जीभ कितने प्रकार के होते हैं? - jeebh kitane prakaar ke hote hain?

इस पेज पर आप विज्ञान के महत्वपूर्ण अध्याय मानव जीभ की समस्त जानकारी विस्तार से पढ़ेंगे।

पिछले पेज पर हमनें विज्ञान के महत्वपूर्ण अध्याय मनुष्य के दांत से संबंधित जानकारी विस्तार पूर्वक दी है उसे जरूर पढ़े।

चलिए अब मनुष्य की जीभ की जानकारी पढ़कर समझते है।

  • मानव जीभ (Tongue) क्या हैं
  • मानव जीभ का चित्र
  • जीभ की पेशीय संरचना 
  • जीभ की अंतःस्थ पेशियां
  • जीभ की बाह्यस्थ पेशियां
  • सिवा एक एक्सट्रिंसिक पेशी
  • मनुष्य की जीभ से संबंधित प्रश्न-उत्तर

मानव जीभ (Tongue) क्या हैं

मुखगुहा के फर्श पर स्थित एक मोटी एवं मांसल रचना होती हैं। जीभ के ऊपरी सतह पर कई छोटे-छोटे अंकुर होते हैं जिन्हें स्वाद कलियाँ कहते हैं।

इन्हीं स्वाद कलियों का मुख्य कार्य भोजन में उपस्थित स्वाद को पहचानना एवं लार को भोजन में मिलाना होता हैं। यह मांसपेशियों से मिलकर बनी होती हैं इसकी गति के कारण ही लाल ग्रंथियां सक्रिय होती हैं एवं भोजन को ग्रास नली में पहुँचाया जाता हैं।

जीभ के अगले हिस्से में मीठे स्वाद को पहचाने वाली स्वाद कणिकाओ की संख्या अधिक होती हैं जबकि मध्य भाग में नमकीन स्वाद को पहचानने वाली स्वाद कणिकाएँ अधिक होती हैं। और सबसे अंतिम भाग में कड़बे स्वाद को पहचानने वाली स्वाद कणिकाएँ अधिक मात्रा में होती हैं।

मानव जीभ का चित्र

जीभ कितने प्रकार के होते हैं? - jeebh kitane prakaar ke hote hain?

जीभ की पेशीय संरचना 

जीभ में 4 अंतःस्थ तथा 4 बाह्यस्थ पेशियां होती हैं।

जीभ की अंतःस्थ पेशियां

अंतःस्थ का अर्थ होता है कि ये पेशियां हड्डियों से जुड़ी नहीं होती ये जीभ का आकार बदलने के लिए कार्य करते हैं।

  • सुपीरियर लॉगिट्यूडिनल फाइबर
  • इंफीरियर लॉगिट्यूडिनल फाइबर
  • वर्टिकल फाइबर
  • ट्रांसवर्स फाइबर

1. सुपीरियर लॉगिट्यूडिनल फाइबर:- ये जीभ को छोटा करते हैं।

2. इंफीरियर लॉगिट्यूडिनल फाइबर:- ये जीभ को छोटा करते हैं।

3. वर्टिकल फाइबर:- ये जीभ को चौड़ा तथा चपटा करते हैं।

4. ट्रांसवर्स फाइबर:- ये जीभ को संकरा और लंबा बनाते हैं।

जीभ की बाह्यस्थ पेशियां

जीभ की एक्सट्रिंसिक पेशियां जीभ की स्थिति को बदलने के लिए कार्य करती है।

  • निरग्लोसस
  • हाइग्लोसस
  • स्टाइग्लोसस
  • पैलैटोग्लोसस

सिवा एक एक्सट्रिंसिक पेशी

प्लैटोग्लोसस को छोड़कर, जिसमें फैरिंगियल प्लेक्सस के CN10 की तंत्रिकाएं होती हैं, जीभ की सभी अंतःस्थ तथा एक्सट्रिंसिक पेशियों में हाइपोग्लोसल तंत्रिका (CN 12), की आपूर्ति होती है।

मनुष्य की जीभ से संबंधित प्रश्न-उत्तर

1. ओरोफैरिंक्स से लेकर शिख तक जीभ की औसत लंबाई कितनी होती है।

उत्तर:- 10 cm (4 इंच)

2. जीभ के अगले हिस्से में कौन से स्वाद को पहचाने वाली स्वाद कणिकाओ की संख्या अधिक होती हैं

उत्तर:- मीठे स्वाद।

3. जीभ के मध्य भाग में कौन से स्वाद को पहचानने वाली स्वाद कणिकाएँ होती हैं?

उत्तर:- नमकीन स्वाद

4. जीभ के अंतिम भाग में कौन से स्वाद को पहचानने वाली स्वाद कणिकाएँ अधिक मात्रा में होती हैं?

उत्तर:- कड़बे स्वाद

5. मनुष्य की जीभ में लगभग कितनी स्वाद कणिकाएँ पाई जाती हैं?

उत्तर:- 10,000

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इस लेख में जीभ ( Tongue ) विषय से सम्बन्धित सभी जानकारी मिलेगी जैसे कि – जीभ क्या होता है? ( Jeebh kya hota hai ), परिभाषा , प्रकार एवं कार्य आदि । तो चलिए आगे जानते है इन सभी प्रश्नों के बारे में ” उत्तर “।   

  • जीभ क्या होता है? ( What is a tongue )
  • जीभ ( Tongue ) 
  • जिह्वा अंकुर ( Lingual Papillae ) 
    • ( 1 ). सूत्राकार या फिलिफॉर्म अंकुर ( Filiform Papillae ) 
    • ( 2 ). क्षत्राकार या फन्जिफॉर्म अंकुर ( Fungiform Papillae ) 
    • ( 3 ). पर्णिल अंकुर ( Foliate Papillae ) 
    • ( 4 ). परिकोटीय या सर्कमवैलेट अंकुर ( Circumvallate Papillae ) 
  • जिभ के कार्य ( Functions of Tongue ) 

जीभ क्या होता है? ( What is a tongue )

जीभ तथा जिह्वा अंकुर ( Tongue and Lingual Papillae ) 

जीभ ( Tongue ) 

परिभाषा ( Definition ) — मुख – ग्रासन गुहिका के तल के अधिकतर भाग पर मोटी और मांसल जीभ फैली रहती है । स्तनियों में ( व्हेल मछली को छोड़कर ) यह सबसे अधिक विकसित और चल होती है । एक उल्टे ‘ V ‘ ( ^ ) आकृति की सीमावर्ती खाँच ( terminal sulcus ) इसे अगले मुखीय ( oral ) तथा पिछले ग्रसनीय ( pharyngeal ) भागों में बांटती है ।

पूरी जीभ का केवल थोड़ा – सा अगला भाग स्वतंत्र होता है । और बाकी के भाग मोटी , पेशी युक्त जड़ ( root ) द्वारा हाइऔइड ( hyoid ) एवं निचले जबड़े के कंकाल से जुड़ा रहता है । स्वतंत्र भाग भी , निचली सतह के बीच में , श्लेष्मिक कला के एक भंज जिह्वा संधायक ( frenulum linguae ) द्वारा , मुख गुहिका के तल से जुड़ा रहता है । जीभ का यही भाग गुहिका के बाहर निकाला तथा भीतर चारों ओर घुमाया जा सकता है ।

अतः यह भोजन को लार में मिलाने और चबाने के लिए बार – बार दाँतों के तल पर लाने और फिर इसे अन्दर निगलने में मदद करता है । पूरी जिह्वा पर भ्रूणीय एण्डोडर्म से व्युत्पन्न स्तृत शल्की एपिथीलियम की बनी श्लेष्मिक कला का आवरण होता है । अन्दर के ऊतक में सभी दिशाओं में फैली अन्तरस्थ रेखित पेशियाँ तथा जिह्वा की जड़ की बहिरस्थ रेखित पेशियाँ होती हैं । जिह्वा की सभी गतियाँ इन्हीं पेशियों के कारण होती हैं । 

जिह्वा अंकुर ( Lingual Papillae ) 

जीभ के ऊपर की पूरी सतह खुरदरी होती है । इसके लगभग दो – तिहाई अगले , मुखीय भाग में खुरदरापन अनेक सूक्ष्म जिह्वा अंकुरों के कारण , परंतु शेष , ग्रसनीय भाग में लसिका ऊतक की छोटी – छोटी गाँठों के कारण होता है । 

जिह्वा अंकुर निम्नलिखित चार प्रकार के होते हैं ;

( 1 ). सूत्राकार या फिलिफॉर्म अंकुर ( Filiform Papillae ) 

यह छोटे नुकीले धागेनुमा उभार होते हैं जो जिह्वा की पूरी ऊपरी सतह पर फैले रहते हैं । इनमें स्वाद कलिकाएँ नहीं होतीं है । 

( 2 ). क्षत्राकार या फन्जिफॉर्म अंकुर ( Fungiform Papillae ) 

ये सूत्राकार अंकुरों के बीच – बीच में और इनसे कुछ बड़े लाल दानों के रूप में छातेरूपी अंकुर होते हैं । ये भी जिह्वा की पूरी सतह पर फैले होते हैं । इनमें से हर एक में मुख्यतः 5 स्वाद कलिकाएँ ( taste buds ) होती हैं । 

( 3 ). पर्णिल अंकुर ( Foliate Papillae ) 

सीमावर्ती खाँच के निकट , जिह्वा के दोनों पार्यों में लाल , पत्तीनुमा अंकुरों की छोटी – छोटी श्रृंखलाएँ होती हैं । इन अंकुरों में भी स्वाद कलिकाएँ ( taste buds ) होती हैं । 

( 4 ). परिकोटीय या सर्कमवैलेट अंकुर ( Circumvallate Papillae ) 

ये लगभग एक दर्जन सबसे बड़े घुण्डीनुमा ( knob ) अंकुर होते हैं जो सीमावर्ती खाँच के ठीक आगे और इसी के समानान्तर उल्टे ‘ V ‘ ( ^ ) की आकृति की एक ही लाइन में स्थित होते हैं । इनमें से हर एक में 100 से 300 तक स्वाद कलिकाएँ ( taste buds ) होती हैं । 

जिभ के कार्य ( Functions of Tongue ) 

मनुष्य सहित सभी स्तनियों में जिभ के कार्य निम्नलिखित हैं ;

( 1 ). जिह्वा के क्षत्राकार , परिकोटीय तथा पर्णिल अंकुरों में उपस्थित स्वाद कलिकाओं ( taste buds ) द्वारा जिह्वा स्वाद – ज्ञान का काम करती है । मनुष्य में इसका अग्रभाग में मीठे , पश्चभाग में कड़वे , पार्श्वभाग में खट्टे तथा अग्र छोर एवं किनारे नमकीन स्वादों का अनुभव करते हैं । 

( 2 ). यह भोजन के अन्तर्ग्रहण में जिह्वा चम्मच की भाँति कार्य करती है । 

( 3 ). इसकी श्लेष्मिका के नीचे दो प्रकार की जिह्वा ग्रन्थियाँ ( lingual glands ) होती हैं — श्लेष्म का स्रावण करने वाली श्लेष्मिक ( mucous ) ग्रन्थियाँ तथा एक जलीय तरल का स्रावण करने वाली सीरमी ( serous ) ग्रन्थियाँ । श्लेष्मिक ग्रन्थियाँ जिह्वा की सतह पर खुलती हैं और श्लेष्म के साथ – साथ जिह्वा लाइपेज ( lingual lipase ) नामक एन्जाइम का स्रावण करती हैं । यह एन्जाइम भोजन की सामान्य वसाओं , यानी ट्राइग्लिसराइड्स का वसीय अम्लों तथा मोनोग्लिसराइड्स में विखण्डन शुरू करता है । सीरमी ग्रंथियों की नलिकाएँ परिकोटीय अंकुरों के चारों ओर खुलती हैं । इनसे स्रावित तरल भोजन पदार्थ को घोलकर स्वाद पहचानने में सहायता करता है । 

( 4 ). यह मुखगुहा में भोजन को इधर – उधर घुमाकर इसे पूरा लार में मिलाती है । 

( 5 ). यह भोजन को बार – बार दाँतों के बीच में लाकर इसे चबाने में मदद करती है । 

( 6 ). यह भोजन को अन्दर निगलने में मदद करती है । 

( 7 ). यह बोलने में सहायता करती है । 

( 8 ). जिभ दाँतों के बीच – बीच में फंसे हुए भोजन के छोटे – छोटे कणों को हटाकर मुख गुहिका की सफाई करती है । 

( 9 ). कुछ स्तनियों में यह शरीर की सतह को चाट – चाटकर इसकी सफाई करती है । 

( 10 ). कुत्तों की जिभ में रुधिर वाहिनियाँ बहुत होती हैं । हाँफने में , जिभ में रुधिर – संचरण बहुत बढ़ जाता है और श्लेष्म के वाष्पीकरण से रुधिर को ठंडा करके शरीर के ताप का नियंत्रण किया जाता है ।

तो दोस्तों , आशा करता हूँ की इस लेख में दी गयी सभी जानकारी जैसे की — जीभ क्या होता है? , परिभाषा , प्रकार एवं कार्य आदि प्रश्नों का उत्तर आपको अच्छे से समझ आ गया होगा । और यदि आपका कोई सवाल या कोई सुझाव है । तो हमें कमेंट्स करके जरुर बतायें हमें आपकी मदद करने में बहुत ख़ुशी होगी । [ धन्यवाद्…]

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जीभ के कितने प्रकार होते हैं?

मनुष्य की जीभ में चार प्रकार की स्वाद कलिकाएँ पाई जाती हैं और जीभ के विभिन्न भाग विभिन्न स्वादों का अनुभव करते हैं- मीठे और नमकीन के स्वाद का अनुभव जीभ के स्वतंत्र सिरे पर, खट्टे स्वाद को अनुभव जीभ के पार्श्वों में तथा कड़वे व कसैले स्वाद का अनुभव जीभ के पश्च भाग में होता है।

जीभ में कितने टेस्ट होते हैं?

मानव जीभ में औसतन 2000 से 8000 स्वाद बड्स मौजूद होते हैं

जीभ का क्या काम है?

जीभ मुख के तल पर एक पेशी होती है, जो भोजन को चबाना और निगलना आसान बनाती है। यह स्वाद अनुभव करने का प्रमुख अंग होता है, क्योंकि जीभ स्वाद अनुभव करने का प्राथमिक अंग है, जीभ की ऊपरी सतह पेपिला और स्वाद कलिकाओं से ढंकी होती है। जीभ का दूसरा कार्य है स्वर नियंत्रित करना।

जीभ में कितने प्रकार के स्वाद मौजूद होते हैं?

हमारे जीभ पर चार प्रकार की स्वाद ग्रंथियां पाई जाती है, उसी के अनुसार हमें स्वाद का पता चलता है जो मीठा, खट्टा ,कसैला और नमकीन है।