जाति प्रथा का मुख्य विशेषता क्या है? - jaati pratha ka mukhy visheshata kya hai?

प्रश्न : 6. जाति प्रथा की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

उत्तर- जाति प्रथा की विशेषताएँ- एन. के. दत्ता ने जाति-प्रथा की निम्नलिखित संरचनात्मक एवं सांस्कृतिक विशेषताओं का उल्लेख किया है
(1) एक जाति के सदस्य अपनी जाति से बाहर विवाह नहीं कर सकते।
(2) विभिन्न जातियों के बीच खानपान सम्बन्धी प्रतिबन्ध पाये जाते हैं।
(3) अधिकतर जातियों के व्यवसाय निश्चित होते हैं।
(4) जातियों में ऊँच-नीच का संस्तरण पाया जाता है।
(5) जन्म ही मनुष्य की जाति को निर्धारित करता है। जाति के नियमों को। तोड़ने पर ही जाति से बहिष्कृत किया जाता है। अन्यथा एक जाति से दूसरी जाति में जाना सम्भव नहीं है।
(6) सम्पूर्ण जाति व्यवस्था ब्राह्मणों की प्रतिष्ठा पर आधारित है।

जाति प्रथा की विशेषताएं क्या है?

इसके भारतीय जाति प्रथा अपनी तरह की विचित्र और रोचक संस्था है। धर्म की सीमा से बाहर हिन्दुओं व कुछ अपनापन है, उसकी अनोखी अभिव्यक्ति यह जाति-प्रथा है। वास्तव में यह संस्था हिन्दू जीवन को दूसरों से पृथक् कर देती है क्योंकि सैकड़ों भारतीय और विदेशी विद्वानों का ध्यान इस संस्था की ओर आकर्षित हुआ है।

जाति की सबसे प्रमुख विशेषता कौन सी है?

जाति की विशेषताएँ.
जातीय समूहों द्वारा समाज का खंडों में विभाजन,.
जातीय समूहों के बीच ऊँच नीच का प्राय: निश्चित तारतम्य,.
खानपान और सामाजिक व्यवहार संबंधी प्रतिबंध.
नागरिक जीवन तथा धर्म के विषय में विभिन्न समूहों की अनर्हताएँ तथा विशेषाधिकार,.
पेशे के चुनाव में पूर्ण स्वतंत्रता का अभाव और.

जाति क्या है और इसकी विशेषताओं का वर्णन करें?

हट्टन के अनुसार- “जाति एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके अन्तर्गत एक समाज अनेक आत्मकेन्द्रित एवं एक-दूसरे से पूर्णत: पृथक् इकाइयों (जातियों) में विभाजित रहता है, इन इकाइयों के बीच पारस्परिक सम्बन्ध ऊँच-नीच के आधार पर सांस्कारिक रूप से निर्धारित होते हैं।”