जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण क्यों आवश्यक है? - janasankhya vrddhi par niyantran kyon aavashyak hai?

साहिबगंज : विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर गुरुवार को जिला मुख्यालय समेत विभिन्न प्रखंडों में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल परिसर में परिवार स्वास्थ्य मेला पखवारा का शुभारंभ किया गया। उद्घाटन उपनिदेशक अंबिका प्रसाद मंडल, सिविल सर्जन डा. दिनेश मुर्मू, डीएस डीएन सिंह ने दीप जला कर किया। अतिथियों को स्वास्थ्य कर्मियों ने गुलदस्ता देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर उपनिदेशक ने कहा कि देश में लगातार जनसंख्या बढ़ रही है जिस पर अंकुश लगाना अति आवश्यक है। लगातार जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण लोगों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जनसंख्या में कारण ही सभी लोगों को योजनाओं का उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। यदि इसी प्रकार जनसंख्या बढ़ती रही तो आने वाले दिनों में हर क्षेत्र में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। जनसंख्या नियंत्रण में रोक लगाने के लिए सभी लोगों का सहयोग आवश्यक है। सिविल सर्जन ने कहा कि जनसंख्या पर अंकुश नहीं लगाया गया तो लोगों को सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं को लाभ नहीं मिल पाएगा। सिविल सर्जन ने सभी को छोटा परिवार सुखी परिवार की नसीहत दी। वहीं सहियाओं को इस काम में आगे बढ़ कर लोगों को जागरूक करने तथा नसबंदी व बंध्याकरण के लिए प्रेरित करने को कहा। कहा कि प्रत्येक सहिया लोगों को समझा बुझा कर कम से कम एक-एक व्यक्ति का बंध्याकरण व नसबंदी कराने जरूर कराएं। डीपीएम राजीव कुमार ने सभी चिकित्सा प्रभारी, एएनएम व सहिया से शत प्रतिशत लक्ष्य को पूरा करने का अनुरोध किया। इस मौके पर डा. मोहन पासवान, डा. चमन कुमार, डीपीसी प्रवीण कुमार, लोरेंस तिर्की, लवली सिंह आदि मौजूद थे।

बरहड़वा : जनसंख्या नियंत्रण दिवस के अवसर पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरहड़वा में परिवार स्वास्थ्य मेला का आयोजन किया गया। शुभारंभ बीसीओ हबीबुर रहमान, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. केडी मुर्मू और पूर्व प्रभारी डॉ. केके सिंह ने संयुक्त रूप से फीता काट कर किया। इस दौरान स्वास्थ्य केंद्र परिसर में शिविर लगा कर लोगों को जनसंख्या नियंत्रण की जानकारी दी गई। डॉ. केडी मुर्मू ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी एवं कहा कि अगर कोई पुरुष नसबंदी कराता है तो उन्हें तीन हजार रुपए और महिला को दो हजार रुपया प्रोत्साहन राशि के रूप में दिया जाता है। इस मौके पर बीटीओ कामेश कुमार, डॉ. रिसव कुमार, एएनएम सुनीता कुमारी, कलालती देवी, सहिया मीना देवी, सारथी हेम्ब्रम, कृपासिधु रजक आदि मौजूद थे।

तालझारी : सामुदायिक  स्वास्थ्य केंद्र तालझारी में जनसंख्या नियंत्रण पखवारा मेला का शुभारंभ गुरुवार को प्रभारी डॉ रंजन कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया। कहा कि जनसंख्या नियंत्रण मेले में उपस्थित लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के बारे में जानकारियां दी गई। डॉ रंजन कुमार  ने बताया कि यह पखवारा 24 जुलाई तक चलाया जाएगा। डॉ. अनुज कुमार ने कहा कि  जनसंख्या स्थिरीकरण की आवश्यकता एवं इससे होने वाले दूरगामी लाभ के प्रति आम जागरूकता बहुत आवश्यक है।  मौके पर स्वास्थ्य समिति के सभी वरीय पदाधिकारी डॉ अनुज कुमार, डॉ रवि कुमार, प्रताप कुमार, राजेंद्र कुमार, सुरेश कुमार, महेंद्र कुमार उपस्थित रहेंगे।

जनसंख्या दिवस पर नहीं दिखी लोगों की संख्या

साहिबगंज : एक ओर जहां देश में लगातार बढ़ रही जनसंख्या चिता का विषय बनती जा रही है वहीं गुरुवार को जनसंख्या दिवस पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा सदर अस्पताल में आयोजित कार्यक्रम लोगों की संख्या काफी कम रही। इससे स्पष्ट हो गया कि स्वास्थ्य विभाग जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कितना चितित है। वैसे स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्यक्रम की खानापूर्ति तो कर ली गई लेकिन इसका फायदा लोगों को मिलता नहीं दिख रहा है। जब लोगों को खास कर इस कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाने वाली सहिया को जब मौजूदगी नहीं के बराबर रही तो फिर इसका लाभ कैसे मिलेगा। जाहिर है कार्यक्रम के लिए प्रचार प्रसार नहीं किया गया। इस वजह से लोग नहीं पहुंचे।

डा. सुनील कुमार मिश्र। भारत एक विकासशील देश है और विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। परंतु तेजी से बढ़ती जनसंख्या इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में सबसे बड़ी बाधा के रूप में दिखाई देती है। हमारा देश जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में दूसरे स्थान पर है और पिछले कुछ वर्षो में जनसंख्या वृद्धि की जो दर रही है, जल्द ही सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश चीन को पीछे छोड़ सकता है। निरंतर बढ़ती जनसंख्या न केवल आर्थिकी को क्षति पहुंचा रही है, अपितु सरकार द्वारा रोजगार प्रदान करने की राह में प्रमुख बाधा के रूप में भी दिख रही है। उदाहरणस्वरूप सरकार जब तक एक करोड़ रोजगार के अवसर सृजित करती है, तब तक उसकी तुलना में जनसंख्या बहुत अधिक बढ़ जाती है। इस कारण तमाम समस्याएं कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही हैं। तेजी से बढ़ रही जनसंख्या कई प्रकार के सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक परिवर्तन का कारक भी है जिसके भविष्य में गंभीर दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं।

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बड़ी जनसंख्या किसी भी देश के विकास को गति देने में सक्षम है। विशाल भूभाग में फैले चीन जैसे देश के लिए तो यह सही है, परंतु भारत जैसे देश में जहां तुलनात्मक रूप से संसाधनों पर अधिक आबादी का बोझ हो, वहां यह विकास की राह में बाधक ही साबित हो रही है। स्वाधीनता के बाद से भारत की जनसंख्या में लगभग सौ करोड़ की वृद्धि हो चुकी है, परंतु संरचनागत संसाधनों में यह वृद्धि दर बेहद धीमी रही है। कोविड महामारी से उत्पन्न स्वास्थ्य चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा जिसके मूल में जनसंख्या अनुपात एवं स्वास्थ्य सुविधाओं में बड़ा अंतर स्पष्ट रूप से नजर आया। यही नहीं, इस दौरान सरकार द्वारा व्यापक आबादी को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए सरकारी खजाने को खाली करना पड़ा जिसका महंगाई पर असर पड़ा। जनसंख्या और महंगाई बढ़ने में प्रत्यक्ष संबंध है। जनसंख्या वृद्धि एवं उपलब्ध संसाधनों में अनुपातिक वृद्धि न होने की वजह से देश संसाधनों की कमी का सामना करता है जिसकी पूर्ति के लिए सरकार को संबंधित वस्तुओं का विदेश से आयात करना पड़ता है।

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किसी भी राष्ट्र के समग्र विकास के लिए आवश्यक है कि उसके विकास में वहां की समग्र जनसंख्या सहभागी बने। यह तभी संभव है जब सभी को समान अवसर उपलब्ध हों। सरकार के समक्ष, गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली जनसंख्या को विकास प्रक्रिया में सहभागी बनाने की चुनौती है। विकास एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसे समग्र सहभागिता द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही सहभागिता तभी संभव है जब हम तेज गति से बढ़ रही जनसंख्या को जल्द से जल्द रोकने के लिए ठोस उपाय करें। बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है, ताकि भारतीय जनमानस के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा सके।

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ऐसे में सरकार को जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित कानून बनाने में अब देरी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इस संदर्भ में देरी जनता पर भारी पड़ती हुई दिख रही है। विविध राजनीतिक दलों से जुड़े राजनेताओं एवं धर्मगुरुओं को आगे बढ़कर जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग करनी चाहिए जिससे यह कानून संसद के आगामी सत्र में लाया जा सके और आसानी से पारित हो सके। हमें अपनी प्राथमिकताओं को भी समझना होगा और निश्चित रूप से जाति आधारित जनगणना से पहले आबादी नियंत्रण के प्रभावी उपायों को प्रोत्साहित करना होगा।

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जनसंख्या नियंत्रण की आवश्यकता क्यों है?

बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है, ताकि भारतीय जनमानस के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की आपूर्ति को सुनिश्चित किया जा सके। ऐसे में सरकार को जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित कानून बनाने में अब देरी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इस संदर्भ में देरी जनता पर भारी पड़ती हुई दिख रही है।

भारत में जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रण करने की क्या आवश्यकता है?

जनसंख्या वृद्धि से अनके समस्याएं उत्पन्न हो रही है जिनमेंप्रमुख है पर्यावरण प्रदूषण, गरीबी, बेरोजगारी, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं इन समस्याओं सेछुटकारा पाने के लिए प्रयास करना आवश्यक है तथा इसके लिए जनसंख्या वृद्धि परनियंत्रण करना सबसे ज्यादा आवश्यक है।

जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण क्या है?

कृत्रिम तरीकों का उपयोग करके जनसंख्या वृद्धि की दर को बदलने को जनसंख्या नियन्त्रण कहते हैं। कुछ वर्ष पहले तक जनसंख्या वृद्धि की दर को बढ़ाने का लक्ष्य होता था किन्तु अब जनसंख्या वृद्धि की दर को कम करना लक्ष्य है।

जनसंख्या वृद्धि पर कैसे नियंत्रण किया जा सकता है?

Solution : जनसँख्या वृद्धि नियत्रण के दो उपाय है- <br> (अ) योजनाबद्ध आबादी का नियत्रण-संसार की जनसंख्या को नियत्रित करने का सीधा तरीका जन्मदर को कम करना। जन्मदर निम्न के द्वारा कम की जा सकती है- <br> शिक्षा- लोगों को बड़े परिवार से होने वाले नुक्सार तथा छोटे परिवार से होने वाले लाभ का ज्ञान होना चाहिए।