जेट धारा से आप क्या समझते है? - jet dhaara se aap kya samajhate hai?

जेट धाराएं तेज हवा के बैंड होते है जो की हमारे वातावरण को कई तरीके से प्रभावित करते है एवं जेट धाराएँ पृथ्वी के ऊपर हवा की धाराएँ हैं। ये हवाओं के बैंड आमतौर पर पूरे विश्व में पश्चिम से पूर्व की ओर प्रवाहित होते रहते है यानी की लगभग 8 से 15 किलोमीटर (5 से 9 मील) की ऊंचाई पर पूर्व की ओर बढ़ते हैं। जिससे की मौसम और हवाई यात्रा के अलावा कई ऐसी तमाम चीजों को ये धारा प्रभावित करती है और इसी को सरल भाषा में जेट धारा कहते है। और इन्ही कारणों से हम ये कह सकते है की जेट धाराएँ मौसम का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 

जेट धारा से आप क्या समझते है? - jet dhaara se aap kya samajhate hai?

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मौसम वातावरण की वह स्थिति है जो गर्म या ठंडा, गीला या सूखा, शांत या तूफानी, स्पष्ट या बादल का वर्णन करता है। यह एक जगह और दूसरी जगह हवा के दबाव, तापमान और नमी के अंतर से संचालित होता है। जेट स्ट्रीम प्राकृतिक घटनाओं में से एक है जो सीधे हमारे मौसम को प्रभावित करती है। इस लेख में हमने जेट स्ट्रीम या जेट धारा और इसके वैश्विक मौसम प्रणाली पर प्रभाव के बारे में बताया है जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है।

जेट धारा से आप क्या समझते है? - jet dhaara se aap kya samajhate hai?

What is jet stream and its impact on the global weather system? HN

मौसम वातावरण की वह स्थिति है जो गर्म या ठंडा, गीला या सूखा, शांत या तूफानी, स्पष्ट या बादल का वर्णन करता है। यह एक जगह और दूसरी जगह हवा के दबाव, तापमान और नमी के अंतर से संचालित होता है। जेट स्ट्रीम प्राकृतिक घटनाओं में से एक है जो सीधे हमारे मौसम को प्रभावित करती है।

जेट स्ट्रीम क्या है?

जेट स्ट्रीम या जेट धारा वायुमंडल में तेजी से बहने व घूमने वाली हवा की धाराओं में से एक है। यह मुख्य रूप से  क्षोभमण्डल के ऊपरी परत यानि समतापमण्डल में बहुत ही तीब्र गति से चलने वाली नलिकाकार, संकरी पवन- प्रवाह अथवा वायु प्रणाली को कहते हैं। चूकि विमानों के उड़ान में यह मण्डल सहायक होता है, इसलिए इसको जेट स्ट्रीम या जेट धारा के नाम से जाना जाता है। यह पश्चिम से पूरब की ओर बहती हैं और ऊपरी वायुमंडल में ये 7 से 12 किमी की ऊच्चाई पर होती हैं।

खगोलीय और मेट्रोलॉजिकल मौसम में क्या अंतर हैं

जेट स्ट्रीम वैश्विक मौसम प्रणाली को कैसे प्रभावित करता है?

जेट स्ट्रीम या जेट धारा पृथ्वी पर एक आवरण के रूप में काम करती है जो निचले वातावरण के मौसम को प्रभावित करती है। यह क्षोभमंडल और समतापमण्डल के बीच की सीमा पर स्थित है जिसे ट्रोपोपॉज़ कहा जाता है। यह एक वायुमंडलीय राजमार्ग है जो उस स्तर पर स्थित है जहां विमान उड़ते हैं।

यह धारा ग्लोब के गोलार्ध पर तीन बेल्टों में फैली हुई है जो भूमध्य रेखा के उत्तर और दक्षिण से सिर्फ दक्षिण या ध्रुव के उत्तर तक फैली हुई हैं। जब जेट स्ट्रीम पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है तो अक्सर उत्तर की ओर उभार और दक्षिणी मैदानों के साथ विकृत हो जाती है। यह धारा चक्रवातो , प्रतिचक्रवातों, तुफानों, वायुमण्डलीय विक्षोभों और वर्षा उत्पन करने में सहायक होती हैं। यानि ये हवायें धरातलीय मौसम को प्रभावित करती हैं।

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इस धारा के प्रभाव को भारत के सन्दर्भ में समझने की कोशिश करते हैं।

जेट स्ट्रीम या जेट धारा दो दिशाओं में बहती हैं जिसको पश्चिमी जेट स्ट्रीम या पश्चिमी जेट धारा और पूर्वी जेट स्ट्रीम या पूर्वी जेट धारा बोला जाता है।

1. पश्चिमी जेट स्ट्रीम या पश्चिमी जेट धारा स्थाई धारा है जो यह सालों भर चलता है। यह पश्चिमोत्तर भारत से लेकर दक्षिण पूर्व भारत की ओर बहती हैं। इस धारा का सम्बन्ध सूखी, शांत और शुष्क हवाओं से है। यह शीतकाल की आंशिक वर्षा कराती है।

2. पूर्वी जेट स्ट्रीम या पूर्वी जेट धारा अस्थाई धारा है और यह दक्षिण-पूर्व से लेकर पश्चिमोत्तर भारत की ओर बहती है। जिसका प्रभाव जुलाई, अगस्त और सितम्बर महीने में भारत में मूसलाधार वर्षा कराती है। वैज्ञानिकों की माने तो, सम्पूर्ण भारत में जितनी भी वर्षा होती है उसका 74% हिस्सा जून से सितम्बर महीने तक होता है यह पूर्वी जेट से ही संभव हो पाता है। यह हवा गर्म होती है। इसलिए, इसके प्रभाव से सतह की हवा गर्म होने लगती है और गर्म होकर तेजी से ऊपर उठने लगती है। जिसके कारण पश्चिमोत्तर-भारत सहित पूरे भारत में एक निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है। इस निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर अरब सागर से नमीयुक्त उच्च वायुदाब की हवाएँ चलती हैं। अरब सागर से चलने वाली यही नमीयुक्त हवा भारत में दक्षिण-पश्चिमी मानसून के नाम से जानी जाती है।

इसलिए, हम कह सकते हैं कि उत्तरी ध्रुव के पास जेट स्ट्रीम बैंड अनिवार्य रूप से पोलर भंवर को परिभाषित करता है। जब ध्रुव के पास जेट स्ट्रीम अलग हो जाती है, तो ध्रुवीय भंवर अपनी स्थिति को दक्षिण की ओर स्थानांतरित करती है और मध्य-अक्षांशों की ओर वायु को फैलने का मौका दे देती है जो वैश्विक मौसम प्रणाली को प्रभावित करती है।

(i) गर्मियों के समय राजस्थान के मरुस्थल में कुछ स्थानों का तापमान लगभग 50o से. तक पहुँच जाता है जबकि जम्मू-कश्मीर में पहलगाम में तापमान लगभग 20o से. तक रहता है।

(ii) सर्दी में रात के समय जम्मू-कश्मीर में द्रास का तापमान 45o हो जाता है जबकि तिरुवंतपुरम यह 20o हो जाता है।

(iii) देश के अधिकतर भागों में जून से सितंबर तक वर्षा होती है, परन्तु कुछ क्षेत्रों जैसे तमिलनाडु तट पर अधिकतर वर्षा अक्टूबर और नवंबर में होती है।

(iv) हिमालय के ऊपरी भाग में वर्षण अधिकतर हिम के रूप में होता है तथा देश के अन्य भागों में यह वर्षा के रुप में प्राप्त होता है।

जेट धारा क्या होती है?

जेट धाराएं पृथ्वी सहित कुछ ग्रहों के वायुमंडल में तेजी से बहने व घूमने वाली हवा धाराएं हैं। पृथ्वी पर, मुख्य जेट धाराएं ट्रोपोपोज की ऊंचाई पर स्थित होती हैं और वे पश्चिम से पूर्व ओर बहती हैं। उनके पथ आम तौर पर एक घूमने वाला आकार के होते है।

जेट धाराएं क्या है तथा वे किस प्रकार?

एक संकरी पट्टी में स्थित क्षोभमंडल में अत्यधिक ऊंचाई वाली पश्चिमी हवाएँ में हवाएँ जेट धाराएँ कहलाती है। इनकी गति गर्मी में 110 किमी./ घंटा एवं सर्दी में 184 किमी./ घंटा तक होती है। (i) ये भारत के उत्तर एवं उत्तर-पश्चिम भाग में पश्चिमी प्रवाह को लाने में मदद करती हैं।

जेट स्ट्रीम क्या है Drishti IAS?

क्षोभमंडल की ऊपरी सीमा में सैकड़ों किलोमीटर की चौड़ी पट्टी में पश्चिम से पूर्व दिशा में प्रवाहित होने वाली लहरदार पवनों को जेट स्ट्रीम कहा जाता है। ऊपरी वायुमंडल में पश्चिम से पूर्व दिशा में जेट स्ट्रीम का परिसंचरण दोनों गोलार्धों में 20° अक्षांश से ध्रुवों के मध्य 7.5 से 14 किमी.

जेट स्ट्रीम कितने प्रकार की होती है?

उत्पत्ति क्षेत्र एवं विषमताओं के आधार पर तीन प्रकार के जेट स्ट्रीम होते हैं।.
ध्रुवीय जेट स्ट्रीम (40°-60° NS).
उपोष्ण जेट स्ट्रीम (30°-65° NS).
उष्ण पूर्वी जेट स्ट्रीम (8°-20° N).