन हार्मोन का क्या काम है?जिबरैलिन्स हार्मोन बीजों के अंकुरण में भाग लेते हैं। बीजों की सुषुप्तावस्था को भंग करके उन्हें अंकुरित होने के लिए प्रेरित करते हैं।
पौधों में कौन सा हार्मोन पाया जाता है?पौधों में पाँच हार्मोन पाए जाते हैं, जैसे कि औक्सिंस (auxins), गिब्बेरिलिन्स (gibberellins), साइटोकाईनिन (cytokinins), अब्ससीसीक एसिड (abscisic acid) या एबीए और इथाइलीन (ethylene)। इसलिए, अन्य कारक जैसे पोषक तत्व, पर्यावरण की स्थिति आदि भी विकास के लिए जिम्मेदार होते हैं।
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