जनसंख्या प्रवास को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करें - janasankhya pravaas ko prabhaavit karane vaale kaarakon ka varnan karen

प्रवास को प्रभावित करने वाले कारक/कारण

प्रवास को प्रभावित करने वाले कारक इस प्रकार है-- 

1. आर्थिक कारक

(अ) अनुकूल कारक 

(A) भूमि का आकर्षण,

(B) रोजगार के अवसर की उपलब्धता, 

(C) आमदनी के अच्छे अवसर, 

(D) दूसरे देश की आर्थिक सम्पन्नता तथा उच्च जीवन स्तर, 

(E) रोजगार तथा नौकरी की उपलब्धता,

(F) खुली अर्थवयवस्था।

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(ब) प्रतिकूल कारक

(A) जीविकोपार्जन के साधनों का अभाव तथा मजदूरी का निम्न स्तर, 

(B) रोजगार के अवसरों की कमी,

(C) निर्धनता, बेरोजगारी तथा निम्न जीवन स्तर।

2. जनसंख्या का बढ़ता दबाव

3. यातायात तथा संदेशवाहन के विकसित साधन

4. प्राकृतिक एवं भौगोलिक कारक

(A) अनुकूल

(B) प्रतिकूल

5. सामाजिक कारक

(A) सामाजिक भेदभाव,

(B) सामाजिक रीतियों, विश्वासों या व्यवहारों के प्रति विरक्ति,

(C) विवाह (लड़की प्रवास करती है),

(D) शिक्षा तथा बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की संभावनाएं,

(E) स्वास्थ्य तथा अन्य सुविधाएँ।

6. धार्मिक कारक

धर्मस्थान, हज, प्रयाग, रोम, यरूशलम।

7. राजनैतिक कारक

युद्ध, बंगलादेश, पाकिस्तान।

8. अन्य कारक

(A) नगरीय आकर्षण,

(B) नौकरी या तबादले।

प्रवास का महत्व 

प्रवास मात्र एक आर्थिक-सामाजिक समस्या ही नही है बल्कि इसका अपना महत्व भी है, जो इस प्रकार है--

1. रोजगार की तलाश में प्रवास करने लोगों को प्रवास से रोजगार प्राप्त होते है।

2. प्रवास उन घटनाओं का भी विकल्प है जो अचानक किसी क्षेत्र मे घटित होता है, जैसे भूकंप, बाढ़, समुद्री तूफान, अकाल, साम्प्रदायिक दंगे-फसाद आदि। व्यक्ति अपनी जान माल की रक्षा हेतु एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित हो जाते है।

3. प्रवास की तीव्र प्रक्रिया नगरों में संतुलन और असंतुलन दोनों उत्पन्न करती है। इसके साथ ही किसी क्षेत्र की उत्पादन शक्ति मे वृद्धि करती है।

4. नगर विशेष योग्यता और प्रतिभा संपन्न व्यक्तियों का केन्द्र बनता जाता है। यहां इतनी सुविधायें होती है कि व्यक्ति की प्रतिभा का सम्मान किया जाता है। साथ ही, उनकी आय मे भी वृद्धि होती है।

5. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रवास मे जब वृद्धि होती है तब देश के प्रतिभा-संपन्न युवक विदेशों में अधिक संख्या मे जाने लगते है और देश में प्रतिभाओं की कमी हो जाती है।

6. प्रवास सांस्कृतिक एकता को स्थापित करने मे सहायक है। 

7. प्रवास जनसंख्या के घनत्व को भी प्रभावित करता है।

8. ग्रामीण भूमिहीन श्रमिकों और बेरोजगार श्रमिकों को नगर मे प्रवास करने की प्रेरणा देता है जिससे वे अपनी रोजी-रोटी यहाँ अर्जित कर सकें।

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विश्व में प्रवास को प्रभावित करने वाले दो कारक कौन - से है? दोनों कारकों की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए ।


विश्व में प्रवास को प्रभावित करने वाले दो कारक यह है: -

  1. प्रतिकर्ष कारक - बेरोज़गारी, रहन सहन की निम्न दशाएँ, राजनैतिक उपद्रव, प्रतिकूल जलवायु, प्राकृतिक विपदाएँ, महामारियाँ तथा सामाजिक आर्थिक स्थिति का अनुकूल न होना ।
  2. अपकर्ष कारक - रोज़गार के बेहतर अवसर और रहन सहन की अच्छी दशाएँ, शान्ति व स्थायित्व, जीवन व सम्पत्ति की सुरक्षा तथा अनुकूल जलवायु।


निम्नलिखित में से कौन-सा एक विरल जनसंख्या वाला क्षेत्र नहीं है?

  • अटाकामा

  • भूमध्यरेखीय प्रदेश

  • दक्षिण-पूर्वी एशिया

  • ध्रुवीय प्रदेश


निम्नलिखित में से कौन-सा एक प्रतिकर्ष कारक नहीं है?

  • जलाभाव

  • बेरोज़गारी

  • चिकित्सा/शैक्षणिक सुविधाएँ

  • महामारियाँ


C.

चिकित्सा/शैक्षणिक सुविधाएँ


जनांकिकीय संक्रमण की तीन अवस्थाओं की विवेचना कीजिए।


जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत का उपयोग किसी क्षेत्र की जनसंख्या के वर्णन तथा भविष्य की जनसंख्या के पूर्वानुमान के लिए किया जा सकता है। यह सिद्धांत हमें बताता है कि जैसे ही समाज ग्रामीण अशिक्षित अवस्था से उन्नति करके नगरीय औद्योगिक और साक्षर बनता है तो किसी प्रदेश की जनसंख्या उच्च जन्म-दर और उच्च मृत्यु-दर से निम्न जन्म-दर व निम्न मृत्यु दर में बदल जाती है। ये परिवर्तन तीन अवस्थाओं में होते हैं-

  1. प्रथम अवस्था :- उच्च प्रजननशीलता में उच्च मर्त्यता होती है क्योंकि लोग महामारियों और भोजन की अनिश्चित आपूर्ति से पीड़ित थे। जीवन - प्रत्याशा निम्न होती है, अधिकांश लोग अशिक्षित होते हैं और उनके प्रौद्योगिकी स्तर निम्न होते हैं।
  2. द्वितीय अवस्था :- द्वितीय अवस्था के प्रारंभ में प्रजननशीलता ऊँची बनी रहती है किंतु यह समय के साथ घटती जाती है। स्वास्थ्य संबंधी दशाओं व स्वच्छता में सुधार के साथ मर्त्यता में कमी आती है।
  3. तीसरी अवस्था :- तीसरी अवस्था में प्रजननशीलता और मर्त्यता दोनों घट जाती हैं। जनसंख्या या तो स्थिर हो जाती हैया मंद गति से बढ़ती है। जनसंख्या नगरीय और शिक्षित हो जाती है व उसके पास तकनीकी ज्ञान होता है। ऐसी जनसंख्या विचारपूर्वक परिवार के आकार को नियंत्रित करती है।


विश्व में जनसंख्या के वितरण और घनत्व को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।


विश्व में जनसंख्या के वितरण की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह बड़ा असमान तथा अव्यवस्थित है। अनुमान है कि विश्व की 90% जनसंख्या पृथ्वी के केवल 10% भाग पर निवास करती है, जबकि केवल 10% जनसंख्या धरातल का 90% भाग घेरे हुए है। जनसंख्या के वितरण और घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक - किसी भी देश अथवा प्रदेश की जनसंख्या के वितरण को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं:-

  1. भौगोलिक कारक-
    1. धरातल :- जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने में धरातल की विभिन्नता सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है। ऊबड़ - खाबड़ तथा ऊंचे पर्वतीय प्रदेशों में जनसंख्या कम आकर्षित होती है। वहाँ जनसंख्या विरल पाई जाती है क्योंकि वहाँ पर मानव निवास की अनुकूल परिस्थितियां उपलब्ध नहीं होतीं, कृषि के लिए उपजाऊ मिट्टी का अभाव होता है, यातायात के साधनों का विकास आसानी से नहीं हो पाता, कृषि फसलों के लिए वर्धनकाल छोटा होता है, जलवायु कठोर होती है। भारत के हिमालय पर्वतीय प्रदेश, उत्तरी अमेरिका के रॉकीज़ पर्वतीय प्रदेश तथा दक्षिणी अमेरिका के एंडीज़ पर्वतीय प्रदेशों में जनसंख्या के कम पाए जाने का यही कारण है। इसी प्रकार मरुस्थलीय भू-भागों में जलवायु कठोर तथा जीवन-यापन के पर्याप्त साधन न होने के कारण जनसंख्या कम पाई जाती है। थार मरुस्थल, सहारा मरुस्थल तथा अटाकामा मरुस्थल आदि में इसी कारण जनसंख्या कम है।
      इसके विपरीत मैदानी भागों में जनसंख्या सघन पाई जाती है। विश्व की 90% जनसंख्या मैदानों में रहती है। वहाँ कृषि के लिए उपजाऊ मिट्टी, यातायात एवं संचार के साधनों का विकास तथा उद्योग - धंधों की स्थिति जनसंख्या को आकर्षित करती है। प्रारंभ में मनुष्य ने अपना निवास - स्थान इन्हीं नदियों की घाटियों में बनाया । वहाँ उसके लिए जल की आपूर्ति तथा कृषि करने के लिए उपजाऊ मिट्टी मिल जाती थी । यही कारण है कि नदियों की घाटियों में ही विश्व की प्राचीन सभ्यताएँ विकसित हुई हैं। इन्हें सभ्यता का पालना भी कहा जाता है। भारत में सतलुज गंगा के मैदान, म्यांमार में इरावती के मैदान, चीन में यांग-टी-सीक्यांग के मैदान, ईरान-इराक में दज़ला फरात तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में मिसीसिपी के मैंदानों में जनसंख्या सघन मिलती है।
    2. जलवायु :- जलवायु का जनसंख्या के वितरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अनुकूल तथा आरामदेय जलवायु में कृषि, उद्योग तथा परिवहन एवं व्यापार का विकास अधिक आसानी से होता है। विश्व में मध्य अक्षांश जलवायु की दृष्टि से अनुकूल है। इसलिए विश्व की अधिकांश जनसंख्या इन्हीं प्रदेशों में निवास करती है। इसके विपरीत अत्यधिक ठंडे प्रदेश जैसे ध्रुवीय प्रदेश मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। इसलिए शीत प्रदेशों में जनसंख्या विरल पाई जाती है। इसी प्रकार शुष्क मरुस्थलीय प्रदेशों की जलवायु ग्रीष्म ऋतु में झुलसाने वाली होती है तथा शीत ऋतु में ठिठुराने वाली । यही कारण है कि विश्व के मरुस्थलों; जैसे सहारा, थार, कालाहारी, अटाकामा तथा अरब के मरुस्थलों में जनसंख्या विरल है।
    3. मृदा :- मनुष्य की पहली आवश्यकता है - भोजन । भोजन हमें मिट्टी से मिलता है। मिट्टी में ही विभिन्न कृषि फसलें पैदा होती हैं। इसलिए विश्व के जिन क्षेत्रों में उपजाऊ मिट्टी है, वहाँ जनसंख्या अधिक पाई जाती है। भारत में सतलुज गंगा के मैदान, संयुक्त राज्य अमेरिका में मिसीसिपी के मैदान, पाकिस्तान में सिंध के मैदान, मिस्र में नील नदी के मैदान आदि में उपजाऊ मिट्टी की परतें हैं जिससे अधिकांश लोग वहाँ आकर बस गए हैं।
    4. वनस्पति :- वनस्पति भी जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करती है। उदाहरणार्थ, भूमध्य-रेखीय क्षेत्रों में सघन वनस्पति (सदाबहारी वनों) के कारण यातायात के साधनों का विकास कम हुआ है। आर्द्र जलवायु के कारण मानव-जीवन अनेक रोगों से ग्रसित रहता है इसलिए यहाँ की जनसंख्या विरल है। इसके विपरीत जिन क्षेत्रों में वनस्पति आर्थिक उपयोग वाली होती है वहाँ मानव लकड़ी से. संबंधित अनेक व्यवसाय आरंभ कर देता है; जैसे टैगा के वनों का आर्थिक महत्त्व है इसलिए वहाँ जनसंख्या अधिक पाई जाती है। वनस्पति विहीन क्षेत्रों (मरुस्थलों) में भी जनसंख्या विरल है।
  2. मानवीय कारक -
    1. कृषि :- विश्व में जो क्षेत्र कृषि की दृष्टि से अनुकूल हैं, वहाँ जनसंख्या का अधिक आकर्षण होता है। वहाँ लोग प्राचीन समय से ही अधिक संख्या में निवास करते आ रहे हैं। प्रेयरीज़ तथा स्टेपीज़ प्रदेश कृषि के लिए उपयुक्त हैं इसलिए वहाँ जनसंख्या का घनत्व अधिक है। भारत में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा तथा पंजाब में जनसंख्या का घनत्व अधिक है। इसी प्रकार चीन में यांग-टी-सीक्यांग की घाटी कृषि के लिए सर्वोत्तम वातावरण उपलब्ध कराती है इसलिए यहाँ जनसंख्या का केंद्रीकरण अधिक हुआ है।
    2. नगरीकरण :- नगर जनसंख्या के लिए चुंबक का कार्य करते हैं। बीसवीं शताब्दी में नगरीकरण की प्रवृत्ति के कारण नगरों की जनसंख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। नगरों में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, व्यापार आदि की अधिक सुविधाएँ सुलभ हैं इसलिए जनसंख्या का जमघट नगरों में अधिक देखने को मिलता है। न्यूयार्क, लंदन, मास्को, बीजिंग, शंघाई, सिडनी, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई आदि नगरों में जनसंख्या में तीव्र वृद्धि हो रही है। कई नगरों में जनसंख्या की विस्फोटक स्थिति के कारण मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण स्वास्थ्य पर कुप्रभाव डालने वाली समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
    3. औद्योगीकरण :- जिन क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना अधिक हुई है तथा औद्योगिक विकास तीव्र हुआ
      है, वहाँ जनसंख्या का आकर्षण बढ़ा है। जापान, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका का उत्तरी-पूर्वी भाग, जर्मनी का रूर क्षेत्र तथा यूरोपीय देशों में औद्योगिक विकास के कारण जनसंख्या में तीव्र वृद्धि हुई है। भारत में पिछले दो दशकों से दिल्ली, मुंबई तथा हुगली क्षेत्र में औद्योगिक विकास के कारण जनसंख्या बड़ी तेजी से बड़ी है।
    4. परिवहन :- परिवहन की सुविधाओं का भी जनसंख्या के वितरण पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। जिन क्षेत्रों में यातायात की अधिक सुविधाएँ है वहाँ जनसंख्या का अधिक आकर्षण होता है। महासागरीय यातायात के विकास के कारण कई बंदरगाह विश्व के बड़े नगर बन चुके हैं। वहाँ अन्य यातायात के साधन भी विकसित हो जाते हैं। सिंगापुर, शंघाई, सिडनी, मुंबई, न्यूयार्क आदि बंदरगाहों के रूप में विकसित हुए थे, लेंकिन आज इन नगरों में रेल, सड़क तथा वायुयातायात की सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
    5. राजनीतिक कारक :- राजनीतिक कारक भी कुछ सीमा तक जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करते
      हैं। सरकार की जनसंख्या नीति मानव के बसाव को अनुकूल तथा प्रतिकूल बना सकती है। रूस सरकार साइबेरिया में जनसंख्या वृद्धि को प्रोत्साहित करके उनको पारितोषिक देती है। फ्रांस में जनसंख्या वृद्धि के लिए करों में रियायतें दी जाती हैं जबकि चीन,भारत तथा जापान में जनसंख्या की विस्फोटक स्थिति है। चीन में एक बच्चा होने के बाद सरकार ने दूसरे बच्चे के जन्म देने पर प्रतिबंध लगा रखा है। भारत में भी जनसंख्या को नियंत्रित करने के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन पिछले एक दशक से चीन की जनसंख्या में वृद्धि-दर निरंतर कम हो रही है जबकि भारत में वृद्धि-दर 2 प्रतिशत से भी अधिक है। वह दिन निकट ही है जब भारत की जनसंख्या विश्व में सबसे अधिक हो जाएगी ।
  3. आर्थिक कारक- जिन क्षेत्रों में खनिज पदार्थों के भंडार मिलते हैं, वहाँ खनन व्यवसाय तथा उद्योगों की स्थापना के कारण जनसंख्या अधिक आकर्षित होती है। ब्रिटेन में पेनाइन क्षेत्र, जर्मनी में रूर क्षेत्र, संयुक्त राज्य अमेरिका में अरप्लेशियन क्षेत्र, रूस के डोनेत्स बेसिन तथा भारत के छोटा नागपुर के पठार में जनसंख्या का केंद्रीकरण वहाँ की खनिज संपदा की ही देन है।


निम्नलिखित में से किस महाद्वीप में जनसंख्या वृद्धि सर्वाधिक है?

  • अफ्रीका

  • एशिया

  • दक्षिण अमेरिका

  • उत्तर अमेरिका


जनसंख्या प्रवास को प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से हैं?

प्रवास को प्रभावित करने वाले कारक/कारण.
आर्थिक कारक.
(ब) प्रतिकूल कारक.
जनसंख्या का बढ़ता दबाव.
यातायात तथा संदेशवाहन के विकसित साधन.
प्राकृतिक एवं भौगोलिक कारक.
सामाजिक कारक.
धार्मिक कारक.
राजनैतिक कारक.

प्रवास के प्रमुख कारक कौन कौन से हैं?

भारत में प्रवास को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक:.
काम/रोजगार.
व्यापार.
शिक्षा.
दरिद्रता.
स्वास्थ्य देखभाल.

जनसंख्या प्रवास कितने प्रकार के होते हैं?

समय कारक के आधार पर प्रवास को तीन मुख्य भागों में बाँटा जाता हैं-- 1. मौसमी प्रवास, 2. आकस्मिक प्रवास तथा 3. स्थायी प्रवास

प्रवास का मुख्य प्रभाव क्या है?

मनुष्य स्थायी या अस्थायी रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान आवागमन करते है। अक्सर आवागमन लम्बी दूरी का ही होता है। वह अपने देश से दूसरे देश तक ही नही बल्कि आन्तरिक पलायन भी करते हैं क्योंकि ज़्यादातर लोग अपने देश मे रहना पसन्द करते हैं ।