सीता जी ने श्री राम से क्या पूछा?

दो वर्ष रावण के पास रहने के कारण सीता के प्रति समाज के एक वर्ग में संदेह उत्पन्न हो चला था। लोगों को विश्वास नहीं हुआ कि मां सीता पहले की तरह ही पवित्र और सती है। भारतीय समाज में सीता को परम पवित्र और आदर्श नारी का दर्जा प्राप्त है। लेकिन समाज में यह धारणा भी प्रचलित है कि माता सीता को भगवान राम ने समाज द्वारा सवाल उठाए जाने पर अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए छोड़ दिया था। राम पर यह आरोप कहां तक उचित है। क्या सचमुच राम ने सीता को छोड़ दिया था या नहीं, आओ इसकी पड़ताल करते हैं और आपको सच बताते हैं।

लंका में सीता को पहचानकर उनके व्यक्तित्व की प्रशंसा करते हुए हनुमानजी ने कहा था- 'दुष्करं कृतवान् रामो हीनो यदनया प्रभुः धारयत्यात्मनो देहं न शोकेनावसीदति। यदि नामः समुद्रान्तां मेदिनीं परिवर्तयेत् अस्थाः कृते जगच्चापि युक्त मित्येव मे मतिः।।

> अर्थात : ऐसी सीता के बिना जीवित रहकर राम ने सचमुच ही बड़ा दुष्कर कार्य किया है। इनके लिए यदि राम समुद्रपर्यंत पृथ्वी को पलट दें तो भी मेरी समझ में उचित ही होगा, त्रैलौक्य का राज्य सीता की एक कला के बराबर भी नहीं है।>

अगले पन्ने पर सीता का संघर्षमय जीवन...

यह कहानी सीता माता कहती थी और श्रीराम इसे सुना करते थे। एक दिन श्रीराम भगवान को किसी काम के लिए बाहर जाना पड़ गया तो सीता माता कहने लगी कि भगवान मेरा तो बारह वर्ष का नितनेम (नित्य नियम) है। अब आप बाहर जाएंगे तो मैं अपनी कहानी किसे सुनाऊंगी? श्रीराम ने कहा कि तुम कुएं की पाल पर जाकर बैठ जाना और वहां जो औरतें पानी भरने आएंगी उन्हें अपनी कहानी सुना देना।

सीता माता कुएं की पाल पर जाकर बैठ जाती हैं। एक स्त्री आई उसने रेशम की जरी की साड़ी पहन रखी थी और सोने का घड़ा ले रखा था। सीता माता उसे देख कहती हैं कि बहन मेरा बारह वर्ष का नितनेम सुन लो। पर वह स्त्री बोली कि मैं तुम्हारा नितनेम सुनूंगीं तो मुझे घर जाने में देर हो जाएगी और मेरी सास मुझसे लड़ेगी। उसने कहानी नहीं सुनी और चली गई। उसकी रेशम जरी की साड़ी फट गई, सोने का घड़ा मिट्टी के घड़े में बदल गया।


सास ने देखा तो पूछा कि ये किस का दोष अपने सिर लेकर आ गई है? बहू ने कहा कि कुएं पर एक औरत बैठी थी उसने कहानी सुनने के लिए कहा लेकिन मैने सुनी नही जिसका यह फल मिला।

बहू की बात सुनकर अगले दिन वही साड़ी और घड़ा लेकर सास कुएं की पाल पर गई। सास को वहीं माता सीता बैठी मिलीं तो माता सीता ने कहा कि बहन मेरी कहानी सुन लीजिए...
सास बोली कि एक बार छोड़, मैं तो चार बार कहानी सुन लूंगी... .

राम आए लक्ष्मण आए देश के पुजारी आए

नितनेम का नेम लाए आओ राम बैठो राम

तपी रसोई जियो राम, माखन मिसरी खाओ राम

दूध बताशा पियो राम,सूत के पलका मोठो राम

शाल दुशाला पोठो राम, शाल दुशाला ओढ़ो राम

जब बोलूं जब राम ही राम, राम संवारें सब के काम

खाली घर भंडार भरेंगे सब का बेड़ा पार करेंगे

श्री राम जय राम जय-जय राम

सास बोली कि बहन कहानी तो बहुत अच्छी लगी। कहानी सुनकर सास घर चली गई और उसकी साड़ी फिर से रेशम जरी की बन गई। मिट्टी का घड़ा फिर सोने के घड़े में बदल गया। बहू कहने लगी सासू मां, आपने ये सब कैसे किया? सास ने कहा कि बहू तू दोष लगा के आई थी और मैं अब दोष उतारकर आ रही हूं. . . बहू ने फिर पूछा कि वह कुएं वाली स्त्री कौन है? सास बोली कि वे सीता माता थीं... वे पुराने से नया कर देती हैं, खाली घर में भंडार भर देती हैं, वह लक्ष्मी जी का वास घर में कर देती हैं, आदमी की जो भी इच्छा हो उसे पूरा कर देती हैं.... बहू बोली कि ऎसी कहानी मुझे भी सुना दो.... सास बोली कि ठीक है तुम भी सुनो और सास ने कहानी शुरु की...

राम आए लक्ष्मण आए देश के पुजारी आए

नितनेम का नेम लाए आओ राम बैठो राम

तपी रसोई जियो राम, माखन मिसरी खाओ राम

दूध बताशा पियो राम,सूत के पलका मोठो राम

शाल दुशाला पोठो राम, शाल दुशाला ओढ़ो राम

जब बोलूं जब राम ही राम, राम संवारें सब के काम

खाली घर भंडार भरेंगे सब का बेड़ा पार करेंगे

श्री राम जय राम जय-जय राम

कहानी सुनकर बहू बोली कि कहानी तो बहुत अच्छी है.. .. सास ने कहा कि ठीक है इस कहानी को रोज कहा करेगें। अब सास-बहू रोज सवेरे उठती, नहाती-धोती और पूजा करने के बाद नितनेम की सीता की कहानी कहती। एक दिन उनके यहां एक पड़ोस की औरत आई और बोली कि बहन जरा सी आंच देना तो वह बोली कि आंच तो अभी हमने जलाई ही नहीं। पड़ोसन ने कहा कि तुम सुबह चार बजे से उठकर क्या कर रही हो फिर? उन्होंने कहा कि सुबह उठकर हम पूजा करते हैं फिर सीता माता की नितनेम की कहानी कहते हैं।

पड़ोसन ने उनकी बात सुनकर फिर कहा कि सीता माता की कहानी कहने से तुम्हें क्या मिला? वे बोली कि इनकी कहानी कहने से घर में भंडार भर जाते हैं। सारे काम सिद्ध होते हैं, मन की इच्छा भी पूरी होती है। पड़ोसन कहती है कि बहन ऎसी कहानी तो मुझे भी सुना दो फिर। वह बोली कि ठीक है तुम भी यह कहानी सुन लो...

राम आए लक्ष्मण आए देश के पुजारी आए

नितनेम का नेम लाए आओ राम बैठो राम ……………..

सारी कहानी सुनने के बाद पड़ोसन कहने लगी बहन कहानी तो मुझे बहुत अच्छी लगी। अब वह पड़ोसन भी नितनेम सीता माता की कहानी कहने लगी। कहानी कहने से सीता माता ने पड़ोसन के भी भंडार भर दिए। अब
तो पूरे मोहल्ले में नितनेम की कथा चल पड़ी.. हर किसी की मनोकामना पूरी होने लगी...

हे सीता माता ! जैसे आपने उनके भंडार भरे, वैसे ही आप हमारे भी भंडार भरना। कहानी सुनने वाले के भी और कहानी कहने वाले के भी।

उत्तरप्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में आज भी यह कथा सीता जयंती पर चाव से सुनाई जाती है..

वन जाते समय सीता जी ने राम जी से क्या पूछा और क्यों?

'अब और कितनी दूर चलना है, पर्नकुटी कहाँ बनाइएगा'-किसने, किससे पूछा और क्यों ? उत्तर-'अब और कितना दूर चलना है, पर्नकुटी कहाँ बनाइएगा' ये शब्द सीता जी ने श्रीराम से पूछे क्योंकि वे बहुत अधिक थक गई थीं।

भगवान राम ने सीता का त्याग क्यों किया?

राम ने मेरा त्याग करके अपने राज-धर्म की रक्षा की है तो मैं भी राम के निर्णय का सम्मान करते हुए पत्नी-धर्म निभाऊंगी और शेष जीवन आश्रम में ही रहूंगी। ' कुछ समय बाद सीता को वाल्मीकि-आश्रम में दो पुत्र हुए - लव और कुश।

राम और सीता की कुंडली में कितने गुण मिले थे?

क्योंकि भगवान राम और माता सीता के 36 गुण मिले थे। लेकिन शादी के बाद सीताजी को रामजी का साथ बहुत कम मिला, उनका वैवाहिक जीवन सुखी नहीं रहा।

राम जी की कितनी पत्नियां थी?

जनक के गुरु थे ऋषि अष्टावक्र। जनक-अष्टावक्र संवाद को 'महागीता' के नाम से जाना जाता है। श्रीराम परिवार : दशरथ की 3 पत्नियां थीं- कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। श्रीराम के 3 भाई थे- लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न।