काली जीरी क्या काम आती है - kaalee jeeree kya kaam aatee hai

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काली जीरी क्या काम आती है - kaalee jeeree kya kaam aatee hai

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Fenugreek Carom Seeds Black Cumin:काली जीरी, अजवाइन और मेथी दाना स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। अधिकतर घरों में अजवाइन, मेथी दाने का इस्तेमाल मसाले के रूप में किया जाता है। ये सभी पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। अगर अजवाइन, मेथी दाने के साथ काली जीरी को भी मिला लिया जाए, तो स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं ठीक होने लगती हैं। काली जीरी, अजवाइन और मेथी दाने का मिश्रण हड्डियों को स्ट्रॉन्ग बनाने, पेट के रोगों को दूर करने और डायबिटीज में फायदेमंद है। काली जीरी अजवाइन मेथी दाने के फायदों (fenugreek carom seeds black cumin benefits) को जानने के लिए आगे का लेख पढ़ें- 

काली जीरी अजवाइन मेथी दाना (fenugreek carom seeds black cumin)

काली जीरी, अजवाइन और मेथी दाना का सेवन चूर्ण के रूप में किया जा सकता है। इसका चूर्ण या पाउडर आप घर पर ही तैयार कर सकते हैं। इसके लिए 250 ग्राम मेथीदाना, 100 ग्राम अजवाइन और 50 ग्राम काली जीरी लें। इन सभी को अच्छी तरह से भून लें और चूर्ण तैयार करें। हड्डियों को मजबूत बनाने, पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए आप इस मिश्रण का सेवन रोज गर्म पानी के साथ कर सकते हैं। रात में इसे खाना अधिक फायदेमंद माना जाता है। इसे खाने से कई स्वास्थ्य समस्याएं दूर होती हैं। 

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(image source : awakeningfromalzheimers.com)

काली जीरी अजवाइन मेथी दाना के फायदे (fenugreek carom seeds black cumin benefits)

काली जीरी अजवाइन और मेथी दाना की तासीर गर्म होती है, इसलिए सर्दी में इनका सेवन करना फायदेमंद होता है। मेथी दाना अजवाइन और काली जीरी लाभ-

1. हड्डियां मजबूत बनाए (Strong bones food)

काली जीरी, अजवाइन और मेथी दाने का चूर्ण खाने से हड्डियां मजबूत बनी रहती है। रोज रात को इस मिश्रण का सेवन करने से हड्डियों से जुड़े रोग दूर होते हैं। यह गठिया की समस्या में भी आराम दिलाता है। यह हड्डियों को मजबूत बनाने का अच्छा उपाय है।

2. वजन कम करे (Weight loss tips)

काली जीरी, अजवाइन और मेथी दाना वजन कम करने में भी फायदेमंद होता है। रात को इसे गर्म पानी के साथ लेने से शरीर में जमा एक्सट्रा फैट बर्न (burn extra fat) होता है। अगर आप मोटापे से परेशान हैं, तो डॉक्टर की सलाह पर इस चूर्ण का सेवन कर सकते हैं।

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3. डायबिटीज में लाभकारी (Control diabetes or blood sugar level)

काली जीरी, अजवाइन और मेथी दाने का चूर्ण लेने से डायबिटीज की समस्या में आराम मिलता है। रात को इस चूर्ण को खाने से ब्लड शुगर लेवल नियंत्रण (blood sugar level) में रहता है। 

काली जीरी क्या काम आती है - kaalee jeeree kya kaam aatee hai

4. पेट संबंधी रोग दूर करे (Stomach problem)

पेट से संबंधित रोगों जैसे गैस, कब्ज और अपच की समस्या को दूर करने के लिए काली जीरी, अजवाइन और मेथी दाने के चूर्ण का सेवन करना फायदेमंद होता है। अजवाइन पेट के लिए काफी फायदेमंद (ajwain seeds benefits) होता है। यह चूर्ण आंतरिक अंगों की सफाई करता है। बॉडी डिटॉक्स करने में यह लाभकारी है। इसे खाने से कब्ज से राहत मिलती है।

5. मूत्रमार्ग की समस्या दूर करे (cure urinary problems)

काली जीरी, अजवाइन और मेथी दाने का चूर्ण लेने से मूत्रमार्ग से जुड़ी समस्याएं दूर होने लगती है। इस चूर्ण को खाने से शरीर में जमा गंदगी पेशाब के जरिए निकलता है। पेशाब की जलन शांतहोती है।

काली जीरी, अजवाइन और मेथी दाने का मिश्रण पेट और मूत्रमार्ग से जुड़े रोगों को दूर करने के साथ ही रक्त को भी शुद्ध करता है। यह शरीर में ब्लड सर्कुलेशन (improve blood circulation) को बढ़ाता है। काली जीरी अजवाइन और मेथी दाना हृदय की कार्य क्षमता को भी बढ़ावा देता है। इसके अलावा काली जीरी अजवाइन और मेथी दाने का चूर्ण आंखों, बालों और त्वचा के लिए भी लाभकारी है।

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लेकिन काली जीरी अजवाइन मेथी दाना की तासीर गर्म होती है। इसलिए इसका सेवन सर्दी के मौसम में अधिक किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार अगर आपकी पित्त प्रकृत्ति है, तो डॉक्टर की सलाह पर ही इस चूर्ण का सेवन करें। अन्यथा आपको स्किन रैशेज (skin rashes) जैसी समस्या हो सकती है। डॉक्टर की सलाह पर ही काली जीरी अजवाइन मेथी दाना का सेवन करें।

काली जीरी का प्रयोग अजवायन और मेथी के साथ वजन कम करने और पाचन क्रिया को ससूधारने के लिए लोकप्रिय है। इसका उपयोग त्वचा रोगों के उपचार के लिए किया जाता है। यह खुजली को कम करने में मदद करती है।

इसे रक्त शोधक ​​माना जाता है क्योंकि यह रक्त से विषाक्त पदार्थों को निकालता है। काली जीरी पेट की क्रिमियो के लिए एक उत्कृष्ट आयुर्वेदिक औषधि हैं।

यह क्षुधा को बढ़ाता है। लेकिन संवेदनशील लोगों में इसके कड़वे स्वाद के कारण मतली आ सकती है।

काली जीरी बालों के लिए एक अच्छी दवा है। यह बालों को बढाती है और बालों की रूसी को दूर करती है।

यह सुगर के रोगियो के लिए भी एक अच्छी दवा है। यह रक्त में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद करती है। यह भोजोनोपरांत उच्चशर्करा (भोजन के बाद रक्त ग्लूकोज स्तर में वृद्धि) को कम करने के लिए भी लाभप्रद है।

काली जीरी भृङ्गराज कुल की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। आयुर्वेद में काली जीरी का दूसरा नाम अरण्यजीरक हैं।

काली जीरी के पौधे के बीज चिकित्सार्थ प्रयोग में लाये जाते हैं। काली जीरी के बीज का उपयोग आयुर्वेदिक और घरेलु औषधियों में किया जाता है। खाद्य विषाक्तता के कारण होने वाले दस्त के उपचार में कोमल पत्तियों का उपयोग किया जाता है।

काली जीरी मुख्य रूप से कफ दोष पर क्रिया करती है और वात वृद्धि को भी कम करती है। इसके आयुर्वेदिक गुणों के अनुसार, पित्त वृद्धि वाली स्थितियों में इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। इसलिए, यह कफ प्रबलता के लक्षण वाले लोगों के लिए सबसे उपयुक्त है। यह मोटापा और मोटापे से जुड़ी बीमारियों में भी अच्छी तरह से काम करता है।

इसकी रक्त में चर्बी को कम करने की क्षमता भी होती है,  इसलिए यह रक्त में उच्च कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर वाले लोगों के लिए भी लाभप्रद है।

औषधीय कर्म (Medicinal Actions)

काली जीरी कृमिनाशक के रूप में कार्य करता है। यह मुख्यरूप से रॉउंडवॉर्म (Roundworm) और टैपवार्म (Tapeworm) के विरुद्ध अधिक प्रभावी है। त्वचा में, इसके सूजन नाशक गुण अधिक देखे गए हैं जिसके कारण व्रण, खुजली और सोरायसिस सहित विभिन्न प्रकार के त्वचा रोगों के लिए यह एक अच्छा उपचारात्मक उपाय है।

यह मुख्य रूप से खुजली और त्वचा की चिड़चिड़ाहट को कम करता है। यह त्वचा के फोड़ों का उपचार में लाभदायक है और ल्यूकोडरर्मा (श्वित्र) के उपचार में सहायक है। यह बहुमूत्ररोग को भी नियंत्रित करने में मदद करता है।

काली जीरी (Kali Jeeri) में निम्नलिखित औषधीय गुण है:

  • कृमिनाशक
  • व्रण नाशक
  • रेचक
  • रक्त शोधक (विषहरक)
  • क्षुधावर्धक – भूख बढ़ानेवाला
  • शोथहर
  • वेदनास्थापन
  • कुष्ठघ्न
  • वमनकारक
  • रक्तशोधक
  • मूत्रवर्धक
  • गर्भाशय शोधक
  • स्तन्य जनन
  • ज्वरनाशक
  • कटु पौष्टिक
  • विषहर
  • जीवाणुरोधी

चिकित्सकीय संकेत

काली जीरी की घरेलू उपाय और पारंपरिक आयुर्वेदिक औषधियों में चिकित्सकीय संकेत की एक विस्तृत श्रृंखला है। यह मुख्य रूप से निम्नलिखित स्वास्थ्य स्थितियों में अनुशंसित है:-

  • कफ वात जन्य विकार
  • सूजन और वेदनायुक्त विकार
  • फोड़े फुंसी और चर्म रोग
  • बालों में जूं
  • अग्निमांद्य (भूख की कमी)
  • कृमि संक्रमण – गंडूपद (Round Worm) और तंतु कृमियों (Thread Worm))
  • रक्त विकार
  • मूत्राघात
  • प्रसूति रोग
  • श्वास
  • कुष्ठरोग
  • जीर्ण ज्वर
  • सामान्य दुर्बलता
  • खाज (खुजली)
  • एक्जिमा
  • सोरायसिस (विचर्चिका) (जब खुजली अधिक होती है)
  • आंखों में खुजली
  • कब्ज
  • हिचकी

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स्तन दूध की समस्याएं – जब स्तन का दूध ताजा प्रतीत नहीं होता है, खराब गंध आती है और बच्चे को पचाने में परेशानी होती है, काली जीरी स्तन दूध की गुणवत्ता को बढ़ाता है और इन सभी लक्षणों को कम करता है।

  • जीर्ण ज्वर
  • आंतरिक फोड़ा
  • आंतों में दर्द
  • सर्प दंश

निम्नलिखित स्थितियों में त्वचा पर बाहरी रूप से काली जीरी चूर्ण का पेस्ट लगाया जाता है: –

  1. मस्से
  2. फोड़े
  3. मुंहासे या मुँहासा
  4. जुओं को मारने के लिए सिर पर लगाया जाता है
  5. ल्यूकोडर्मा (श्वित्र) (4 भाग काली जीरी + 1 भाग हरताल)
  6. त्वचा की सूजन

काली जीरी के लाभ, फायदे एवं प्रयोग

काली जीरी का प्रभाव लसीका, रक्त, वसा, त्वचा, आंत और गुर्दे पर दिखाई देता है। इसमें जीवाणुरोधी, रोगाणुरोधी और कृमिनाशक क्रियाऐं होती हैं। यह अनेकों रोगों से छुटकारा पाने में मदद करती हैं।

कृमि संक्रमण

काली जीरी मानव में आंतों के कीड़ों और परजीवी संक्रमण के विरुद्ध प्रभावी है। यह इन कीड़े प्रजातियों के खिलाफ शक्तिशाली औषधि है। मुख्यतः यह अपने शक्तिशाली कृमिनाशक गुणों के कारण गंडूपद (Round Worm) और तंतु कृमियों (Thread Worm) के खिलाफ अच्छे परिणाम देता है। आयुर्वेद में, इसका उपयोग गुड़ और वायविडंग के साथ निम्नलिखित तरीके से किया जाता है।

काली जीरी 500 मिली ग्राम
वायविडंग 1000 मिली ग्राम
गुड़ 3 ग्राम
इस मिश्रण को बताई गयी खुराक के अनुसार दिन में दो बार, भोजन के 2 घंटे बाद गर्म पानी के साथ देना चाहिए।

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अफारा, आँतों की सूजन और वायु

आँतों में वायु होने पर कुटकी के साथ काली जीरी का प्रयोग बहुत प्रभावशील सिद्ध हुआ है। इन दोनों जड़ी बूटियों में शक्तिशाली वायुनाशक और कफहर गुण होते है। यह योग पेट के अफारे को नष्ट करने के लिए उत्तम कार्यशील सिद्ध हुआ है।

इसके अतिरिक्त, इसमें पित्ताशय अर्थात gallbladder को संकुचित कर पित्त के बहाव को बढ़ाने वाले गुण भी होते हैं। जिसके कारण यह पित्ताशय के स्वास्थ्य में सुधार करती है और पित्त स्राव की मात्रा आंत्र में बढा देती है।

पित्त आंत्र में जाकर आंत्र की पेशियों की क्रमाकुंचन क्रिया अर्थात peristalsis को बड़ा देता है और जिससे कब्ज का भी उपचार हो जाता है। इसके अलावा यह कटु पौष्टिक होने के कारण आंत्र बल भी देता हैं। यह यकृत के कार्यों में भी सुधार करता है।

इस योग का एक सप्ताह तक प्रयोग करने से कब्ज, अफारा, गैस और पेट का भारीपन दूर होता है।

सर्वोत्तम परिणामों के लिए, 500 मिलीग्राम कालीजीरी में 500 मिलीग्राम कुटकी और 50 मिलीग्राम काली मिर्च मिलाकर उपयोग करना चाहिए। यह भोजन के बाद उषण जल के साथ दिन में दो बार लिया जा सकता है।

यदि रोगी को पेट में गैस हो अर्थात हवा जमा होने लगती हो, या फिर पेट में भारीपन और अफारा हो, यह योग उनके लिए भी अति लाभदायक सिद्ध हुआ है।

वजन घटाने के लिए काली जीरी

लोगों के बीच वजन घटाने के लिए काली जीरी अधिक प्रसिद्ध है। आमतौर पर प्रयुक्त सूत्र (formula) काली जीरी, अजवायन और मेथी का है: –

काली जीरी चूर्ण 1 भाग
अजवायन चूर्ण 2 भाग
मेथी चूर्ण 4 भाग
चूर्ण बनाकर इसमें इस बीजों के पाउडर को उपरोक्त अनुपात में मिश्रित करना चाहिए।
खुराक: काली जीरी, अजवायन और मेथी के फॉर्मूले को प्रतिदिन 3.5 ग्राम की मात्रा में भोजन के 1 से 2 घंटे बाद गर्म पानी के साथ लिया जा सकता है।

वसा को कम करने के लिए, प्रतिदिन दो बार, एक ग्राम आरोग्यवर्धिनी वटी या कुटकी चूर्ण का उपयोग किया जा सकता है।

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खाज-खुजली

किसी भी अंतर्निहित कारण से होने वाली तेज खुजली या प्रखर खाज (कंडू) के उपचार के लिए काली जीरी के साथ हल्दी, अजवायन, कुटकी और काली मिर्च का उपयोग किया जाता है। इसे निम्नलिखित अनुपात में मिश्रित किया जाना चाहिए:

काली मिर्च 125 मिली ग्राम
काली जीरी 500 मिली ग्राम
कुटकी 500 मिली ग्राम
हल्दी 1000 मिली ग्राम
अजवायन 2000 मिली ग्राम
गुड़ 2000 मिली ग्राम
इस मिश्रण को प्रतिदिन दो बार, भोजन करने के बाद पानी के साथ लेना चाहिए।
इस मिश्रण के परिणाम CETIRIZINE के साथ तुलनीय हैं, लेकिन यह खुजली से लंबे समय तक स्थायी राहत प्रदान करता है।

एक्जिमा

जब शोषग्रस्‍त त्वचा प्रदाह में प्रभावित त्वचा से पानी के समान द्रव्य रिसता हो तो काली जीरी अत्यधिक प्रभावी है। इसका उपयोग मौखिक के साथ साथ बाहरी रूप से भी किया जाता है।

मौखिक रूप से, इसे प्रति दिन 500 मिलीग्राम की खुराक में लिया जाता है और बाहरी रूप से, इसका मलहम प्रभावित त्वचा पर लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त, यह रोगाणुओं को मारता है और सूजन को कम करता है। यह त्वचा के घावों के भरने में तेजी लाता है। कुछ आयुर्वेदिक चिकित्सक घावों को तेजी से भरने के लिए काली जीरी चूर्ण को नीम के तेल या निम्बादि तैलम में मिलाने की सलाह देते हैं।

श्वित्र या सफेद दाग

ल्यूकोडर्मा (श्वित्र या सफेद दाग) में, निम्नलिखित मिश्रण के अनुसार काली जीरी को प्रभावित त्वचा पर लगाया जाता है: –

काली जीरी 50 ग्राम
हरीतकी 50 ग्राम
बिभीतकी 50 ग्राम
अमलाकी 50 ग्राम
हरताल भस्म 20 ग्राम
गौ मूत्र आवश्यकतानुसार (पेस्ट बनाने के लिए)
काली जीरी का मिश्रण उपरोक्त अनुपात के अनुसार तैयार किया जाता है। इसे 1 से 3 महीने के लिए प्रतिदिन दो बार लगाया जाता है।

अतिरिक्त लाभ के लिए, खाने के लिए बाबची (बाकुची) तेल की 5 से 10 बूंदों का उपयोग दूध और निम्नलिखित मिश्रण के साथ आंतरिक रूप से किया जाता है।

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काली जीरी 1 भाग
वायविडंग 1 भाग
काले तिल 1 भाग
इन तीनों घटकों को समान मात्रा में मिलाया जाता है और प्रतिदिन दो बार 1.5 ग्राम की मात्रा में लिया जाता है।

मधुमेह

काली जीरी का अध्ययन मधुमेह विरोधी क्षमता के लिए किया गया है। काली जीरी अग्न्याशय से इंसुलिन स्राव बढ़ाती है। अध्ययन के अनुसार, यह टाइप 2 मधुमेह में से हाइपरग्लेसेमिया  (Hyperglycemia) को कम कर देता है। जब रक्त ग्लूकोज का स्तर 180 मिलीग्राम / डीएल से कम होता है तो यह अच्छी तरह से काम करता है। यदि, खाली पेट रक्त शर्करा का स्तर 180 मिलीग्राम / डीएल से अधिक है, तो रोगी को अन्य दवाओं की आवश्यकता भी होती है।

घरेलु चिकित्सा में, बहुमूत्र रोग (उदक मेह) के उपचार में काली जीरी का उपयोग मेथी के साथ किया जाता है।

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मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)

काली जीरी की सामान्य खुराक इस प्रकार है।
शिशु और बच्चे वजन 10 मिलीग्राम प्रति किलो (लेकिन कुल खुराक प्रति दिन 1 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए)
व्यस्क प्रतिदिन दो बार 500 मिली ग्राम से 2 ग्राम
स्तनपान प्रतिदिन दो बार 250 मिली ग्राम से 500 मिली ग्राम
अधिकतम संभावित खुराक 4 ग्राम प्रतिदिन (विभाजित मात्रा में)
*दिन में दो बार ताजे या गर्म पानी के साथ
उपयोग करने का उपयुक्त समय: भोजन के बाद

काली जीरी के नुकसान

काली जीरी अविषाक्त परन्तु वमनकारी जड़ी बूटी है, जिसके परिणामस्वरूप कुछ संवेदनशील लोगों में मतली या उल्टी हो सकती है। अन्यथा, अधिकांश वयस्कों में यह अच्छी तरह से सहनीय है। इसके निम्नलिखित दुष्प्रभाव होते है: –

  • मतली (सामान्य)
  • उल्टी (सामान्य)
  • दस्त (असामान्य)
  • चक्कर आना (असामान्य)
  • पेट में ऐंठन (दुर्लभ, लेकिन प्रतिदिन दो बार 3 ग्राम से अधिक खुराक लेने पर होता है)

वयस्कों में, यदि खुराक प्रति दिन 1 ग्राम (विभाजित मात्रा में लेने पर) से कम होती है, तो इसका कोई नुकसान नहीं होता है, लेकिन जब इसकी खुराक बढ़ जाती है, तो इसकी वमनकारी क्रिया भी बढ़ जाती है, जिसके परिणामस्वरूप मतली और उल्टी हो जाती है।

काली जीरी से एलर्जी प्रतिक्रिया

काली जीरी की एलर्जी प्रतिक्रियाएं बहुत दुर्लभ हैं, लेकिन यदि किसी को इसका उपयोग करने के बाद निम्नलिखित लक्षण होते हैं, तो उस व्यक्ति काली जीरी से एलर्जी हो सकती है और इसे तुरंत रोकने की आवश्यकता है।

  1. त्वचा पर चकत्ते
  2. जीभ पर सूजन
  3. पेट में दर्द
  4. होंठ के चारों ओर लाली
  5. मुंह में झुनझुनी
  6. आँखों में पानी आना

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गर्भावस्था और स्तनपान

गर्भावस्था: काली जीरी में मध्यम प्रकार के रेचक गुण होते हैं, इसलिए इससे दस्त हो सकते हैं और यह गर्भाशय संकुचन को प्रेरित कर सकता है। इसलिए, गर्भावस्था में इसके उपयोग से बचना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार, इसमें कटु रस और ऊष्ण वीर्य होता है, जो गर्भावस्था में उपयुक्त नहीं है।

स्तनपान: स्तनपान कराते समय काली जीरी का उपयोग संभवतः सुरक्षित है और दूध की गुणवत्ता में सुधार के लिए इसके उपयोग की सलाह दी जाती है। इस की खुराक प्रतिदिन दो बार 250 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम होनी चाहिए। खुराक प्रति दिन 1 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए।

विपरीत संकेत (Contraindications)

  • रक्तस्राव विकार
  • गर्भावस्था

काली जीरी खाने से क्या फायदा है?

काली जीरी में खास प्रकार के शक्तिशाली डाइजेस्टिव गुण पाए जाते हैं, जो शरीर के पाचक रसों व अन्य एंजाइमों को स्रावित कर देते हैं। साथ ही काली जीरी की मदद से पेट में दर्द, गैस व कब्ज जैसी समस्याओं का इलाज भी किया जा सकता है।

काली जीरी को हिंदी में क्या कहते हैं?

काली जीरी का हिंदी अर्थ एक प्रकार का पौधा जिसकी फलियों के दाने या बीज ओषधि के रूप में काम में आते हैं; बनजीरा। उक्त पौधे की फलियों के दाने; कारीजीर।

काले जीरे का उपयोग कैसे करें?

काले जीरे का तेल सिर और माथे पर लगाने से माइग्रेन जैसे दर्द में लाभ होता है। गर्म पानी में काले जीरे के तेल की कुछ बूंदें डाल कर कुल्ला करने से दांत दर्द में काफी राहत मिलती है। काले जीरे के पाउडर का लेप लगाने से हर तरह के घाव, फोड़े-फुंसियां आसानी से भर जाते हैं।

मेथी अजवाइन काली जीरी के क्या फायदे हैं?

काली जीरी अजवाइन मेथी दाना के फायदे (fenugreek carom seeds black cumin benefits).
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